आपाणो राजस्थान
AAPANO RAJASTHAN
AAPANO RAJASTHAN
धरती धोरा री धरती मगरा री धरती चंबल री धरती मीरा री धरती वीरा री
AAPANO RAJASTHAN

आपाणो राजस्थान री वेबसाइट रो Logo

राजस्थान रा जिला रो नक्शो
(आभार राजस्थान पत्रिका)

Home Gallery FAQ Feedback Contact Us Help
आपाणो राजस्थान
राजस्थानी भाषा
मोडिया लिपि
पांडुलिपिया
राजस्थानी व्याकरण
साहित्यिक-सांस्कृतिक कोश
भाषा संबंधी कवितावां
इंटरनेट पर राजस्थानी
राजस्थानी ऐस.ऐम.ऐस
विद्वाना रा विचार
राजस्थानी भाषा कार्यक्रम
साहित्यकार
प्रवासी साहित्यकार
किताबा री सूची
संस्थाया अर संघ
बाबा रामदेवजी
गोगाजी चौहान
वीर तेजाजी
रावल मल्लिनाथजी
मेहाजी मांगलिया
हड़बूजी सांखला
पाबूजी
देवजी
सिद्धपुरुष खेमा बाबा
आलमजी
केसरिया कंवर
बभूतौ सिद्ध
संत पीपाजी
जोगिराज जालंधरनाथ
भगत धन्नौ
संत कूबाजी
जीण माता
रूपांदे
करनी माता
आई माता
माजीसा राणी भटियाणी
मीराबाई
महाराणा प्रताप
पन्नाधाय
ठा.केसरीसिंह बारहठ
बप्पा रावल
बादल व गोरा
बिहारीमल
चन्द्र सखी
दादू
दुर्गादास
हाडी राणी
जयमल अर पत्ता
जोरावर सिंह बारहठ
महाराणा कुम्भा
कमलावती
कविवर व्रिंद
महाराणा लाखा
रानी लीलावती
मालदेव राठौड
पद्मिनी रानी
पृथ्वीसिंह
पृथ्वीराज कवि
प्रताप सिंह बारहठ
राणा रतनसिंह
राणा सांगा
अमरसिंह राठौड
रामसिंह राठौड
अजयपाल जी
राव प्रतापसिंह जी
सूरजमल जी
राव बीकाजी
चित्रांगद मौर्यजी
डूंगरसिंह जी
गंगासिंह जी
जनमेजय जी
राव जोधाजी
सवाई जयसिंहजी
भाटी जैसलजी
खिज्र खां जी
किशनसिंह जी राठौड
महारावल प्रतापसिंहजी
रतनसिंहजी
सूरतसिंहजी
सरदार सिंह जी
सुजानसिंहजी
उम्मेदसिंह जी
उदयसिंह जी
मेजर शैतानसिंह
सागरमल गोपा
अर्जुनलाल सेठी
रामचन्द्र नन्दवाना
जलवायु
जिला
ग़ाँव
तालुका
ढ़ाणियाँ
जनसंख्या
वीर योद्धा
महापुरुष
किला
ऐतिहासिक युद्ध
स्वतन्त्रता संग्राम
वीरा री वाता
धार्मिक स्थान
धर्म - सम्प्रदाय
मेले
सांस्कृतिक संस्थान
रामायण
राजस्थानी व्रत-कथायां
राजस्थानी भजन
भाषा
व्याकरण
लोकग़ीत
लोकनाटय
चित्रकला
मूर्तिकला
स्थापत्यकला
कहावता
दूहा
कविता
वेशभूषा
जातियाँ
तीज- तेवार
शादी-ब्याह
काचँ करियावर
ब्याव रा कार्ड्स
व्यापार-व्यापारी
प्राकृतिक संसाधन
उद्यम- उद्यमी
राजस्थानी वातां
कहाणियां
राजस्थानी गजला
टुणकला
हंसीकावां
हास्य कवितावां
पहेलियां
गळगचिया
टाबरां री पोथी
टाबरा री कहाणियां
टाबरां रा गीत
टाबरां री कवितावां
वेबसाइट वास्ते मिली चिट्ठियां री सूची
राजस्थानी भाषा रे ब्लोग
राजस्थानी भाषा री दूजी वेबसाईटा

राजेन्द्रसिंह बारहठ
देव कोठारी
सत्यनारायण सोनी
पद्मचंदजी मेहता
भवनलालजी
रवि पुरोहितजी

उदयपुर जिले रो सामान्य परिचय

सहयोग कर्ता रो नाम अने ठिकाणो
भोपाल सिंह जी गरबडा
करण सिंह जी जैंन
170 ,उत्तरी आयड
उदयपुर ज्ञ् 31300

 

Click here to view large image

 

क्षेत्रफ़ल

12511 वर्गकिमी

साक्ष र ता

59.26

समुद्र तल सु ऊँचाई

577 मीटर

आदमियो री साक्षरता

74.47

बारिश रो औंसत

62.45 ं से.ग्रे.

लुगाया री साक्षरता

43.71

उच्चतम तापक्रम

 

नगरपालिका

4

न्युनतम तापक्रम

 

पंचायत समितियाँ

11

कुल जनसंख्या

2632210

गांव पंचायते

361

आदमियो री संख्या

1335017

राजस्व गांव

2392

लुगाया री संख्या

1297193

तहसील

10

ग्रामीण जनसंख्या

2142068

 

 

शहरी जनसंख्या

490142

 

 


सूर्यवंशी महाराणाओं का कीर्तिमयी शासनकाल

क्रस.

नाम महाराणा

जन्म तिथि

राज्यारोहण

स्वर्गारोहण

अविस्मरणीय देन

म.उदयसिंहजी

१५२२ ई

१५३७ ई

२८-०२-१५७२

उदयपुर शहर की स्थापना, उदयसागर(१५५९)

म.प्रतापसिंहजी-I

०९-०५-१५४०

२८-०२-१५७२

१९-०१-१५९७

हल्दीघाटी युद्ध (१५७६),मुगलों से मेवाड़ को मुक्ति

म.अमरसिंहजी-I

१६-०३-१५५९

१९-०१-१५९७

२६-०१-१६२०

शहर कोट निर्माण,बडीपोल,अमरमहल

म.करणसिंहजी-II

१४-०१-१५८४

२६-०१-१६२०

०३-१२२८

जगमंदिर,एकलिंगगढ़,जनानामहल,सुरजगोखडा 

म.जगतसिंहजी-I

१४-०८-१६०७

०३-१६२८

१०-१०-१६५२

जगदीशमंदिर,मोहनमंदिर,बडीपाल पक्की कारवाई   

म.राजसिंहजी-I

२४-०९-१६२९

१०-१०-१६५२

२२-१०-१६८०

राजसमंदझील,श्रीनाथजीनाथद्वारा,द्वारकाधीश-कांकरोली,
राजनगर,जियानसागरबड़ी,सर्वत्रक्त्तुविलास

म.जयसिंहजी

०५-१२-१६५३

२२-१०-१६८०

२३-०९-१६९८

जयसमंदझील

म.अमरसिंहजी-II

३०-१०-१६७२

२८-०९-१६९८

१०-१२-१७१०

बाडीमहल(सिटी पैलेस)

म.संग्रामसिंहजी-II

२१-०५-१६९०

१०-१२-१७१०

११-०१-१७३४

सहेलियों की बाड़ी,जगनिवास,खासऔदि,बडीपाल की मजबूती

१०

म.जगतसिंहजी-II

१७-१२-१७०९

११-०१-१७३४

०५-०६-१७५१

प्रीतमनिवास(राजमहल)

११

म.प्रतापसिंहजी-II

२७-०७-१७२४

०५-०६-१७५१

१०-०१-१७५४

                   ___

१२

म.राजसिंहजी-II

२५-०४-१७४३

१०-०१-१७५४

०३-०४-१७६१

                   ___

१३

म.अरिसिंहजी-III

१७४०

०३-०४-१७६१

०९-०३-१७७३

अरसीविलास(पिछौला)

१४

म.हमीरसिंहजी-II

१३-०६-१७६१

११-०३-१७७३

०६-०६-१७७८

                   ___

१५

म.भीमसिंहजी

१०-०३-१७६८

०७-०६-१७७८

३०-०३-१८२८

चान्दोडी सिक्का,मदनविलास पैलेस,कंवरपदामहल,भीमनिवास

१६

म.जवानसिन्ह्जी

०९-११-१८००

३१-०३-१८२८

३०-०८-१८३८

मुकुटमंदिर,नवलखाबाग,जलमंदिर,कलिकामंदिर

१७

म.सरदारसिंहजी

२९-०८-१७९८

०४-०९-१८३८

१४-०७-१८४२

MBCखैरवाडा

१८

म.स्वरूपसिंहजी

०८-०१-१८१५

१५-०७-१८४२

१६-११-१८६१

स्वरूपाशाही सिक्का,गोवर्दनविलास,स्वरूपसागर,खुशमहल
अखाडा का महल

१९

म.शम्भूसिंहजी'

२२-१२-१८४७

१७-११-१८६१

०८-१०-१८७४

शम्भूनिवास(राजमहल),शम्भूप्रकाश(जगनिवास)

२०

म.सज्जनसिंहजी

०८-०७-१८५९

०८-१०-१८७४

२३-१२-१८८४

सज्जनगढ़,सज्जननिवासबाग,सज्जनयन्त्रालय,क्रिस्टल गैलेरी,
मेवाड़गजट प्रकाशन

२१

म.फतहसिंहजी

१६-१२-१८४९

२४-१२-१८८४

२४-०५-१९३०

रेल्वेलाईन,फतहसागर,चितौडा सिक्का(चित्रकूट दोस्तीलंदन),
घंटाघर,फतहप्रकाश(चितौड),शिवनिवास,फरार्शखाना,लक्ष्मीविलास,
FLOODGATE
फतहसागर,विक्टोरिया हॉल

२२

म.भोपालसिंहजी

२२-०२-१८८४

२५-०५-१९३०

०५-०५-१९५५

म.भू.हॉस्पिटल,विधुतीकरण.फतहमेमोरियल,BNस्कूल,MBकॉलेज
भवन,आनन्दभवन,माँजी की सराय,स्वरूपघाट,प्राकृतिक चिकित्सालय,स्वरूपसागरFLOODGATE

महीपाल कश्यप-धरोहर संरक्षक-सांस्कृतिक धरोहर सेवावाहिनी-रा.गु.गो.सिं.उ.मा.वि.उदयपुर(राज.)


उदयपुर शहर रो इतिहास बहुत ही पुराणो ,सुन्दता रो औंर परदेश रे महमानो रे वास्ते घुमवा फ़रवा वास्ते बहुत ही महत्वपूर्ण जगा हैं। अणी ने राजस्थान रो काश्मीर झीलो री नगरी ,फ़व्वारा,पहाड व घाटिया कई प्रकार रे नाम सु पुकारे हैं। देश रे आजाद वेवा रे पेली यो शहर मेवाड री राजधानी ही । सन 1948 मे राजस्थान राज्य वणवा रे बाद मे उदयपुर जिला रो केन्द्र वण्गयो ।

अणी शहर री स्थापणा मेवाड रा महाराणा श्री उदयसिंह जी सन 1559 मे किदी अणी वास्ते अण्डो नाम उदयपुर राखियो सन 1572 मे महाराणा उदयसिंह रे मरवा बाद वणा रे पुत्र प्रताप रो राज तिलक वियो ।जणी मुगला री गुलां स्वीकार नही किदी य़ो यही इस्यो एक राजा हो । जन्म भूमि री रक्षा रे वास्ते हल्दी घाटी रो घमासान युद्ध महाराणा प्रताप ओर अकबर रे वच मे वियो जो इतिहास मे प्रसिद्ध हैं।देश रे आजाद वेवा रे पेली गुहिल वंश रा आखिरी राजा महाराणा गोपालसिंह जी राजस्थान रे एकीकरण रे समय 30 मार्च 1949 मे राज्य रा महाराज प्रमुख वण्या ।

 

उदयपुर शहर मध्यकालीन नगरा री तरह तीन तरफ़ हु किला ऊ औंर चौंथी तरफ़ पिछोला झील ऊ घिरयो हैं । अणी नगर मे ग्यारह दरवाजा हैं ।- चांदपोल ,सूरजपोल,उदयपोल,किश्नपोल, अम्बापोल,ब्रहापोल,सिताबपोल, जल बुर्ज ,रमणपोल,दिल्ली पोल हैं।पिछोला झील कणी बनजारे बनवायी हैं अस्यो कैंवे । अणी झील रे तट पे उदयपुर शहर बस्यो हैं।उदयपुर कला, चित्रकारी ,ग्रामोधोग,हस्तशिल्प ,नृत्य ,नाटय , लोकसंस्कृ ति रो आर्कषण वालो शहर हैं। जो पुराणी शान शौंकत एवं ग़ौंरवशाली समृद्धि रे लिए प्रसिद्ध हैं।पिछोला री झील पर वण्या थका उदयपुर रा राजमहल अतरा सुन्दर औंर विशाल हैं कि प्रसिद्ध इतिहासकार फ़र्गयूसण अणा ने राजस्थान रा विंउसर री उपाधी दीदी। अणा महला ऊ उदयपुर रो मध्य एवं पिछोला झील रो सुन्दर दृश्य दिखे। एक सडक जो चेतक सर्कल हाथीपोल वेती ऊ भीडभाड इलाका वेती थकी सीधी राजमहल जावे ।बडी पोल एवं त्रिपोलिया बाजार ऊ वेता थका महल मे प्रवेश करनो पडे वण्डे बाद खूब बडो चौंक आवे वठु महला री उची आकाश ने छूती मीनारा ,खिडकिया दरवाजा ,ओर जाली झरोखा ने देखन नजरा ही ठेर जावे। यो भव्य राजमहल आज भी मेवाड रे इतिहास रे गौंरव री एक तरह कहानी सुणाऱीयो हैं । राजमहल रे मेहू ने जो संग्रहालय हैं वणी ने देख यू लागे कि आज भी पुराने जमाना रे झरोखा मे बैंठा हा जो सब अबे इतिहास रा पाना मे छुप गयो हैं। राजमहल दो हिस्सो मे बंटयो हैं एक तो मर्दाना महल एवं दूसरो जनाना महल ।मर्दाना महल मे शीश महल,कृष्ण महल ,मदन विलास ,कांच की बुर्ज किश्नविलास मोती महल ,भीम विलास, माणक महल एवं ओर भी कई महल हैं। पुराणा अस्त्र शस्त्र री प्रर्दशनी सिंहलखाने मे हैं।वणा री भीत्ंाा पे जा चित्रकारी करी राखी वा देखवा लायक हैं।महल रे मेहू ने सरकारी संग्रहालय हैं जणी ए कई पुराणी एतिहासिक वस्तुओ री प्रर्दशनी हैं ।

राजमहल मे मयुर चौंक रो सोर्न्दय देखता ही रही जाओ वणो मे चार ही तरफ़ रंगीन कांच रा मोर ओर मुर्तिया हैं।बहुत ही बारीकी कलाकारी ऊ वणी थकी हैं, एवं पांच मोर रो सौंर्न्दय देखता ही रही जावा।महाराणा प्रताप रो एतिहासिक भालो जो हल्दी घाटी री लडाई मे आमेर रा कुंवर मानसिंह पर प्रताप वार किदो वो प्रताप कक्ष मे रखियो हैं।

दर्शनीय स्थल

सरकारी संग्रहालय -
राज्य सरकार रो एक सग्ंा्रहालय राजमहल रे एक हिस्सा मे हैं।वणी मे एतिहासिक एवं पुरातत्व री खूब ही महल री सामग्री पडी हैं।भारत रे कई प्रदेशो मे पहेरवा वाळी पगडिया ,साफ़ा,पुराणा सिक्का ,मेवाड रे महाराणा रा फ़ोटु अस्त्र शस्त्र औंर पोशाको रो संग्रह हैं वणी रे साथ मे शहजादा खुर्रम री वा पागडी भी हैं जो मेवाड रा वणी वक्त रा महाराणा रे समय मे दोस्ती मे अदला बदली किदी । उदयपुर रे आस पास री खुदाई मे मिली मूर्तियो ,शिलालेख रो भी संग्रह हैं।

पिछोला झील -
पिछोला झील उदयपुर री प्रमुख दो झीला मु एक हैं जो राजमहल रे पाछे की तरफ़ हैं। वणी रो नजारो खूब ही देखबा लायक हैं। अणी झील रो निर्माण चौंदहवी शताब्दी मे एक बणजारे द्वारा महाराणा लाखा रे समय करायो ।पिछोला झील करीब 5 किमी .लाम्बी व 1.6 किमी. चौंडी हैं। अणी री गहराई 25 फ़ीट हैं। झील रे किनारे पर वण्या घाट व मन्दिर बहुत ही सुन्दर हैं।झील रे वच्चे दो छोटा छोटा टापु पर जगमन्दिर व जगनिवास नाम रा जलमहल हैं।

जगनिवास (लेक पेलेस ) -
पिछोला झील रे किनारे ऊ लगभग 800 फ़ीट री दूरी पर झील रे वच्चे जगनिवास महल रो निर्माण महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने 1746 मे करवायो हो । अणी महल रे चारो औंर पाणी हैं।महल मे बगीचा हौंज फ़व्वारा बहुत सुन्दर हैं।प्राचीन महलो मे संगमरमर ऊ वण्यो धोला महल बहुत सुन्दर हैं। अणी रे हामे नहर रो होज वण्यो हैं।जिणी रे चार ही तरफ़ भूल - भूलैंया रे रुप मे वणी नालिया ,फ़ूलो री क्यारिया व ताड रा ऊंचा ऊंचा पेड हैं। महाराणा शम्भूसिंह तथा सज्जन सिंह ने आपाणे आपाणे नाम हू शंभूप्रकाश व सज्जन निवास महल बणवायो।

जगमन्दिर -
पिछोला झील रे वच्चे जगनिवास रे सामानांतर ही दूसरा टापू पर जगमन्दिर हैं।यह आपाणे प्राकृतिक सौंर्न्दय रे वास्ते ही नही बल्कि एतिहसिक महत्व रे लिए भी प्रसिद्ध हैं।महल रो निर्माण सन 1615 मे महाराणा अमरसिंह प्रथम ने शुरु किदो तथा महाराणा करणसिंह ने 1622 मे इणी ने पुरा करवायो ।इणी महाराणा रे पुत्र जगतसिंह ने इणी मे कुछ औंर भाग जोड दीदो औंर अणी रो नाम बदलने जगमन्दिर राख्यो।

फ़तहसागर झील -
शहर री उत्तर पशिचम री दिशा मे चारो ओर री पहाडियो रे वच्चे फ़तह सागर झील हैं जणी रो निर्माण महाराणा फ़तहसाग़र झील हैं जणी रो निर्माण महाराणा फ़तहसिह जी करायो।झील रे चारो तरफ़ सर्पाकार सडक हैं।वणी ऊ झील री परिक्रमा कर सके ।झील रे पाल री लम्बाई एक किलोमीटर हैं। झील मे सैंर री सुविधा रे वास्ते नावां हैं। सन 1678 मे महाराणा जयसिंह जी झील रो निर्माण करायो लेकिन अधिक बरसात रे कारण झील तहस नहस वेई ग़ई वणी रे बाद महाराणा फ़तहसिंह जी फ़िर से अणी झील रो निर्माण करायो । 6 लाख टन लागत ऊ मजबूत बांध रो निर्माण करायो । झील रे बडा टापू पर नेहरु पार्क बनाया ओर छोटा टापू पर सौंर वैंध शाला हैं जणी पर अतयन्त शक्तिशाली दूरबीन हैं जो सूर्य री गतिविधी आदि देखी जा सके । दिवाली मे सौंर वैंधशाळा रो आफ़ीस वणी ऊ इजाजत ले इन या सौंर वैंध शाला देखी सके ।

नेहरु पार्क -
फ़तह सागर रे झील रे वच्चे एक टापू पर नेहरु पार्क हैं।जो घुमवा फ़रवा वाला रे लिये काफ़ी आर्कषक हैं। अणी पार्क मे जावा रे वास्ते नावे उपलब्ध हैं ओर शाम रे समय तो पार्क मे जावा रे वास्ते लाईन री कतारा लाग़े घुमवा फ़रवा वाला ने यो पार्क काफ़ी सूहावे हैं। अणी पार्क मे कलाकारी कीदी छतरिया,फ़ूला री क्यारिया रंग बिरंगी रोशनिया वी फ़व्वारा मे हर पल मे बदलती जावे ऊंचा खजुर एवं ताड रा पेड भी पार्क मे सूरज ढ़लता ही प्रकाश हु जगमगा उठे वणी ऊ पार्क री सून्दरता मे चार चांद लाग जावे ।

सज्जनगढ़ महल -
यो फ़तहसागर झील री पाछे ऊंची पहाडी पर बण्यो हैं अणी महल ने मानसून पैंलेस रे नाम ती जाणे । अणी महल रो निर्माण महाराणा सज्जनसिंह जी रे समय ऊ चालु व्हयो जणी ने महाराणा फ़तहसिंह पूरो करवायो। यो महल समुद्र तल ऊ 3100 फ़ीट ऊंचो पहाड पर हैं।महल मे जावा रे लिये सङक वणी हुई हैं। रात री रोशनी मे यो महल प्रकाश ती जगमगावे।

महाराणा प्रताप स्मारक -
फ़तहसागर री झील रे किनारे पहाडी पर महाराणा प्रताप स्मारक विकसित किदो ।महाराना उदयसिंह जी जणा उदयपुर शहर बसावा पेली इसी पहाडी पर मोती महल बणैओ वणी री खण्डहर आज भी हैं। अणा खण्डहर रे पास ही अठर धातु री प्रतिमा महाराणा प्रताप रे चेतक घोडा पर सवार हैं वा स्थापित किदी प्रताप स्मारक जावा रे लिये सिढ्‌या व सडक दो ही रास्ता हैं।यो स्मारक ऊंची पहाडी पर हैं जणी ऊ उद यपुर शहर रो दृश्य बहुत ही सुहावनो लागे ।एक तरफ़ ऊची पहाडी सज्जनगढ दूसरी तरफ़ अम्बामाता रो मन्दिर अणा रे वच्चे फ़तहसागर झील हैं।।

सहेलियो री बाडी -
उदयपुर शहर रो सबसु खूबसुरत हरा भरा बाग बगीचा हैं जो फ़तह सागर झील रे नीचे हैं।महाराणा संग्रामसिंह जी द्वितीय अणी उधान रो निर्माण करायो एवं महाराणा फ़तेहसिंह अणी ने पुन; निर्माण किदो अठा री राजकुमारिया आपणी सहेलीयो रे साथे मनोरंजन करती अणी वास्ते अणी ने सहेलियो री बाडी रे नाम से जाणो जावे। मुख्य द्वार ऊ अणी उधान मे जाता ही फ़व्वारा हैं जो आखिरी तक हैं।आगे चल कर एक दरवाजो हैं वणी मे खुला चौंक जलकुण्ड वणी रे चार ही तरफ़ फ़व्वारा हैं जी यू लागे कि बरसात वे रही हैं। जलकुण्ड रे बीच मे सफ़ेद संगमरमर री छतरीया हैं। बोगन वेलिया री लटकती हुई लताये जो फ़ूलो उ लदी हुई एवं फ़व्वारा रा मीठा संगीत उ मन झूम जावे । अणी उधान री सुन्दरता ने देख कई हिन्दी फ़िल्मा रा गीत एवं दृश्य बनाया गया।

सुखाडिया सर्कल -
सहेलियो री बाडी रे पास ही रेल्वे ट्रेनिंग स्कूल रे सामने बीच मे सुखाडिया सर्कल बण्यो हुयो हैं । अणी सर्कल रे बीच मे 42 फ़ीट ऊंचा सुखाडिया आर्कषक फ़वारा हैं।जो देश मे एक आपणे ही ढ़ंग से वण्यो हुयो हैं। अणी सर्कल रे एक कोणे मे आधुनिक राजस्थान रा निर्माता पूर्व मुख्यमंत्री श्री मोहन लाल जी सुखाडिया री प्रतिमा वणी हुई हैं प्रतिमा रे पास बगीचा मे छोटा बच्चा रे वास्ते मेरी ग़ो राउण्ड ,स्वान एक्सप्रेस एवं मनोरंजन रा साधन हैं ।सुखाडिया सर्कल री झील मे पेडल बोट री सुविधा भी हैं।

गुलाब बाग -
गुलाब बाग रो दुसरो नाम सज्जन निवास बाग हैं जणी ने महाराणा सज्जन सिंह जी बनवायो अणी लिये अणी ने सज्जन निवास बाग भी कहवे । यो बाग़ शहर रे बिलकुल नजदीक हैं।यो बाग लगभग 100 एकड क्षेत्र मे फ़ेलो हुयो हैं।जणी मे सघन वृक्षावली ,फ़ूलो रा बग़ीचा फ़ुलवारिया पक्षियो री आवाज ,सैंर रे वास्ते चिडियाघर एवं टाय ट्रेन हैं। अणी बाग मे कई प्रकार रा गुलाब रा बडा बडा फ़ुल हा अणी लिये अणी ने गुलाब बाग भी केवे। अणी बाग मे जावा रे लिये चार तरफ़ बडा दरवाजा हैं।एवं अन्दर सडक रो जाल हैं बाग मे पुस्तकालय भी हैं।जणी णे सरस्वती पुस्तकालय रे नाम ऊ जाणे । बाग मे घुमवा फ़रवा रे लिये एक छोटी रेलगाडी भी हैं।

दूध तलाई पार्क -
गुलाब बाग रे पास ही एक पहाडी माछला नगरा री तलेटी पे पिछोला झील ऊ लागी थकी तलैंया हैं।जणी ने दूध तलाई कहवे हैं। अणी जगह सिढ़ी पर आर्कषक पार्क बणायो जणी ने स्वर्गीय माणक लाल वर्मा रे नाम पर नगर पालिका द्वारा विकसित किदो ।ऊंचाई पर वेवा रे कारण पिछोला झील एवं आस पास रा दृश्य बहुत ही विहंगम लागे ।

नेहरू बाल उधान -
टाउन हाल सडक पर नगर परिषद रे भवन मे एक उधान बण्यो हुओ हैं जो बच्चो रा वास्ते नौंका विहार एवं मनोरंजन रा साधन वण्या हुआ हैं । अणी तरफ़ ऊ फ़तह सागर रे पहले लक्ष्मी विलास होटल री तलेटी मे एक सुन्दर वाटिका वणी हुई हैं।जणी ने अरावली वाटीका रे नाम ऊ जाणो जावे हैं।

मारवल वाटर पार्क -

उदयपुर शहर मे बाहर ऊ आवा वाला पर्यटको रे वास्ते वाटर पार्क जो गोवर्धन विलास री प्राकृतिक एवं रमणीय वातावरण मे विकसित किदो पार्क मे प्रवेश रे वास्ते 29 फ़ीट ऊंचो जोकर ओमेन माउथ एक अनोखो प्रवेशद्वार हैं। अणी ने एक तिहाई झील कृत्रिम लम्बी डबल लूप लिजर खिर नदी हैं।

भारतीय लोक कला मण्डल -
भारतीय लोक कला मण्डल संस्थान चेतक सर्कल ऊ मीरा गर्ल्स कालेज री तरफ़ जावे वणी सडक पर वण्यो हुओ हैं। अणी सस्थान रो मुख्य उद्धेश्य भारत री पुरानी लोक कलाओ रो पुर्नजिवीत संरक्षण एवं विकास करवा रो उद्धेश्य हैं।देश विदेश मे नाट्य नृत्य एवं कठपुतलियो री प्रर्दशनी रे लिये ख्याति प्राप्त किदी । अणी मे एक खुला मंच हैं जठे आया दिन कई सांस्कृतिक कार्यक्रम वेता रेवे।स्व. श्री देवीलाल सामर जो कि लिक कला विद हा वणा रे प्रयास ऊ अणी संस्थान री स्थापना वी।संस्थान रे संग्रहालय मे कई प्रकार रा वाध यन्त्र आभूषण ,पोशाका रो संग्रह हैं।

शिल्पग्राम -
फ़तहसागर झील रे वणी पार हवाला ग्राम री पहाडी रे क्षेत्र मे पश्चिम सांस्कृतिक केन्द्र उदयपुर रे द्वारा वर्ष 1989 मे शिल्पग्राम रो निर्माण किदो जो कला ,शिल्प ,संगीत नृत्य औंर सांस्कृतिक प्रेमियो रो खास आर्कषण रो केन्द्र हैं। लगभग 130 बिघा क्षेत्र मे फ़ैंलियो जणी मे पश्चिम भारत रो राजस्थान ,गुजरात एवं गोवा महाराष्ट्र राज्य री आदिम एवं लोक संस्कृति री झांकी दिखावा वाली पुराणी झोपडिया घर रो निर्माण किदो । अठे एक हस्तशिल्प संग्रहालय भी हैं। अठे हर साल कई न कई कार्यक्रम वेता रेवे एवं दिसमबर रा महिना मे राष्ट्रीय स्तर रो मेलो आयोजित करे जणी मे देश भर रा हस्तशिल्पी लोककलाकार आपणी कलाओ ने दिखावा रे लिय भेळा वे।

आयड -
प्रताप नगर रेल्वे स्टेशन ऊ थोडी दूर ही आयड प्राचीन ग्राम हैं।यो गांव कई बार उजडो व बसियो हैं।यही पर उदयपुर महाराणाओ रा स्मारक वण्या हुआ हैं।स्मारक रे पास ही गंगुकुण्ड हैं जणी री बहूत री धार्मिक ख्याति हैं।आयड मे कई प्राचीन जैंन मन्दिर हैं।अठे पुरातत्व विभाग द्वारा खुदाई कराई वणी मे कई पुराणी चीजा प्राप्त वी औंर पुरातत्व विभाग द्वारा एक संग्रहालय भी हैं। जणी मे की पुराणी क्लाकृतिया रखी हैं।
उदयपुर शहर मे दर्शनीय स्थान री कमी नही हैं जणी मे बागोर री हवेली ,गणग़ौंर घाट ,स्वरुपसागर ,बडी रो ताळाब ,उदयसाग़र झील हैं।

जयसमन्द झील -
उदयपुर शहर ऊ करीब 50 किमी. दूरी पर अरावली पर्वत री घाटिया मे विश्व री मानव निर्मित विशाल झील हैं।जणी री प्राकृतिक छटा देखता ही रह जावे । या झील विश्‍व मे मीठा पानी री सबसे बडी कृत्रिम झील हैं।जणी ने ढ़ेबर भी केवे । अणी झील री लम्बाई 9 मील ,चौंडाई 6 मील हैं अणी झील रे 21 वर्गमील रे क्षेत्र मे 8 वर्ग मील क्षेत्र मे टापू हैं।जणी मे आज भी कई आदिवासी भील रेवे हैं।जो नाव द्वारा एक दूसरा टापू पर आवे जावे ।झील री गहराई 100 फ़ीट हैं। औंर परिधि 30 मील हैं। अणी झील रे बांध रो निर्माण महाराणा जयसिंह जी सन 1685 मे करायो बांध री लम्बाई लगभग 1200 फ़ीट एवं ऊंचाई 116 फ़ीट हैं। झील रे बंाध पर 6 सुन्दर छतरिया वणी हुई हैं औंर बीच मे शिवजी रो मन्दिर बण्यो हूओ हैं। बांध रे दक्षिण रे उत्तरी किनारे पर खुबसुरत महल बण्यो हुओ हैं।पास ही पहाडीयो पर हवामहल ओर रुठी राणी रा महल बन्या हुयो हैं। यो महल महाराणा जयसिंह जी बणायो ।जयसमन्द झील रे वच मे एक टापू हैं जणी ने बाबा रो मगरो केवे वणी पर उदयपुर रे होटल व्यवसायी श्री प्रताप द्वारा खूबसुरत जयसमन्द आईलेण्ड रिसोर्ट बणवायो जठे प्रर्यटन रे वास्तेसभी प्रकार री सुविधा हैं। रिसोर्ट पर मोटर बोट औंर नाव रे द्वारा जावा री व्यवस्था ओर घुमवा रे लिये नाव री व्यवस्था हैं।

ऋि षभ देव ( केसरिया जी ) -
उदयपुर ऊ 65 किलो मीटर दूर दक्षिण दिशा मे उदयपुर अहमदाबाद रे रास्ते घुलवे नामक गांव मे भगवान श्रृषभ देव रो प्रसिद्ध जैंन मन्दिर हैं। अठा री मूर्ति प केसर खूब चढ़ाई जावे वणी कारण अने केसरिया जी भी केवे। अणी मन्दिर री मुर्ति काला पत्थर री वणी हुई भील जाति रा लोग कालाजी भी केवे। भगवान विष्णु रा अवतार मान्या जावे अणी कारण विष्णु लोगो रे वास्ते भी या जगा पुजनीय हैं।मण्डप मे 22 तीर्थकर ओर देव कुलिकाओ री 45 मूर्तिया हैं।

जगत -
उदयपुर ऊ 56 किमी. दुर कुरबद रे पास जगत नाम रो गांव हैं जठे अंबिका देवी रो भव्य मन्दिर हैं जो कला व संस्कृति रो खजानो हैं। यो खुबसुरत मन्दिर मूर्तीकला रे कारण अणी ने राजस्थान रो खुजराहो भी केवे।

चावण्ड -
उदयपुर ऊ 35 किलो मीटर दूर खेरवाडा रे रास्ते जावे वणी सडक पर चावण्ड नाम रो गांव हैं । अठे एक जैंन मन्दिर हैं। अणी गांव मे 19 जनवरी 1597 मे महाराणा प्रताप रो देहान्त 47 वर्ष री आयु मे वे गयो । चाउण्ड ऊ 2 किलो मीटर दूर बडौंली गांव रे पास एक छोटा सा नाला रे किनारे महाराणा का दाहसंस्कार व्हियो । 8 खम्भा वाळी छोटी सी छतरी महाराणा रे स्मारक रे रुप मे वणी हुई हैं ओर महाराणा द्वारा बनाया महल चामुण्डा माता का मन्दिर हैं।

श्री एकलिंग जी -
उदयपुर ऊ 20 किलोमीटर री दूरी पर दो पहाडिया रे वच्चे एकलिंग रो प्रसिद्ध मन्दिर हैं ।जणी ग़ांव मे यो मन्दिर हैं वणी ने कैंलाशपुरी रे नाम हुं कहवे ।मेवाड रे महाराणा रो इष्ट देव भगवान एकलिग्ंानाथ हैं। अणी मन्दिर रो निर्माण 8 वी. शताब्दी मे मेवाड रा पूर्व शासक बप्पा रावल करयो औंर महाराणा मोकल अणी री मरम्मत करायी ओर चार ही तरफ़ कोट बनाई।महाराणा रायमल अणी ने आज रो स्वरुप दिदो।मन्दिर रे मुख्य भाग मे काला संगमरमर ऊ वणी थकी शिवजी री चर्तुमुखी मूर्ति हैं।मन्दिर रे पीछे एक तालाब हैं।जणी पर महल हैं । अटे महाराणा कुम्भा द्वारा बण्वायोडो विष्णु रो मन्दिर हैं जणी ने लोग मीराबाई रो मन्दिर भी केवे

नागदा -
एकलिंग रे मन्दिर ऊ तीन किलोमीटर री दूरी पर नागदा रो मन्दिर हैं। छठी शताब्दी मे नागादित्य ने मेवाड री राजधानी रे रुप मे नागदा नगर बसायो ओर कई मन्दिर रो निर्माण किदो। दिल्ली रे सुल्तान शमसुद्दीन अल्तमश ने चढ़ाई करी ने अणी नगर ने तहस नहस किदो वण्डे बाद अणी नगर री गिरावट वेती गई।महाराना मोकल आपणे भाई बाध सिंह नाम अणी नगर रे पास ही एक ताळाब रखायो जणी ऊ अणी नगर रो कुछ भाग पाणी मे डूबी गयो । अणी समय संगमरमर रा दो मन्दिर हैं। वणी ने सास बहु रो मन्दिर केवे। अठे एक बहुत बडो जैंन मन्दिर हैं जो काफ़ी खण्डहर री तरह हैं जणी मे खुमाण रावल रो देवरो केवे अणी रे पास शान्तीनाथ रो मन्दिर हैं । जणी ने अदबद जी बाबा रे नाम ऊ जाणे । अणी रे अलावा ओर भी कई मन्दिर हैं।

कला औंर संस्कृति

उदयपुर शहर हस्तकला रो गढ़ हैं। अठे कई प्रकार री कला रा रुप मळने लकडी रा खिलोणा ओर कई तरह रो घरेलु सामान खुब वणे जणी मे प्रमुख हैं टेबल लेम्प ,पेडस्टल लेम्प ,गुलदस्ता ,बच्चो रा लकडी रा खिलौंणा ,फ़र्नीचर आदि। अठा रा चित्रकारो द्वारा कई चित्ताकर्षक व उच्च कोटि री चित्रकारी संगमरमर ,कांच ,पत्थर ,फ़ोरमाइका ,हाथी दांत लकडी ,कपडा एवं धातु पर चित्रकारी की जावे । अणी समय शिकार री चित्रकारी मुख्य रुप ऊ की जावे। अणी समय पिछवाई ,मिनीचेयर पेटिंग़ ,व पोट्रेट रो काम अधिक वे । धातु री मूर्तिया फ़र्नीचर ,चाकू तलवार मूठ ,छडी ,धनुष कटार आदि पे पच्चीकारी व तारकशी रो कार्य बहुत ही उच्च स्तर पर वेवे। अणी रे अलावा व्हाईट मेटल रो फ़र्नीचर ,दरवाजा ,टेबल ,कुर्सिया ,फ़्लावर पोट व की प्रकाश री कलात्मक वस्तुआ बनाई जावे ।संगमरमर अणी शहर मे अधिक वेवा रे कारण पत्थर री मुर्तिया आदि रो निर्माण कार्य किदो जावे।उदयपुर मे हर साल पर्यटन विभाग रे द्वारा गणगोर री सवारी रो दो दिन रो महोत्सव मनायो जावे जणी ने मेवाड महोत्सव रे नाम ऊ जाणे । हर वर्ष रे दिसम्बर महीना मे शिल्प ग्राम उत्सव मनायो जावे। पिछोला झील पर गणगोर रे त्योहार पर गणगोर री सवारी निकाली जावे । अणी रे अलावा एकलिंग जी मे शिवरात्री मेला, चावण्ड मे प्रताप जंयति ,केसरियाजी मे दशहरा रो मेलो, झामेशवर जी मे भामेश्वर रो मेलो प्रमुख हैं। बरसात रा दिनो मे गावो मे भील जाति गवरी नृत्य र आयोजन हर गांव मे करे ।

 

 आपाणो राजस्थान
Download Hindi Fonts

राजस्थानी भाषा नें
मान्यता वास्ते प्रयास
राजस्तानी संघर्ष समिति
प्रेस नोट्स
स्वामी विवेकानद
अन्य
ओळख द्वैमासिक
कल्चर साप्ताहिक
कानिया मानिया कुर्र त्रैमासिक
गणपत
गवरजा मासिक
गुणज्ञान
चौकसी पाक्षिक
जलते दीप दैनिक
जागती जोत मासिक
जय श्री बालाजी
झुणझुणीयो
टाबर टोली पाक्षिक
तनिमा मासिक
तुमुल तुफानी साप्ताहिक
देस-दिसावर मासिक
नैणसी मासिक
नेगचार
प्रभात केसरी साप्ताहिक
बाल वाटिका मासिक
बिणजारो
माणक मासिक
मायड रो हेलो
युगपक्ष दैनिक
राजस्थली त्रैमासिक
राजस्थान उद्घोष
राजस्थानी गंगा त्रैमासिक
राजस्थानी चिराग
राष्ट्रोत्थान सार पाक्षिक लाडली भैंण
लूर
लोकमत दैनिक
वरदा
समाचार सफर पाक्षिक
सूरतगढ़ टाईम्स पाक्षिक
शेखावटी बोध
महिमा भीखण री

पर्यावरण
पानी रो उपयोग
भवन निर्माण कला
नया विज्ञान नई टेक्नोलोजी
विकास की सम्भावनाएं
इतिहास
राजनीति
विज्ञान
शिक्षा में योगदान
भारत रा युद्धा में राजस्थान रो योगदान
खानपान
प्रसिद्ध मिठाईयां
मौसम रे अनुसार खान -पान
विश्वविद्यालय
इंजिन्यिरिग कालेज
शिक्षा बोर्ड
प्राथमिक शिक्षा
राजस्थानी फिल्मा
हिन्दी फिल्मा में राजस्थान रो योगदान

सेटेलाइट ऊ लीदो थको
राजस्थान रो फोटो

राजस्थान रा सूरमा
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
आप भला तो जगभलो नीतरं भलो न कोय ।

आस रे थांबे आसमान टिक्योडो ।

आपाणो राजस्थान
अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं अ: क ख ग घ च छ  ज झ ञ ट ठ ड ढ़ ण त थ द ध न प फ ब भ म य र ल वश ष स ह ळ क्ष त्र ज्ञ

साइट रा सर्जन कर्ता:

ज्ञान गंगा ऑनलाइन
डा. सुरेन्द्र सिंह पोखरणा, बी-71 पृथ्वी टावर, जोधपुर चार रास्ता, अहमदाबाद-380015,
फ़ोन न.-26925850, मोबाईल- 09825646519, ई-मेल--sspokharna15@yahoo.com

हाई-टेक आऊट सोर्सिंग सर्विसेज
अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्षर् समिति
राजस्थानी मोटियार परिषद
राजस्थानी महिला परिषद
राजस्थानी चिन्तन परिषद
राजस्थानी खेल परिषद

हाई-टेक हाऊस, विमूर्ति कोम्पलेक्स के पीछे, हरेश दुधीया के पास, गुरुकुल, अहमदाबाद - 380052
फोन न.:- 079-40003000 ई-मेल:- info@hitechos.com