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राजस्थान रा जिला रो नक्शो
(आभार राजस्थान पत्रिका)

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बारां जिले रो सामान्य परिचय

सहयोग कर्ता रो नाम अने ठिकाणा
डा. श्रीमति प्रेम जैन
व्याख्याता (हिन्दी विभाग)
कोटा विश्‍वविधालय

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क्षेत्रफ़ल

6995.4 वर्ग किमी

साक्षरता

60.37 प्रतिशत

समुद्र तल सु ऊँचाई

262 मीटर

आदमियो री साक्षरता

76.86 प्रतिशत

बारिश रो औंसत

90-95 सेमी.

लुगाया री साक्षरता

42.18 प्रतिशत

उच्चतम तापक्रम

 

नगरपालिका

4

न्युनतम तापक्रम

 

पंचायत समितियाँ

7

कुल जनसंख्या

10,22,568

गांव पंचायते

215

आदमियो री संख्या

5,35,745

राजस्व गांव

1216

लुगाया री संख्या

4,86,823

तहसील

8

ग्रामीण जनसंख्या

8,49,369

 

 

शहरी जनसंख्या

1,73,199

 

 

 


बारा जिलो राजस्थान का मानचित्र म दक्षिण पूरबी भू-भाग प 24 ं-25 ं सूँ 25 ं-55 ं उत्तरी अक्षांश प अर 76 ं-12 ं सूँ 76 ं-26 ंपूरबी देशान्तर क बीच स्थित छ। जिला का पूरब म मध्यपरदेस का मुरैंणा ,सीपरी व गुना जिला की सीमावाँ,दक्षिण म मदसौंर जिला की सीमावां ,उत्तर पश्चिम म कोटा जिला की सीमावा दक्षिण म झालावाड जिला की सींमावां छुवे छ।

जिलो मुख्यालय बारां 14वी 15वी शताब्दी म सोलंकी राजपूतान के बस मे छा । ऊँ बगत ईके माँय ने 12 गाँव आवे छा।ई वास्ते ईको नाम बारां पडयो। ई के ताई पुराणी वराह नगरी भी केव छ। मार्च 1948 मँ संयुक्त राजस्थान बण्यो छो,ऊँ बगत उदैंपुर संयुक्त राजस्थान की राजधानी अर बारां ऊमे एक जिलो छो। मार्च 1949 न राजस्थान को दुबारा गठन होयां बाद बारां जिला के ताँई तोड र उपखण्ड मँ बदल दियो गयो छो, जद से ई बारां कोटा जिलो को एक बडो कस्बो अर उपखण्ड बण गयो । 10 अप्रेल 1991 न दुबारा बारां के ताई जिला को दर्जो दयो ग्यो।

दर्शनीय स्थल (देखबा जोग ठाम)

बारां सेर की पुराणी बसावट बिचित्र छ। संकरी गळयाँ,उत्तल ,अवतल अर समतल मारग। कीं जमाना म आखी बस्ती परकोटा के भीतर छी जीका अवशेस अर पुराणा दरवाजा आज भी मोजूद छ।सेर के बीच मे स्थित सिरी जी को मंदर छ।ई को निरमाण बूंदी की राज माता रायकुँवर बाई न सवत 1537 म करवायो छो। मंदर के गरभ गिरह म विराजमान श्री कल्याणराजजी की परतिमा क ताँई रणप्त भँवर का किला सूँ लार स्थापित करयो ग्यो छो। इ के पास म ही मेजीद भी छ।
चौंमुखा बाजार मे स्थित सांवला जी को पूराणो मन्दर घणो  कलात्मक छ।यो ऊँची जगती प बण्यो हुवो छ।केवे छ क महाराव सींग न सम्वत 1766 म ई मन्दर को निरमाण करवायो छो। बारां सेर का परमुख मन्दर डोळ तळाब क पास छ जी क ताँई प्यारे रामजी को मन्दर कहयो जावे छ। प्यारे राम जी रामानन्द सम्परदाय का कुल गुरू स्वामी सिरि राम जी का सिस्य छा। वाँ का नाम सू ई मन्दर क ताँई जाण्यो जावे छ। ई क अलावा भूतेस्वर,रघुनाथजी सतनाराणजी का मन्दर परमुख छ। जैंन मन्दरान म 17 वी सताब्दी का जोड का मन्दर अर थोडा औंर मन्दर छ। नगर क पूरब म स्थित दिगम्बर जैंन अतिसय क्ष्त्र न मियाजी सिद्ध क्ष्ेात्र मान्यो जाव छ।हर साल जलझूलणी ग्यारस प बारां म लागबो हाळो डोळ मेळो परसिद्ध छ।

रामगढ  
जिला म स्थित रामगढ का मन्दरा सूँ मल्या सिलालेखा सू तोल पडे छ क रामगढ 10 वी शताब्दी म मलय वरमन अर 13 वी शताब्दी म मेढत राजान क अधीन छा ।ई का बाद रामगढ क्रमसः ,खींच्यां ,गोड बंस ,माळ्वा,के अधिपत्य म रहया। अंत मे या बूँदी का हाडाओवा को वर्चस्वस स्थापित होयो बाद म यो परगणो कोटा का आधिपत्य म चली ग़्यो ।  रामगढ की डूँगरी का घेरा म माळा की तळाई ,पुस्कर सागर,बडो तालाब अर नौंलखो तलाब छ। माळा की तलाई म बारां मीभा पाणी रेवे छ। 5 वो ताळाब रावण जी की तळाई रामगढ गाव सूँ बारे छ रा़मगढ की डूँगरी  ज्वालामूखी के कारणे तस्तरी की बनावट म चारूँ आडी सू गोळाकार छ।

जाँ सरोवर,मन्दर,बाग,क्वा,बावड्याँ ,छतरयाँ,मठ अर समाध्याँ आदि छ। रामगढ म परसिद्ध देवी मन्दर छ ज्याँ ताणि पोंचबा काव्णे झाळा जालमसींग जी न 751 प ग्त्याँ बणवाया छा।

भण्डदेवरा -

रामगढ को पुराणो सैंव परतीक वाममार्गीय कलावान सूँ युक्त शिव मंदर भण्डदेवरा 10 वी सदी मे बण्यो छ जे खजराहो सेली  प आधारित छ। मंदर प उत्कीरण जोडी मूर्त्यान के काण्णे ई ईको नाम भण्डदेवरा पडयो । यो मंदर  रामगढ दवारी क बीच म तलाब क कनारे दो छोटा देवकाण क साथ बण्यो हुओ छ।जे अब पुरातत्व विभाग के अधीन छ।सिवाला कगर म घर मे लाग्यो एक सिल्लालेख के अनुसार सम्वत 1219 म इ मंदर को निरमाण होयो छा। याँ पूरब  म 108 मन्दर आन को झूण्ड छो । इ मन्दर मे 10 बड अर 18 छोटा खंभा प टिक्यो सभा मण्डल अर गुम्बद छ।ये खम्भा भी कलात्मक छ।देवालो पूरब मूखी तोरन द्वारान से युक्त छ। भण्डदेवरा की छत ,खम्बा अर गुमब्द,दिवारा, सभा मण्डप, गरभ गिरह ,परतिमावा, सीढ्या अर परवेशद्वार अर गणेश ,बिस्नु, गज आदि की परतिमा ई को पुराणा होबा को आभास करावे छ।


कपिल धारा -

बारां सूँ 50 किमी. दूर स्थित क पिल धारा का प्राकृ तिक अर सुन्दर ठाम छ।याँ साल भर पाणी भरयो रेव छ ।किल्ला क पास तालाब को होबो भोत प्राकृतिकछ।किल्ला का झरोखा सू नैंणा भावतो दरस दीखे छ।

काकूनी -

बारां जिला म छीपा बडोद, सारथाल मारग प काकूनी को दुर्लभ सिल्प ग्राम छ। परवन नदी के कनारे  पहाडी प पूरब म याँ पेल्या कभी 108 मन्दरान की साकंळ छी अब खाली 15-16 देवालान का ढूंढा छ। अटरू क पास पछाव म ऊँचा टीला प मडगच्छ पुराणा मन्दरान का खण्डर आज भी ऊँच कोटी की सिल्प कला का बखाण करे छ। पूरब म अटलपुरी अर अब अटरू म 14 वी शताब्दी ताणी परमार शासकान के टेम ई को सुबरन जुग छो । यां 13 वी शताब्दी की मूरतीकला का उतकृष्ठ नमुना देखबा म मिले छ। अटरू का राधाकृष्ण मन्दर म सिव,पारवती ,दुरगा,गणेश, राधा अर किसन आदी की 77 मूर्त्या छ।जी की पूजा अरचना आज भी की जावे छ।


सीताबाडी -

बारां जिला मुख्यालय सूँ 45 किमी.दी दूरी प शाबाद सीपरी ग्वालियर मार्ग सूँ केलवाडा कस्बा के पास कुदरती छटा सूँ भरपूर सीताबाडी एक धार्मिक अर रुपाळो ठाम छ।आदिवासी अर वनवासी क्षेत्र म या जगे लोकतीरथ का रूप मे मानता छ । सीताबाडी का बारा मे लोक आसता प्रचलित छ क भगवान राम के छोड्बा के पाछे सीता न आपणो निर्वासन समे याँ बाल्मिकी आसरम मे बितायो छो । लवकुस की जनम ठाम अर राम सेना म वांकी जुद्ध की साकसी  सीताबाडी आपणा कुदरती रुप ,भूमि से कठती जळ की धारा अर घनी अमराइ अर आणदकारी सीतल्ता,सेलेपण के कारणे विख्यात छ। सीताबाडी म सात कुण्ड छ। या का 8 फ़ीट गेरा सूरज कूण्ड मे यदि सूई भी डाळ दी जावे तो वा चमके छ।

लक्ष्मीनाथ मन्दर -

मांगरोल तहसील का गांव का पुराणा लक्ष्मीनाथ मन्दर पुराणा पन की दृष्टि सूँ बेजोड छ।सिखर बंध मन्दर का तोरण द्वार प हाथी बण्या बाग भी देखबा जोग छ।
जामा मजीद-

मुगल सम्राट शाह्जा द्वारा बसाया ग्या साबाद कस्बा म सुन्दर रुपाली जामा मजीद को निरमाण लगभग 400 बरस वेल्या औंरंगजेब ने करवायो छो ।
बरमाणी माता को मन्दर -
जिला का अणता कस्बा म 20 किमी. की दूरी प गांव सोरसण के पास बरमाणी माता को मन्दर छ।चारुमेर ऊँचा परकोटा सूँ घिरयोडा ई मन्दर के ताईँ सेलाश्रय       मन्दरगफ़ा भी केवे छ।सारी दुनिया मं स्यात यो आपनी तरह को अकेलो मन्दर छ।जा देवी की पीठ को सिणगार होवे छ।पीठ की पूजा अरचना की जाव छ।पीठ के ताई ही भोग लगैओ जावे छ। मन्दर की बनावट गजब छ।
मन्दर मे अखण्ड जोत जळ री छ। नवरात्रा का दनान म अखण्ड जोतां जळे छ। जबके आडा दनान म दो अखण्ड जोतां जळे छ । मन्दर परसर म गोड ब्राहमण को सती को चबूतरो अर पुराणो शिव मन्दर भी छ।

बारां का दुरग -

या म सूँ साबाड अर सेरगढ का किल्ला पुरातत्व की होड सूँ घणा महत्व का छ। या के अलावा गूगोर ,नारगढ ,केलवाडा ,रामगढ़  अर कस्बा घाणा का किल्ला  भी देखबा जोग छ।
अटरु खानपुर मारग प बारां सू लमसम 55 किमी. की दूरी प स्थित छ।एतिहासिक नगर सेर गढ जे कदी कोसवर्धन नाम सूँ जाण्यो जाव छो ,नगर के साथई एक छोटी पहाडी प सेरगढ दुरग छ।परवण नदी के किनारे स्थित ई दुरग के ताँई   सेरसाह सूरी न सेरगढ को नाम दयो।या का सोमनाथ महादेव मन्दर ,दुरगा मन्दर अमीर खाँ का मेल,पुराणी बावडी ,मेजीत अर दुसरा राजमेल बणावट का सुन्दर नमूनो छ।

कला औंर संस्कृति

जिला का केलवाडा कस्बा क पास सीताबाडी तीरथ प जेठ मीन्ना की अमावस के दिन एक बडो सीताबाडी को मेळो भरे छ ।या पशु मेळो ब्ही भरे छ।बारां जिला मुख्यालय प भादो सुदी ग़्यारस क दन डोळ ग्यारस को मेळो तलाब के कनारे एक पखवाडा ताणी डोळ मेळो लागे छ। एक दरजन अखाडान म घणा करतब अर मल्ल कुस्ती आद अर शस्तर चलाबा का परदर्शन होवे छ। अणता - बारा गेला म सोरसण गाव क पास बरमानी माईजी को मेळो लागे छ।या पशु मेळा म गधा की भी खूब खरी दारी अर बिकरी होव छ।या ईसाई धर्म मानबा हाला गाव पिपलोद जिला को अकेलो चरच छ जाँ 25 दिसम्बर क दन क्रिसमस मेळो लागे छ।मांगरोळ कसबा के पास गऊ का बसन्त मेळा की भी परसिद्धि छ।ई के अलावा मूसेण माता ,बिसोती माता अर बिछालस माता का मेळा भी सरधा का अस्थान छ।
माई साते क दन जिला का मायता ,सम्बलपुर ,मूण्डली ,बोरदा,चौंकी आद जगान प काळाजी गोराजी  जसा भेरू -जगाँ प भी मेळा लागे छ। तेजा दसमी प जळोदा,मोटपुर को मेळो काती पून्यूँ प नाग़दा,कपिल धारा,उमरदा ,जगन्नाथ पुरा,रामगढ  आद जगा प भी तीरथ मेळा लागे छ।

बारां कस्याँ पूगाँ ?

बारां नगर सडक अर रेल मारग सूँ जूडयो हुवो छ। राज ऊँचा मारग संख्या 17 कोटा-बारां-सीपरी अर राज ऊँचा मारग 19 इन्दर-मांगरोल-बारां-झालावाड ,डग-बारां सेर सूँ होर गुजरे छ।पच्छिम रेलवाई का कोटा -बीना बडी लेण प बारा प्रमुख टेसण छ।सूरू परथम सन 1899 म गुना म.प्र.सूँ बारां ताणी रेलवाई सेवा शुरु होई छी रेलवाई टेसण अर बस स्टेण्ड पास पास ई छ।सेर म आटोरिक्सा व साइकिल रिक्सा की सुब्धा छ।एस.टी.डी. कोड नं.07453 छ।

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