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(आभार राजस्थान पत्रिका)

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टाबरा रा गीत

गवरी रो गीत

अरे शंकर्या रे अरे शंकर्या रे धमक चाल मत चाल मालवो दूरो रे
भाई भाई रे मालवो दूरो रे, भाई भाई शंकर्या रे
देख शंकर्या रे देख शंकर्या, बांगा में कोयल बोले रे
वनड़ा में मोयोर् बोले रे, टूका में गायला बोले रे भाई भाई शंकर्या रे,
देख शंकर्या रे देख शंकर्या
मालवो माल्यां को छवणों छीपा को, भाई भाई शंकर्या रे
शंकर्या सलामी करग्यो रे, बांगा में सलामी करग्यो रे
टूका में सलामी करग्यो रे भाई भाई शंकर्या रे देख शंकर्या रे देक शंकर्या
नाया की नाड़ी में तोरण बांदर्या रे, भाई भाई रे तोरण बांद्यों रे
भाई भाई शंकर्या रे, देख शंकर्या देख शंकर्या
झपरपटा मत राख डाकण्या खाई जाई रे
भाई भाई रे डाकण्या खाई जाई रे, भाई भाई शंकर्या रे देख शंकर्या रे देख शंकर्या
काजलियो नरखे तो पणघट आजे रे
भाई भाई रे पणघट आजे रे, भाई भाई शंकर्या रे देख शंकर्या रे देख शंकर्या
पाटण की पेडयां पर भगतण नाचे रे भाई भाई रे भगतण नाचे रे,
भाई भाई शंकर्या रे देख शंकर्या रे देख शंकर्या
अरे शंकर्या रे धमक चाल मत चाल मालवो दूरो रे|
भाई भाई रे मालवो दीरो र,भाई भाई शंकर्या रे||

पटेल्या

उंचा राणाजी रा गोखड़ा ने नीचे पीछोल्या री पाल,
पटेल्या माल जी रे मायोर् तो जाईला रे|
मायोर् तो जाईला माल में रे कलंगी जोला खाय
पटेल्या माल जी रे मायोर् तो जाईला रे||
चोरा री बैठक छोड़ दे रे खेती रो धन्धो उठाव,
पटेल्या माल जी रे मायोर् तो जाईला रे|
बांगा में लूंबी वेलड़ी रे, नरा में लूंबी नार
पटेल्या माल जी रे मायोर् तो जाईला रे|
एक अंधारी ओवरी रे, दूजी वेरण रात
पटेल्या माल जी रे मायोर् तो जाईला रे|
बांगा में फूल्यों केवड़ो रे, कुदे फूली कमनार
पटेल्या माल जी रे मायोर् तो जाईला रे|
ऊंचा राणाजी रा गोखड़ा ने नीचे पीछोल्या री पाल,
पटेल्या माल जी रे मायोर् तो जाईला रे|
मायोर् तो जाईला माल में रे कलंगी जोला खाय
पटेल्या माल जी रे मायोर् तो जाईला रे||


मारा पांयचो बढ़ता जावां एक निराली स्यान सूं

कदे न म्‌हे डरणो जाण्यो है
आँधी अर तूफान सूं,
मार पांयचो बढ़ता जावां
एक निराली स्यान सूं।
दिन में राह बतावै सूरज, पाछै आवै रात है।
चाँद चाँदणी छिटकादै है मानै म्हारी बात है।
ईयां सै म्हे कूच करां हां पथ नै देखां ध्यान सूं।
मार पांयचो बढ़ता जावां एक निराली स्यान सूं।
दुष्मन करसी मनमानी तोम्हे खेलांगा ज्यान सूं।
ईं धती री रक्षा खातर भिड़ ज्‌ायवां चट्टान सूं।
बैरी नै ललकारां रण में खींचां खड़गां म्यान सूं
मार पांयचो बढ़ता जावां एक निराली स्यान सूं।
बढ़ती नन्द्यां रै पाणी नै म्हे काबू में ल्यावांगा
ईं दती नै सींच सींच के खेतां नै लहलावांगा।
प्यारै भारत रै घर घर नै भरद्यांगा म्हे धान सूं।
मार पांयचो बढ़ता जावां एक निराली स्यान सूं।
कदे न म्हे डरणो जाण्यो है
आँधी अर तूफान सू
मार पांयचो बढ़ता जावां
एक निराली स्यान सूं।

जलम भोम रो हेलो

सुणल्यो रै जुवान छोरो
जलम भोम रो हेलो
चोर, लुटेरा तकण लाग्या ढैरर खेत अर बागां नै
तोड़ घेटवो मारो भाया बाड़ी रै दुष्मन कागां नै।
आओ सगला टोल बणाके
करस्याँ ओ ही टेलो,
सुरणल्यो रै जुवान छोरो
जलम भोम रो हेलो।
आज आपणै घर रा दिवला घर में आग लगाणो चावै
मान सीख दुष्मन री बै तो ई आँगणियै भूभर बरसावै।
इण बावलियां नै समझा करके
मोड़ो इण रो गेलो,
सुणल्यो रै जुवान छोरो
जलम भोम रो हेलो।
धरम जात भाषा रो ापां सही मायनो जाणाँ
कुण है सागी और परायो आपां आज पिछाणां।
छोटी बाताँ करती आई
झूठो अठै झमेलो,
सुणल्यो रै जुवान छोरो
जलम भोम रो हेलो।
भारत माँ रै पगल्यां बैठ आओ आपां सोगगलन खावां
भारत भू री रक्षा करस्याँ कदे न पीठ दिखावां।
निर्माण देश रो करणै खातर
सारी विपदा झेलो,
सुणल्यो रै जुवान छोरो
जलम भोम रो हेलो।

मां, मेडम भोत सतावै

नुवीं नवुं पोथी मँगवावै
कापी, पैन्सल, ड्राइंग को डब्बो
फुट्टो अर रबड़ मंगवावै
भारी थैलो मंगरां ऊपर
रोजीना टंगवावै।
छोटी सी गलत् ीपर बात
ऊठ-बैठ कढवावै
तरड़ तरड़ पसीनो आवै-माँ मेडम भोत सतावै।
बोलो घर को काम देवै
कदे न पूरो कर पाऊँ,
जाडै में ठिरतो दुख पातो
कदे कदे मैं लेट जाऊँ।
मेड़मड़ी झलां मैं आके
मुर्गां मंनै बणावै
सिर में ठोला मार मार के
मंनै फूल बतावै-माँ मेडम भोत सतावै।
गणित में कमजोर चालूं
पल्लै नहीं पड़ै,
जै सवालगल्ती होवै तो
मेडम भोत लड़ै।
मैं कालस में बात करूं तो
मूं पर थाप जड़ै।
लाल पीली होके मेडम
मंनै गधौ बतावै-माँ मेडम भोंत सतावै।

तड़कै रा मोट्यार

आज देश रा नाना टाबर, तड़कै बण जास्याँ मोंट्यार
दूध दही खा ठाढा बणस्याँ, हर भाी सूं करस्यां प्यार
नानो अकबर राजा बमग्यो
अकबर म्हान क्हुवायो
सूझ बूझ स्यूं देश बणायो
चोखो नाम कमायो।
बीं अकबर री भात्यां म्हे भी
सगला बणस्यां जिम्मेदार,
दूध दही खा ठाडा बणस्यां
हर भाी सूं करस्यां प्यार।
भरत नांव रो वीर बालको
शेरां सागे खेल्यो हो
बीं बालक पर नामदेश रो
भारत ही घर मेल्यो हो।
म्हारै बड़कां री ज्यूं म्हे भी
शत्रु न देस्यां ललकार
दूध दही खा ठाडा बणस्यां
हर भाी सूं करस्यां प्यार
सीता जी रा दोय बालका
लव-कुश जिण रा नां हा
अश्वमेघ रो घोड़ो पकड्यो
बण रा बापू राम हा।
म्हे लव कुश ज्यू् निडर बणांला
अन्नायी नै देस्यां फटकार
दूध दही खा ठाडा बणस्यां
हर भाी सूं करस्यां प्यार
आजादी रो पेड़ आपणो
बै बीर शहीदां रो उपहार,
खून आपरो सींच सींच के
बै सुरगां नै गया सिधार।
धरम आपमओं उण बीरां रो
आपां सै मानां उपकार,
दूध दही खा ठाडा बणस्यां
हर भाी सूं करस्यां प्यार
आज देश रा नाना टाबर, तड़कै बण जास्यां मोट्यार
दूध दही खा ठाडा बणस्यां, हर भाी सूं करस्यां प्यार

म्हे भारत रा बालका

म्हे भारत रा बालका, म्हे मिलके देश बणांवाांला
म्हे भारत रा लाडला, म्हे मिलके देश बणांवांला।
ईं धरती पर जलम लियो है, ईं दती पर खेल्यां हां
ईं दरती री आणराखके, मायड़ कूख सिलावांला।
म्हे भारत रा बालका
म्हे मिलके देश बणांवांला।
म्हे जाम्या जद म्हारी मायड़ हिवड़ै हरख मनायो हो
जद मायड़ पर विपदा आवै बैरी सूं भिड़ज्यांवांला।
म्हे भारत रा लाडला
म्हे मिलके देश बणांवांला।
मार पांयचो मीणत करस्यां, खेतां नै सरसावांला
जात मिनख सुख सूं जीवैलो, दूधां नदी बहावांला।
म्हे भारत रा बालका
म्हे मिलके देश बणावांला।
अज्ञान, गरीबी, पिछड़ेपण नै जड़ामूल सूं खोवांला
जात-पात रो भेद मिटाके गीत प्रेम रा गावांला।
म्हे भारत रा लाडला
म्हे मिलके देश बणांवांला।
टेम पड़े पर जात बालको राणाजी बण ज्यावैलो
म्हे बड़कां री सोगन खावां बैरी नै धूल चटावांला।
म्हे भारत रा बालका
म्हे मिलके देश बणावांला
म्हे भारत रा लाडला
म्हे मिलके देश बणावांला

बस्तो

म्हारो बस्तो म्हांनै प्यारो
ईं नै ढोतां कदे न हार्यो।
पोथी, कापी, फुट्टो, रबड़
ईं में सारी चीज्याँ भरल्यूं,
टाफी, कलम और अग्गड़-सग्गड़
टिकट पुराणई, पीसा धरल्यूं।
ई में रैवै जीच्यां ठाी
बस्तो भोत भरोसै मन्द,
म्हाँनै लागै जी सूं प्यारो
बस्तो म्हाँनै घणों पसन्द।
भांत भांत री ज्यां ठूसूं
खैलो भरकम हो ज्यावै,
रोज नुवीं चीज्यां रै खातर
मास्टरजी फरमान सुणावै।
माड़ा मरियल साथी म्हारा
भारी बस्तो ढो नीं पावै,
टसकै अर कोडा हो ज्यावै
दोरां सी बै नाको प्यावै।
टाबरियो ! बलवान बणो थे
तद ही बोझो ढो पावोला,
नीं तो ईं जीवण री दोड़ मैं
थे सै लारै रै ज्यावोला।
म्हारो बस्तो म्हांनै प्यारो
ईं नै ढोतो कदे न हार्यो।


मायड़ करै पुकार

वीर भोम रै बालकां नै, मायड़ करै पुकार
तड़कै रै रा बारत बेटा ! थे हो सिरजणहार।
म्हारो बडको राणाजी हो
कदे न पीठ दिकाई,
बां रो अमर्यो हर्यै घास री
हंस हंस रोटी खाई।
बोल बां री जै जै कार
बोलो बां री जै जै कार
वीर भोम रै बालकां नै
मायड़ करै पुकार।
वीर भोम री इज्जत खातर
बलगी राजपूत ललनावां,
छाती छोड़ी करके बांरां
अमर गीत म्हे गांवां।
बै थी वीर प्रसूता नार
बोलो बां री जै जै कार
वीर भोम रै बलाकां नै
मायड़ करै पुकार।
भामाशा हो मिनख लखीणो
धनड़ो राणा नै सम्हलायो,
जलम भो री सेवा करके
पायो नांव सवायो।
सगला चालो बां रै लार
बोलो बां री जै जै कार
वीर भोम रै बालकां नै
मायड़ करै पुकार।


परवार-एक छोटो सो

घर रै लारै कुतिया ब्याई
मात्र एक ही पिल्लो ल्याई
मैं पिल्लै नै छूवण लाग्यो
होलां होलां बा गुर्राई।
मैं बोल्यो कुतिया राणी
एक ही पिल्लो क्यूं ल्याई ?
टोमी, टाइगर, जिप्पी, सिप्प की
तू लागै ताई है।
कुतिया राणी मंनै बोली
तू तो है पूरो नादान
देश रै हित रो मैं राखू हूँ
पूरो पूरो ध्यान।
ईं पिल्लै नै दूधो प्याकर
मैं बलवान बणाऊँगी
देश री रक्षा करणै रो मैं
ईं नै पाठ पढाऊंगी।
एक ही टाबर सै सूं आछ्यो
ओ होवै परवार नियोजन,
ज्यादा टाबर चोखा कोनी
मिलै न बां नै पूरो भोजन।

गुरुवर

म्हारा गुरुवर, म्हारा राम
थांनै सै मिल करां प्रणाँम्‌।
ठीक टेम पर शाला ओओ
चोखी चोखी बात बताओ,
मीठी मीठी कविता गाओ
चावो कद आराम। म्हारा गुरुवर म्हारा राम
नुवां नुवां थे पाठ पढाओ
म्हांनै सुन्दर लेख लिखाओ,
सांच बोलणो आप सिखाओ
कदे न चावो नाम। म्हारा गुरुवर, म्हारा राम
म्हे पढणैं में ध्यान लगावां
अर आलस नै परै भगावां,
फल फूलां रा पेड़ लगावां
करणो म्हांनै काम। म्हारा गुरुवर, म्हारा राम
जग मैं जीणो आप सिखायो
अज्ञान अन्धेरो दूर हटायो,
ज्ञान जोत रो दीप जगायो
थे हो म्हारा धाम।
म्हारा गुरुवर, म्हारा राम
थांनै सै मिल करां प्रणाँम्‌।

म्हे बालावां पुण्य भो री

म्हे बालावं पुण्य भो री
भात नै चमकांवाली,
तन मन धन न्यौछावर करके
ईं नै सबल बणावांली।
ऊंच-नीच रो भेद धा पर
सदियां री बीमारी है,
ईं नै जड़ सूं खो देणै री
आई म्हारी बारी है।
दीन दुःखी नै गलै लगाकै
नव अभियान चलावांली,
म्हे बालावां पुण्य भो री
भारत नै चमकांवाली।
जात-पात रो म्हैल पुराणो
म्हानै मिलकर ढाणो है,
ईं भारत में हर भाई नै
भारतीय क्हुवाणो है।
प्रेमभाव रै मीठै जल सूं
मिनख बाग सरसावांली,
म्हे बालावां पुण्य भोम री
भारत नै चमकांवाली।
ईं भारत री सै बालावाँ
लक्ष्मी री सन्तान है,
पन्ना, सावित्री रा आखै
जग में गूंजे गान है।
बां गीतां नै गाती गाती
आगै कदम बढावांली
म्हे बालावां पुण्य भो री
भारत नै चमकावांली।
तन मन धन न्यौंछावर करके
ईं नै सबल बणावांली।

आओ सै मिल बाग लगावां

घर रै आगै घ रै लारै
आओ सै मिल पेड़ लगावां
फल, सब्जी अर फूल लगावां
आओ सै मिल बाग लगावां।
हर्यो-भर्यो उद्यान लगाके
जन जन रो मनड़ो हरखावां,
व्है वायुमण्डल शुद्ध आपणो
आओ सै मिल बाग लगावां।
इण हरियल पेड़ां रै कारण
बादल जादा मेह बरसावै,
स्वच्छ बायरो व्है देश में
आओ सै मलि बाग लागावां।
सुन्दर पेड़ां रै झुरमुट में
पांख पखेरू गीत सुणावै,
आपां बैठां ठण्डी छायां
आओ सै मिल बाग लगावां।
पेड़ां सूं उद्धा आपणो
जणो जणो आ बात पुकारै,
पेड़ आपणा रक्षक साथी
आओ सै मिल बाग लगावां।
पेड़ धरा री सोभ्या होवै
इण मैं चोखी खाद लगावां,
इण पेड़ां नै सींच सींच के
आओ सै मिल बाग लगावां।
हर चौरावै, हर गलियारै
पेडां री लंगार लगावां,
हरित क्रान्ति व्है नारो सब रो
आो सै मिल बाग लगावां।
धरती रै प्यारै जंगल में
मोर-कबूतर नाचै गावै,
मंद-मंद मेवड़ियो बरसै
आओ सै मिल बाग लगावां।
बो ला सारा पेड़ लगाके
आओ काल नै दूर भगावां,
ठीक टेम पर बिरखा होवै
आओ सै मिल बाग लगावां।
रोक प्रदूषण इण पेड़ां सूं
जन-जीवन नै स्वस्थ बणावां,
देश रो अन-धन हुवै सवायो
आओ सै मिल बाग लगावां।
घर रै आगै घर रै लारै
आओ सै मिल पड़ै लगावां,
फल, सब्जी अर फूल लगाबां
आओ सै मिल बाग लगावां।

गली गली सन्नाटो छायो

संजय गीता री हत्या सूं
गली गली सन्नाटो छायो,
संजय गीता सुरग सिधार्या
मानवता रो पायो थर्रायो।
अन्तिम छिण तक दोन्यूं टाबर
रह्जा जूझता हत्यारां सूं,
लड़ता लड़ता पड्या धरा पर
इणजग मैं अत्याचारां सूं।
णि काची कलियां पर पड्ग्यो
निर्मम क्रू मौत रो सायो,
संजय गीता री हत्या सूं
गली गली सन्नाटो छायो।
मां-बापां री लाडल गीता
संजय हो आंख्यो रो तारो
छोड बिलखता मां बापां नै
पापी जग सूं कर्यो कनमारो।
चिरलाया कुरलाया दोन्यू
पण न कोई बचावण आयो,
संजय गीता री हत्या सूं
गली गली सन्नाटो छायो।
रंगा-बल्ला दो हत्यारा
ण बिशा ईं जग में आया,
ऊमर खोी हत्यावां में
कई घरां रा दीप बुझाया।
रजधानी तेरी दिल्ली मैं
दिवलै तलै अंधेरो पायो
संजय गीता री हत्या सूं।
गली गली सन्नाटो छाय।
भाव भर्या श्रद्धा रा फुलड़ा
संजय गीता नै अपर्ति हैं,
आंखयां सू ऐ झरता आंसू
संजय गीता नै तर्पित हैं।
बां री ह्ताय रै कालै दिन तो
सृष्टि रो करता लजायो
संजय गीता री हत्या सूं
गली गली सन्नाटो छायो।
संजय गीता री हत्या सूं
गली गली सन्नाटो छायो,
संजय गीता सुरग सिधार्या
मानवता रो पायो थर्रायो।

अखण्डता रो दिवलो

अखण्डता रो दिवलो
जगसी सारी रात
अन्धाकर नै दूर भगासी
आवैल परभात।
अज्ञान, गरीबी, पिछड़ेपण नै
ज़डामूल सूं खोवैलो,
भात नै विकसित श्रेणी में
म्हारो दिवलो जोवैलो।
प्यारो दिवलो घ घर ल्यासी
खुसियां री सोौगात,
अखण्डता रो प्यारो दिवलो
जगसी सारी रात।
जात, दरम रै गाढै मैलां नै
प्यारो दिवलो धोवैलो,
आतंकी भ्रष्टाचारी नै
कूंट कूटं में टोवैलो।
उन्नति पथरो बणै प्रदर्शक
देसी सै नै मात
अखण्डजता रो प्यारो दिवलो
जगसी सारी रात।
सूखै अर करड़ै टेमां री
कटसी काली रात
भारत नाट्यम् और भांगड़ो
नावां साी रात।
मणीपुरी में थिरकां सारा
गरोब घालै अर गुजरात
अखण्जडता रो प्यारो दिवलो
जगसी सारी रात।
अन्धकार नै दूर भगासी
आवैलो परभात।

अल्पबचत

हलवां हलवां चालै कीड़ी
ठीडै ऊपर पूगै,
पेट भरण नै चिड़ी कबूतर
दाणोंदाणों चूगै।
बादल री नानी बूदां सूं
जोड़ो पोखर भर ज्यावैं,
नानी नानी बूदां सूं ही
बड़ी नन्द्यां बण ज्यावै।
संचय करणै री आदस सूं
मिनख जुंवार सफल बणावै,
पीसो पीसो भेलो करके
बडी बडी हेल्यां चिणावावै।
थोड़ो थोड़ो जोड़ जोड़ के
आओ जीवण सुखी बणावां
चोखो खावां, चोखो पैरां
टाबरियां नै खूब भणावां।
्‌ल्प बचत है दुःख में साथी
सै ईं नै अपणाओ
टेम पड़े पर जावै भाग्यो
जद ईं नै बतलावो।
निज री सेवा, देश री सेवा
अल्प बचत सूं होवै
जै बोलो सै अल्पबच री
सै कष्टां नै खोवै।

छोड सोवणो बैठ्यो होज्या
छोड सोवणो, बैठ्यो होज्या
मत उबासी मारै
मार पांयचो लाग करा कै
मीणत कारज सारै।
जो जीवण में मीणत करसी, बो ही आगै बढसी
श्रम सू मूं मत मोड़ भायल,ा मीणत रा फल मिलसी।
श्रमजीवी तो ईं दुनियां में
कदे न हिम्मत हारै
माय पांयचो लाग काम कै
मीणत कारज सारै
करमहीण लोगां नैम्हे तो, सदा पिछड़ता पाया।
खून पीसनो एक करिमयां, बाजी लेगा भाया।
काम करणियां हंसता हंसता
बाधावां स्वीकारै
मार पांयचो लाग काम कै
मीणत कारज सारै।
देश जात रो मान धरा पर, श्रम सूं ही टिक पावै
श्रम रै बल पर राष्ट्र आपरो जन जन सुखी बणावै।
उन्नति पथ री बाधवैं नै
श्रम री भारी भारै
माय पांयचो लाग काम कै
मीणत कारज सारै।
भारत मां री सांची सेवा, श्रम सूं संभव होसी
ठोडा होके जुटो काम में, मत बूझो बामण जोशी।
काम करो सै लोग लुगाई
मत सोवो चढ चोबारै
मार पांयचो लागग काम कै
मीणत कारज सारै।
सूझबूझ सूं मीणत करके, मिनख बण्यो विज्ञानी
मानवता रो हियो सिलायो, दी मिनखां नै जिन्दगानी।
मीणत लूंठा स्हैर बणाया
मीणत ही सिणगारै
मार पांयचो लाग काम कै
मीणत कारज सारै।
छोड सोवणो बैठ्यो होज्या
मत उबासी मारै
मार पांयचो लाग काम कै
मीणत कारज सारै।

जेठ रो म्हींनो
जेठ मा, रो तपै तावड़ो, लूवां रा सरडाटा लागैं
जीब निकाल्यां फिरै गंडकड़ा, ल्हक्कर ल्हक्कर करता भागैं।
ईं लिलकी रै तावड़ियै में
टाबर बैठ्या सीली छाया
सारा टाबर भणबा खातर
पाटी बरतो सागै ल्याया।
दोलाठी सूरज चढतां ही बलन लागज्यां बरतण भाण्डा
जात आदमी नरलै पाणी, पाणी खातर बाजै खाण्डा।
ठंडो पाणी पीयां पाछै
तिरपत होज्या सारी काया
सारा टाबर भणबा खातर
पाटी बरतो सागै ल्याया।
हरल हरल पसीनो आवै गाबा सारा आला होज्यां
गेर पेट में सेर राबड़ी दोपारी में सगला सोज्यां।
राबडली नै पीयां पाछै,
नींद घणेरी आवै भाया
सारा टाबर भणबा खातर
पाटी बरतो सागै ल्याया।
इण लूवां सूं बचण खातर ढाण्ढा बैठ्या पीपल नीचै
मींट लगायां ल्हस्सर ल्हस्सर बकरी गाय उगाली खींचै।
कई लोगड़ा दोपारी में
धाणी और झूंगड़ा खाय
ासारा टाबर भणबा खातर
पाटी बरतो सागै ल्याया।
ऊंटड़ियै रै परवा कोनी जोड़ै कानी भाग्यो जावै
कैर, ककेड़ै, जाल, जांटरी काची काची कूपल खावै।
स्हैर गयोड़ो मरपड़ केसी
गांव रा नाका दोरां प्याया
सारा टाबर भणबा खातर
पाटी बरतो सागै ल्याया।
इण लूवां री मौसम में ोत मटा गधेड़ा लेग्या बाजी
मार दुलन्ती रीकैं भाजैं बटका पाड़ै होवैं राजी।
जेठ तपन्तै तावड़ियै में
सत्यानाशी फूलां छाया
सारा टाबर भणबा खातर
पाटी बरतो सागै ल्याया।
कीं नटखटिया छोर देखो काच पीकसके सूंतै तागो
चतरू खाती लियां बसोलो बैठ्यो बैठ्यो ठोकै पागो।
रामी ताई बैठी बैठी
उलझ्योंडा कूकड़ सुलझाया
सारा टाबर भणबा खातर
पाटी बरतो सागै ल्याया।
दोपारी में नींद कूटके पोल्यां में आब सूत्या जाग्या
ले कनखो छात्यां पर चढग्या छोरा काट लड़ावण लाग्या।
कुऔ चाल्यौ छायां आगी
ढाण्डा पाणी पीवण आया
सारा टाबर भणबा खातर
पाटी बरतो सागै ल्याया।

म्हे देश बणावांगा
प्रिय ! बात सुणो म्हारी
म्हे देश बणावांगा।
आपस में लड़णो बात पुरी है
म्हे कदम मिलाक चालांगा,
परण करां रलमिल जीणै रो
ईं सूं कदे न हालांगा।
प्रिय ! बात सुणो म्हारी
म्हे देश सजावांगा।
लड़ लड़ के मरगा लोक अठै
कीं हाथ न आयो लड़णै सूं,
देश री शक्ति छीण हुई
भाी भाई रै भिड़णै सूं
प्रिय ! बात सुणो म्हारी
म्हे देश जगावांगा।
उकस उकस के सींवां पर
बैरी अंगड़ाई लेवै है,
अब तो जागो भातवासी
बो तो झाला देवै है।
प्रिय ! बात सुणो म्हारी
म्हे देश बचावांगा।
रै धरमां रा बावलियो
क्यूं बांधी धरम री ढाणी है ?
ईं फूट सूं तो ईं बाड़ी नै
वीरान बणाणी है।
प्रिय ! बाण सुणो म्हारी
नयो एक देश बणावांगा।
प्रिय ! बाण सुणो म्हारी
नयो एक देश बणावांगा।

नमन् करो स्वीकार
वीरां री जामण भारत माता
सश्रद्धा म्हे नमन् करां हां
नमन् करो स्वीकार
नमन् करो स्वीकार
नमन् करो स्वीकार।
सीख बैठणो तेरै आंगणियै
म्हे पा ए पा चाल्या,
सांवण में झूलण रै खातर
म्हे हिंडलिया घाल्या।
भारत री मटाी सूं म्हांनै
घमओ घणो हैं प्यार,
नमन् करो स्वीकार
नमन् करो स्वीकार।
आज देश री अखण्डता पर
खतरै रा बदल मंडराया,
एक था, एक हां, अर
एक ही रैस्यां भाया।
देश री सेवा लक्ष्य है म्हारो
कोटि कोटि आभार,
नमन् करो स्वीकार
नमन् करो स्वीकार।
राणा, भगत, नेताजी, शेखर
म्हांनै राह बतावैं हैं,
इन्दिराजी री कथा अनोखी
सै गलियार गावै हैं।
जीवम अर्पण करां राष्ट्र नै
ऐ म्हारा उद्गार,
नमन् करो स्वीकार
नमन् करो स्वीकार

के पीऊं के पीऊं
आभै चढ़ै टीटेडी बोली
के पीउं, के पीउं ?
सूक्या नन्दी नाला सारा
कठे न दीखै जल री धारा,
जेठ मास तो तपै तावड़़ै,
लूवा रा लागैं फटकारा।
आभै चढ टीटेडी बोली के पीऊं, के पीऊं ?
आभै में बादलिया कोनी
न चपल बीजली झपकै है
भरी दुपारी सूर बाबो
मेरे कानी लपकै है।
आभै चढ टीटेड़ी बोली के पीउं, के पीऊं ?
डोकरियां तो चरखो कातै
पंडत बांचै गीता है,
पीड़पराई कुण जाणै है
चेबरिया सै रीता हैं।
आभै चढ टीटेड़ी बोली के पीऊं, के पीऊं ?
सै जीवां रो राम रूखालो
बो ही मेह बरसावैलो
देख बरसती मोटी छांटां
जी म्हारो हरखावैलो।
आभै चढ़ टीटेड़ी बोली के पीऊं, के पीऊं ?

प्रभुजी मांगा ओ बरदान
आज देश रा टाबरिया
प्रभुजी मांगा ओ वरदान
जन जन सुख रा झोला लेवा
जलम भोम रो व्है उत्थान।
मां तेरै चरणां री सौगन
म्हे हां तेरा पैरेदार
चालकियै री रक्षा करस्यां
चौकस रस्यां सीवां पार।
बेखटकै म्हे आगै बढस्यां
गाता जास्यां तेरा गान
आज देश रा सै टाबरिया
प्रभुजी मांगा ओ वरदान।
गैर बणै नै कोई भाई
ईं माटी में पलके
ले हाथां में हाथ चालै
बैर भाव सूं टलके।
दिन दूणों अर रात चोगुणो
बधै देश रो मान
आज देश रा सै टाबरिया
प्रभुजी मांगा ओ वरदान।
आपां सारा भारतवासी हां
एक रूंख री डाल
फूलै फलै ओदेश आपणो
रलमिल करां रूखाल।
धरम जात नै टाँगा खूंटी
अमर एकता रो अभियान
आज देश रा टाबरिया
प्रभुजी मांगा ओ वरदान
भगतसिंह, शेखर सा बेटा
धर घर मायड़ जामैं।
देश रै हित में जात बालको
खड़ग हाथ में थामै।
जद भी मायड़ हेलो देवै
हंसता हंसता द्यां बलिदान
आज देश रा टाबरिया
प्रभुजी मांगा ओ वरदान
जन जन सुख रा झोला लेवै
जलम भो रो व्है उत्थान।

कलम
घणीं फूटरी कलम हैं मेरी
नुवीं नुवीं आ बात बतावै
सरसर मूं सूं लिखत्ती जावै
कदे न लिखती आ सुस्तावै।
जद भी ईं नै मैं देखी तो
लिखण नै आ पाई त्यार
कविता, क्हाणीं लिखताथकां
बैरण कदे न मानै हार।
लाल, हरी अर लीली स्याही
कलम पेट में राखै
मांड्योडो ईं रो कागदियो
दूर देश री बातां भाखै।
नानी सी कलम आपणीं
भांत भांत रा कारज सारै
मानव री उन्नति रो गैलो
कलम सदा ही भारै।
जिंण बडकै आ कलम बणाई
सै मानां बींरो उपकार
आओ नम करां सै आपां
बीं बडकै नै बारम्बरा।


भारत देश महान् है
भारत देश महान् है
म्हारो देश महान् है।
गंगा जमना ई में बहवै
ई री गौरव गाथा कहवै
उच्च हिंवालो पैरो देवै
भारत माँ री स्यान है।
भारत देश महान है।
देश एक है जात ेकस है
मानबता रो धरम एक है
एक हिन्द री हिन्दी भाषा
गावै ईं रा गान है।
भारत देश महान् है।
जीवांल म्हे देश री खातर
और मरांला देश री खातर
पथ स्यूं कदे न विचलित हास्यां
औ म्हारो अभियान है।
भारत देश महान है।
भारत देश महान् है
म्हारो देश महान् है।

गाड़ी राणी गावै
हरी जाल री टुगल्याँ बैठी
गाड़ी राणी गावै,
फुदक फुदक कर राजी होवै
तूं-ए, तूं-ए रट्ट लगावै।
म्हारी मरूधर, म्हारै खातर
धान घणों निपजावै,
कड़ब, फफूंरो गूणो खाके
डांगरिया सारा सुख पावै।
हरीज जाल री टुगल्यां बैठी
गाड़ी राणी गावै,
फुदक, फुदक कर राजी होवै
तूं-ए, तूं-ए गावै।
रजधानी जैपर मरूधर री
बीकां रो है बीकानेर
जोधां रो पुर है आथूणो
पुष्कर रो तीरथ अजमेर
उदयपुर नै भांत भांत रा
सैलानी देखण आवै
हरी जाल री टुगल्यां बैठी
गाड़ी राणी गावै।
हीरा, मोती, संगमर-मर री
खान्यां कूख भरी,
हस्तकला अर वास्तुकला री
मरूधर कदर करी।
खाटूजी ने श्याम धणी रा
जात्री दरसण पावै,
हरी जाल री टुगल्यां बैठी
गाड़ी राणी गावै।
फुदक फुदक कर राजी होवै
तूं-ए, तूं-ए गावै।

लोरी
मजलां पूरी करके सूरज
आथूणो ढल ज्यावै,
सींज्या आवै
मुनियो रोवै
नींद न आवै।
मायड़ गोदी मुनियों रोवै
मायड़ हिवड़ै लगावै,
थपकी देवै अर पुचकारै
बातां में बिलमावै।
सींज्या आवै
मुनियों रोवै
नींद न आवै।
मुनियों म्हारो पढञसी लिखसी
अर स्याणों बण ज्यासी,
भारत मां री सेवा करसी
मोटो नांव कमासी।
सींज्या आवै
मुनियो रोवै
नींद न आवै
दीन दुखी नै गलै लगावै
म्हारी कूख सिलावै
सुबकै मुनियों झपकी आवै
आँखड़ली मिंचज्यावै।
सींज्या आवै
मुनियों सोवै
मुनियों सोवै।
मजलां पूरी करके सूरज
आथूणों ढल ज्यावै
सींज्या आवै
मुनियो रोवै
नींद न आवै।

बोल सूआ राम राम
बोल सूआ राम राम
करले काम
भजले राम
बोल सूआ राम राम।
काम राम है, राम काम है
काम बिना के जीवण ?
काम सफलता री कुंजी हैं
लूंण बिना के तीवण ?
कर मीणत मत देखै धाम
बोल सूआ राम राम।
आबादी नै रोको भाया
आपानै देश बणाणो हैं
छोटो सो परवार बणाके
आपानै सुख बरसाणओ है
परिवार नियोजन साचो धाम
बोल सूआ राम राम।
अब तो हरियल पेड़ काटणो
दुख नै न्यूतो देणो है
रूंख बणाबै सुध हवा नै
धरती रो ओ गैणो है
रूंख हरैलो दुःख तमाम
बोल सूआ राम राम।
बोल सूआ राम राम
करले काम
भरजले राम
बोल सूओ राम राम।

तिरंगो
तीन रंगो रो झण्डो म्हारो
म्हांनै लागै जी सूं प्यारो
ओ दुनियां मैं सैं सूं न्यारो
तीन रंगां रो झण्डो म्हारो
ओ झण्डो है आन देश री
सारै जग में स्यान देश री
तन मन धन म्हे वारां ई पर
ओ आंख्यां रोतारो
तीन रंगां रो झण्डो म्हारो
म्हांनै लागै जी सूं प्यारो
जलम भो रो हेलो सुणके
कूच करां म्हे मिलके सारा
बैरी पीट दिखाकै भाग्यो
जद बीं नै ललकार्यो।
तीन रंगां रो झण्डजो म्हारो
म्हांनै लागै सजी सूं प्यारो।
शिवा प्रताप री म्हे संताना
आजादी रा म्हे दीवाना
ईं धरती पर सदा सदा सूं
बलिदान देण रो धारो।
तीन रंगां रो झण्डो म्हारो
म्हांनै लागै जी सूं प्यारो
बैरी जद सीवां चढ आवै
बीं नै चोकस धूल चटावां
मां रो आंचल रहैं सुरक्षित
ओही म्हारो नारो।
तीन रंगां रो झण्डो म्हारो
म्हांनै लागै जी सूं प्यारो
अमन चैन रा म्हे हां पोषक
अन्यायी रा म्हे हां शोषक
भारत जग में अमन चैन रो
सै सूं बड़ो सहारो।
तीन रंगो रो झण्डो म्हारो
म्हांनै लागै जी सूं प्यारो।

ऐड़ो द्यो ईश्वर वरदान
दीन दुशी नै गलै लगाऊं
भटक्योड़ै नै राह दिखाऊं,
मैं जीवन में कीं कर पाऊं
मेरो व्हे नित लक्ष्य महान्
ऐड़ो द्यो ईश्वर वरदान
रैवै सदा फरज रो ध्यान।
ईं माटी में जीवण पायो
ईं माटी रो कर्जदार हूं,
ईं धती री आण वास्तै
मैं देऊं निज प्राणां रो दान।
ऐड़ो द्यो ईश्वर वरदान
रैवै सदा फरज रो ध्यान।
मेरी रगां में जोश भरद्यो
शक्ति सूं आश्वस्त करद्यो
संसार में विशवस्त करद्यो
दूर करो मेरो अज्ञान।
ऐड़ो द्यो ईश्वर वरदान
रैवै सदा फरज रो ध्यान।
मैं समाज सूं बातां सीखी
मैं समाज रो हूं आभारी
बणास्यूं ईं रो मैं उपकारी
करूं राष्ट्र उत्थान।
ऐड़ो द्यो ईश्वर वरदान
रैवै सदा फरज रो ध्यान।
आड़म्बर सूं रैवूं दूर
विद्या सूं रैवूं, भरपूर,
छू नपावै मंनै गरुर
रैवै उचित-अनुचित रो भान।
ऐड़ो द्यो ईश्वर वरदान।
रैवै सदा फरज रो ध्यान।

टाबर
टाबर नै टाबर मत समझो
टाबर नै द्यो प्यार दुलार,
नक्की मानो टाबर करसी
हर घर रो उद्धार।
आज रो दिन तो थारो है
पण ? तड़कै रो दिन इण रोहोसी
इण री साल-सम्हाल करो थे
मत बूझो बामण जोशी।
सीमावां रा ऐ हैं रक्षक
भारत भू रा पहरैदार,
वीर बणै ऐ धीर बणै ऐ
पैरै विजयश्री रो हार।
राष्ट्रभनव री नींव हैं टाबर
बात खरी आ जाणो,
वीर भो सूं डरतो आयो
नित ही देश बिराणो।
मैं केवू थे टाबरियां रो
जीवण सफल बणाओ,
इण रै पथ री बाधावां नै
बेगा दूर हटाओ।

चुसै रो ब्याव
चढ़ी जवानी मूछ्यां आई
चूसो राजा हुयो जुवान,
ब्यावड़ियो करणौ चावै थो
खाणो चावै थो पकवान।
बो चावै थो चोखी चूसी
पूरी सीधी सादी,
सत्य अहिंसा रो थो हामी
बो थो गांधीवादी।
ब्याऊंलो शिक्षित जूसी नै
जो होवै पूरी स्याणी,
बा ही मेरै घर में आसी
बा ही बणसी मेरी राणी.
भांत भातं री चूसी देखी
पणकोईदानय न आई,
एक बरस रै भीतर भीतर
आई कई सगाई।
आखिल कालै एक चूसड़ी
बींस आ टकराई,
पढी लिखी सुन्दर थी चूसी
चूसै नै देख लजाई।
चूसो बोल्यो पसन्द करूं हूं
ठीक-ठाक लागै है,
पण पी.टी. उषा री ज्यूं
भोत तेज भागै है।
बां रा पाप मम्मी आया
चटपट ब्याव रचायो,
रलमिल चूस्यां गीत गाया
चूसै नै खूब नचायो।

आगै बढ़ता जावांला
म्हा भारत रा टाबरिया
आगै बढ़ता जावांला।
तड़कै रो विन टाबरियां नै
हेलो देर बलावै है
मीणत और पीसनै वालो
नयो जमानो आवै है
आओ आपां मिलके सारा
णां रो मान बढावांला
म्हे भारत रा टाबरिया
आगै बढ़ता जावांला।
म्हांनै तो ई आजादी रा
लूठां चितराम बणाणां है
गफलत में सूत्यै लोगां नै
म्हांनै आज जगाणां है।
गांव गांव अर गलियारै में
एकै रीजोत जगावांला
म्हे भारत रा टाबरिया
आगै बढ़ता जावांला।
मंजिल तोड़ी पूचण खातर
कदे न म्हांनै रूकणो है
संकट री घड़ियां रै सामै
कदे न म्हांनै झुकणो हैं।
हंसता गात आगै बढस्यां
विजय धजा फहरावांला
म्है भारत रा टाबरिया
आगै बढता जावांला।

चैत चिड़कली ब्याव रचावै
चतर चिकड़लो चूं चूं करतो
फुदकै, उछलै, नाचै, गावै
पांखड़ियां फर फर फरकावै
चैत चिकड़़ली ब्याव रचावै।
फुर फुर उड़ती भरी मोद में
चुग चुग तिणका ल्यावै
जापै खातर घणै चाव सूं
घुंसलियो नयो सजावै।
पांखड़िया फर फर फरकावै
चैत चिकड़ली ब्याव रचावै।
आस लगायां फिरै चिड़कली
मैं भी अण्डा देऊंली,
घमै चावू सूं बैठ ऊपरां
मै अण्डां नै सेवूंली।
पांखडिया फर फर फरकावै
चैत चिकड़ली ब्याव रचावै।
बां अण्डां सू कद टाबरिया
चूं चू करता बारै आवै,
जद टाबरिया चुग्गो खावै
म्हारो मन हरखावै।
पांखड़िया फर फर फरकावै
चैत चिकड़ली ब्याव रचावै।
चतर चिड़कलो चूं चू करतो
फुदकै, उछलै, नाचै, गावै
पांखड़िया फर फर फरकावै
चैत चिकड़ली ब्याव रचावै।

छोरियां री पुकार
मायड़ आज बतां दे मंनै
क्यूं छोरी-छोरी सूं प्यारो ?
बेटो जाम्यां हरख मनावैं
बेटी जाम्यां मूं लटकावै
भाई दूध मलाई खावैं
बची खुची म्हांनै पकड़ावैं।
छोरो खेलै मौज उडावै।
छोरी सूं बरतण मंजवावै
सदियां सूं देख्यो है मायड़
ओ खोटो बरताव थारो
मायड़ आज बता दे मंनै
क्यूं छोरो, छोरी सूं प्यारो ?
बेटै री ज्यूं जै समझो तो
म्हे भी सो कीं कर पावांगी
पूरी शिक्षा पाकर म्हे भी
जीवण सफल बणा पावांगी।
म्हे भी मायड़ इन्दिरा री ज्यूं
देश री सेवा कर पावांगी
छोरां सूं लारै कदे न रैवां
जै समाजडो देवै स्हारो
मायड़ आज बतादे मंनै
क्यूं छोरी छोरी सूं प्यारो ?
पीयर म्हांनै जी सूं प्यारो
पण, सासरियै मेंकरां गुजारो
सासूजी तो तानों मारैं
भैवड़ तनै पीयर प्यारो।
मायड़ कैवं बेटी रो तो
सासरियो होवै स्हारो
कुण सी ठोड बणी है म्हारी
हे समजा करदे निबटारो।
मायड़ आज बता दे मंनैं
क्यूं छोरी, छोरी सूं प्यारो ?

आज देश में च्याऊं कान्यां काली आँधी आई है।
आज देश में च्याऊं कान्यां
काली आँधी आई है।
घोर अन्धेरी होतो आवै
के बेरो के ल्याई है।
पैल्यां तो पंजाब जल्यो हो
अबप कश्मीरो धधकै है
कदे कदे गुजरात सिलगज्या
यू.पी भी अब भभकै है।
कवि नै घणों अचंभो आवै
लड़र्यो भाई भाी है
आज देश में च्याऊं कान्यां
काली आँधी आई है।
धन्ना सेठ पुगांवण लाग्या
डालर गेडी म्हैलां सूं,
अर साथै हथियार भेजर्या
आडै-टेडै गैलां सूं।
चीणीं मूं सू राम रटै
पणं, बगल राखै चाकू हैं
चुपकै सी हथियार मिसाइल
भेजैं झाझ लड़ाकू हैं।
पाक री सोच समझदारी पर
जमगी लागै काई है।
आज देश में च्यारूं कान्यां
काली आंधी आई है।
पाड़ोसीड़ो बेगो बेगो
बम बन्दूक जचार्यो है,
आतंक्यां नै शरणो देके
बो गोली चलवार्यो है।
चेतो करल्यो भारतवासी
जंग री लागी साई है
आज देश में च्यारूं कान्यां
काली आंधी आई है।
आज देश री अखण्डता नै
ललकारै री उन्मादी,
ईं कारण सूं जलम भो री
खतरै पड़री आजादी।
भारत भू री सीमावां पर
हलचल देखण में आई है
आज देश में च्याऊं कान्यां
काली आँधी आई है।
फूल आपसी ईं दुनियां में
बड़ां बड़ा नै खागी है,
बड़ी बड़ी कोमां ने फूटां
माटी मांय मिलागी है।
समैं समै पर वीर भो र रा
मां री लाच बचाई हैं।
आज देश में च्यारुं कान्यां
काली आँधी आई है।
जै भारत री सारी कोमां
भेली होके गरजैली,
बां री ठाडी हुकांरा सूं
धती भी आ लरजैली
क्यूं भलो हो या आजादी
बलिदानां री जाई हैं
आज देश मैं च्यारूं कान्यां
काली आँधी आई हैं
अब आपांनै भेलो होके
कीं नै कीं करणो पड़सी,
जै सींवा पर बैरी आवै
आपांनै लड़णो पड़सी।
जात-पांत रै भेदभाव री
आज बूरण खाई है
आज देश में च्याऊं कान्यां
काली आँधी आई है।
बंगला देश बणायो आपां
बो भी सरि उकसावै है,
बाड़ कंटीली तोड़-ताड़ के
बो घुसपैठ करावै है।
पूर्वोत्तर भारत में देखो
खुसर-खुसर सी होरी है
आन्ध्रा अर कर्नाटक मैं भी
होरी सीना जोरी है।
'देश बचाओ' की रामायण
कवि 'ठिमाऊ' गाई है
आज देश में च्यारूं कान्यां
काली आंधी आई है।
घोर अन्धेरो होतो आवै
के बोर, के ल्याई है
आज देश में च्यारूं कान्यां
काली आँधी आई है।

जुगां जुगा तक याद करालां
जुगां जुगा तक याद करालां
नेहरु चाचा थारा काम,
मानवता रा अमर पुजारी
जग में ऊंचो थारो नाम।
जद थे भारत में जलम्या हा
शासक था अंग्रेज फिरंगी,
भारत रो शोषण करता बै
चाल चालता सदा दुरंगी।
हुयो देश आजाद आपणों
नाच उठ्या आंगण गलियारा,
लियो हात उत्थान देश रो
बालज उठ्या सुख रा इकतारा।
बडा बडा उद्योगलगाया
धती सोनो निपजण लाग्यो,
नेहरूजी री सूझबूझ सूं
सूत्यो भारत फेरूं जाग्यो।
'तटस्थता' रो जनक थो नेहरू
थो 'स्वरूप' रो राजदुलारो,
है जग मैं आराम हराम
गूंज रह्यो नेहरू रो नारो।
जुगां जुगां तक याद करांला
नेहूर चारा थार काम,
मानवता रा अमर पुजारी
जग में ऊंचो थारो नाम।

मींडकै री जुकाम
एकस्यां स्यालै रै म्हींनां
ठाडी बिरखा आई,
अर उतरादी पून चाली
साथ ओला ल्याई।
मींड़कड़ै ठंडै पाणी में
रापट रोल मचाई,
छब्बल-छब्बल करतां थकां
ठाडी सरदी खाई।
जोर जोर सूं छींक आई
नांक चूवणलागी,
बेखलखातो हुयो मींडको
देख मींडकी भागी।
हलकी सी बुखार होगी
सांस फूल्यो जावै,
बीं री हात मींडसी सूं
देखी कोनी जावै।
दे कांधे रो स्हारो बींनै
अस्पताल मैं ल्याई,
देख मींडकै री हालत नै
नर्सां भागी आई।
बूढ़ो बान्दर अस्पताल मैं
रोग्यां रो उपचार करै,
अर बांदर्यां नर्स ड्रेस मे
रोग्यां नैं क्यूं में खड्या करै।
मींडकै नै देख बांदरो
बोल्यो, 'ऐ गोल्यां खाओ,
दो दिन पाछै फेरूं आके
मंनै अठै दिखाओ।'
बांदरी नै गोल्यो पाछै
पाणी में नीं ओ जावै,
गरम चावड़ी पीके ओ तो
सोवड़ में बड़ ज्यावै।

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