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(आभार राजस्थान पत्रिका)

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सीकर जिले रो सामान्य परिचय

 

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क्षेत्रफल

7742 वर्ग कि.मी.

साक्षरता

71.19

समुद्र तल सु ऊँचाई

432.31 मी.

आदमियां री साक्षरता

85.20

बिरखा रो औसत

 

लुगायां री साक्षरता

56.70

उच्चतम तापक्रम

 

नगरपालिका

8

न्युनतम तापक्रम

 

पंचायत समितियाँ

8

कुल जनसंख्या

2287229

गांव पंचायता

329

आदमियां री संख्या

1172129

राजस्व गांव

1000

लुगाया री संख्या

1115100

तहसील

6

ग्रामीण जनसंख्या

1815257

 

 

शहरी जनसंख्या

471972

 

 

सहयोगकर्ता

प्रदीप सिंह शेखावत

ठि. झाझड़, जिला सीकर

मो. न. 9571121515

सीकर  राजस्‍थान रो एक प्रमुख शहर एवं लोकसभा छेत्र है। यो शेखावटी रै नाम सूं जाणीजे है। इणरो प्रकृति री दृष्टि सूं घणौ मेहतब है। अठै तरै- तरै रा प्राकृतिक रंग देखण नैं मिलै है। सीकर ज़िले रै उत्तर में झुन्‍झुनू, उत्तर-पश्चिम में चूरू, दक्षिण-पश्चिम में नागौर और दक्षिण-पूर्व में जयपुर जिले री सीमा लागै है। अठै रा ज्‍यादातर भागां में मध्‍य-पूरवी राजस्‍थानी भाषा री मूळ बोली ‘ढूंढाड़ी’ री उपबोली तोरावाटी बोली जावै है।



प्रमुख दरशणजोग ठौड़
हर्षनाथ मंदिर
हर्षनाथ  सीकर रै नैड़ै रो एक ऐतिहासिक मंदर है। स्थानीय अनुश्रुति रै अनुसार यो स्थान पूर्वकाल में 36 मील रै घेरे में बस्‍यौड़ो हो। वर्तमान में हर्षनाथ नामक गांव हर्षगिरि पहाड़ी री तलहटी में बस्‍योड़ो है और सीकर सूं लगाबगा आठ मील दक्षिण-पूर्व में हैं। हर्षगिरि ग्राम रै नैड़ै हर्षगिरि नाम री पहाड़ी है, जको 3,000 फुट ऊँची है और उण माथै लगाबगा 900 वरस सूं वत्‍ता प्राचीन मंदरा रै खण्डहर हैं। इणा मंदरा में एक काळे भाटा माथै उकैरिज्‍योड़ो लेख प्राप्त व्‍यो है, जको शिवस्तुति सूं शुरू वैयनै पौराणिक कथा रै रूप में लिख्‍योड़ो है। लेख में हर्षगिरि और मंदर रा वरणन है और उणमें कैयो गयौ है कै मंदर रै निर्माण रा काम आषाढ़ री उजाळी तेरस, सोमवार 1030 विक्रम सम्वत् (956 ई.) नैं प्रारम्‍भ होयर विग्रहराज चौहान रै समै में 1030 विक्रम सम्वत (973 ई.) नै पूरो होयो। यो लेख संस्कृत में है और इणनै रामचन्द्र नामक कवि लेखबद्ध कियो।

मंदर रै भग्नावशेषों में कैई सरूपवान कलापूर्ण मूर्तियाँ और स्तंभ आदि भी प्राप्त होया हैं, उणमें सूं अधिकतर सीकर रै संग्रहालय में सुरक्षित हैं। मंदर में एक गरभगृह, अंतराल, कक्षासन वाळो रंग मंडप और अर्द्धमंडप रै साथै एक न्‍यारों नदी मंडप भी है। आपणी शरूआाती अवस्था रै मुजब यो मंदर एक शिखर सूं परिपूरण हो, जको अबै खंडित हो चुक्‍यो है। पण आज खंडित अवस्था में भी यो मंदर आपणी स्थापत्य विशिष्टतावां और देवी-देवतावां री मूरतां रै साथै नाचबा-गाबा वाळा, जोद्धावां नं कीर्तिमुख रै सरूप वाळा मनमोवणा चितराम रै ऊंचै शिल्प कौशल रै लिए उल्लेखजोग है। इण मंदर सूं लाग्‍योड़ो एक दूजो मंदर उत्तर मध्यकालीन है, जको शिवजी रौ है। नैडै ही बणियोड़ो एक और मंदर भैरवजी रो है।



जीणमाता मंदर
जीणमाता  एक जूनों ऐतिहासिक धर्मस्थल है। यो मंदर राजस्‍थान रै शेखावटी छेत्र में अरावली पर्वतमाला रै हेठलै भाग में सीकर सूं लगाबगा ३० कि.मी. छैटी दक्षिण में सीकर जयपुर राजमार्ग माथै गोरियां रेलवे स्टेशन सूं १५ कि.मी. पश्चिम व दक्षिण रै बिचालै है। यो मंदर तीन पहाडां रै भैळप में २०-२५ फुट री ऊंचाई माथै बणियोड़ो है| माताजी रो निज मंदर दक्षिण मुखी है, पण मंदर रो प्रवेशद्वार पूरब में है | मंदर सूं एक फर्लांग दूरी माथै जीणमाता बस स्टैंड है। जीण माँ भगवती रो यो बोत पुराणो शक्ति पीठ है ,जिको निर्माणकार्य घणो सरूपवान और सुद्रढ़ है। मंदर री भींता माथै तांत्रिकां री मूरतां निजर आवै, जिको यो सिद्ध करै है कै उण सिद्धांतां रै मतावलंबियां रो इण मंदर माथै कदैई अधिकार रैयो होवेला या फेर उणरी साधना स्थली री होवेला| मंदर रै देवायतन रा द्वार सभा मंडप में पश्चिम री ओर है और अठै जीण माँ भगवती री अष्ट भुजा आदमकद मूरत स्‍थापित है | सभा मंडप पहाड़ रै हेटे मंदर में ही एक और मंदर है, जिणनै गुफा कैयो जावै है। बठै ई जगदेव पंवार रो पीतळ रो माथो और कंकाळी माता री मूरत है। मंदर रै पश्चिम में महात्‍मा रै तप री जग्‍या है जको धुणा रै नाम सूं प्रसिद्ध है| जीण माता मंदिर रै पाहाड़ा री श्रंखला में ही रेवासा व प्रसिद्ध हर्षनाथ पर्वत है | हर्षनाथ पर्वत माथै आजकाल हवा सूं बिजळी बणावां रा मोटा-मोटा पंखा लाग्‍योड़ा है। जीण माता मंदिर सूं थोड़ी ही दूरी माथै रलावता रै नैड़ै ठिकाणा खूड़ रै गांव मोहनपुरा री सीमा में शेखावत वंश और शेखावटी रै प्रवर्तक महाराज जी रो स्‍मारक स्वरुप छतरी बण्‍योड़ी है। महाराव शेखा जी गौड़ क्षत्रियों रै साथै जुद्ध करता बठै ही वीरगति पाई ही| मंदर रै पश्चिम में जीण वास नाम रो गांव है बठै इण मंदर रै पुजारी रैवै है | जीण माता मंदर में चैत्र और आसोजा री ऊजाळी एकम् सूं नवमी तक (वरस रा दोन्‍यू नौराता में) दो विशाळ मेळा लागिज्‍या करै है जिका में देश भर सूं लाखों री संख्या में श्रद्धालु आवै हैं। मंदर में देवी रै दारू तो चढाई जा सकै है पण अठै पशुबलि वर्जित मानिज्‍योडी है।

मंदर री प्राचीनता- मंदर रै निर्माण काल नैं कैई  इतिहासकार आठवीं सदी रो मानै है | मंदिर में न्‍यारां-न्‍यारां आठ शिलालेख लाग्‍योड़ा है, जको मंदिर री प्राचीनता रा सबल प्रमाण है |

  • 1- संवत १०२९ रो शिलालेख, यो महाराजा खेमराज रै देवलोकगमन होवा रो सूचक है |
  • 2- संवत ११३२ रो शिलालेख, उणमें मोहिल रै पुत्र हन्ड द्वारा मंदर निर्माण रो उल्लेख है |
  • 3- संवत ११९६ रा शिलालेख, महाराजा आर्णोराज रै समै रो शिलालेख |
  • 4- संवत ११९६ रा शिलालेख, महाराजा आर्णोराज रै समै रो शिलालेख |
  • 5- संवत १२३० रो शिलालेख, उणमें उदयराज रै पुत्र अल्हण द्वारा सभा मंडप बणावण रो उल्लेख है |
  • 6- संवत १३८२ रो शिलालेख, जिणमे ठाकुर देयती रै पुत्र श्री विच्छा द्वारा मंदिर रै जीर्णोद्दार रो उल्लेख है |
  • 7- संवत १५२० रा शिलालेख, में ठाकुर ईसर दास रो उल्लेख है |
  • 8- संवत १५३५ रा शिलालेख, में मंदर के जीर्णोद्दार रो उल्लेख है |
अणा शिलालेखां में सबसूं पुराणो शिलालेख १०२९ रो है पण उणमे मंदर रै निर्माण रो समै नीं लिख्‍योड़ो है, इणसूं यो ठाह लागै कै यो मंदर उणसूं भी पुराणो है | चौहान चन्द्रिका नाम री पौथी में इण मंदर रै ९ वीं शताब्दी सूं पेल्‍या रा आधार मिलै है |

जीणमाता रो औरंगजेब नैं पर्चों- लोकमान्‍यता रै अनुसार देवी जीण माता सबसूं बडो चमत्कार मुगल बादशाह औरंगजेब नैं दिखायो हो। औरंगजेब री सेना शेखावटी रै मंदरा नै तोड़वा रै लिए बावड़ी। या सेना हर्ष पर्वत माथै शिव व हर्षनाथ भैरव रा मंदर खंडित कर जीण मंदिर नैं खंडित करवा ढूकी तो माँ जीण भँवरे (मोटी मधुमखियाँ) छोड़ दिया। उणरै आक्रमण सूं औरंगजेब री सेना न्‍हाटगी। औरंगजेब नैं चमत्कार दिखाणे रै बाद जीण माता " भौरों री देवी " भी कैयी जावा लागी। इणरै अलावा यो भी कैयो जावै है कै एक वारी औरंगजेब नैं कोढ रोग होय ग्‍यो और वणी रोग निवारण हो जावा माथै माँ जीण रै मंदर में एक स्वर्ण छत्र चढावणो बोल्‍यो हो। जको आज भी मंदर में विद्यमान है।



लोहार्गल

लोहार्गल  झुन्‍झूनू जिले सूं 70 कि.मी. छेटी आड़ावल पर्वत री घाटी में बस्‍या उदयपुरवाटी कस्बे सूं लगाबगा दस कि.मी. री दूरी माथै बस्‍योड़ो है। लोहार्गल रो म्‍यानो है- वा ठौड़ जठै लोहो गळ जावै। पुराणां में भी इण ठौड़ रो जिकर मिलै है। नवलगढ़ तहसील रै इण तीरथ 'लोहार्गल जी' नैं स्थानीय अपभ्रंश भाषा में लुहागरजी कैयो जावै है। झुन्झुनू जिले में अरावली पर्वत री शाखावां उदयपुरवाटी तहसील सूं प्रवेश कर खेतड़ी , सिंघाना तक निकलै हैं, जिकै री सगळा सूं ऊँची चोटी 1050 मीटर लोहार्गल में है।

पांडवों री प्रायश्चित स्‍थली
महाभारत जुद्ध समाप्ति रै पछे पाण्डव जद आपणे भाई बंधुवां री हत्या करणै रै पाप सूं घणा दुःखी हा, उण बखत भगवान श्रीकृष्ण वणा सगळा नैं पाप मुक्ति रै लिए भिन्न-भिन्‍न तीरथां रे दरशण करवा री सलाह दी। श्रीकृष्ण वानैं बतायो कै जिण तीरथ में थांरा हथियार पाणी में गळ जावै बठै हीं थांरी पाप मुक्ति होय जावैला। कैयो जावै है कै ज्‍यूं ही पाण्डव लोहार्गल बावड़्या अर अठै रै सूर्यकुण्ड में स्नान कियो, उणरा सगळा हथियार गळ गया। अठै एक विशाल बावड़ी भी है जिणरो निर्माण महात्मा चेतनदास जी करवायो। या राजस्थान री बडी बावड़ियों में सूं एक है। नैड़ै ही पहाड़ी माथै एक प्राचीन सूर्य मन्दिर बण्‍योड़ो है। इणरै साथै ही वनखण्डी जी रो मन्दिर है। कुण्ड रै नैड़ै ही प्राचीन शिव मन्दिर, हनुमान मन्दिर और पाण्डव गुफा है। इणरै अलावा चार सौ पगोत्‍यां चढ़वा रै बाद मालकेतु जी रै दरशण भी किया जा सकै हैं।


सूर्यकुंड व सूर्य मंदर री कहाणी
अठै प्राचीन काल सूं निर्मित सूर्य मंदिर मिनखा रै आकर्षण रो केंद्र है। इणरै पीछे भी एक नोखी कथा प्रचलित है। प्राचीन काल में काशी में सूर्यभान नाम रा राजा हुया हा, उणरै बुढ़ापा में एक हाथ सूं पांगळी छोरी जळमी। विद्वान बतायो कै पूरब जळम में वा छोरी बांदरी ही, जको शिकारी रै हाथां सूं मारी गी ही। शिकारी उण बांदरी नैं एक बड़ला माथै लटका’र चल्‍यो गयो, क्यूं कै बांदरा रो मांस अभक्ष्य होवै है। धीरै-धीरै वा सूख नं लोहार्गल धाम रै जलकुंड में जा पड़ी, पण उणरो एक हाथ बड़ला माथै ही रैय गयो। जो डील पवित्र जळ में गिर गयो वो कन्या रै रूप में राजा रै अठै जळम गयो। विद्वान राजा सूं कैयो, आप बठै जायर उण हाथ नैं भी पवित्र जळ में न्‍हाक दें तो इण बाळकी रो अंपगत्व खतम होय जावैला। राजा तुरंत लोहार्गल बावड़्या और उण बड़ला सूं बांदरी रै हाथ नैं जलकुंड में न्‍हाक दियो। जिणसूं उणरी बेटी रो हाथ आपैई ठीक होय गयो। राजा इण चमत्कार सूं अति प्रसन्न होया और अठै सूर्य मंदर व सूर्यकुंड रो निर्माण करवायो और इण तीरथ नैं भव्य रूप दियो।

मान्यता है कै भगवान विष्णु रै चमत्कार सूं प्राचीन काल में पहाड़ा सूं एक जल धारा निकल्‍या करती ही, जिणरो पाणी लगोलग बह’र सूर्यकुंड में जातो रैयो हो। इण प्राचीन, धार्मिक, ऐतिहासिक ठौड़ रै प्रति मिनखा में अटूट आस्था है। भगत रा अठै वरस भर आणो-जाणो लाग्‍यो रैवै है। अठै समै-समै माथै भिन्न-भिन्‍न धार्मिक अवसरां, जाणे ग्रहण, सोमवती अमावस आदि माथैर मेळा भरिज्‍ये है, पण हरेक वरस कृष्ण जन्माष्टमी सूं अमावस तक रै विशाल मेळा रो विशेष मेहतब है, जको पर्यटकों रै लिए विशेष आकर्षण रो केन्द्र रैवै है। इण अमावस नैं मेळा रे कारण जिला कलेक्टर री ओर सूं जिले में अवकाश भी घोषित कियो जावै है। सावण मास में भगत अठै रै सूर्यकुंड सूं जळ सूं भर नं कांवड़ उठावै हैं। अतरो ही नीं अठै हरेक वरस माघ मास री सातम नैं सूर्यसप्तमी महोत्सव भी मनायो जावै है, जिणमें सूरजी महाराज (सूरज भगवान) री शोभायात्रा रै अलावा सत्संग प्रवचन रै लारै विशाल भंडारे रो आयोजन कियो जावै है। अठै चौबीस कोस री परिक्रमा भी करी जावै है। परिक्रमा रै बाद कुण्ड में स्नान कर पुण्य लाभ कमायो जावै हैं।


खाटूश्यामजी

खाटूश्यामजी सीकर का एक प्रसिद्ध तीरथ स्‍थान है, जठै बाबा श्याम रो जग विख्यात मन्दर है। हिन्‍दू धर्म  रै अनुसार, खाटूश्यामजी कलजुग में भगवान श्री कृष्‍ण रा अवतार है, उणनैं श्री कृष्ण सूं वरदान मिल्‍यो हो कै वे कलजुग में वांरै नाम सूं पूज्‍या जावैला। कृष्ण बर्बरीक रै महान बलिदान सूं प्रसन्न होयर वरदान दियो कै ज्‍यूं–ज्‍यूं कलजुग रो अवतरण वेगा, थें श्याम रै नाम सूं पूज्‍या जावोगा। थांरै भगत रो केवल थांरा नाम रो साच्चे मन सूं उच्चारण मात्र सूं ही उद्धार वेय जावैला।

श्याम बाबा री अनोखी कहाणी-
श्याम बाबा री कहानी महाभारत सूं आरम्भ होवै है। वे पैल्‍या बर्बरीक रै नाम सूं जाणीजता हा। वे पाण्‍डव भीम रै पुत्र घटोत्‍कच और नाग कन्या मौरवी रै पुत्र हा। बाळपणै सूं ही वे बोत वीर और महान जौद्धा हा। उणनैं जुद्ध कला आपणी माँ सूं सीखी ही। भगवान शिव री घोर तपस्या कर नं उणनैं प्रसन्न किया और तीन अभेध्य बाण प्राप्त किया और तीन बाणधारी रो प्रसिद्ध नाम प्राप्त कियो। अग्नि देव प्रसन्न होयर उणनैं धनुष प्रदान कियो, जको उणनैं तीनो लोकां में विजयी बनावा में समर्थ हो।

महाभारत रो जुद्ध तै होयग्‍यो। जुद्ध में सम्मिलित होवा री इच्छा रै साथै जद वे आपणी माँ सूं आशीर्वाद लेवानैं पौंच्‍या तो माँ नै हारिया थकां पक्ष रो साथ देवा रो वचन दियो। वे आपणे लीले घोडे माथै तीन बाण और धनुष रै साथै कुरूक्षेत्र री रणभूमि री ओर बावड़्या। भगवान श्री कृष्ण जाणता हा कै जुद्ध में हार तो कौरवां री वेगा और इण पै अगर बर्बरीक वांरो साथ दियो तो परिणाम उल्‍टो लखायी।

कृष्ण ब्राह्मण रूप में आयर बाळक सूं दान री मांग करी और उणसूं शीश रो दान मांग्‍यो। वणा बर्बरीक नैं समझायो कै युद्ध आरम्भ होवा सूं पैल्‍या युद्धभूमीं री पूजा रै लिये एक वीर क्षत्रिय रै शीश रै दान री आवश्यक्ता होवै है। वणा बर्बरीक नै जुद्ध में सबसूं वीर री उपाधि सूं अलंकृत कियो, अतैव उणरो शीश दान में मांग्‍यो। जद बर्बरीक आपरौ शीश दान कर दियो तो कृष्ण उणरैं महान बलिदान सूं घणा राजी हुया और वरदान दियो कै कलजुग में थें श्‍याम नाम सूं जाण्‍या जाओगा, क्यूंकै कलजुग में हारिया थकां रो साथ देवा वाळो ही श्याम नाम धारण करवा में समर्थ है।

उणरों शीश खाटू में दफ़नायो गयो। एक वारी एक गाय उण ठौड़ माथै आयर आपणै थनां सूं दुग्ध री धारा आपैई बैवारी ही, बाद में खुदायी रै में वो शीश प्रगट हुयो। समै आया उण स्थान माथै मंदर रो निर्माण कियो गयो और कार्तिक माह री एकादशी नैं शीश मंदर में सुशोभित कियो गयो, जिणनै आज भी बाबा श्याम रै जळमदिन रै रूप में मणायो जावै है।

खाटूश्‍यामजी रौ मूळ मंदर 1027 ई. में रूपसिंह चौहान और उणरी पत्नी नर्मदा कंवर द्वारा बणयो गयो हो। मारवाड़ रै शासक ठाकुर रै दीवाण अभय सिंह ठाकुर रै निर्देश माथै १७२० ई० में मंदर रो जीर्णोद्धार करावायो।


आवाजावा रा साधन

रेल मार्ग
सीकर उत्‍तर-पश्चिम रेलमार्ग रै छेत्र में आवै है। सीकर रेलमार्ग द्वारा जयपुर, बीकानेर, श्रीगंगानगर, चुरू, झूंझनू, दिल्‍ली, लोहारू अर रेवाड़ी सूं जुड़्यो है।

सड़क मार्ग
सीकर नै राष्‍ट्रीय राजमार्ग न.-11 जयपुर अर बीकानेर सूं जोड़े है। यो मार्ग इणनै देश रै लगभग संगळा मोटा शहर सूं जोड़ रियो है।

वायु मार्ग
सीकर रो सबसूं नैड़े रो हवाई अड्डो जयपुर अंतराष्‍ट्रीय हवाई अड्डो है। इणरै अलावा व्‍यक्तिगत वायुयान रै वास्‍तै अठै गांव तारपुर में छोटी हवाई पट्टी भी उपलब्‍ध है।

 


 

 
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आस रे थांबे आसमान टिक्योडो ।

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अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं अ: क ख ग घ च छ  ज झ ञ ट ठ ड ढ़ ण त थ द ध न प फ ब भ म य र ल वश ष स ह ळ क्ष त्र ज्ञ

साइट रा सर्जन कर्ता:

ज्ञान गंगा ऑनलाइन
डा. सुरेन्द्र सिंह पोखरणा, बी-71 पृथ्वी टावर, जोधपुर चार रास्ता, अहमदाबाद-380015,
फ़ोन न.-26925850, मोबाईल- 09825646519, ई-मेल--sspokharna15@yahoo.com

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