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(आभार राजस्थान पत्रिका)

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कहानी सयणी चारणी की

वेदा चराण बेकरै गांव में रहता है; कच्छ देश में.वेदै के बड़ा द्रव्य। सयणी बेटी, जो महाशक्ति योगमाया (का अबतार)। वह शिकार खेलती है, नाहर मारती है। भ्रग मारै। वीणाजंद सांढाइच चारण। भांछड़ी गाम मांहे रहै। देस कछ मांहे रहै। वीणाजंद घोड़ा बेचण हालियौ। सू वीणाजंद रागां-गो आलापचारी करै।ताहरा जंगल-रा भ्रग हालि आवे। भ्रग-रै गलै मांहे सोनेरी-माला घालै। राग जहारां थमै ताहरां भ्रग भाजि जावो बीज दिन आलापचारो करै। ताहरां भ्र आवै। ताहरां सोने-रो माला गलै मांहे काढि लेवै। इसौ वीणाजंद।
वीणाजंद कन्है 40-50 घोड़ा काछी. सूं वेचण-नूं हालियो छै. छयणप-रै तलाब आय उतरियो छ। जडेरो छै वीणाणंद रो। सयणो लखेलती मझ्यान तलाब आयी छै। वराह मारिया छे. ऊंटा ऊपर घालिया छे। असवार 5-6 साथै छै। इसै तलाव आया। घोड़ा पाया। डेरो दीठो। कह्यो-रे ! ओ कैरो डेरौ छै ? आदमी खबर करण गयौ। खबर करि आयौ। कह्यी-जी ! वीजाणंद भाछलियो छै। क्हौ-वाह-वाह। मांह रै तौ वीजाणंद मिलण-री चाहि हुती, भली हुयो, हाली वीणाजंद-नूं मिलां।
ताहरां वीणाजंद-रै डरै सयणी आयी। वीजाणंद साम्हौ आयौ। आई-नै रामराम कियौ। कह्यौ-हाली, राज अमल करौ। ताहरां वीणाजंद सयणी-नू डरै ने लगयो। बैठा वाता करै छै। ताहरां सयणो बोली-वीजाणंद। एक बार म्हा-नू आलापचारी सुणावौ। ताहरां वीजाणंद त्रिडोरियो यंत्र चाढि-अर आलापचारी कीवी। वीजाणंद गावै अर सयणी सक्ति-रूप तिका बैठी पास। ताहरां अधिक-अधिक गावणै लागौ। कह्यौ-मल्हार आलापौ। ताहरां मल्हार आलापतां मेह आयौ।
ताहराँ सयणी खुसियाल हुयी। कह्यौ-हिवड़ा-री घड़ी मांहे जिकूं मांगसी सू पावीस, म्हा-रै बाप-री छांह, म्हा-रौ वचन छे, हिवारू मांगै सू पावै। तो कह्यौ जी ! वचन ? ताहरां सयणी वचन दियौ। कह्यौ-जो ! वचन ? ताहरां सयणी वचन दियौ। कह्यौ-जो ! म्हारै घरै घूंघट काढी। कह्यौ-वीजाणंद । चूक ना, द्रव्य मांगि, हूं तूठी छू, सूं मांगि ज्यूं अखी हुवे, था-रौ वचन राखौ। तो कह्यौ एक कौल हूं मांगू। कह्यौ-मांग। कह्यौ-घर-घर भीख मतां मांगे, ऐकै ठाकुर कन्हा। सवा-सवा क्रोड-रा सात जरदा ले आवै तौ तौनुं वरू, इतरा गहणा ल्याव छै, मास-री अवध उपरांति वार लागी तौ तै कहियौ न मैंसुणियौ मैं कहियौ न तै सुणियौ, वांचा अवाचा छैं। ताहरां वीजाणंद कहियो भलां, हिवारी-री वरियां वही जावै छै सू छ मास मांह भरि लेयीस। वाह वाह आ रे वयण एगां आहे (?)
महाजन तेड़िया, ठाकुर तेडिया। साथ हुइ-न हालिया। आगे जालर-रौ रूंख हुतौ। ओथ जाई-सै ऊभा रहिया। कहियौ-औ ठाकुर सुणै, ऐ लोक सुणै, ओ नेलो रूंख छै, जे छे मास तांई नायौ तौ तै कहियौ न मैं सुणियौ, मैं कहियौ न तैं सुणियौ, वाचा अवाचा छै. ताहरां व जदाणंद आधौ हालियौ। सयणी पाछी वली।
ताहरां वीजाणंद ईडर, वागड, चांपानेर, कछ सिगलै हो फिरीयो। ताहरां गढियै-मडलीक कहै गयो। ताहरां कह्यौ वीजाणंद। तूं गहिलौ, तूं फिरय द्रव्य मांगै। सूं द्रव्य एथ कठै छै ? गढ गिरनार-रौ राज हूं, सू म्हारै परत दियौ न जाइ, सू बीजौ कोण द्रव्य देवै ? प्रथम तो द्रव्य हुवै तो देवै, म्हा-रै घर मैं पांच लाख-रौ विसाइत छै, गढ गिनार-रौ गणो तियै-रै पांच लाख-री माय, तौ वीजा राजां-रै कठा द्रव्य ? तूं मांगै नव क्रोड़ द्रव्य, सू सरब देस-री माल एकठी कोजै तो नव क्रोड़ नहीं।
तहरां कह्यौ-थे मोनूं कोई द्रव्यवंत बावड़ौ। ताहारां कह्यौ-मूगल भोजराज-रौ जलवटी पातिसाह, ओथ द्रव्य छै उवै-रै कोड़ ग्यान छै, तो नूं देसी, ओथ जाह। क्हयौ जो। कठै रहै छै ? ककड़ालै बेट रहै छै, समुद्र मांहै छै. एकै पासै छै मासां री मारिग छै. एकै पासै डोढ़ महीनै री मारिग छै, पिण भय छै, जिनावर घणा छै, मगर छै वाहण भाजै छै, कोई एक निरवहै छै, सखरौ वायेरी हुवै छै तो सवा महीनै ही पौंहचै छै। ताहरां कह्यौ जी। रावलै वाहण चले छै, मो-नूं दीव हूं वाहण बैसाणी, डोढ-महीनै-रै राह हूं चालीस, मरूं तो सयणो निमिता दीवाहूंता जिहाल चालै छै, उठै मो-नूं जिहाज बैसाणी।
ताहरां राव साथै आदमी दे दीव मूंचायौ। उठी वाहण बैसि दीव-हूं हालियौ। इसौ ही-ज समइयौ हुवौ चोर न लागो, कोई जीव जत न लागौ, वहाण सवा मास जाइ पहुतौ। ताहरां डेरौ कियौ। करि-नै दरबार गयौ. आगै मूगल भोजराज-रै रौ दरबार जुड़ियौ छै। हय-गय मय-गय हुइ रही छै. एथ वीजाणंद जाइ पहुतौ। आगै परधान दरबार जौड़ियै बैठी छै। इयै जाय आसीस दीधी। परधान घणो आदर दीधी। क्हौय वीजाणंद ! था-री घणा चाहि हुती, तूं आयौ, बडी वात हुयो. क्हयौ-राजा सूं काहरां मेलिस्यौ ? क्हयौ-जी ! बेगी ही मेलियस्यां, थे उतरो, जिकूं चाहीजै सू सरब थां-नूं दिरावीस, थांह-रा घणा वाना करीस, अर थे मांगिस्यौ सूं राजा देसी।
कह्यौ-जी ! मो-नूं राजा मेली। कह्यौ जी ! राजा महीनै मिलसी, काह्लि राजा बाहिर हुतौ, आज मांहि पधारियौ, महीनै राजा बाहिर जावै छै, वलै नवी वीमाह करि महला मांहै पंधारै छे; सू वलै महीनै बाहिर आविसी। कामेतियां कन्हा ओपता-खपत सुणि, नवी वीमाह करि-अर महल मांहै पधारै, सू ईसी भांति नर नामै कोई पखी हो जावण पावै नही, ईसौ तालबखानौ मडै छै, धोरऊंकार पडि रहै छै. सबा सेर-रौ भालो एक तीर इसड़ौ राखै छै, एक कबाण दस टांक-रै चिलै इसड़ी कमाज राखै छै, कोई पंखी ही फिरण पावै नहीं इयै भांत मूगल भोजराज-रौ रहै छै; सू थे उतरौ, डेरौ करो हूं थां-नूं सरब थोक पूर सा जितरै आपं वातां करिस्यां।
कह्यौ-जी, मांह-रै तौ वांसै घड़ी जावै छ सू वरस बराबर जावै छ, बैठौ कुण रहै ? कह्यौ-तूं कासूं करीस? कह्यौ-जी, मो-नूंराजा-नूं मेली। कह्यौ-वीजाणद ! मारियौ जायीस। कह्यौ-जो मरूं तो सयणी निमित्त। कह्यौ-वीजाणंद ! एक मास टिक। कह्यौ-अंक घढ़ी रहूं नहीं। ताहरां प्रधान कह्यौ-सवा क्रोड़-रौ माल छै, सूं हूं द्यु छूं, ले-नै जाह। कह्यौ-जी ! माहरै तौ नव क्रौड़ चाहीजै एकै क्रोड़ न सरै। तौ कह्यौ-तू न रहै ? कह्यौ-जौ, राजा नू मेलौ।

ताहरां दस दौढी छै; नव दौढियै तौ मरद बैसै छै, दसमो दौढी स्त्रियां बैसै। ताहरां परधान साथै हुई नै नव दीढी लग ले गयौ। आगै दसमी दौढी वालियां नै भोलाई दियौ। सू वीजाणंद नटवै रौ वेस करि नै आयौ छै। जहारां राजा री नजरि पडियौ ताहरां राजा तीर ले अर कबाण पकड़ी। ज्यूं तार खांचियौ ताहरां भयी पूछुं कउम छै। ताहरां पूछियौ-कुण तूं ? कह्यौ हूं इन्द्र-रौ नटबौ छुं, इंद्रसभा मांहे मूगल भोजराज रै-रौ आखाढी सखरी कह्यो, ताहरां हूं ओथ हूं आयौ, जिका इंद्र-छभा मांहै विद्या नहीं तिका हूं एथ सीखण आयौ छूं। ज्यू अपूठौ दीठौ ज्यूं वीजाणंद रो सिबी देठी। ताहरां कह्यौ-तूं वीजाणंद चारण हुवै। ताहरां वीजाणंद आसीस दो। कह्यौ-था-री आवणौ क्यूं हुबौ? ताहरां क्हयौ-राज ! पाणी मांहि किहाँण-नूं आऊं; पिण म्हार-रौ औ काम छै, तियै वासतै हूं आयौ छूं।
आखौ दिन कन्है राखियौ। बीजै दिन राजा साथ ले ने बाहिर आयौ। राजा आई दरबार बैठौ। एक दिन वीजाणंद नूं राजा राखियौ। एक दिन राण्यां राखियौ। एक दिन परधान राखियौ। यूं करतां दिन च्यार-पांच लागा। राजा नव क्रोड रौ ग्रहणौ दे विदा कियौ। पौहचतौ कियौ।
आगै छ मास पूरा हुवा। ताहरां सयणी लोक एकठा किया। करि-नै जाल हेठै गयी। कह्यी-राजि ! छ मास पूरा हुवा, वीजाणंद नायौ, हिवै हूं हीमालै जाय गलीस। ताहरां सयणी तो हीमालै-नूं हाली। वांसै सातै दिन वीजाणंद आयौ। आगै कहियो-सयणी तो हीमाल हाली। ताहरां वीजाणद पण लोककरि एकठा ऊवै जाल गयौ, गहणा ल्यायी थौ सू जाल नूं पहिराय। कपड़ा पिण जाल ऊपरि नाखिया। आप हीमालै नूं हालियौ।
 आगै सयणजी मूंछालै मालदेव-रै ऊतरिया। पठाणां-री पातिसाही छै। अलाबदीन पातिसाह दिल्ली-में पातिसाही करै। ओथ मालदै दिल्ली-मै चाकरी करै। ताहरां मालेद बीजै दिन पातिसाह-रै मुजरै गयो। ताहरां पातिसाह कह्यौ-काल मुजरै क्यूं नाया ? कह्यौ-जी ! काल्हि-मांह-रै देव आया हुता तै-हूं नायौ।

कह्यौ-देव मूवा जीवाडै ? कह्यौ-जी ! जीवाडै छै। तौ कह्यौ-बुलाइयव। ताहरां सयणी-नूं पातिसाह आगै ले गयौ। ताहरां पातिसाह कह्यौ-मूवा जीबार्डैगी ? कह्यौ-जीवाड़गी। ताहरां पातिसाह रै बड़ा भुयंगम सर्प गारुडियां कन्है हता, तिके अणाई-नैवड़ौ घोड़ो अणायौ। कह्यौ-मेरा घडो मारता हूं, देखे ! ताहरां घोड़ै-नूं सरप लगाया। घौड़ौ ढहि पडियौ। सयणी घोड़ै ऊपरि हाथ फेरियौ। घोड़ौ ऊठि ऊभौ हुबौ। पातिसाह बोलिया-डाकिणी है। पातिसाह बोलिया-बिमर मैं पैठेगा ? ताहरां दिल्ली-रै विमर मांहै मालदे-नूं ले-अर पैठी।
आगै पाताल गया। आगै साप बैसणा दिया, अरि प्यालो भरि एक सोनै-री दियौ। तियै मांहै सांपा-स्यां आख्यां, सांपां-स्यां जोभां सांप-री लिपली अर रस काढि-काढि-अर प्याला भरोजै छै। ताहरां मालदे दीठौ। सू प्यालौ सयणी मालदे नूं दियौ। ताहरां मालदे प्यालौ लियौ सयणी-रै वासतै। ताहरां मूंछै लायौ। बीजी वागै मांहै रेडियो। ताहरां मालेद-रै मूंछां आयां। मूंछां आगै मालदै-रै हुत्यां नहीं, आगे विमर-रै मुंहड़ै पातिसाह भींत चुणाई-नै छोह विरा ी लयी। ताहरां भींत सयणी हाथ लगायो। अलगी जाइ पड़ी। ताहरां बाहिर आई-नै पातिसाह नूं वे दुबाय दी जू पठाणां री पातिसाही जाविसी।
ताहरां सयणी जाइ हीमालै गली। वीजाणंद पिण हीमालै गलियो।
दूहा
औ बागड़, औ बेकरौ गोरड़ियां-रा गाम।
वीजाणंद मिलिया-तणी, हियै रहेसी हाम।।1।।
बूठै वेली थाई बरखा रति वरखा-सणी।
तेतलियूं तन मांहि बावेग्यौ वीजाणदी।।2।।
वीजाणंदी वलेह वले काइ बैसानरै।
त्रीजे ताली देह दांत सकी दाखिसै नहीं।।3।।
डर डूंङ्री चढेह जीविस तां जोइस घणौ।
वीजाणंदी वलैह भांछडियो भेटिस नहीं।।4।।
लाखां मिलिया लोइ मन बीजा मानै नहीं।
तूंबडियालै तोइ व्रव लागीं वीजाणंदै।।5।।
किण महुरत कहियांह वारिया कवि वीजाणंदै।
वातां विच रहियांह सिरे न चढियां सूरउत।।6।।
भणिज्यौ भाछलियाह संदेसी सयणी-तणी।
जीवन जमवाराह रिध माडै रहिस्यै नहीं।।7।।
कद हूं कवी कुमारड़ी कहि नै कदि परिणेसि।
कद हूं वाजदि कोटड़ै वीजा-वहू कहेसि।।8।।
कंइयां रहूं कुमारड़ी कइयां ह परिणेसि।
सासू सदै आंगणै वीजा-बहू कहेसि।।9।।
गात महाभड़ गालिया भड़ सारीखा भीम।
सत विह-रौ सयणी कहै हिव् जाणीस्यै हीम।।10।।
जो जाण हेड़ाउयां लागै इतरी दीह।
चढियौड़ै सथै हुवा सरिसा बीजा सीह।।11।।
वीजड़ घण सायालवी लागी पुडग मरांह।
था-रै कारण साहिबा ! आडा वाण तिराह।।12।।


वात पताई रावल साकी कियौ तैरी

बेगड़ो महमूद गुजरात पातिसाही करै। सू पताई रावल ऊपर महमकीवी। पावै-गढ़ नूं वरस बारह तांई घेरियो।
पछै पताई रावल-रै सालो सइयो वांकलियो। तिके-रो वडो मामलो, वडो इतबार, गढ-री कूंचा वसू। तद पातिसाह-सूं साजस कीवी-जू मनै सगलां ऊपर करौ, कूंची देवां। दत पातिसाह कौल दियो।
तद पताई रावल नूं खबर साजस कीबी-जू मनैसगलां ऊपर करौ, कूंची देवां। तद पातिसाह कौल दियो।
तद पताई रावल नूं खबर हुयी जू गढ पलट्यो। तद पताई रावल भीतर राणियां-नूं अर वीजैही जनानै-नूं कह्यौ जू थे जहूर करी।
तद रांणियां कह्यौ-म्हेही रजपूताणियां छां, म्हे ऊंचिया चढस्यां,  अर नीचै लकडियां-रो झूपो करो, ज्यूं-ज्यूं थे काम आस्यो त्यूं-त्यूं म्हे कूद-कूद पड़स्यां।
पछै जद गढ मिलयौ  ्‌र काम आवण लागा तदै राजपूताण्यां आग मांह पड़ै।
सइयो वांकलियो पातिसाह कन्हैं ऊभो दिखावै-जू ओर फलाणों रजपूत, अर आ कूद पड़ी तिका बैर।
तद पातिसाह देख-अर कह्यौ-जू साबास ऐ रजपूत अर ऐ रजपूताण्यां।
पछै सर्व काम आय चूका अर स्रव आग मांहे पड़ियां। तद पातिसाह सइयै वांकलियै-नूं साबासी दीवी। अर गढ माहै आयो दत कह्यौ-अबै माल मतां बतायी, पछै बतायी।
पछै काम आया था जितरां-रा माथा काट-ने भेला कर पछै सइयै वांकलियै-रौ माथो काट सगलां ऊपर मेलियौ। कह्यौ-हमारा कौल था, इण जिस का बो'त खाया था तिस-का ही हुआ नहीं, सू हमारा क्या होयगा ?

सू पातिसाह गढ लियौ। पताई रावल् काम आयौ। अर सइयौ वांकलियौ-ही मारियौ; गढ ही पालट्यौ।


वात जसमा ओडणी-री

मालवै देस मांहे धारा नगरी। राजा भोज राज करै। एक दिवस राजा भोज कथा मांहे सुणियौ-तलाब करायां बडी धूम छ। ताहरां राजा कामेतियां-कू कह्यौ जावी, तालाब नूं सखरी ढी ़ जीवी-ज्यूं तलाव कारवू। ताहरां ठीड़ जीयो। राजा बांभण तेड़ि मुहरत पूछियौ। तलाब-रौ मुहरत पूछि नै ले जाइ नै नींव भारी भलै मुहरत।
पाछै ओड सारी धरती रा बोलाया। आदमी ठाम-ठाम मेलिया। सहर सहर रा ओड आवै छै। गुजरात-रा ओड  ाया। पाल्ही ओड गुजरात रो दो सौ आदमियां रै जथै-सूं आयौ। डेरा किया। ओड जितरा आवै छै तितर तलाबरै गोढ हीज डेरा करै छै।
राजा एक दिन तलाब नूं देखण आवै छै। तलाब ऊपरि आई-नै राजा ओडांरा डेरा दीठा। राजा पूछै छै ओर कठै-कठै आ आया छै ?
दोहा
राजा ओड तेड़ाविया, खोदण काज निवाण।
गुजर-खंड सों आविया, करि पूरो परवाण।।1।।
पाल्है डेरा परठियां, मारग मथ्थै आय।
सिरकण ताणे तांतियां, डेरा किया वणाय।।2।।
राजा देखण आवियौ, सरवर काज सु कज्ज।
राजा ओड निहालतां, ओडण दीठी अज्ज।।3।।
महिपत मुंहती तेड़ियौ, ओडा-नूं अन देह।
औरां ज्वारी-बाजरो, जसमल साल सु प्रेह।।4।।
अवर न लेवै ओड़णी, आदर आछौ अन्न।
बीजां लेसै सोलियां, ए मौ नाहीं मन्न।।5।।
न्याति-जांत सौ सारखी, अधिकी, नाही कोय।
थे राजा, म्हे ओडण्यां, अंह पटंतर जोय।।6।।
राजा रीझै रूप-सौं, जात न जौवै काय।
रतन उकरड़ी ऊपरां, तौ सहि लियै उठाय।।7।।
राव कहै जसमल। सुणौ, कहौ त बधां पाल।
कहौ त इहां ऊभा रहां, नीकां नजरि निहाल।।8।।
सुण राजा ! जसमल कहै, एह न दाखौ छेह।
अकल-विहूण्यां ओडण्यां, तांह-सूं केहा नेह ?।।9।।
सुणि जसमल ! राजा कहै, आ थे कहौ न बात।
जब मैं नैणां दिट्ठ तूं, नींद न आवै रात।।10।।
राजा ! थे या मत करौ, केहि काहूं सों प्रीत।
मन बस राखौ आप-रौ, राजविया री रीत।।11।।
रीत-नीत सहु वीसरी, तो दिट्ठां नयणांह।
आदर करि आवौ, मिलौ, वस हूवो वयणांह।।12।।
राजा ! रीत न छांडिजै, समवड़ करौ सनेह।
समवड़-सूं सुख पावजै, नीचां वेहो नेह ?।।13।।
राजा ! रूप न रीझियै, माथा वडू नहिं काय।
थे राण्यां-सूं रंग करौ, (म्हे) धूड़-धमासां मांय।।14।।
धूड़-धमासां जो भरी, ज्यूं भूंहरियो भाण।
ओपै अंग आदीत सौ, उदयागिर परबाण।।15।।
राजा ओडण रीझियौ, अवर न आवै दाय।
अवर ओस जल सारिखौ, वेगां जाहि विलाय।।16।।
सुणि, जसमल ! राजा कहै, मै तो लागी दीठ।
जीवां तो विरचां नहीं, जाणि कपड़ै, मजीठ।।17।।
राव कहै, जमसल ! सुणौ, महलां देखण आव।
महलां दीठां वीहिंजै, महां सिरकणांरो साव।।18।।
राव कहै, जसमल ! सुणौ, राण्यां देखण आव।
राण्यां मन राजी नहीं, ओडणियां सूं भाव।।19।।
राजा जसमादे ओडणो दीठी। राजा घोड़ै री वाग खांचि ऊभौ रह्यौ। ताहरां राजा ओड-ओडण्यां हजूर बोलायां। बात पूछी कठारा छौ ? कह्यौ-जी। गुजरात-रा छां। राजा कामेती बोलायो कह्यौ ओडां नूं पेटिया माडद्यौ, अर जमसाद-नूं साल, दाल, घ्रित, मैदौ, खांड मांडिड्यौ। ताहरां जसमादे न लै। कहै-बीजां समी हूं लेयीस। राजा कहै-जसमादे, तो-नूं ही रीझिय थकी द्युं छुं,, बोज्यां-सूं रोझियौ नहीं, सूं बाज्यां-नूं जुवान दयौ। ताहरां जसमादै कहै हूंई जुवारो लेयीस। राजा जसमादे रै रूप रीझियो नित तलाव आवै। हिव राजा आप आइ नै तलाव ऊपर बैठो चेजौ करै। इतरै ज जसमादै रोढा आणि नाखै।
तिकै-रै वास्तै राजा सारो दिन तलवा  ूपरि रहै। हिवै राजा ओडां-नूं तेड़ि-नै कहै-जसमादै मो नूं द्यौ जाणौ सू मोलल्यौ ताहरां राजा-नूं ओड कहै नव सौ हाथी, एक हजार घोड़ा हीर-चीर, पटकलू। राजा कह्यो ओड मोल करि न जाणै।
मूरिख मोल न जाणियौ, ओ ओडां री मत्ति।
पदम न लभ्भे पदमणी, जसमल नेही गत्ति।।20।।
ताहरां ओडां दीठौ-राजा जसमादे नूं छाटै नहीं। ताहरां ओड राति-रा नाठा। प्रभाति राजा नूं खबर हुयी। ताहरां वांसै फौज चढी। पकड़ि ल्याया। ईड रोकिया। ओडां-नूं कहै जसमल देढ्यौ। ओड न दयै।

ओडां ऊचाली कियौ, खुलिया नाठा जाय।
मेल्हि फौज पकड़ादिया, आणि रोकाय मांय।।21।।

ओडां दीठो राजा छोडै नही। जसमादे जावै नहीं। ताहरां राजा ओड छांडिया। फौज मेल्हि नै ओड मराया। जसमादे सती हुयी।


वात अमीपाल साह-री

दिल्ली सहर पातिसाह अलावदीन पातिसाही करै। अमीपाल साह पाति-साह री चाकरी करै। पांच सौ असवार राखै। सू अमीपाल साह दोइ माला पहिरै-गलै में, ऐक तुलसछी-री माला एक तसबी, दोई रंग-रो जोड़ो पहिरै-एकै पगै स्याह पैजार एकै पगै लाल पंजार। दोइ तरवर बांधै; दोइ कटारी बांधै। इयै भांति रहै।
सू मालदे सोनगिरो पातिसाह-री चाकरी करै। तखतखां पातिसाह-रो चाकर। दरबार-सब से कठा हुवै, एक दिन दरबार सूं बाहुडिया छे. मालदे नै अमीपाल साह एकठा बाहुडिया, ताहरां मालदे पूछियो-साहजी ! एक बात पूछां ? कह्यौ-पूछो जी ! ताहरां माले बोलियो-साहूजी ! ओ किसो बेस थांह-रै छै ? कह्यो-साबांस, मालदे । तो बिना बीजो कोण पूछै ? जे थां पूछिय छै तो सुणा; एक पग रो पैजार राती सो हीदवां रै माथै अर न्याह छै सू तुरकां रै माथै, अर हथियार दोइ तरफ बांधूं सू एक तरफ रा सूं जोवतो लडू, दूसरी तरफ रां सू मूवां पछै लडू, हिवै मो नूं थां वात पूछी छै तो मो-सूं लडी, का म्हा री टांग हेठा नीसरो।
हिवै मालदेव विचारण पड़ियो जू किराड़ बात कही। दीठो कासूं कीजै ? बिना मखसूद उपाव हुवा जे लडीजै छै तो ई बात बात वे-सूलो, बिना लड़ियां किराड छोडै नहीं. ताहरां कह्यो-साह ! गयी कर, साह कहै जी ! गयी न हवै का लड़ो का टाग हेठा निकलो। ताहरां मालदे टांग हेठां नीसरियो।
एक दिन दरबार माहे ऊभा तरवरत खान नै मालदे वात करता हुता, तितरै अमीपाल साह आयो। ताहरां मालेद कह्यो-खां जी। इणै वाणियै री तरफ देखो, कासूं छ, गहिलो छै किनां काई टेक छै। ताहरां खान बोलियो-मै तुम्ह सूं पूछणै करता था, इस की बात क्या है. कह्या-खां जी ! मैं नहीं जाणता हूं ताहरां कह्या-आज मैं पूछुंगा।
जाहरां दरबार बाहुडियो ताहरां तुरवतखान अमीपाल साहसूं पूछियो। भली करी। कह्या-जी ! जिको मुझु-कुं पूछें बात सो मुझ-सूं लड़ै, का टांग हेठा निकलै। ताहरां तुरवरत खां बोलियो-मैं लड़ूगा।
हिवै मालद कनारै। ताहरां कह्यो-कदि? कह्यो-सुबाह लड़िस्यां।
ताहरां परभात-रै मुजरै पातिसाह-रै गयो। ताहरां पातिसाहसूं अरज करी। पातिसाह कह्यो-लड़ोगे ? अमीपाल साह कह्यो लडांगे। कह्यो किस भांति लड़ोगे ? कह्यो जिस भांति खां कहिस्य तिसी भांत लड़िस्यां। ताहरां तरवरत खां कह्यो फौज सूं लड़िस्यां। ताहरां तरवरत खां कह्यो-फौज सूं लड़िस्यां। अमीपाल-कह्यो फीज सूं लडिस्यां। ताहरां पातिसाह कह्यो-सुबाह मैं झरोखा बैठोंगा अर तुम-कूं लड़ाऊंगा।
प्रभात पातिसाह झरीखै बैठो। तरवरतखान फौज करि-नै आवो। अमीपाल साह फौज करि-नै आयो। पांचौ असवार-सूं अमीपाल साह आयो। हजार दोइ-सूं तरवरत खान आयो। रेती-में लड़ाई मंडी, बड़ो जुध हुवो। तरवरत खान-रो साथ काम आयो। आप साबतो रह्यो। अमीपाल साह काम आयो पांच सौ असवार-सूं। ताहरां पातिसाह तरवरत खात सलाम की। पातिसाह बोलियो-खां ! अमीपाल मुवा ? कह्या-हजरत ! मुवा। कह्या-जा, खबर करि। ताहरां तरवरत खान जाई-नै दीठो। आगै अमीपाल साह खेत-में सूतो छै। घावै लाही भभकै छै। ऐके तरफ-रा हथियार बांधा-छै एकै तरफ-रा हथियारां सूं लडियो छै।

तहारां तरवरत खान बोलियो-अमीपाल ! तू कहता था मुवा पाछै लड़ सू अब कदि लडैगा। इतरै कहता ऊपड़ियो। काढि कटार नै तरवरतखान-रै पैट में मारी। तरवरत खान ढहि पड़ियो। जैव नीसरि गयो। एकै तरफ तरवरत खान पड़ियौ, एकै तरफ अमीपाल साह पडियौ। बेऊं काम आया।


बात नान्है वाघेलै री

महू माहे राव वालनाथ राज करै। एक दिन-रै समा जोग राव-सूं महलां अरज की-रावजी सलामति। म्हां मल लड़ता दीठा, हिरण लड़ता दीठा, मींढा लडता दीठा, ऊंट, घोड़ा-हाथी लड़ता दीठा, पिण रजपूत लड़ता दीठा नहीं छै सू म्हां-नूं हूंस छै एक बार रजपूत लड़ता देखां। ताहरां राव बोलियो-मैं नान्हो बाघेली मारणो छै, ओ मारीस वडौ ख्याल हुसी, ताहरां थां-नूं देखाडीस। इयूं करतां हिवै राज-लोक नै हरख हुवो। पूछता रहै-नान्है नूं कदि मारिस्यो ?
ताहरां राव साथ भेलो कियो। पांच हजार अवसार भेला किया। करि साथ नै हालियौ। बारह हाथियै राज-लोक चाढिया। कार कटक नै राव चढियो। ज्यूं कोसे च्यार-पांच गाम रह्यो ताहरां जले बदार मेल्हियो।
गाम बरोडो नान्है-रो वासक छे. आगै नान्हो तलाव ऊपरि बैठो अमल करै छै। सिकार-नूं हालियां छै। तिसै-मे जले बदार आयो। आई-नै कागल दिया। नान्ह कागल वाचिया। वाचि-नै रजपूतां-नूं कह्यो ठाकुरे। बालनाथ म्हां-नूं वितारिया, भलां कियो। ताहरां नान्हे कागल लिखा ी नै दियो अर लिखियो जू रावजी भलां कियो, आग-ई म्हां मऊ-ई-रौ प्रोल-सूं लहणियो, छै नै वलै महाराजा म्हां-नूं चितारिया, रजपूत किया, वेगा पधारो। जले बदार गयो।
ताहरां नान्ही राजपूतां-नूं कहै-ठाकरै ! थां भूखियां हूं जै मियो नहीं, थांई-रै कपड़ै फट मैं कपड़ो पहिरियो नहीं, थां नु म्हा-री सरम छै। थांह-रा मांवीतां-री थां-नूं सरम छै, कहड़ा हुबो छौ। ताहरां अणाइकेसरि नै पांच सौ असवारे केसरिया किया। कह्यो-रजपूतां ! किसी भांत लडिस्यां। केबोलिया तलाव लडिस्यां। के बोलिया घर झालिस्यां. के बोलिया साम्हा जाइ लडिस्यां। ताहरां विचार साम्हा लड़ण-रो हुवो।
ताहरां दोइ कोस साम्हा गया। जाइ-नै 50 असवारै भौज-में नाखियां। सूं तौ गरक हुवा। एक निसरियो नहीं। फेर 250 असवारे नांखिया सू राव-री फौज हटाइ दीन्ही। फीज राव-रीं भागी, धको झालिया नहीं। नान्है आइ राजलोक नान्हैं आइ राजलोक बारह हाथियां चढिया ऊभा हुता तियां नूं नान्है कह्यो-हालो, बाइयां ! थे, थे म्हां-र्यां बहिनां छो, हालो भाई-रे घरै, भोजायां पगै लागै, च्यार दिन भाई-रै घरै हालो। ताहरां हाथी घेरे नै ले आया। कासूं करै ? जोर कोई नहीं।
घरै लै जाई नै वडी भगति कीधी। हाथी तो राणै उदैसिंघ नूं मेल्हि दिया बारै ही। अर पांच दिन राखि, वागा पहिराइ, पाँच घोडा पाँच छोकरो  ेक पालखी दे नैस बेटो साथि दे-नै मेल्हि दिया।


वात कूंगरै बलोच-री

कूंगरौ बलोच अरोड-सखर रहै। तिलोकसींह जसहरड़ौत जैसलमेर राज करै। कूंगरौ-छै तकाड़ी-रौ अहरा करै। एक वैर कूंगरै-री हाडी परबत छै ओथ रहै। मा छै सू अरोड़ रहै। सू पहाड़ इसडौ परबत पहाड कोरि-नै माहै घर किसौ सू घरृरै मुंहडै पहाड़-री चिटां कोरि-नै राखौ छै, सूं पहाड़-रै मुंहडे दयै। सू उबा चिटा कूंगरी खेसवै। बीजै कंही खुलै नहीं। पहाट नै अरोड़ साठ कोस-री आंतरी।  एक दिन पहाड़ रहै, एक दिन अरोड़ रहै। इण थकौ रहै।
तिलोकसीह पण एकाधिपति थकौ रहै ताहरां तिलोकसीह कूंगरै-रो बात सुणी, अर उठै असवार तेरह-सूं चालियौ। अरोड़ गयो जाईनै चिढा परही कीधी। मांहे  ायौ। देखै तो कूंगरौ नहीं कोट माहे कूंगरे री माता हुती। ताहरां तिलोकसीह कह्यौ-कूंगरै-री मा तिसड़ी म्हां-ई-री मा तू छै। लोकां-नू कह्यो-घोड़ा छोड़ी, घोड्यां छोडौ। इय-रै घर-मैं विभौ हुतौ सू सलब लियौ। एक बडौ घोड़ौ क्यूं न लियौ। ताहरां तिलोकसीह कह्यौ-कूंगरौ इयै आसूदै घोड़ चढि-अर आइ पुहचै, आप-री घोड़ौ थाकौ हुसी, तियै-रै वासतै घोड़ो छौड जाऊं छूं।
ताहरां कूंगरौ चढि दोडियो जाई तिलोकसीह नूं पुहतौ ताहरां तिलोकसींह अपूठौ फिरयौ कूंगरै कह्यौ-तिलोकसीह ! तै बुरौ कियौ, म्हरै-रै घर सूं टलणौ हुतौ। कहियौ-कूंगरा ! सूतौ हुयी। कूंगरै कह्यौ-तिलोकसीह ! आधी माल दै मौ नू,  आधी तूं ले जाह। तिलोकसीह कहै-यूं न हुवै। कूंगरै कूंगरै कह्यौ-समझौ। पिण तिलोकसींह वात न मानै।
ताहरां कूंगरै कटारौ काढियो। सिलो काढि-अर कटारौ सिली ऊपर लायौ, लगाई-नै सिली घाली। काटरो पकिड हाथ मैं घोड़ो उपाडियो सो सौ पांवड़ां ऊपरि आयौ आ-नै तेरह असवारां माहिलौ एक असवार-री माथौ काटी-नै ले-अर पूठो सौ पांवड़ां गयौ ।
जाइ-नै कह्यो-तिलोकसीह समझ माल आधौ दै, आधौ तूं लेजाह। ताहरां तिलोकसीह कहै-हिवै तो वैर हुवौ, हिवै हुसी सू दीस नी। वलै सिली काओढि खंजर लायौ। लाई-नै वलै घोड़ो दाबियौ आई-नै बोजै ही असवार-री माथौ काटि ले गयौ। वल कूंगरै कह्यो तिलोकसीह ! समझ माल आधी तूं लेजाह आधी मो-नूं देह तिलकसीह कहै कूंगरा ! हिवै आपां वैर पड़ियौ, हिवै वात काई नहीं।
ताहरां तिलोकसींह,कहै आप-रा असवारा-नूं-थे म्हार-रै पठै आवौ अर कूगरै कटारौ लगाई-नै घोड़ी तिलोकसी साम्हो नांखियौ ताहरां तिलोकसीह पिण घोड़ौ दाबियौ। आवतै कूंगरै रौ हाथ कटारै सूधा बीजै हाथ सूं कूंगरौ ढाहि नांखियौ। घोड़ौ लियौ। ले घोड़ौ तिलोकसीह घरे आयौ।
कूंगरै-रै बेटो न हुंतौ। बेटी एक हुतो। ताहरां मा कह्यौ बेटो छै। ज्यूं वरस बारह-रो हुवौ ताहरां घाड़ौ करण लागी चढै, साथ कैर भेलो, अर घाड़ौ करै यूं करतां वरस पद्रह-में हुवौ ताहरां असवार साथ न लै, एकल-घोड़ै  घाड़ौ कर ताहरो एक दिन खरगै रा घोडा हेराया। दठौ-जेसलमेर-सूं वेर छै तै जैसलमेर रौ उजाड़ करूं, ताहरां जेसलमेर-नूं एककल असवारे दौड़ियौ एक वडौ तलाब दीठौ। घणी वनसपती दीठो ताहरां दीठौ-इयै ठौड़ उतरीजै।
ताहरां उठै हांसू उथरी। देखै तौ पैली झगौ माहै असवारउतरिया छै। ताहरां दठ हालि-अर गयी। आगै अंगीठौ जगै छै। हरिम मारि आणियौ छै। सूला हुवै छै।

उठऐ हांसू जाइ-अर ्‌गनि मांगी। उवां अगनि दे न्हीं। एल-अर आयौ। वांसै ओढै आदमी मेहिल्यौ-जोवौ खबर करौ, ओ कुण छै ? ताहरां आदमी जाइ खबर को पूछियौ-ठाकुर! कठै वसौ ? कह्यौ-हूं कूं गरै बलोच रो बेटो छु, वाड़डै जैसलमेर जाऊं छूं. खरगै-रा घोड़ा हेराया छै सू दौड़ करोस।
ताहरां अडै-नूं आदमी आइ कह्यौ। ताहरां ओढै कहाड़ियो-ऐ तो घडोडा म्हां हेरिया छै, म्हां खरच खाधोछ। ताहरां हांसू कह्‌ौ धाडडौ मिलि करिस्या कह्यौ-भलां। कह्यौ-जी। हेंसा क्यूं करि करिस्यां ? ताहरां3हांसू कह्यौ जी। आधो-आधो जोखिल-लाभ आपां। ओढ़े कहियौ-भलां।
एकठा होइ-नै हालिया। जाइ नै खुरंगै-रा घोडा लिया। बांसै बाहर हुयी। दोइ सौ 200 असवार चढिया घोड़ा रा रखवाला हुता तिके चढिया। बाहरा आया। तहरां हांसू कह्यौ-ठाकुरे। बाहर आयो, ताहरां ओढै क्हयौ तौ थे वाहर पालो म्हे घोड़ा निरवाहिस्यां ताहरां हांसू ऊभौ रह्यो। ओढे-रै साथ घोड़ा निरवाहया।
जिसड़ै साथ आयो तिसड़ै हांसू नाखि तरगस री खोलै अर कवाण पकड़ी जिकै-नूं तीर वाहे सू गुडदा पेच कबूतर दाई अलगो जाई पड़ै। यूं करतां आदमी वीसेक पड्या। ताहरां हांसू बोलियौ-घिरौ अपूठा। घोडडा निरवाहया, ओढो भीमावत छै, जोइया छै। घोड़ा ले गया, थे अपूठा पधारी ताहरां जेसलमेर-रो साथ अपूठो गयो। हांसू आइ पोहतो।
जाइ उवै तलाव पर घोड़ा वहिंचिया। ओढै-रा रजपूत कहै-घोड़ा न देवां. आधा म्हे पचास असवार ओ एक असवार। ताहरां हांसू घडोा विच घोड़ौ धातियौ आधा ऐके तरफ आधा एकै तरफ किया। एक गोडा अधिकौ सू ऐसी तरवारवूहीं सो आधा-आधा कियौ पकड़ि पूंछ-न आधो बाहि दियो औढै-रै साथ दिसी आधौ आप लियौ।
जाहरां घोड़ो नाखियौ घोड़डा विचै ताहरां कूं चियो फाटो ताहरां कुच औढै-री नजर पड़िया। हासूं चढि वहोर हुवो वांसो ओढौ गयो। आगै हांसू कपड़ा नाखि-अर तलाब माहे स्नान करण पैठी। ओढौ तलाव-री पाल आइ चढियौ। ताहरा हांसू कह्यौ-अपूठा जावौ। ताहरां पाल हूं उतरियो। ताहरा हांसू कपड़ा पहरिया। आय बैठी। ताहरां ओढी आयो। कह्यौ- औढा ! तैं बुरो कियो। सो तूं निर-वस्त्री दीठा। ताहरां ओढे कह्यौ-म्हारै घर थे घूंघट काढौ।
ताहरां हांसू कह्यो-थे मांह-रे घरे आवज्यो, मावतीं कन्हो मो-नू मांगौ, हूं मावीतां कमन्हां हांकरो भणयीस, हूं घरै जाता थूं, थे वांसै वेा पधारिज्यो।
हांसू चढि खड़िया छै. ओढौ अपूठौ आई-नै कूंगरै बलोच रै घरै आया छै। हांसू परणीछै। हांसू-रै पैट-री जरो हवी बडौ दातार गुर हुवौ।


वात ऊदे उगमणावत-री

ऊदौ उगमणावत ईदौ महेवै रावल मालै री चाकरी करै बाघ एक गोयाणै-रै भाखरां रहै। सो देस मैं विगाड़ करै ताहरां रावलजी रजपूतां-नूं हुमक कियौ-चौकी द्यौ ताहरां रजूपत चौकी दै गोयाणै-रै डूंगर दोल्यां, एक दिन ऊदै-री चौकी आयी। ताहरां ऊदै-नू कहायिौ। कह्यो...।
ऊदौ गयो। जाइ-नै भाखर रोकियौ। घेर-नै वाघ-नूं पाकड़ियो। आण-ने रावलजी-नूं सोपियौ ताहरां रावलजी कह्यौ साबास ऊदा ! साबस ! ताहरां रावलजी बाघऊदे नूं बगसियौ। ताहरां ऊदै लियौ-नै गल टोकर बांधि नै छोडि दियौ कह्यौ जी ! बाघ म्हांह रो छै, जिको इय-नूं मारियो तियै-सूं म्हांह रौ वैर छै। वाघ फिरै। विगाड़ करै। कोई बाघ-नूं मारै नहीं।
बाघ फिरतौ-फिरतौ बाद्राजण गयौ। ताहरां भाद्राजण रै सींधले गयौ। सींधलै मारियौ। तूठै वैर हुयौ। ताहरां ूदै-नै सींधलै वैर हुयौ। सीधल अर ईदां लड़ाई हुयो। सींधल पचीस काम आया। हिवै वैर पडियौ। भाद्राजण अर चौरासी-रौ मारिग भागौ। कोई ममारिग वहै नही। इसा वर पड़िया।
इहड़ सोलं की सींधला-रौ चाकर। सू इहड़ रै ऊदौ परणियो हुतौ। सू कोई वौ-जावै नहीं मारिग न वहै। यूं करतां बरस सात हुबा।
एक दिन रौ समायोग छै। बालसीसर तलाव सिखरै उगमणावत गोठ किवो छै। सारा ईदा एकठा हुवा छे, अमल पाणीकिया छै। बाकर मारिया छै। सोहता हुवै छै तिसै समझय एक रजपूत बोलियौ ऊदाज ! कदे भाद्राजण-ही जास्यौ कह्यो जी ! आज जास्यां, जावण रो तो मन न हुता पइम थां कह्यौ तौ आज जास्यां।
ऊदे-रे चढण नूं काछिण घोड़ी हुती। तियै-नूं रातिब  अणायौ जवां-री आटौ अर गुल दीनौ। ताहरां सिखरै जी उड़दानी देतां घोडी-नूं दीठौ कह्यौ-हो। घौड़ो नूं उड़वावौ क्यूं ? कह्यौ-जो ! ऊदौजो भाद्राजण जानी कह्यो हो। जेथ इवड़ौ बैर पड़ै; गोडो गोडी माटी मरै, तैथ क्यूं जायाजै ? कह्यौ-जी ? बीलै तो हु गायवा री आण छै। आथूण-री वरियां बीजौ साथ तौ घरां तू खड़ियौ। ऊदौ भाद्राजण नूं खडियौ।
आधी राति आगै, आधी राति पाछै जाह पहुतौ। ताहरां उघाड़ि फलसौ मांहि लियौ आगै सरगरै जाई-नै कह्यो-जी। उदौजी ाया। ताहरां उखेलि बारणौ माहे लिया। ढोलियौ बिछाइ दियौ जाइ पोढिया घोडी हुतो सू कायजै को ऊभी तो जो रही। कायजो उखेलियौ नहीं, बीसरि गयौ।
देखौ तौ घोडी छे. ओलखी-घोडडी तौ ऊदेजी री। ताहरां उठि-नै घोड़ी पकडी दोठौ जाई-अर पाइगह माहे बांधू, ताहरां घोडो ले अर हालियौ। जिसडै घोडी ताणियै जाय छै तिसडै ऊदौ जागियौ। दीठी घोडी चोर लियै जाय छै भाद्राजण मांहै चोर घणा छै काढि तरवार अर वाही। बेधड हुवा। जितरै उलजाणी जागी। कह्यौ-जी। का-सूं कियो।
भाई मारियौ। कह्यौ-जी ! हुयो सू हुयी। ताहरां सासू जागवी। कह्यौ-जी ! थे जाई पोढो, हुयणहार हुयी।

आगै सींघला-सू वैर हुतौ ही हिव सालौ मारियौ। हिवै वैर पड़ियो। ताहारं पछिली राति चडि-अर परतालिया घरे गयौ।
ताहरां मेलौ सेपटौ भाद्रजण-रै कांठै रहै। सू मेलौ री नाइण ईहड़ सोल की-रै घरै गयी हुती सू ओथ ऊदै-रो बैर ओल कणी, दोठी। स्ना करायौ। ताहरां नाइण जाइ-अर मेलै-नूं वात कही-ईहड़-रो बेटी पद्ममिणी छै तो लाइक छै, इसी नारि फूटरी कठे नहीं। ताहरां मेला आई-नै भद्राजण-मे सोलंकियां नूं कह्यौ-थांह-रौ वैर ऊदै कन्हां ल्यूं, थांहरी बहिन मौ-नूं द्यौ तौ। दाहरां सोलं कणी सुणियौ कहाड़ियौ-म्हारा भरतार जेठ इसड़ा नहीं तिया री तूं ले जादै अर उवां-नूं पालि-अर आवै तो आवै। ताहरा सोलं कणै सासरै बांमण मेलिनै कहाड़ियौ-ओ सेपटौ इयै विध आवै छै थे जेठजो इयै रा भल विधि हीडा करेज्य। बांभण जाइ बाल समीर कह्यौ। उवांहो रै साजत हुवै छै।
एक दिन-री समाजोग छै। मेलौ काछी खान जाति चढि-नै खड़ियौ। एकल असवार चढि-नै खडियौ। बालसीसर-रै तलाव जाइ उतिरयौ। आगै एवालिंया आई-नै ऊभा छै। तिका अवलां हिमाइचा भांग रा नांखिया छे। घण्यां तीर मूंकाया छै। मेलौ पूछै छै-कण-रा )ेवड़) कह्यौ हो। मोटा वाकर कोई रजपूत रहै छैक नहीं ? कह्यौ जी।
उगमडै-रै बारत बिरदैत का खेड़ां बाकरा मरै छै, का प्राहुणौ आबै ताहरां मरै छै, बीजूं नहीं मरता छै, बिकात छै नहीं। कह्यौ ठाकुरै ! मो नूीं एक द्यौ तो म्है ई आज थां-सूं बातां करां, बैसां। कह्यौ-जी। लोजै राजि। कह्यौ-यूं ही हूं न ल्यूं, मोल ल्यौ तो ल्यूं। कह्यौ-दोजै, राजि ! नव फदिया पडदड़ी म्हां काढि दिया। उवा कह्यो-बाकरो लाजे, राजि !
ताहरां बडौ जूह बाकरी जोई-नै लियौ। ले नै मारियो, ताहरा हाड काढि-काढि जुदा किया। सुणियौ हुतौ-सिखरै-रै।
कुत्ता दोइ छै सू चौर ढूकण नहीं पावतौ। तै वासतै हांडां-सू ले ने कुरबाण भरियौ। ऊपर कसौ बांधौ बाजरी घाति-नै बाजरियौ कियौ। खलहरियांकह्यो राजि ! जमण तयार हुवै छै। कह्यौ-जी। बैसो आप जीमिया, खिलहरी जै मिया।
उठि हथियार बांधि, घोड़ै-री तंग खांचि खिलहरियां-सूं विदा की। कह्यौ जी। म्हांह रै तौ विकूपुरि जावणौ छै। कह्यौ-पधारौ तौ, बाहुड़ता आवी तौ ईयै तलाव पधारे ज्या।
गाम आई लागौ, ताहरां कुत्ता साम्हा दौड़िया। कुत्तां-नुं हाड नांखियां। कुता तौ हांडै बिलबिया।
आप आघौ चालियौ माथै मैं अफीम रौ पोतौ हुतौ सूं खिर पड़ियौ। कुता मारि अर आधौ घसियौ। आगै जाइ नै देखै तो ऊदौ पौढियौ छै। जाइ नै हथियार बाधर्यां आढ्यां, सेज-बंध बाढिया, अस्त्री-रो चोटी वाढी, तरगस-रा पंखारा वाढिया। वाढि नै पाछो बलियौ।
इतरै रजपूताणी जागी। माथै हाथ लावै तो चोटी नहीं। जागि-अर कह्यौ-चोरासिया, सेपटौ ठाकुर आयौ हुतौ।
इतरै सिखरौ जागियो। उठि नै बरछी हाथ ले-नै घोड़ै आयौ। आलाणै घोड़ै चढियौ। हाथ एक वरछी। सिखरै-रौ घोड़ौ अर ऊदै री घोड़ी बेऊं एक छान मैं बझै। सू उवा घोड़ी री उवा बिछेरी मान इग्यारह री। सू घडोै ही आगै चरै सिखरौ चढि अर नीसरियौ। ताहरां बिछेरी घडोै-रै लार हुयी।

हिवै सिखरी बाहर आयौ। देखौ तौ घोड़ै-रा खुर स मेह बूठौ हतौ सू दीसण लागा. आगै देख तो कूदरा दूनुं बढिया पड़िया छै। कुतरां रै कनारै धवलो सौ देखौ  तौ क्यूं पड़ियो छै जोयौ। देखौ तो अमल रौ पोतौ छै। उठाइ लियौ। धाति घोड़ै-रै पगै पूठै लगाइ फिटौ कियो।
मेलौ कोटण-रै तलाब गयौ। प्रभात हुवौ ताहरां पोतौ संभाजलियौ। देखै तो पोतौ नहीं. थाहरां उतरि घडोै-सूं विछावण लागौ ही थकौ वांस आयौ। आइ-अर जोयौ।
देखै तो कोई सूतो छै. जोयौ-भई ! असवार तौ ओह अर सूतौ क्यूं ? ताहरां ऊतरियो। ऊतरि नेडौ आयौ। आई नै कपड़ौ ताणियौ। ताहरां मेलौ जागियो. कहियौ-ठाकरुरां-री नाम ? कहियौ-मेलौ सेपटौ। ताहरां सिखरो बोलियो मेलाजी ! चोरासी चेडी छै। ठाम-टाम ढोल हुवी छै, ऊदै सरिखा रजपूत छेडडिया छै, अर थे पोढिया छो ! कासूं जाणौ छो ?
ताहारां बोलियौ-ठाकुरां-रौ नां? कह्यो-सिखरौ। मेलौ कहै-सिखरा जो ! हूंतो वाइडियौ छूं. कह्यौ-उठौ ठाकुर ! अमल करौ। कह्यौ-जी ! अमल तो हूं आप-रै पोतै री खाऊं छूं, सू आप-रो पोतै खिरांयां। ताहरां पोतौ काढि हाजिर कियौ। कह्यौ, जी ठाकुरां। औ पोतौ छै-आरौगो। ताहारां सिखरैजी मेलै रै घोड़ै छागल हुतो कियाता आणि-नै मेलै नूं अमल करायौ। ताहरां सिखरै कह्यो मेलाजी ! पोढो ज्यूं हूं ठाकुरां-नूं दाबूं। ताहरां मेलै पोढियौ। सिखरो दुड़ज्ड्यां देण लागौ ज्यूं मेलै-नूं अमल आयौ। घोराणी।
ताहरां सिखरै मेलै नूं जगायौ। क्हयौ जी ! उठौ। ताहरां मेलो जागियौ। सिखरैजी आंख्यां छंटायां। हथियार बधाया कह्यौ-उठौ, मेलाजी। काये भांत युद्ध करिस्यां। ताहरां मेलो बोलियो-घोड़ै ्‌सवार हुइ-नै जुध करिस्यां। कह्यौ-म्हांह रै घोड़ौ अपलाणौ छै, पिण थे कह्यौ तौ भलां, असवार हवौ।
ताहरां मेलौ घोडै असवार हुवौ. घोडी तातौ करि-अर ताजणौ लगायौ मेलौ आदा ही खड़िया ओ जाय। ओ जाय लगाइ फिटा किया। सिखरौ देखतौ रह्यौ। मेलै वांसि सिखरै खड़िया। घोड़ी सिखरै-रौ पुहचै नहीं सिखरै रै घोडै रै लार विछेरी हुती। तिका विछेरी दौड़तो दौड़ती मेलै-रै घोड़ै हूं आगै हुयो। नै वली। अपूठी विछेरी आयी। आइ अर वलै आधी विछेरी जावै, वलै अपूठी आवै। वार दोइ विछेरी इय.े जिनस आयो। ताहरां सिखरै दीठौ-जू घोड़ो पहुंचै नहीं। ताहां सिखरै बिछेरो पकड़ी घोड़ै कन्है आयो। ताहरां सिखरै लटी पकडि-ने चढि गयी ओर बिछेरी दोड़ी। जाइ मेलै-रै घडोै आगै नीसरी। अपूठो बिछेरी फिरी ताहरां सिखरे वरछी साम्है आवतै वाहि।बरछी दुसार हुयी। खिर पड़ियौ। सिखरौ ऊतरियौ।
तितरै वाहर हो आयी। ऊदै-नूंवात कही। ताहारं ऊदै क्हयौ मेलै नूं दाग द्यौ। तारा मेलै नूं दाग दियौ कह्यौ हालौ ताहरां ऊदौ बोलियौ-मेला सारीखा रजपूत सांभलिसी कांसू कोई जाणसोहूं जाई नै मलै-री पाग दे आवीस। ताहारां ऊदौ पाग ले-ने चालियौ। जाइ मल-रै गाम पहुतौ।
आंगै मलै-रौ बेटौ कोटड़ी बैठौ छै।घूघर्यां पलै घालिया छै। रजपूत बैठा छै-अर ऊदो जाइ-नै कोटड़ी रै बारण ऊभौ छै कह्यो-कुण ठाकुर-री कोटड़ी छै ? कह्यौ जी ! मले ैसेपटे री कोटडी छै। कह्यौ-ठाकुरै। आमेलैजी-रो पाग छै, मलौ जी काम आया, सिखरै जी-रै हाथ-रा घाव छै, ठाकुर काम आया छै, सकारिया छै म्हा, आ पाग छै।
ताहरो मैले रौ बेटौ बोलियौ, राजि ! वैर म्हां थां-सूं कोई छै नहीं, वैर सरीखौ हुवौ छै। मलो अन्याईहुतौ। मलै मेलै रौ कियौ पायौ। राजि पधारी, म्हांह रौ वेर कोई छै नहीं।
ताहारां ऊदै कह्यौ-ऐ ठाकुर कुण-कुण छै ? कह्यौ जी ! ओ मेलैजी रौ बेटौ छै, ऐ भाी छै बीजा रजपूत छै। ताहारां ऊदौ कहै-सिखरैजी-री बेटी थांह-रै बैटै-नूं दीनी छै। देव उठियां पछै बांमण मूका छां, पधारिज्यो ज्यूं परणावां।
वैर वाढि-अर ऊदौजी घरै आप-रै आयौ छै। सखरा दिन हुवा ताहरां बांमण मल्हि-नै रै बेटै-नूं तेड़ि-नै परणायो छै। वैर भागो छै।


वात ऊमादे भटियाणी-री

रावल नाम नवैनगर राज कर। ेक दिन-रै समाजोग रावल जामजो सिकार चढिया हुता। धिरतां थकां एक छोकरी कहीं-रो जंगलमांहे पड़ी नजर ायी। ताहरां रावलजी आप-रा माणसां नै फरमायौ-जूइयै छोकर-नूं उठाइ ल्यावौ। तद छोकरी-नूं ले-नै घरा आया।
छोकरी-नूं धाई-रूं दीन्हीं। भली भांति पाली-नांव भरमल दियौ। यूं करतां मोटी हुयी। बेटो-नूं राखोजै त्यूं राखीमरदानै वागै पहरियै पासे रहै। रूप मांहै बोत फूटरी।
जाहरां वरसां दसामाहै दुयीतद ेकै समइयै बारहट आसौ रावल जाम नूं मांगण आयौ हुतौ।घणा दिन राखियौ चारण नूं कोड-पसाव कियो। ताहरां बिदा हुवो। ताहरां आसै पूछियौ-आ दावड़ी कुण छै ? कह्यो-म्हानै सिकार मांहै लाधो हुती पछा आणि पाली; पेटी दाई राखो-हिवै परणाइ देईस।
तदआसै चारण वीनती कीधी-भरमल पाऊं। ताहरां जामजी भरमल आसै-नूं देन्हीं। आसौ घरे ले आयो।
आसै-रै वाधै कोटड़ियै-सूं मेल हुतौ। ताहरां वाधै भरमल री तारीफ सुणी। ताहरां आसै बारहट-नूं वाघैजी कह्यो भरमल मो-नूं दीजै।
आसै घमऔ ही टालौ कियौ। दीठी-वाघै रयां रजपूताण्यां ओल भी देसौ। पण वाघै छाड़ै नहीं। ताहरां आसै भरमल दीन्हीं।
वाधै-रै भरमल-सूं बडो प्रेम हुवो। भरमल आयो पछै और सवै बायरां छोडि दियां. वाधै रै भरमल सूं ही प्यार हुवौ। भरमल नामजाद प्रसिद्ध हुयी।
बाघौजी चाकरी जावतौ सू भरमल नूं कहि जावतौ-हूं तेड़ाऊ ताहरां आवै, तीरां-रो सहिनांण मेल्हीस, तीन भलका मेल्हूं ताहरां इयै सहिनाण आ.े, भींवौ कोड़ियौ मेल्हीस। सू बाघो राव मालदे-नूंओलगतौ। रावजो पण भरमल-री तारोफ सुणो-हगुतो। जाणियौ किण-ही भांति अठै ल्यावां।
ताहरां बाघै रै चाकर भींवो हुतौ तियै-नूं ललचाय-नै रावजी बाघै-सूं छुडाय आप रै चाकर राखियौ।
कितरायेक दिन दरम्या देनै ेक दिन बाघै नूं रावजी कह्यौ बाधा। देखां था रौ तरगस। ताहरां बाधै तरग हाजिर कियौ। रावजी तरगस देखि-ने भलका तीब काढि लिया, बाघै-रै मन-में कांई नहीं, अर रावजी रे मन में खोट।
कितरा हेक दिन गुदस्त करि-नै रावजी भीवै कोड़ियै नूं बोलाय रि कह्यौ-भरमल-नूं ले आव ऐ भलका सहिनाण ले जाह।
ताहरां भींवी भलका ले नै हालियौ। भरमल पासै आयौ। अर कह्यौ-था-न वाघौजी बोलावै छै। तद सहिनाण ले नै वहिल चढि चालै।
रावजो जाणियौ-जी आज आविसी ताहरां वाघै नूं सीख दीवी, अर भीवी भरमल नूं ले अर आयौ। भरमल-नूं हवेलो मांही राखी, आडो किवाड-अर रावजी-नूं खबर देवण-नूं आयौ न बांसै भमर जाणियौ- जू कूड़ कर ले आयौ छै। भरमल-रै तो वाघै-सूं पतिवर्त-पणौ जद, जाणियौ जू कही नीसरूं। ताहरां  छत फाड़ नीसरी। आगै देखै तो भींवै-हीज-री ऊंठ कसणै कियै बैठौ छै। घर सूं नीसर-अर ऊंठ चढि पूछी उवै-हीज राह चाली।
बाघौ अठां-सूंविदा हुवौ हतौ, सू दुराहौ ूपर जावतां चील्हा नजर पड़िया। दत वाघै-रै मन में डमको पड़ियो, ताहरां साथ-नूं कहै छे थे चालो; हूं तो इयां चल्हां-री खबरि ले आयीस। जाणां छां सही भरमल-नूं ले गया।

यूं विचार करतां भरमल ऊंठ मारियै आय नीसरी। वाघै रौ बोल पिछाण आ क्रो-सू बोली-मोनूं तौ सहिनाण देने आवौ अर पछै लोगां-नूं देवौ। ताहरां बाघै कह्यौ-जू दूगी-द-नै लिया, परमेस्वर कियौ तो फेर (याऊ?) ईलग जोधपुर नहीं जावां।
वाघौजी भरमल मिलिया। वाघौ भरमल नूं ले नै घरै आयौ। दत रावजी-नूं भौवै खबर दीन्हा। रावजी री वारी ऊमादे भटियाणी री हुती। महल-री तयारी हुयी हुती जित रै भरमल-री खबर हुयी। तद रावजी भीवै-नूं साथि ले-नै जठै भरमल राखी हुती तठै आया। आय हाक मारी, बोलै कोई नहीं। घर कोल देखै तो भीतर कोई नहीं, तद दिलगीर हुय उठि आया।
ऊमादे-नूं खबर हुयो-जू रावजी भरमल बोलायो छै, तै पासै गया। ताहरां ऊमादेजी भूखण पहरिया हुता सू सारा ही खोलि अर सादा कपड़ा पहरिया, बैठा छै।
तितरै रावजी पाछा आया, ऊमादेजी, नूं बोलायी। तब उमादे कह्यौ-रावजी ! भरमल पासे पधारौ मैं सू कोई काम नहीं, इहां आप माहै रावजी उमादे रोसणौ हुवौ। (अर कोईक यूं पिण कहै छै-सोनगिरां री छोकरी जोधपुर आयी हुती, जोधपरुसू जेसलमेर गयी, जेसलमेर रै रावल आकै बारहट नूं दीधीं।
ऊमादे रावजी रोसणी हुवौ तद ीच राज माहै भल भला आदमी हुता सू मनावण नूं फिरिया। आसौ बारहठ पिण फेरायौ-आसै बारहठ धरणै जोगी कोवी। पण ऊमादै रै एकहीज बात।
ऊमादै-रै पेट-रौ तो छोरू कोई नहीं। तद रा नूुं खोलै लियौ। कितरे कै दिनै रावजो देवलोक हुवा। तद ऊमादे कह्यौ आज अबोलणौ भांजीस। सारा ही आभूखण पहिर-नै तयार हुयी।
इसै समइयै माहै बारहट आसौ आयौ, आसै-नूं ऊमादे कह्यौ-आज रावजी-सूं अ-बलोणौ भांजां छां।
ताहरां आसै ऊमादे-री बहुत कारीफ कीवी। इसै समइयै मांहै राम कह्यौ-हूं जोधपुर जायीस। ऊमादे मनह कियौ मैं तोनूं खोलै कियौ छै सूं राज थारो होज छे, पइम राम रहै नहीं. ताहरां ऊमादै कहै-जू तूं जिकै काम जावै छै, सू थारौ काम परमेश्वर पार घातै।
राम तो चालियौ। ऊमादे जी वांसै सतो हुवा। चढतां इतरौ कह्यौ-जू सारी ही राज कान दै सांभलिया जूऐ दोइ वातां मतां करिया, ऐक तो लांबी रीसणौ कोई मत करौ, अर दूजौ पतारौय छोरू कोई खोलै मतां लेवो।
आ सीख देअर ऊमादेजी सती हुवा राम जोधपुर आय। आगै टीकै तो चदसैण बैठो। राम अबिझरै गयो। सू राम आंबझरै छै।
(अर केईसूं पिण कहै छै जू कसतरू नामै छोकरी थी ते ऊपरी रीसणौ हुवौ।)


वात वींझरै अहीर-री

वींझरौ अहीर सोरठ देस मैं रहे। एक दि रै समाजोग वीझरौ बहिन-रै प्राहुणी थकौ गयौ हतुौ सू कोटड़ी मांहे डेरो दियो। बहिन-सूं मिलयौ। बातां कियां। भगत की। बहिन बोलो-वीरा। घर-रो समाचार एकांत पूछियास्यां, डेरै आइ-नै। सूं बीजै दिन बीझरौ स्नान करतौ हुतो। सू बहिन-री नणद दीठौ। देखत समांन रीझी, मन मांहे जाणियौ-इयै-सूं प्रती कीजै तौ भली यूं करतां राति पड़ी। ताहरां ऊवै अहीरणी कपड़ै-री नीसरणी करि-नै ऊपर-सूं ऊतरी। पछै वींझरौ सूतौ हुतौ तेथ गयो। जाइ-नै दीठौ-जू सूतौ, नींद आयी छै। ताहरां पगै हाथ दियौ। ताहरां जागियौ। दीठौ बहिन कह्यौ हतौ हुं आइस, सू बहिन आयी छे, मो-नूं जागवियो ताहरां कपड़ी मुंहड़ै-सूं दूर करि नै कह्यौ-बाई आयी ? ताहरां ऊवै कह्यो आयो, वीरा !

दूहा
कपड़ी झलो कामिणी, ऊतर आयी अमास।
बाई कहि तूं बोलियौ, नारि गयी नीसास।।
सुकओ वह हुवी सरीर, ायी ऊमाहै थकै।
आढो समद, अहीर ! वयण ज वयरी, वीझरा।।2।।
सांपड़तां ज सरीर, उपराणै मैं ईखियौ।
आई जावो, अहीर ! बुरो ज बोल्यो, वींझरा।।3।।
आयो हुंतो आस, करि हव हुयो निरास।
कहि, किम करि जावो घरै, ऊंचौ हुवौ अयास।।4।।
अवलौ बयण; अहीर ! उछत तै हिज आखियौ।
वकियौ मैं पिम वोर, वात न जाणां, वींझरा।।5।।
हूं आवियूं, अहीर ! अधिके ऊमाहै थके।
विडां न कहिज्यो, वीर ! वीत हमारो वींझरा।।6।।
हूं आवियूं अजाण, पर पहिलूं पूछी नहीं।
पांतरिया परवाण, बन थे हुइज्यौ वींझरा।।7।।
अणजाणियै, अहीर, आवै जो त्यां-री अकल।
बुरौ होइ गयौ वीर, वान विहाणी, वींझरा।।8।।
ताहरां वीझरौ कहे-
म्हे पिण बविल्यां तेथ, दुरजन कोईदेखै नहीं।
मन पछतवाी ऐथ, तन दाझंतै दाझिंसीं।।9।।
अहीरणी कहे-बारणौ तो जडियौ छै हूं उपरां ऊतरी हुती, पछेवड़ी-सूं सहिबै चढि यौ न जावै, हिवै जाणे ज्यूं ऊपरि चाढि, बात म्हारी कही आगै मत कहौ। ताहरां वींझौ कहै-म्हारै कांधै चढि-नै, ताहरां वींझरै कांधै चाढि-नै ऊपरि चाढौ। ऊपरि चढि-नै मालियै मांहो जाइ बैठो। पछै विरह-सूं व्याकलु हुइ गयौ। पछै राति बैठो दूहा कहै-

दूहा
कांधै चाढि कामिणो, झाझो कप्पड़ झाल।
मांहि पहूतो मालिये, विरह हुयो बेहाल।।10।।
घरै न संका धोर, रोरावं रात्यूं दिवस।
सवलो मांहि सरीर, वेदन त्हारी, वींझरां।।11।।
भमर ऋती भमि एह, पाडल पाखतियूं थमूं।
मन रहियूं मूझेह, वास तुम्हीणै, वींझरा।।12।।
भमरां अनै भुयंग, कठ-चंदण जाई लागै।
हूं तुम्हीणै संग, विलंबायी सूं, वींझरा।।13।।
सावा तणी सराहि, वरखा रूति आवै वलै।
सुयणां तणी सराहि, वलै न आवै, वींझरा।।14।।
आघौ आंबां-आंबिली, आवै दाड़िम-दाख।
वरस दिहाड़ै सहि वलै, सयणां वलै न साख।15।।
जासी फूल फिरेह, पिड पिरथी-रा ऊपरा।
सु-सबद तणौ सनेह, वास न जासी वींझरा।।16।।
सज्जम संदैसेह, अम्होणौ आयो नही।
नीली नीसरसेह, वन ही दाधा, वींझरा।।17।।
दूही दुपटी दाम, जडया सो ही जणसी।
व्यावर, तणौ विराम, वांझ न जाणै वीझरा।।18।।
आतां कहै न आव वलतां वलावौ नहीं।
तिण सज्जण घर वांव, वलै न दीजै, वींझरा।।19।।

वात फोफाणंद-री
चारणां-रा गांव छै थलवट मांहे, एक दिन चारण सरस बैठा छै। बैठा वातां करै छै। ताहरां वात चालो-महेवचो मांहै चारण छै, तै-री बेटी पण लियौ छै-जियै रै सावीस भैर्यां-नै वंजण पड़ै तियै चारण-नूं परणीजूं। ताहरां तिया चारणा मांहे ेक चारण बोलियो-हूं परणीजूं उवै-नूं। ताहरां बीजा हंसिया। उवै चारण रो नाम फोफाणंद छै। क्हयौ-जे थे म्हा-री खसमीनौ करौ तो हूं परणीजूं । ताहरां बोलिया क्हूं कर ? कह्यो-गाडा द्यौ, कोस द्यौ, वलद्यौ, पंजाली, वरत अर पाडा-पाड्यां द्यौ; अर आदमी द्यौ तौ हूं ऊवै-नू परणूं। यू करतां फोफाणंद नूं सिगलां ही चारण सामग्री एकठी करि दीन्ही। फोफाणंद-नूं चढण नूं घोड़ौ एक दियौ। आदमी दिया पाडा-पाडी एकठा करि दीन्हा। चारणां रामति की।
चारण चालियौ। हिवै उवै गांव जाई निसरियौ आग गांव मांहे लोक बैठा हुता। ज्यूं गांड़ां मांहे कोस नै पंजाली, वरत, मथाणी, बिलोवण्यां, छाकां गाडा-भरी दीठी। ताहरां लोकोे पूछियौ-भाई कै-रा उचाला ? कह्यौ जी ! फोफाणंद थल-रो चारण छै, सास चारण जावै छै सात वीस भैंस्यां-नै वंजण पडै छै, सूं मांहोर धरती माहै घास थोड़ा, सूं  महेवंची-में घास चरण आया छै, सूं भैंस्या तो चरत्यां-चरत्यां आध्यां वूह्यां, सू म्हे मारग वेहटू हुवा, सूं आधा जास्यां।
तितरै फोफाणंद आयौ। सखरै घोड़ै चढियो सखरौ वागो पहरियो आयौ। चारणां राम-राम कियौ। कह्यो-जी ! उतरौ, ऐ बांधो। ताहरां फोफाणंद कहै-जी ! महारा गोवल आगै वहै सूं पहूंचां।
ताहरां उवा चारणी मोटी हुयी हुती। बाप-नूं कह्यौ-इयै चारण-नूं परणीजीस। साहै-सिकै दीसतौ भलौ, जिकूं आवै सू पेट-में खावै सूं माचअर घोघड़ हुइ रह्यौ हुतौ। ताहरां चारणी दीठौ। कह्यौ-हं इयै नूं परणीजीस।
ताहरां चारण कह्यौ-फोफाणंदजी। परणीजो तो परणावलां ताहरां, कह्यौ-जी ! आज-रौ साही द्यौ तो परणीजां। चारणां कह्यौ-जी ! आज रौ साहौ करिस्यां। ताहरां बामण तेड़ि-नै फोफाणंद नुं परणायौ। फोफामद फेरा ले-नै बोलियौ-जी ! हलाणौ करी। ताहरां चारण बहिल दे-नै बेटी चलायी। फोफाणंद गाडैवालै नूं कह्यौ।
हू घरे जाऊं छुं। थे गाड़ी पाडा लै नै वेगा आब्जयौ। आप वहिल, ले-नै गांव आयौ।
आगै झूपड़ो ेक छै तेथ जाई-नै वहिल छोडौ। लोक गांव रा एकठा हुा-फोफाणंद परणीज आयौ।
आगै चारणो बोली-थांरी घर केथ ? कह्यौ जी ! ओ घर कह्यौ-भैस्यां कठै ? कह्यो-जी ! भैंस क-गांव माहे छै। ताहरां चारणी बोली-ठगी मो-नूं ताहरां वहिल सूं उतरी। ताहरां दूहौ कहै-
गोरी ! तांह न रच्चियै, फोफाणंद फरद्द।
पर-मांगै घोड़ै चढ़े, पर दामड़ै मरद्द।।1।।
घोड़ी घणी ले गया। चारणो झूंपड़ै में पैठी। झूंपडी नीपायौ। रसोई की। जीमिया।
ताहरां चारणी बोली-हुई स देठी पिम ओदूहो लै-नै राव चवड़ै आगै जा, सात-बींस भैेंसा देसी। ताहरां चारण दूहौ ले-नै हालियौ। विचै मारग-में ऐक गांव चारण घरै उतरियो। ताहरां राति जी माडियौ। पूछियाँ-कठै जायोस ? कह्यौ जी ! राव चवड़ै नूं जाचण जायीस। चारणां पूछियौ-कांसू गुण छे ? कह्यौ-जी दूहौ छै। ताहरां उवां दूहौ पूछियौ दूहौ कहै-
घर बसियो घण नेह, चोत न वसियौ, चूंडरा।
रेह सगै तौ रेह, रयणायर रहलूं थियौ।।2।।
ताहरां दूहौ चारण सीखी-नै राव चवडै आगै गयौ। उवै जाई-नै सात-वीस भैस्यां लियां। तितरै ओही आयो। आई-नै राव नूं आससी दीधी। राव बोलियो-चारण। म्हां तो गुण रो दान दियो।
अर सीख-रो तो-नूं देस्यां। कह्यौ-जी ! दूहो म्हा-रौ छै। ताहरां सात-वीस गाडर दियारी। फोफाणंद गाडरां लै-नै आयो। ताहरां चारणी बोली-रै !3गुण चोरायौ। ताहारं वले दूहौ करि दियौ कह्यौ-देखे, केही-नूं दूहौ कहे ना। ताहरां दूहौ सोखि-नै गयो। जाइ राव चंवड़ै नूं आसीस दीन्ही। दूहौ कह्यो-
ऊरण घणा अपरा, सारवियै तौ सहस गुण।
महो न द्यूं मैं मार, चिवयै पाखै, चवंडरा।।3।।
ताहरां सात-वीसां भैसां दियां. भैसां ले-नै घरै आयौ। चारणो सखरा आसार ताया। भैंस्यां व्यांया नै वजण पड़ाया। फोफाणंद-रै आणंद हुवा।

वात प्रतापमल देवड़ै-री

डूम एक सीधकालो राव प्रतापमल सिरोही-रै घणी पासै मांगण गयौ। डूम राब-री मुजरौ करै। डूम सींधलां-रा बखाण करै-रजपूत है तौआज सींधल है। ते सांभलियां-सूं प्रतापमल जो दुख पायो।
डूम सींधल-रो गोठ रा बखाण किया। आप कहियौ-गोठ कहड़ी-सौ क करै? जूम कहियो राज। घणा बांकर मारी जै, घणा घूघर हुवै, घणा अमल हुवै, डूम गावै। आप पूछियो अमल कहड़ा सा हुवै ? कह्यो राज ! भला अमल हुवै। कह्यो गामै रा वीजै गाम जावै ? घरै रा बीजै घरै जाव ? कह्यौ-ना राजा कहियौ-रै ! छोकटै रहिया ? कहियौ-ना राज ! आप कह्यो रे ! के ठाम रहिया ? कहियौ-ना राज ! तौ कह्यौ-रे ! राड़ हुई ? कह्यौ-ना राज, तौ कह्यौ-रे ! गोठ किसी ? बामण जामिया। गोठ सवारे है करिस्यां, तो-नूं जोवाविस्या।
आप रजपूतां-नूं फुरमांयो सवारे गोठ करिस्यां सहू-की रजूपत लाव आया, सींधलां रो डूम आयो है, तिये नूं गोठ दिखावणी है। सवार ही तालव आवणौ है, दिन छै थोड़ो अमल छै घणा, राति थकी तलाव हालणो छ। रैबारियां-नूं भुरमायो पड़गनै महां बाकरा उठाई ल्यावो।
आप तलाव आय उतरिया छै। आप फुरमायी-प्रहगा लिया अमल करी ठाकरे ! अमलां-2 वांटणहारै नूं कह्यौ-सारीखी भांगो करै, अर अमल-सूं माथौ मत को धूणौ, महादेवजी बुरी मानसी।
प्रहगालिया अमल किया। तो हिवै सूरज-वासियो करौ। ताहरां सूरज-वासिया किया। आप पूछियौ-ठाकरै सूर्य वासिया किया ? तो हिव त्रांबा-त्रासिया करौ।ताहरां ताबां त्रासिया किया। आप फुरमायो-खासियौ करौ। तरै खासिय किया। आप फुरमायो-गालिया करो। तर गालियां किया। तरै आप फुरमायो हापला करो। तरै हापला किया। अमलां गह तकसाथ हुयो।
आप कहियौ-रै ! भांगेसरु रो कांई खबर ? तरै कहियौ भांगै सुर तइयार, साहिब ! कहड़ौ काढियो ? अजायब है, साहिब ! घोटू ठाहरै रै ? कहियौ राज ! घोटौ तो न ठाहरैं, सीक अवस्य ठाहरै है। तौ तौ उजाड़ियो रे ! पाणी सूं मत काढो, उलटाय-नै दारू हूं काढौ। ताहरा कसूंभौ तैयार हुयौ। पो चलूल हुया। आप फुरमायौ खाऊका रीकासू खबर ? खावकौ तैयार है, साहिब ! आप फुरमायो पांतिया नाखौ। पांतिया आय बैठा।
एक ठाकुर मैदानां गयौ हुतौ सू पग उजला करण-नूं बीज पहा बैठौ हुतो। जाहरां परीसारा-रौ हुमक कियौ। परीसारौ हुवौ। हुकम हुवौ-ठाकुरै, सहु-को आरोगी। तरै सर्वै ठाकुर आरौगै छै-औ ठाकुर हाथ नीचौ-करै तो बाज नही। तरै औ बोलियौ ठाकुरे ! अजूं बाज ही नहीं आयी छै कांई अरोगां ? तै परिहाल बोलिया राज ! बाज उरै है, ठाकुर पण बिछुलता हुता सू अपूठा फिरिया नहीं। तरै औ ठाकुर बोलियौ-छाना-माना रहिज्यौ, रावजी सांभलसी। अमले लोपिय हां। जितरां सांभलिया-आरोगी तितरा तौ आरोगण लागा। न सुणियो तितरा बेठा-होज रहिया। घणो वरियां हुयो। तरै परीसारा बोलिया-साथ तो आरोगियी है। बोलिया-म्हे तो बैठा ही हां। किहयौ ठाकुर ! हिवै आरोगौ। उवै जोमण लागा।
अतरै मैं कितरा एक ठाकुर बोलिया रावजो आज छाकोटै रहै अहड़ छै। आपे मती करौ तौ घरै जावां इयां कहियो अजायब। ऐ कितरा एक ठाकुर घरे हालिया।
घोडाया लालरता थका. तरै आपस मैं घोडा ओलखै नहीं। ओ कहै थांह रौ ठाकरुे। ओ घोडो है। आप में लालरण लागा छाकिया थका। घोड चढि नै आप-रै गामा नूं गया हुंता सू आप-रै गांवै न गाय, दूसमणा-रे गांव गया। जाई-नै कह्यौ फलसौ उघाड़ो। तर फलसे सरगरा रहै छै,तियां वरधू दियौ गामै माहै रजपूत एकठा हुवा। कहियौ-छाकटो ै भूला आया, गामै भूला आया। छाकोटै भूला फिरै छै। गाम-महां साथ आईतीर-गोली वाह्या ताहरां ऐ चैतिया। गाम तो ऐ भूला आया, दुसमणां-रै गावै आया। राहाड़ हुवौ। कितरा एक ठाकुर बोलिया घाव लागसो ज्यूं-ज्यूं अमल जागसो घाव लागणैद्यौ कितरा एक तो मारिया पड़िया उठै। कै घावै पाडिया के घायल थका घरे गया।

रावजी उठै तलाव हीज हुता। आप कह्यौ एक वार चांदणी रा बिछावणा करौ। चांदणी-रा बिछावण हुवा। आप आय बैठा। आप कह्यौ-रै ! एकर सौं जांगड़िया तेड़ो। जांगड़िया आई हाजिर हूबा। आप क्हयौ जागड़ियां नूं कांई एक गावों। इयां कह्यौ महाराज ! हुमक हुवै तो कांई खारी-मीठी गावां, हुकम हुवै तो परमेश्वर-री जस गावां। आप कह्यौ हिवारूं परमेश्वर  री कांी छै ? जिण बाप मार्यौ तिण रौ कांई जस गांव ? खारी मीठी भावना गावौ। जांगड़िया कह्यौ महाराज एक अरज छै। कहिया अरज आ ही ज डूमां रै पछाड़ी दिरावी, डूमा कहियौ-महाराज ! पछाड़ी तो सदा ही ज पावां छां पणअरज बीजी छै कह्यौ कहौ । कह्यौ महाराज ! तणो आडो दियायीज  ताहरां कह्यौ वाह वहा ! तणी बंधायीजै। तरै तणी बंधायो। जूम गावण लागा।
आप फुरमायौ कोई ठाकुरां। आज अहड़़ौ ई छै जू धरां री खबर हुवैओ। तरै ए कठाकुर बोलियो ने घर सुधा, राज ! हू जाणूं छूं, इणपासै है।  तरै बीजो ठाकुर बोलियौ-राज पांतिराय हो इणगी है। तरै रतोजो ठाकुर बोलियो राज पांतरियां हौ, इणगो नहीं, इणगी है। चोथौ टाकुर बोलियो राजि ! काहू कहो हो ? इणगी नहीं, इणगी हैं, घर तो अठी है ताहरां रावजी बोलिया नान्हा डावड़ा तेड़ौ। ताहरां डावड़ा बोलावि नै कहियौ-म्हारां थे जाणौ घर कठी ? ताहरां इयां किहयौ-म्हे सूधा ले जाविस्यां आप असवार हुवा। गाम तो आया। रावजां-नूं तौ खबास-पासेवण महलां में ले गया। रजपूत हिवै फिरै। केई तो आप रा बेटां-नूं कहै दारिया कपूत अजूं साम्हा नीं आवता, इयूं नही जाणता गोठे गया छै, कुशल तौ न छै। कई आप-रा रजपूतां नूं कहै छै केई खवासां-नूं कहै छै। इय विध मन-मां कहै छै गोठै-माठै गया छै, कुश तो न छै। रजूपत किणो रै अवर रै, घरै जावै तरै घरां-रा धणी कहै-अठै घर छै ? ताहरां कहै बाबा ! खारा मीठा मतां बोलै, अमलां-रा छकाया आवां हा अमल रा लापिया फिरां हा अठै फिरता फिरता घरै तो गया।
रावजी खबर मंगायो रजूपतां री रिड़ियां ! खबर करै ना रजपूतां-री, रजपूत कियूं है। तरै रोड़ौ एकण ठाकुर-रै...आवतौ सुणियो तरै कह्यौ ठाकुर कह्यौ रोड़़ौ आवै है, मो-नूं उठाणौ, बेठी करौ, छोतरा भेवौ। वागो पहिर बेठौ। अमल करणलागा। तरै रोड़ौ आयो। आप कहियौ-आवौ नहीं, रोड़ा ! कहियो रावजी समाधि पूछावै है, कहौ। कहियौ गाढा स-दीरा हां। खावं को फेरे करावियौ है, अमल भेवाड़िया है।
अठै पींचाजी रै आयौ देखै ताौ पीचैजौ धरती मेल्हिया छै। बैररोवै है रजपूत बैठा रोवै है। रांड़ी देखिनै अपूठौ बलियौ। आवै नहीं रीड़ा ! पींचौजी कियूं है ? रीड़ै कहियो-तौ राज हैइ ज ! तो दारिया ढांढा ! कहै नहीं ज्यूं है त्यूं पग चलाबै है, राज ! वले कां है, रे रीड़ा। तौ राज ! मुंहढ़ै फेफडियां आयां है। वले कां है रे ? करै एकै ांखि मिटकाव है। आप कहियौ रिड़िया ! पाहलियां पापड़़ सिकै है रे ? पापड़ सिकै है रे ? पापड़ियां-री तौ नारायणजाण, नासै धूंवै आयै अवस्य माखी मरै है। आप कहियौ-तौ म्हे-ई पण आयसां। देखहां, तरै रावजो पधारियां. आप कहियौ।
पींचाजी ! ओखद-पाणी कोई करणी है नहीं,जोव सोहरौ करिज्यौ, सरग-री वाट होस्यै, जूनै जोगो महादेव-सूं वातां करिहौ, शिव-पुरी माहि रहिहौ, गाढा स-दौरा मरीौ हौ, कोई वाइड़िया न हौ, परमेसर करसी तौ माहरी वाड़ि मांहे थांहरौ छोरू हुसी सू मरिसी, इय भांत जोव सोहरौ करि ज्यौ।
इयूं कहि नै रावजीघरे पधारिया। पींचौजो सरग पधारिया।


वात राजा भोज अर खाफरै चोर-री

राजा भोज धारनगरी राज करै। वड़ौ राजा। चवदै विद्या निधान। सू राजा भोज रै खाफरो चोर चाकर। आगै सहर-में खाफरो चोरी करतो। चोरी ठावी न हुवती। ताहारं राज पड़बो फेरियो-जो चोर म्हा रै मुजरे आवैं तो चोरी-रो तकसीर माफ करूं, सिरकार-रो रोजगार कर देऊं। तद खापरो राजा रै दरबार बड लाजमै पोसाख--सूं जाय मुजरो कियौ। राजा पूछियो -तू कुण छै ? अरज किवी-वौपारी छूं, रामबाजार में दुकान छै, हजार दस वरस दिन में जगात-रा भरूं छूं, राजा फुरमायौ किसै कारज आयो छो सू कहो। ताहरां खाफरै कहो एकायत अरज करीस। ताहरां राजा एकायंत हुवौ. तद राजा पूछी साह ! था-री अरज कहि, खाफरै अरज करी-जीवरो आमां पाऊं, केवल पाऊं तो अरज करूं। राजा फुरमायो-तूं तो वौपारी छै, तै-मै इसी जीव-री किसी तकसीर छै ? कोईजगात-री चोरी, आयी छै तो तकसीर माफ छै, म्हा-रो कवल छै. ताहरां खाफरै कह्यौ हूं चोर छूं, खाफरा म्हा-रो नांव छै, काल पड़वो फिरती ताहरां मैं विचारी मरणो तो एक बार छै, जो राज इ री हार खाधो तो हमै पिम सूं महाराज रै मुजरै आयौ छूं, हमै महाराज-री खुसी आवै सू कीजै। तद राजा बोत मेहरबान हुय, गांव ेक पटैदियो, रुपिया पांच 5 रोजीना कर दिा, अर सहर-रासाहूकारां नै बोलाय राजा फुरमायो इय नै म्हां चाकर राखियौ छै, औ कहै छै मनै साहूकरां कन्हा वरसोद करायदेवो पछै चोरी काई हुवण देऊं नहीं। ताहरां साहूकारां सारां हीं...
(2)
खाफरो राजा-रो मुजरो हमेस करै। राजा-रो बड़ो महरबानगी है। एक दिन राजा फुरमायो-खाफरो ! चोरी करणीसीखाय। ताहरां खाफरै अरजी किवी-महाराज ! थे राजा छो, थां नै इसी वात कासू करणो ? तद राजा गाढ कियो। खाफरै अरज किवी. चोरी तो सीखायीस पण मोरी कांई सीखाऊं नहीं, राजा कौ-भलो वात।
ताहरां रात पोर डोढ लगी। सहर में सोपो पड़ियौ। तद राजा खाफरो दोने तेल लगाय, काछ परह छुराम करम-बंध काली घूघणी ओढ सहर में निसरिया। आगै सहर में अंकै साह रै विहा थो ; तो रै महिना-री तयारा करावै छै,; भठी कढाय कढा, चरू, खुरपा, डहोला सारा बासण आम हाजरकिया; खांड रा कापा भेला कर वेकी कर राखी; मैदो धिरत सारो काड तैयार कर राखियो; टिवचो, गलणी सरब तैयार कर गुमासता च्यार-पांच या तिकां-नै कहौ सारी सरबरा करो छै, हमै हूं जाय सुंवुं छू, झांझरको घड़ी च्यार रो रहै ताहरा जाय कंदोी नै बोलाय, ल्याया, सीरो कराव ज्या, परभात महाजन सुवारा ही जिमावां। गुमासता कहौ-भली वात छै। साह तो सुभ रह्यौ, गुमास्ता पण साल में वड़ सुय रह्या। ऊपरा सी निपट घणओ पड़ै थो। ऊसै वखत में राजा खाफरो उठा जैय निसरिया।
ताहरां राजा कह्यो-खाफरा। भूख लागी छै। ताहरां खाफरै क्हयौ-हुकम करो सूं जिमाऊं। राजा कह्यो-गरम वसत ताजी हुवै तैसूं जोख छै, सोरी अवल हुवै तोजीमज, ऊपर ठंढ छै।
तद खाफरै कही-भली वात साहरै घर में वड़िया। आगै देखै तो भठी खुणी पड़ी छै। थाहरां खाफरै नीचै वासुदेव जगायो, खांड-रा काप मांहे घाथ पाणो घातियौ। दूध चरू-में था सूं घात खांड निखारी, गलणो-में धाती नीचै चरू राख दियो, कुपो खोल गी कढ़ावै-में धातियौ, ऊपरो मैदो धातियो, खुरपै-सूं सैंतल हलावणलगो। ताहरां राजा कह्यो-होलै, रै ! कोई सुणसी। ताहरां खाफरै कह्यो-अबोलो रहो, मुजरो तो चाकर रो देखो।
जितरै गुमास्ता जागिया। तद उवै विचारो-बीजोड़ो कंदोई-नै ले आयो दीसै छै आफै करासी, ऊपर ठंड पड़ै छै, उठीस तो मनै ही ऊभो राखसी। बीजै जाणियो तीजो हुसी। इलविचार सूता रह्या।

जतरै खाफरै सीरो तैयार कर कटोरो भर राजा-नै दियो गरमांगरम आरोगो. राजा कह्यो रे ! था रो भलो हुवै ! हणां कोईघर-रो घणीजागै छै खराबी हुवै छै, राजा ऊभो धूजै छै। डरै छै। इयै कह्यो-थे जीमो, अर हू हमै धन जोऊं छूं. ओरो खोलियो तालै रै हाथ लागायं सू दूर जाय पड़ियो, मांडि बड़ जाय हाथ मारै तो डाब दीय गहणै-रा हाथ आया सूं ले बाहरआयो। गांठ भांध बाहर निसरिया। देहलरो एक सूनो थो जठै जाय बूरियो ऊपर भाठो राखजगले पैसा राजनै मौल मं पो चाय कह्यो हमै हूं घां जाऊं छूं।
खाफरो पाछौ देहरै आयो, खाडो खोल, डबा काढ, दसूरीजायगां बूर, उवा टोड़ ज्यूं-री-ज्यूं कर खाफरो गरां गयौ। घरां जाय लुगाई-ने कहि, पछै जमालगोटा च्यार पांच लेय खाधा।
झोझरकै झाड़लागोसूं मांचे मो-ही-ज मैदानां बैठो,सांखो फाड़ राखियो। लुगाई-नै कह्यो जो राजा रा कोईतेड़ो आवै तो तूं माथो खोल राख अर आ कहे मास तीन हुवा मांचै में पड़िया, साबास छै धणियांनै चाकररी भली खबर लिवी ! सू सारी वातां आपरी लुगाईनै सीखाय खाफरो आंख तिडकाय सूतो।
परभात हुबी। साह जागियो देखो तो सीरो तैयार हुवै छै, आदमी कन्हैकोई नहीं। ताहरां गुमास्तां नै जगाया। कह्‌ोय के कदोई बोलोया ? तर ऊवै कहाो उवै बोलायो हुसो, मनै तो नींद आय गयी। दूसरे नै पूछियो उवै कह्यो मनै खबर न छै, फलाणै बोलायो हुसी। इव सारा गुमास्ता भेला हूवा पण कंदोई कहीं न बोलायो। चाकर सारा भेला किया। उहां पणक्हयो-म्हां नै गम काई हनीं। साह कंदोई ने बोल्यायो। कंदोई कह्यो हूं तो रात्यूं उडीकतो रह्यो पण तेडो कोई आयो नहीं, साह ने फिकर हुवो।
जिनरै साह-री वह्व घर में आयी। उवै आणओरो कही काम खलियो संभालै तो डबो नहीं. देख तो बोजी ही डबो नहीं. तद साह ने बोलायो। साह आयो गोय डबो नहीं साह नै फिकर हुवो। कोटवाल कन्है आदमी गयो। बोलया ल्यायो। कोटवाल पग ढूंढियो। लोग भेला हुवा। साह कह्यो रे ! भाई ! डबां री तो हुयी ज्यूं हुयी पण सीरो कै रांधियो छै, तरी गम हनीं, हमे ईर्य रो कासूं करां ? आदमियां कह्यौ-थांह री दाय आवै सू करो। साह कहै पंचां री जोख छै, जीमणी आवै तो जीमो, नहीं तो ओ परो बूर देवो, बीजो करो।
पंच सारा आया। पाछा हुय रह्या छै। सारा कह्यो राजा कन्है हालो, कहो इव चोरो हुवै छै,महाराज वरदोस कराय दिवी थी। ताहरां सारा भेला हुये राजा री हजूर गया। राजा सूं माल किधो राजा भोतर बोलाय। हकीकत सरब पूछी। साह अरज किवा सीरो कोई कर गयो, तै री गम नहीं, तै-सूं हमै सीर ोजमै कोई हनीं, विसवास आवै छै। ताहरां राजा कह्यो साह ! था-रै इतरा गुमास्ता था; इतार चाकर था वड़ो अँधेर छै, इतरो सीरो कियो तै--री गम पड़ी नहीं. साह क्यो माह रै दिन रा वात हमै घणियां रोवला छै जे ऊपर करो तौ, नहीं तो म्हारा तो पग छूट से। राजा कह्यो थारो माल कितरे रो थो। साह क्हयो छालीस हजार रो गहणों थो, डबा था राजा कह्‌ोय चालीस थी कारखाने सूं काढ़ देवो माल सागो पदास कर देयोस तो मांग लेयोस, अरसीरो मंगाब ज्‌ूं म्है देखां तद गुमास्ता दोड़ता-ही कटरो भर ले आया। राजा सीरौ देख कवो ेक आप मुँह में घातियो कहग्यो आछो छै, जावो सार जीमो। पंच सारा जीमिया।

(4)
राजा  आदमी खाफरै कन्है मेहिल्यौ जाय बोलाव ल्यावा। आदमी खाफरै रै घरां गयो। आग देखो सांस चढ़ रही छै, आंख्या खुल रहा छै, पेट वहै छै, बुरो हवाल हुयो रह्यो छै। आदमी जाय खड़ौ रह्यो। कह्यो महाराज बुलावै छै। जितरै खाफरै-री बहू बौलो चाहीजै महाराज नै, भली खबर ली। आज तीन महीना हुवा मांचे में पड़िया, खरो बे-हाल छ, आज गरज हुयो ताहरां ायद कियां, घणो इसो भोलप राखै, अर जो ऐ पगां ऊभा हुवै तो चोरी हुवै ईसकी रीं मजला छै ? इसी-सीं वातां बीलाय सींख दिवी।
आदमी जाय राजा-सूं सलाम किवी-खाफरै-नै महीना तीन हुवा मांचै में पढ़िया, निराठ बे-चाक छै, अतिसार छै,  निराठ बे-चाक छै, अतिसार छै, बास रह्यौ छै। राजा-इचरज हुवौ बे-चाक पड़िया-नै। तद राजा क्हयौ-फलाणै आदमी-नै बोलाय ल्याव। ऊ आयौ, ताहरां राजा कहौ-काल खाफरै-नै तू बौलाय ल्यायौ थौ, सू आज बे-चाककहै छै, सूं तू जा बोलाय ज्याव। तद ऊ गयौ। ूबै नै आवतौ देख खाफरै-री बहू रोवणलाग गयी। उपणदेखण-नै लाग गयौ। पूछियौं-कासूं सूल छै खाफरै री बहू कहौ महाराज रो भलो चाकर थौ, दाणौ पाणी पोर एक हुयो देह छूट गयी। ऊ पणपाछौ राजा कन्है जायसारी परठ कही ौर कह्यो समाय गयौ। राजा इचरज कुवौ। विसम पणपड़ियो। धौखो पण करणलागौ। ताहरां उवै अरज किवी खाफरै री बहू अरज किवी छै धणियां री वेला छैक्यूं खबर लेसी तौ तेईयै किरिया री सरबरा हुसी। तद राजा रूपिया पांच सव खरच रै पपगा ऊबै रै हांथां मेल्हियां. खह्यो खरच सखरौ करज्यो, फेर खबर लेसां।
अर आदमी एक दूजौ ते-नै राजा कह्यो अमकड़ै देहरै में फलाणीजायगा खाड खुण डाब छै सूं काढ ले आव। आदमी जाय उबा जायगा कोदी, सभालो, डबा कोई नहीं।पाछा आय मालम किवी उठै तो डबा कौई नहीं। राजा वौ'त फिकर करण लागौ।
(5)
इव कररतां संझ्या पड़ी। ताहरां खाफरै लुगाई ने पूछियौ-कांसू खबर छै ? राजा रौ फेर-ही कौई आदमी आयौ थौं ? तब लुगाई कह्यो-राजा तो वाहर पली। तद खाफरै कही-मिस्त्री सेर एक ले आव। मिस्त्री ले सरबत कर पियौ। सिनान किवी चाक हुवौ। पौसाख किवी। रात घडी दौयगया थाली में सेर च्यार वस्त धात, रूमाल-सूं ढक राजा-री हजूर गयौ।जाय मुजरौ कियौ। थाली मुंहडै आग मेल्ही। राजा साम्हौ देख विसै रहौ। पूछियौ राजा-खाफरा ! कठै हुतो ? म्हां तो आज तनै मुवो सुणियौ थौ।तद खाफरै कहो-दुरस महाराज। हूं तो महोना पांच-सूं आज घरां ओयौ छूं, बिराणपुर गयौ थौ तद राजा उवै आदमी ने बोलाय कह्यो-क्यूं हौ फलमाणा तूं कहै थौ नहीं खाफरौ समायौ ? बहु रौवै छै ? क्यूं खरचा री अरज कारायी छै ? ताहरां उवै अरज किवी-महाराज। हूं तो आंख्या देख आयौ थौ। दत खाफरै कही-तो कौई ठग थौ, ठग गयौ हुसी, हूं तो आज पांचमहीना। तीन दिन सूं घरां आयौ छू। राजा इचरज लाग गयौ। राजा विराणपुर-री वतां पूछी घड़ी दोय। फेर राजा कहौ-खाफरा म्हां अर तैं काल रात चौरी अमकड साह-रो किवी तैं इवतरै सीरो कर मनै जिमायौ, डबो आपां अमकड़तेहरै में बूरियौ थौ लाभौ कोई नहीं, था-रै घरां आदमी गयौ, तै कही वेचाक छ महिना तीन हुवा तद इयै-नै मेल्हियौ ताहरां इयै आय कहौ-समाय. गयौ, हमार तूं आयौ सौ कहै छै-मन पांच महिना हुबा, आज आयो छूं आ कासू ?
तद खाफरै अरज किवीं-णहाराज ! कोईठग ठगाई कर गयो; महाराज बड़ा छौ, इव तो विचारों-चौर चौर ी करण जासी फेर आगलै-रै घरमें सीरौ क्यूं कर-करसी, कदाच घर रौ कोई जागै तो सिर बाढै नहीं ? का तौ महाराज सुपनौ लाभी हुसी, का कोई नजर बधी र ठग गयौ हुसी, पणक्यूं, महाराज कन्हा ले गयौ तौ न छै ?
तद राजा कहौ-म्हां तौ क्यूं न दियौ, हेक पाचं सव रूपिया खरच-रा कर हणां मंगया सूं मेलिया। तद खाफरै कहो-महाराज मोटा था, थौडै-ही ज गैल छूटो तद राजा कह्यो आ तो नीवड़ो, हमै साहूकार-रा डबा गया तिकां-ही रौ कोई तलास ? तद खाफरै कहो-आज आय छुं फिरियां तलास लागसो तौ लगायीस। वि कहि मुजरौ कर डेरै गयो।
(6)
दूजै दिन डबाले जाय राजा री नजर किया। राजा कह्यो डबा कठाऊ हाथ आया ? खाफरे कही-महाराज ! रात चौरी-रा सागदड़ था तिके भेला किया सू पग हाथ आयौ। पछै अमकड़ी डूंगरी में जाय लाभा सूं ले आयौ छूं महाराज। वड़वखतो, इव ठगां सूं भौली जौ, कठे धखौ खाय ऊभा रहौ। राजा पण वातां सुण दबकजी गयौ, ुंहडौ उतर गयौ। तद खाफरै सलाम किवी।


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राजस्थान रा सूरमा
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
आप भला तो जगभलो नीतरं भलो न कोय ।

आस रे थांबे आसमान टिक्योडो ।

आपाणो राजस्थान
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साइट रा सर्जन कर्ता:

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