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राजस्थान रा जिला रो नक्शो
(आभार राजस्थान पत्रिका)

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राजस्थान री प्रमुख जनजातियाँ

राजस्थान रे इतिहास मे जनजातियो रो बहोत महत्त्वपूर्ण स्थान है। राजस्थान मे आदिमकाल सु जनजतियो रो मूल निवास रह्यो है। राजस्थान री पवित्र और पुण्य भूमि रा रक्षक आदिवासी लोग ही है। मीणा जनजाति रो इतिहास गौरव गाथा सु भरियोडो है।

करौली रो इतिहास मीणो री गौरव गाथा सु भरिजोडो है। एतिहासिक प्रमाणो रे आधार पर भील लोग ही दक्षिण व दक्षिण - पूर्वी राजस्थान रा मूल निवासी था। भीलो ने पराजित कर ही राजपूत आप रा राज्य स्थापित करिया। बांसवाडा मे बंसिया भील,कुशलगढ मे कुशला भील ,डूँगरपुर मे डूँगरिया भील ,कोटा मे कोटिया भील रो शासन थो।

2001 री जनगणना रे आधार पर राजस्थान मे जनजातियो री जनसंख्या राज्य री कुल जनसंख्या री 12.44 प्रतिशत है,जबकि भारत मे जनसंख्या रो 8.08 प्रतिशत ही है।

राजस्थान मे अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या री दृष्टि सु देश मे छठो स्थान है।
2001 री जनस्ंाख्या रे अनुसार सबसु अधिक जनजातियो रा लोग बाँसवाडा मे जबकि सबसु कम बीकानेर जिले मे निवास करे है।

जनजातियो रो भोगौलिक वितरण

भोगौलिक वितरण री दृष्टि सु राजस्थान मे जनजातियो ने निम्नलिखित तीन क्षेत्रो मे विभाजित करियो गयो है।

  1. पूर्वी एवं दक्षिणी पूर्वी क्षेत्र - इणमे करौली,सवाई माधोपुर,दौसा,अलवर ,भरतपुर ,जयपुर , अजमेर ,भीलवाडा,टोंक कोटा,बारां,बूँदी,झालावाड जिला आवे है।ओ क्षेत्र मीणा जनजाति बाहुल्य क्षेत्र है। इ क्षेत्र मे मुख्य रुप सु भील,मीणा ,सहरिया,और सांसी जनजातियाँ है।इ क्षेत्र री जनजाति जनसंख्या 10.40 प्रतिशत है।
  2. दक्षिणी क्षेत्र - इ क्षेत्र मे बाँसवाडा ,डूँगरपुर,उदयपुर ,सिरोही,राजसमन्द और चित्तौडगढ आदि जिला आवे है। अटे राजस्थान री कुल जनजातियो री 57 प्रतिशत जनसंख्या निवास करे है।ओ भील जनजाति री बहुलता वाळो क्षेत्र है।
  3. उत्तर पश्चिमी क्षेत्र - इरे अन्तर्गत राजस्थान रा सीकर ,झुन्झुनूं ,चुरु,जोधपुर पाली,बीकानेर ,जैसलमेर ,बाडमेर,नागौर,हनुमानगढ़ ,गंगानगर और जालोर,जिला सम्मिलित है। इ तरह पश्चिम राजस्थान रे शुष्क एवं अर्द्धशुष्क प्रदेश रे 12 जिलो मे राजस्थान री लगभग 7.14 प्रतिशत जनजातियाँ निवास करे है।

1) मीणा

मीणा रो मतलब मत्स्य या मछली है। मीणाओ रो उल्लेख मत्स्य पुराण मे मिले है। पौराणिक मान्यताओ रे अनुसार इयाने मत्स्यावतार रो रुप मानिजे है।
राजस्थान मे मीणो रो शासन थो और ए राजस्थान रा मुल निवासी है । मीणा जाति रा दो वर्ग है जमींदार मीणा व चौकीदार मीणा पण दोनु वर्गो मे भेदभाव नही है,दोनो वर्गो मे घनिष्ठ सम्बन्ध है।
आचार्य मुनिमगर सागर द्वारा रचित मीणा पुराण रे एक श्लोक सु मीणा रे 5200 गोत्र होणे री जानकारी मिले है।प्रमुख मीणा जनजाति निम्न लिखित है।

  1. जमींदंरचौकीदार -
    जमींदंार मीणा श्रेष्ठ उत्तम श्रेणी मे आवे है।इयारो प्रमुख व्यवसाय - खेती , पशु पालन ,सरकारी सेवा है।जबकि चौकीदार मीणा राजाओ रे महलो रा कोषागारो आदि रा रक्षक था।वर्तमान मे शिक्षा रे प्रचार प्रसार रे कारण कोई वर्गभेद नही है।
  2. पुराणवासीनयावासी -
    पुराणवासी मीणा प्राचीन समय सु बसियोडा है।जबकि नया वासी बाद मे बसिया है।
  3. पडियारमीणा -
    जनश्रुतियो रे अनुसार ए भैंस (पाडे) रो मांस खावता हा।
  4. रावतमीणा -
    ए मीणा सवर्ण राजपूतो सु सम्बन्धित माना जावे है और अजमेर जिले मे सबसु ज्यादा है।

मीणा जाति मे संयुक्त परिवार री प्रथा प्रचलित है।
मीणा जाति मे पंचायत रे मुखिया ने पटेल केविजे है और पटेल रो पद वंशानुगत है। प्रमुख पटेलो मे मुमचन्द पटेल ,प्रभु पटेल ,सुम्बल पटेल और श्री लाल पटेल आवे है।

(2) भील

आ राजस्थान री दुसरी प्रमुख जनजाति है।
राज्य मे भील उदयपुर (सबसु ज्यादा ) ,बांसवाडा ,डूंगरपुर ,सिरोही और चित्तौडगढ़ जिलो मे निवास करे है।
भील शब्द रो अर्थ है- तीर चलाणे वाळो व्यक्ति कई लोग इयाने वनपुत्र रे नाम सु सम्बोधित करे है। कई पुस्तको मे भीलो रो आदिम मूल निवास मारवाड बतैओ है ।
भीलो मे गांव रे मुखिया ने गमेती केविजे है।गमेती रो पद वंशानुगत होवे है। भील समाज गमेती ने सम्मान देवे है।
भीलो रे घर ने कू केविजे है औैर कई सारा कू मिल र पाल कहलावे है । पाल रो मुखिया पालकी कहलावे है।
भीलो रो मुख्य भोजन मक्के री रोटी और कांदो रो भात है।
भील केसरियानाथ रे चढ़ी केसर पाणी पी कदई झूठ नही बोले।
भील क्षेत्रो मे पहाडी ढ़ालो पर करी जाणे वाळी झूमिंग खेती ने चिमाता और मैदानी भागो मे करी जाणे वाळी खेती ने दजिया केविजे है।
भीलो रे गैर नाच मे स्त्री और आदमी अर्द्ध - वर्ताकार मे एक दुसरे रा हाथ पकड कमर
झुकाता नाचे है।
भीलो म ए होली रे समय रात मे कियो जाणे वाळो नेजा नाच मे एक दुसरे रो हाथ पकड कमर झुकाते हुए नाच करे है।
भीलो मे होली रे समय रात मे करीजणे वाळो नेजा नृत्य मे सेमल या खजूर रे पेड रे ऊपर रे भाग पर सफ़ेद या लाल कपडे मे एक रुपयो और नारियल बांध र लटका देवीजे। इ नृत्य मे पेड रे चारो और लुगाईया छडियाँ ले आदमियो ने आगे आणे सु रोके है।छ ः बार आ प्रक्रिया दोहराई जावे है और सातवीं बार लुगाइया लारे हट जावे है।
भीलो मे गवरी नाच रे पहले दिन मुख्य देवता राई बुडिया ने गाँव रे सम्मानीय लोगो सु पोशाक पहना र नृत्य रो श्री गणेश करिजे है।
डूँगरपुर जिले मे बेणेश्वर और घोटियाँ रा भील मेळा प्रसिद्ध है।भीलो रे वास्ते बेणेश्वर रो मेळो जो कि माघ पूर्णीमा ने सोम ,माही एवं जाखम नदियो रे संगम पर आयोजित होवे है,आदिवासियो रो कुम्भ मानो जावे है।

(3) गरासिया

जनसंख्या री दृष्टि सु आ जनजाति तीसरे स्थान पर आवे है। गरासियाजनजाति चौहाण राजपूतो रा वंशज था।ए मूलत ः बडौदा रे कने चेनपारीज क्षेत्र सु चित्तौड रे निकट आया हा।
राजस्थान मे सर्वाधिक गरासिया जनजाति उदयपुर एवं सिरोही जिलो मे निवास करे है।
गरासियो मे तीन तरह रा ब्याव प्रचलित है- मौर बंधिया ,पहरावना ब्याव और ताणना ब्याव होवे है।

(4) सहरिया

राजस्थान मे सहरिया जनजाति मुख्यत कोटा एवं बारां जिले मे रेवे है। बारां जिले री शाहबाद और किशनगंज तहसीलो मे इयारी संख्या सबसु ज्यादा है।
सहरिया जनजाति रे गाँव शहरोल और इयारा मुखिया कोतवाल कहलावे है।
हाडौती मे भरने वाळो सीताबाडी तेजाजी रो मेळो सहरियाजनजातिरोकुम्भ मानो जावे है।
सहरिया जाति ने भीलो रो ही एक परिवार मानीजे है।

(5) डामोर

डामोर जनजाति डूँगरपुर जिले री सीमलवाडा पंचायत समिति और बांसवाडा जिले मे निवास करे है। डामोर राजस्थान री कुल आदिवासियो रो 0.63 प्रतिशत है।
डामोर जनजाति री जाति पंचायत रे मुखिया ने मुखीकेविजे है।
डामोर जनजाति रे लोगो रे वास्ते छेला बावजी रो मेळो व ग्यारस रो रेवाडी रो मेळो दोनो ही महत्त्वपूर्ण है

(6) कंजर

कंजर एक यायावर प्रकृति री जाति है। जो अपराध वृति रे वास्ते प्रसिद्ध है।कंजर शब्द रो शाब्दिक अर्थ है - जंगलोमेनिवासकरणेवाळा। राजस्थान मे इयारा मुख्य क्षेत्र कोटा ,बारां, बूंदी ,झालावाड ,भीलवाडा,अलवर ,उदयपुर व अजमेर है।
कंजर जाति री सबसु बडी विशेषता इयारी एकता होवे है।
कंजर जाति मे हाकम राजा रा प्याला पी खाई जाणे वाळी कसम रो बहोत महत्त्व होवे है।

(7) सांसी

सांसी जनजाति री उत्पत्ति सांसमल नामक आदमी सु मानी ग़ई है। आ जनजाति भरतपुर जिले मे निवास करे है ।
सांसी जनजाति दो भागो मे विभक्त है जैसे - (1) बीजा (2) माला ।
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