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बभूतौ सिद्ध

लोकदेवता रै रूप में चावा बभूता सिद्ध रौ संबंध ई सरपां सूं है। सरप रै काटियोड़ै रै बभूता सिद्ध रै नाम री तांती बांधीजै, जिणसूं विस रौ प्रभाव हलकौ हुय जावै। किणी रै घर मांय नै सरप निंगै आवै, तौ बभूता सिद्ध रै सुमरण सूं वौ अलोप हुय जावै। सरघा मुजब बोलवा बोलीजै अर प्रसाद चढाईजै, जिण नै 'सिद्धां नै सीरणी चढावणी' कैईजै। बभूता सिद्ध रा थान गाम रै बारै खेज़ड़ै रै हेठै हुवै।
लोक मानता मुजब बभूता सिद्ध 'चारण वाला' (चारणवासी) गाम रा हा, जिकौ बीकानेर री कोलायत तैसील मांयआयौ थकौ है। अऐ सोलंकी राजपूता हा अेक बार जद अै जंगल मांय अेवड़ चरावण नै निकलियोड़ा हा, तद 'पीणौ' सरप इणां नै डस लियौ जिणसूं अै मिरतू नै प्राप्त हुयग्या। मरियां रै बाद अै केई चमत्कार बताया, जिणां में इणां रौ आपरी बैन नै सासरै सूं पीहर पुगावणौ खास है। चमत्कार बतावण रै कारण लोग इणां नै देवता मान'र पूजण लागग्या।
इणां रौ प्राणांत वि.सं. 1808 में हुयौ बतायौ जावै। प्राणांत हुयां सूं पैला वै जिका उद्गार प्रगट करिया, उण सूं ठा पडै़ के वै आ नीं चावता हा के इण बात रौ पतौ उणरी मां इत्याद नै चालै, क्यूंकै वै आपरै घवालां नै दुखी हुवण नीं देवणा चावता हा। वियां, वै मिरतु सूं भयभीत नीं हा, उल्टौ औ तकात कैयौ के अैड़ै सरपां नै म्हैं पगां नीचै किचर दूंला-
इणां ओ विणास सूं नहीं डरूंओ बाबाजी,
नाग परड़ पैणा पगलां रै हेठै
इणां री छावलियां ई मिलै अर सिरलोकां ई। छावलियां ई दो तरै री मिलै। इणरै अलावा अेवड़ रा गवालिया ई इणां रै बाबत अेक गीत गावै, जिण मांय इणां री अकाल मिरतू अर चमत्कारां रौ वरणन है। लोक प्रचलित कीं दूहा ईं सुणण में आवै, जिका इण भांत है-
आठै वरस अठारमै, सुद पख भादवा सात।
पैणौ जद पीनौ प्रतख, गोमै सुत रै गाथ।।
सातम है सिधराज री, रचै चहूं खंड चाव।
अम्मल गलतां आप नै, रंग सोलंकी राव।।
इधक पवाड़ा आप रा, अरजी सुणतां आव।
भुजगां भुजबल भांजणौ, रंग सोलंकी राव।।
इणरै अलावा कवि शंकर रै रचियोड़ौ अेक पुराणौ डिंगल गीत ई देखण में आवै-
सोलंक्यां साख उजाली सूरज, भाखां कीरत भारी।
परड़ा नाग गोयरा पालै, रिछा करै अवतारी।।
गोमा सुतन प्रकट गढ़-कोटां, मोटा भूपत मांनै।
चढै मेवा मिस्टान्न पतासा, सरू चढावै थानै।।
कंपै राव सीस धड़ कंपै, कुलियां नवसर कांपै।
सांभल नाम बभूता सिध रौ, चौर न नैड़ौ चांपै।।
मादल हरो प्रखंडां मालम, कर चारणवालौ चावौ।
सुकवि विनय कंठै कर शंकर, गुणियण सारौ गावौ।।
इणां रौ थान चारण वाला, काला नादी इत्याद में है, जठै आयै बरस भादवै महीनै री चानणी चवदस नै मेलौ लागै। इणां रै दूध, बतासा अर मिसरी चढाईजै। यूं आडै दिन ई जातरू इणां रै थन आवता रैवै। सरप रै काटियां घायल नै इणां रै थन लाय'र ढोल बजावण रै साथै इणां री मनौती मनाईजै अर रातीजगौ देईजै जिण मांय इणां रा सिरलोका गाईजै।
बभूता सिद्ध रै वंश मांय ई पैदा हुयोड़ा नखत बना ई लोक देवता रै रूप में पुजीजै। कैयौ जावै के नखत बना रै रूप मायं बभूता सिदध इज पाछा अवतरिया है। नखथ बना रा परचा ई चावा है। चारणवाला गाम मांय बभूता सिद्ध रै अलावा नखत बना रौ स्थान ई है।

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