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राजस्थानी लोक गाथा

खापरिये चोर की छाटकाई

एक राजा रे अठे चाकीर में चाकर रैवतो। उण री हाथ घली री आदत। चोरी करियां बिना उण ने जकग नीं पड़े। नान्ही मोटी कांई न कांी नित चीज उठाई ईं सरे। अठ न ेवछी ने आंख टोलाई न चीज गायब। वातां करता करता रा पागड़ी मांयनूं चिलम काढ़ ले, कनें बैठा रा खुलिया मांयली तमाखू री कोथी उण रा खुलिया मांयने। चालती लुगाई रा हाथ मांयनूं चूड़ी उतरा ले। चोर री मन री मोटी आकांक्षा या के उण रो बेटो नामीं व्हे। एड़ चोर व्हे के उणरी वांतां चाले। आप रे चाहिये बेटा ने चोरी की कला, वातां घमी बतावोत, हाथ री सफाई बतातो पण डोकरा रा मन में थावस नीं। बेटो कदी कांई नामी चोरी करे तो उण रो कालजो ठंढो पड़ै।
"एक डोकरो मांद पड़ियो। माचा पै पड़िया पड़ियारे आंखियां मांयनूं टलक टलक आंसूं पड़ै। गैरा गैरा नीसास नांखे। बेटा पूछियो "बा, थारे दुख कांई है जो कैवो।"
डोकरो बोलियो "बेटा अबै म्हूं तो मरूंला ई पण म्हारा मन री आकांक्षा पूरी नीं व्ही, इण रो दुख है। एकर म्हारी आंखिया थने नामी चोरी करतो देख ले तो म्हारो मिनख जमारो सुफल व्हे जातो।"
"बस अतरीसीक वात ?"
"बा बेटा, थूं जलमियो जठा पैला सूं म्हारी आकांक्षा या ईज ही के म्हारे बेटो व्हे तो जांणे दजो खापरियो ई व्हे।"
बेटो बोलियो "बा, मन सोरो करो. आज अबारूं मोटी कर थने बतावूं। राजा रे म्हलां में, राजा रा ढोलिया रा पागा नीचूं सोना री ईटां काढ लावूं।"
बाप बेटा री बात सुणी तो जांणे सेरे घी पीधो। एकण दम आंख में जोती आयगी। डोकरो तो मचड़क करतो माचा पै बैठो व्हेगियो। "चाल, म्हूं ई चालूं। मरतो, आंखिया देख लूं थनें राजा रे अठे चोरी करतो।"
दोई बाप बेटा चालिया। काली तो कमली ओढ लीधी। मंझयान रात री बारा बजी। घड़ी माथे बारा रा टकोरा लागिया लारै बारा ई साखिया। बारा ने बारा चौइस टकोरा।
उण टकोरां रै लारै ठ ठें, खीलीं गाड़तो गढ़ री भीत माथै चढ़ गियो। राजा सूता जां म्हेलां में गियो, अतर रा दीवो रो मंद मंद उजास व्हेय रियो। राजा ढोलिया माथै सूतो। पांगां नीचै सोना री ईटा पड़ी। ढोलिया रे पगथियां बैठो एक जमओ वात कैय रियो। राजा हूंकारो देय रियो। राजा ऊंघल नींदियो। नैणां में नींद घुल री। कदैई तो हूं कैय हूंकारा दे, पाछी नींद आय जावे। चोर तो कीधी एक तरवार री जो वात कैवणियां रो माथो अलगो। उण री जायगा चोर वात कैवा लाग गियो, "वा.सा. राजा रा म्हेल में चोरी चोरी करवा लागे, राजा पोढरिया-"
राजा हूंकारो दीधो "हूं।"
"हूंकारो रो देवणो वात रो करमो, राजा, चोर तो माथो काट पैरावाल रो ढोलिया रा पागा नीचे दीधो।"-यूं कैवतां वात कैवणियां रो माथो डोलिया रा पाग नीचै देय सोना री ईटां काढ लीधी।
राजा ऊंघल नींदिया हूंकारो दीधो "हूं पछै।"
"पछै कांई राजा हाथां ने काट ढोलिया रा पागा नीचे देय दीधा।"
यूं कैवतो गियो, पगां ने काट पागा नीचे दे तीजी अर चोथी ईंट ई काढ लीधी।
राजा हूंकारो दीधो "पछे ? हूँ।"
"हूं कांई राजा, चारूं ईंटा काढ़ लीधी, यो गियो चोर। करणो व्हे जो करो। राजा चमक न झांकियो तो चोर भाग रिया। राजा लारै भागियो. बेटो तो बारे निकल गियो। बाप झरोखा री बारी में माथा घाल, फट न नीसरवा वालो ई ज हो के पाछा नूं राजा पग पकड़ लीधो, बारूणं तो चोर खैचे बाप रा मांय नूं राजा पग खैंचे।"

बाप बोलियो "मारियो जावेला, भाग। खैंचा तांणी कांंंई करे। म्हारो माथोकाट लारे लेतो भाग। म्हारो तो आज मिनख जमारो सुधर गियोष मनोवांछा पूरी व्हेगी।"
चोर तो बाप रो माथ काट भाग गियो राजा ने घणी रीस आई हद व्हेगी, म्हारा ढोलिया रा पागा हेटा सूं ई ईटां लेय गियो तो पछे व्हेगी।
बेटे तो दूजे दिन छापा छाप दीधा, "नंगीर में खापरियो आयो है, आज करी जेड़ी काले करेला।"
राजा ने बत्ती रीस आवणीज ही। कोटवाल ने हुकम दीधो "दिन री उगाली खापरियो पकड़ीज न म्हारे कन हाजर व्हे।"
परधान बोलियो, "चोर तो दाग करो जठै मसांणा पै पैरो लगायदो असल चोर व्हेता तो जठे धड़ रो दाग व्हियो वठै ई ज माथो दाग करवा ने लावेला।"
कोटवाला मसाणा पै पैरो लगाय दीधो। खापरियो तो भेख बदलियो, फकरी बणियो, आटो ओसम मांयने माथो घाल मोटो रोट बणायो मसांणा साम्हो चालियो। जाय मसांणा मे रोट सेकवा लागियो। पैरा वाला रोकिय। "थूं कुण है ?"

फकीर बोलियो "मस्त, राह चलता फकीर। मसाणां री आग पै ई रोक है क्या ?"
एक जणो बोलियो, सेक लेवा दो, आपणाो कांई बिगड़े, आपां तो चोर ने पकड़वा रा पैरा पै हां, फकीर रे रोट सेकवा री रोक थोड़ी है। कुण जांणे, कठै ई करामती फकरी व्हीयो कांी बददुवा दे दे। घर बार बालक छोरू है आपां रे।
फकीर तो मसांणा री वासदी में रोट ऊंडो घाल दीधो। माथा रो दाग व्हे गियो, बोलियो "म्हारो रोट बल नीं जावै, नीगै राखजो अबारूं लगावण ने लूण मिरच लेय आवूं।"
फकीर तो दीधी चाटी। घड़ी दो घड़ी फकरी तो आयो नीं। नीं कोई खापरियो ई आयो। पैरावाल ने वैम आयो, देखां रोट तो देखां, देखे तो चोर रो माथो।
दिनूंगा राज ने अरज व्ही, खापरियो तो राजा रै पैरायतिया में आगुजारी। राजा नाराज व्हे कोटवाल ने हुकम दीधो।
"थूं खापरिया रे लारेलाग। माथा रो दाग देवा ने गियो तो तीसरा रे दिन फूल बीणवा न ई जरुर आवैला।"
जो हुकम, कोटवाल हुकम माथे चढायो।
खापरियो तो म्हेलां में ईज राज रो चाकर। सैग सुण रियो। मन में धार लीधी, "जरुर मसाणां पै फूल बीणवा ने जावणो।"
सांझ पड़ी खापरियो लुगाी रा गाबा पैरिया, आटा रो पूथलो बणाय, गोदड़ी ओढाय टाबर ज्यूं खोला में लीधो। थाली में चौमुखो दीव जोय लाडू भर मसांणा आडी ने गी। आगे कोटवाल खड़ेदम पैरो देय रियो. पीलो ओढियां जचा रा गाबा में खापरियो फूटरी लुगाई दीख री। कोटवाल रोकी, "कुण ? कठै जावै ?"
लुगाई हाथ जोड़िया, "बापजी, नीठा नीठ भैंरूजी म्हारी खोल भरी है। चार चार टाबर मरिया, एकटोटको करणो है मसाणां में। मसाणां री सात कांकरिया इण माथे वारणी है।"
थाली भरिया लाडू पैरा वाल साम्हा गुड़ाया। पैरा वाला लाडू जीमवा लागिया, खापरिये तो झटझट सांत फूल बींण लीधा।
मसांणा री परक्रमा करवा रो टोटको करलूं. बापजी ईण टाबर ने अठे सूवावूं। या आई परकमा करन।
टाबर ने सोवता ई खापरियो तो दीधी चगचगाटी जो घरे।
घणी ताल व्हेगी। कोटवाल गालियां दैयटाबर ने देखे तो आटा रो लोथड़ो।
"नाक काट गियो खापरियो तो।"
सुबै राजा ने मालव व्ही "कोटवाल नाजोगो। काढो चाकरी सूं।"
हुमक लाग गियो।
राजा आप रा खास ढोलिया री चौकी रा सिरदरां ने खापरिया ने पकड़वा नै बोलिया। चौकी रा सिरदार संझया पड़तां ई हाथा में घोटा तरवारां लीधा, "मार मार खबरदार" करता गस्त पै निकलिया। खापरियो तो डाकौत रो रूप कर पोथी पानड़ा टीपणां लैय पैरावालां रे घरां आड़ी ने निकलियो। डाकौत ने देखतां ई लुगायां तोआप रा ग्रह नुखतर पूछवा लागी। डाकतो मीण मेख कुंभ गिण गिणाय बोलियो, "आज थारै चन्दर बल नेस्ट है। आधी रात गियां पछै थारं घरे डाकी आवेला। उपद्रे व्हेा।"
लुगायां पूछियो, "कांई करां तो ये उपद्रे रुक जावे।"
पौथी पांनड़ा देख डाकोत बोलियो, "थां, वींनी, छांणां, केलूडा कांकरिया रे ऊंची चढ़ बैठ जाजो। पौल रा आडा तो दीजो जड़। मांयनै सांकला लगाय दीझो। आधी रात गियो ज्यूं डाकां आवे थां ऊपर सूं छाणां, वासदी, कोयलां री रीठकरदीजो,डाकी पूठा फिर जावेला।"
खापरियो तो जाय एक गाडूलिया में चूल्हो मेल्ह, ताता बड़ा काढवा लागियो, गैरा घालिया मसाला मांयने घाल दीधी भांग। चौकी वाला मूंछा पै बंटदेवता, मार मार खबरदार करता वठी ने निकलिया। खापरिया ने बडा काढ़ता देखियो तो धाकलियो, अबारु कुवेला अठे कांई कर रियो है ? डरपतो डरहतो खापरियो बोलियो, "कांई नीूं करु बापजी, बड़ा कांढ रियो हू। काल दिन में बेचूंला।" "फैका यां ने, हुकम नीं है राज रो। रात ने बड़ा काढ़े दिन में बेचेला ?"
उठाय फैंकवा लागिया। खापरियो पगां पड़ियो, "फै ै ंको मत बापजी, चाखो तो खरी आप। सुवाद बणाया है।"
दूना रो घाल दो दो बड़ा दीधी। ताता, तुरत रा। सुवाद। "ला और ला। थारा पैइसा लेलीजे।"
"पैईसा कउे जावे। दिनूंगे दिराजो। जीमो।"
चौकी रा सिरदार तो भर भर दूना बड़ां रा जीम गिया। चढी भूंवाली। खाय खाय गैल पड़िया हेटे। खापरिये तो उतार लीधी उणा री वड़दियां। राखोड़ो घोल घोल मूंडा रे डील रे चौपड़ दीधो। सागै ई डाकी दिखण लाग गिया। आधी रात व्ही न तीजी पोहर ढलवा लागी न वा रीं गैल उतरी तो भागियो आपरै घरां आडी ने। लागे लुगायां सझियोड़ी बैठी, राखोड़ा सूं भूत व्हियोड़ा आता दिखिया न बोली, "डाकौत तोसांचो। डाकी तो आय रियो।"
पोल कनै आय न सांकल खड़ खडाई न लुगायां तो भाटा री न राखोड़ा री रीठ मांड दीधी।
वे हाका करे "आडो खोलो" ज्यूं ज्यूं लुगायां ूपर सूं गालियां काढ़ीती जावे न केलूडा री टकां फैंके।
बास रा मिनख भेला व्हेगिया, सिदूरी फूटवा लागगी।
ये कुण ? जोरावरसिंहजी। ये कुण ? दलपतसिंहजी। ये कुण ? फलाणसिहजी। ये कुण ? ढीकड़सिंघ जी।
घरां में लीधा। घणा लजखणा पड़ गिया। मुजरो करवाने रावले ई नीं गिया। आखी नंगरी में रोलो व्हे गियो। खापरिया ई खापरिया री बात चारू कानी।
खापरिये तो छापा छाप दीधा। आज करी जेड़ी काल करुला। राजा ने घमी रीस आई, "माटो चोट पै चोट उतारतोजाय रियो कांट कांटा सूं नीसरे। नी व्हे तो चोरां ने यो काम भलावां। चोर चोर ने सोरो पकड़ावेला।"
वा.सा. नगरी रा नामी चोरां ने बुलाय खापरिया ने पकड़़वा रो काम भलायो।
चोरा अरज कीधी, "एक तो आच्छो ऊंट दिरावो, एक नौलखो हार दिरावो।"
"ऊंट ई लो, हार ई लो, और जो चावे जो लो पण खापरियो पकड़ीजणो चावे।"
ऊंट रा गला में तो नौलखो हार घाल दीधो, ऊंट ने छोड़ दीधो, लारे थोड़ा दूरा व्हे गिया चोर। असल चोर री ौलाद व्हे तो काढे इण हार ने।
खापरिया ने तो ठा ही के यूं करेला। घर रा आंगणां जाय ऊंट ने गाड़े जेड़ो खाड़ो खोदिया। रात पड़ी। व्हे गियो ऊंट लारै। गैला मे ं एक जणां बाजींगर सोवता वताय रियो। खापिरया बाजगीर ने कहियो, "आच्छो सोबदो बताय थूं या देखणियां ने बिलमाय दे तो थने दस रिपिया दूलां।"
बाजीगर सोबदा बताण लागियो, "मड़दा ने लुगाई बणादूं, कीड़ी ने हाथी बणादूं। खापरिाय चोर ने पकड़़ दिखावूं।"
वे चोर तो रोबदा देखवा लागिया जतरे खापरिया तो ऊंट ने घर में लै वलियो। खोज मिटायदीधा। घरे में जाय ऊंटा रा गला मायनूं हार काढ लीधो। ऊंट ने काट कूर खाड़ा बूंच कर दीधो।
दिनूंगे चोर तो फीटे मूंडे आया नीं ऊंट रो ठा ठकाणो नीं हार खापरिया रो तो कठै ई बड़बड़ो ई नीं।
खापरिये तो छपा छाप दीधा "आज करी जेड़ी काल करुंला।"

राजा जेरबंद फेरया चोरां ने काढिया। अबै परदान ने बुलाय हुकम दीयां "कै तो खापिरयां ने पकड़ हाजर कर नीं तो परधानी खोस लूंला।"
परधानजी खापरिया ने पकड़वा चालिया। आगे देखे एकटोकरी दांणो दल री। रोवतीजाय रीदांणदलती जाय री।
वजीर पूछियो ""रोवती जाय री टांण किण रे दल री है ?
डोकरी बोली "अन्नदाता, गरीब टोकरी हूं। खापरियो चोर रा घोड़ा रे दांणो दल रू हूँ।"
वजीर रा कान ऊभा व्हिया।
"खापरियो कठै है ?"
"या तो ठा नीं बापजी, रोजीना सवा मण दांणो म्हार कना सूं दलावे। कांी करूं नीं दलूं तो ठोके।"
"दाणो कठैजाय देवे थूं।"
"नी बापजी वो अबांरू आवा वालो व्हेला। आय दांणो ले जावेला। म्हने दो टका दे जावेला।"
परधान मन में बोलियो "मजो आय गियो. अबै खापरिया ने पकड़ लूंला ये पैरावाला लूणहरामी, अतरी नींगै नीं राखणी आई। चौड़े धाड़ै दांणो दलाय खापरियो ले जावे। परधान कहियो "डोकरी म्हूं राजा रो परधान हूँ, खापरिया ने पकड़़ा।"
"भल पकड़ो बापजी। म्हूं तो उण दुस्ट ने दांणो दलती दलती मरगी।"
"म्हनें कटैई छिपाय दे।"
"छिपियां उण ने कीकर पकड़ोला ? वो बाग नीं जावेला।"
"तो ?"
"म्हारा गाबा पैर दांणो दलवा बैठ जावो। वो ज्यूं ई आवे बांवटियो पकड़ लीजो।"
परधान रे वात आसे आयगी। घर रे पछोकड़े घोड़ो बांध डोकरी रा गाबा पैर दांणो दलवा बैठ गियो।
खापिरयो तो परधान रा गाबा पैर, घोड़ो ले उडंछू व्हियो। घटी फेरता फेरता तारा आंथ गिया।
परधान लजखाणो व्हे न देखे तो गाबा नीं घोड़ो नीं। माथे जांणे सौ घड़ा पांणी रा कूढिया।
अब तो राजा री रीस रो परा नीं। सैंग नाजोगा, सींतमींत रा टुकड़ा खावणिया। राजा आप खापरिया ने पकड़वा पांचूं सस्तर बांध पधारिया गिस्त लगाता तलाव कानी गिया। आगे घाटै पवै "हे हो हें हो, पछांट पठांतधोबी गाबा धोय रियो।"
राजा हेलो मारियो "कुण ? आधी रात रा गाबा धोव जो ?"
"यो रावलो धोबी, राजा री पोसाक धोय रियो।"
राजा कनैं जाय पूछियो कुण "कुण ?"
"हजूर रो मस्तानो धोपी।"
"आधी रात गा गाबा क्यूं धोवे ?"
अन्दाता, रतनां रा जतन है, हजूर री पोसाक दिन में धोवूं किंरी छाया पड़जावे, किण री डीठ लाग जावे। रात ने एकांत में धोवूं। हजूर आंधी रात रा एकला क्यूं ?
"खापरिया ने पकड़वा ने।"
अन्दाता, "खापरियो तो रात रा अठौ ने निकले। अठै बैठ चिलम पीवे। म्हारा सूं गल्लां करे।"
"पकड़वा वीं ने।"
हाजर। आप उण रूंखरी आड़ में बिराज जावो. वो आवणो वालो व्हेंला। उण रे आवतांई म्हूं वातां में बिलमाऊं आप दौड़ पकड़ लेवाजो।
जचगी राजा रे। रुंख रे आलखे थोडा क दूरा छिप न बैठ गिया। यूं ही काली अंधारी रात ही।तोडीक ताल व्हीं मचड़ मचड़ पगखियां वाजी। धोबी बोलियो,
"आप खापरिया, चिलम भर राखी है पीवां।"
"पाछो खापरिाय ने बोलतां राजा सुणिया "ला चिलम ला, काले परधान में बिताई जेड़ी राज में बीतावणी है।"
या सुणतां ईराजा भागियो खापरियने पकड़वा ने। राजा रे दौड़तां ईधोबी तो एक कालीं हांडी धड़ाक देणी री पांणी में नांखी, पांणी री ल्हेरां लारे हांडी बैवा लागी। धोबि बोलियो, "राजा राज पकड़ो, वो खापरियो तिरियां जाय रियो है।"
राजा तो हा ज्यूं रा ज्यूं पोसाक सूधा पांणी में कूदिया धम्म। आगे हांडी, राजा ने काला माथा ज्यूं दीखे।
हांडी बैवतीजाय री, राजा तरियां जाय रिया। आफलता आफलता हांडी कनें जाय,ठोकी तरवार तड़ाक देणी री। हांडी फूटगी।
राजा लजखाणो पड़पाछो फिरोय। आगे नीं धोबी नीं धोबी रो गधेड़ो। राजा हार आय म्हेलां में बैठियां। राजा खापरिया री तारीफ करे, माटो चोर व्हेतो एडो व्है। एकद देखूं तो खरी, वो है केड़ोक। यो तो हाथे आवा नै तो नीं। पणचावे ज्यूं व्हे दैखणो। घाव तो वैरी रो ईं सरावणो पड़ै। है आपरा हुनर रो उस्ताद।
दूजे दिन दरीखाना पै बैठ हुकम दीधो "जठै खापिरोय चोर व्हे वठे खबर पूग जावे के उण रा लाख ई गुना माफ। वो एकर अठे आय हाजर व्है तो उण ने साम्हां दस गांम इनाम में दूं।"
वठे ई ज राजा रा चकारां मांयने ेक जमओ ऊभो व्हियो, "पिरथीनाथ, लाख गुनाह माफ करबा रो वनच दिरावो तो खापरिया ने लाय हाजर करुं।"
"वचन।"
"यो तो चरमआं में ऊभो है।"
"कुण ?"
"म्हूं।"
"मांनूं नीं।"
"नीं मानो तो रावला आदमियां ने म्हारे लारे घरे भेजावो।" जो सैग सामान नजर करदूं।
आदमी भेजिया, सोना री ईंटा, नौलखो हारलाय नजर गुजराया।
राज वचन रे माफक लाख गुना माफ कर दस गांम औजूं पाखती में दीधा।

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राजस्थान रा सूरमा
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
आप भला तो जगभलो नीतरं भलो न कोय ।

आस रे थांबे आसमान टिक्योडो ।

आपाणो राजस्थान
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ज्ञान गंगा ऑनलाइन
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