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(आभार राजस्थान पत्रिका)

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जन्म संबंधी रीति - रिवाज

  • पंचमासी - जद गर्भवती महिला रो 5 महिने रो गर्भधारण समय पूरो हो जावे तो गर्भ री सुरक्षा रे वास्ते देवी - देवताओ री पूजा करिजे हैं।
  • सुहावड - परंपरा रे अनुसार प्रसुता स्त्री ने सूँठ अजवाईन ,घी - खांड ने मिला र लाडडू बणा र खिलाविजे ।
  • आगरणी - गर्भधारण रा 8 महीना पूरा होणे पर रे बाद इणरो आयोजन करिजे हैं। आगरणी पर गर्भवती महिला री माता गर्भवती महिला रे वास्ते घाट (ओढ़णी) भेजे हैं ।इणरे साथे मिठाई व घेवर विशेषकर भेजी जे हैं।
  • सुआ - बच्चे रे जन्म रे बाद पूरे घर शुद्धि करी जे हैं।जब तक शुद्धि ना करी जावे बाहर रो कोई भी आदमी घर रो पाणी ना पीवे ।जच्चा रे घर ने सुआ केविजे हैं।
  • आख्या - बहन - बेटियो ने घरे बुला र बच्चे रे जन्म रे आठवे दिन बहनां आख्या करे हैं।औंर साथिया (मांगलिक चिन्ह) भेंट करे हैं।
  • नामकरण - बच्चे रे जन्म रे 10 वे या 11 वे दिन पंडित बच्चे रो नामकरण करे हैं।
  • कुवों पूजण - संतानोत्पति रे कई दिन बाद पाणी री पूजा करणे वास्ते बच्चे री माँ ने लुगाईया ग़ीत गाती हुवी कुएँ पर ले जावे हैं।
  • मुंडन संस्कार - बच्चे रे जन्म रे 5 साल बाद बिरे बालो ने पेली बार काटियो जावे हैं जिके ने मुंडन संस्कार केवीजे हैं।
    ब्याव संबंधी रीति रिवाज
  • सगाई - कोई लडके रे वास्ते लडकी रोकणे री प्रकिया ।
  • पीळी चिट्‌ठी - सगाई रे बाद ब्याव री तारीक तय कर कन्या पक्ष री ओर सु एक कागज मे लिखर एक नारेळ रे साथे वर रे पिता रे पास भिजवाईजे हैं । इने लगन पत्रिका केविजे हैं।
  • टिको - लडकी वाळो रे द्वारा नकद राशि व कपडा आदि लडके रे घरे भिजवाईजे हैं।
  • चिकणी कोथळी - सगाई रे बाद वर ने गणेश चौंथ पर व वधू ने छोटी व बडी तीज पर उपहार भेजिजे हैं।
  • पहरावणी - बारात ने विदा करते समय वर - वधू व हर बाराती ने नकद व वस्तु भंेटकरिजे हैं। इने समठणी ,रंगबरी नामो सु भी जाणो जावे हैं।
  • लग्न पत्रिका - ब्याव री  तारीक सु करीब 1 महीने पेहला लडकी रो पिता लडके रेपिता ने लग्न पत्रिका भेजे हैं जिके मे फ़ेरो रो समय अंकित होवे हैं।
  • कुंकुम पत्रिका - ब्याव वास्ते आ दोनो पक्षो द्वारा छपवाइजे हैं। इरी पेली प्रति गणेश भगवान रे चढ़ाईजे हैं ।
  • पावणा - ब्याव मे आणे वाळे मेहमानो रे वास्ते गाया जाणे वाळा गीत , मेहमानो ने भोजन कराते समय गाया जाणे वाळा गीत सीटणा कहलावे हैं।
  • बना - बनी - राजस्थान मे ब्याव रे अवसर पर लडका व लडकी रे वास्ते गाया जावण वाळा गीत
  • परणेत - ब्याव सु संबंधित गीत ।
  • बत्तीसी नूतणा ( भार नूतणा )- इमे वर व वधू री माताया आपरे पीहर वाळो ने निमंत्रण देणे व पूरे सहयोग री कामना प्राप्त करणे जावे हैं।
  • बरी पडला ( बरी बसाना ) - वर पक्षद्वारा वधू रे वास्ते मेहंदी ,वस्त्र,आभूषण खरीद र लावे हैं।
  • कांकण डोरो -ब्याव रे दो किन पेला वर पक्ष द्वारा मोळी रा दो कंाकण डोरा बणाया जावे हैं।
  • मोड बांधणो -ब्याव रे दिन सुहागिना वर रो उबटन कर सिर पर सेहरो बांधे हैं ।
  • मायरो (भात ) - लडके रे ब्याव रे समय ननिहाल पक्ष द्वारा आपरी आर्थिक क्षमता रे अनुसार धन देवे हैं।
  • तेल चढ़ाणो - बारात आ जाणे पर वधू रे तेल चढ़ाणे री रस्म करिजे हैं । इने आधो ब्याव मानीजे हैं।
  • टूंटिया - बारात रवाना होणे बाद वर पक्ष रे अठे लुगाईयो द्वारा ब्याव रो स्वांग रच र विनोदपूर्ण कार्य करिजे हैं।
  • सामेळा ( मधुपर्क/ठुमावो ) - जद बारात वधू रे अठे पहुचे तो वर पक्ष सु नाई औंर बामण बरात आणे री सूचना वधू पक्ष ने देवे हैं।
  • कुंवर कलेवो- सामेळा रे बाद दूल्हो व बिरा दोस्त तोरण सु पेला वधू रे घरे जावे
  • बधावणो -ब्याव रे अवसर पर वर व वधू पक्ष री ओर सू आणे वाळे संबंधियोने तिलक लगा र सम्मान सु अंदर लावे ।
  • तोरण - वर बरातियो रे साथे वधू रे द्वार पर पहुँच र घोडी पर बेठौं छडी या तलवार सु सात बार तोरण ने छुवे हैं।
  • झाला मिला री आरती - तोरण द्वार पर सास या बुवा सास द्वारा की जाणे वाळी विशेष प्रकार री मांगलिक आरती ।
  • फ़ेरा (सप्तपदी ) - वर वधू रा हाथ मिला र ,अग्नि रे साम ने प्रतिज्ञा कर सात फ़ेरा लेवे हैं।फ़ेरो रे समय कन्या दान भी करिजे हैं।
  • विदाई - वर वधू रे वस्त्रो रे छोर आपस मे बाँध हथेलियो मे चावळ रा दाणा राखे ।विदाई रे समय वधू रे घर री लुग़ाईया विदाई गीत गावे जिकेने कोयलडी गीत भी केविजे हैं।
  • कन्यावळ - ब्याव रे दिन वधू रे माता पिता व भाई बहिन द्वारा कियो जावण वाळो उपवास ।
  • कामण - स्त्रियो द्वारा द्वारा ग़ाया जाणे वाळा रसीला गीत । कामण रो अर्थ जादू टोने सु हैं।
  • गौंनो - वर्तमान मे आ रसम सात फ़ेरो रे बाद पूरी कर दी जावे हैं। इरे अन्तर्गत वधू रे परिवार वाळा आपरी बेटी रे ससुराल वाळी लुगाईयो रे वास्ते कपडा व नकद देवे हैं।
  • बंदोळी - ब्याव रे दिन या एक दिन पेला वर व वधू री थाळ मे दीपक राख र आरती उतारी जावे हैं बियारे मेहंदी लगाविजे हैं।
  • बासी मुजरो ( पेसकारो ) - ब्याव रे दूसरे दिन जठे बरात ठहराई जावे हैं बठे वर दुबारा वधू रे अठे नाश्तो करणे आवे हैं, इ अवसर पर मांगलिक गीत गाविजे हैं।
  • जेवनवार - वधू रे घर पर बरात ने चार जेवनवार (भोज) कराने रो रिवाज हैं।
  • बढ़ार - ब्याव रे दुसरे दिन लडके रे परिवार री तरफ़ सु आयोजित कियो जावण वालो सामुहिक प्रीती भोज ।
  • ननिहारी - पिता द्वारा बेटी ने पेली बार ब्याव रे बाद विदा करा र लाणे रीपरंपरा।
  • रोडी ( घूरा ) पूजन - राती जोगे रे दूसरे दिन बरात रवाना होणे सु पेला लुगाईया वर ने घर रे बार कूडे कचरे री रोडी पूजणे रे वास्ते ले जावे हैं।
  • पडजान - राजपूतो मे बरात रे वधू रे घरे पहूँचणे पर वधू रे भी या संबंधी द्वारा बरात रे आगे आ र स्वागत करे हैं।
  • जुआ - जुई - ब्याव रे दूसरे दिन खाणे रे बाद दोपहर मे एक बर्तन मे पाणी औंर दूध भर वर वधू रे सामने राख र बिण मे पैंसा ,अंगुठी डाल दी जावे हैं।वर वधू मे सु जिके रे हाथ मे अंगुठी आ जावे बो जीत जावे हैं।
  • आनंद ब्याव - सिक्खो रे ब्याव री रीति ।
  • बनौंलो - आमंत्रित करणो । परिवार रा सब लोग बनौंलो देणे वाळे रे अटे खाणो खावे हैं ।
  • मां माटा - ब्याव मे कन्या री सास रे वास्ते भेजी जावण वाळी भंेट जिके मे नगद मिठाई सोने चाँदी री कटोरी भेजी जावे हैं।
  • रियाण - पश्चिमी राजस्थान मे ब्याव रे दूसरे दिन अफ़ीम द्वारा मेहमानो री मान मनवार करिजे हैं।
 
    मृत्यु रा रीति - रिवाज
 
  • बैंकुठी - मरणे वाळे ने शमशान ले जाणे रे वास्ते बाँस या लकडी री तैंयार की गई अर्थी ।
  • बखेर - बैंकुठी ले जाते समय रास्ते मे पैंसा बिखेरना ।
  • दंडोत - बैंकुठी रे आगे मृत व्यक्ति रा पोता व दूसरा नजदीकी रिस्तेदार साष्टांग दंडवत करता हुवा आगे जावे हैं।
  • पिंडदान - शव ने शमसान ले जाते समय पेले चौंराहे पर पिंडदान करीजेे हैं । आटे सु बणीयोडा पिंड गाय ने खिलाविजे हैं।
  • आधेटा (आधो रास्तो ) - शमसान रे नजदीक वाळे चौंराहे पर अर्थी री दिशा बदलणो । बैंकुठी ले जाणे वाळे आदमी निकटतम संबंधी होवे हैं।
  • अंत्येष्टि - शव ने श्मसान मे लकडी सु बणाई चिता पर राखणे रे बाद बिरा पुत्र चिता रे चारो 3 परिक्रमा कर मुखाग्नि देवे हैं।
  • भदर - कोई री मृत्यु हो जाणे री स्थिति मे शोक स्वरुप आपरा बाल,दाढ़ी ,मँूछ आदि कटवा लेणा ।
  • सातरवाडा - दाह संस्कारमे शामिल होणे वाला व्यक्ति कुँए पर स्नान कर मृतक रे घरे जा र सब ने ढ़ांढ्स बँधा वे हैं। इ रस्म रे अनुसार मृत्यु रे बाद 12 दिन तक कोई स्थान पर तापड बिछा र बैंठी जे हैं,।
  • तीयो - मृत्यु रे तीसरे दिन श्मशान मे पाणी सू भरिजोडो घडो औंर पक्कियोडा चावळ राखीजे हैं।
  • फ़ूल एकत्र करना - मृत्यु रे तीसरे दिन मृतक रा परिवारजन श्मशान मे जा र मृतक री दाढ़ ,दाँत व हड्डियाँ चुन र बियाने लाल कपडे मे बंद कर पवित्र गंगा मे विसर्जन वास्ते ले जावे हैं।
  • मृत्यु भोज (मौंसर) - मृत्यु रे 12 वे या 13 वे दिन ब्रांहणोने भोजन करवाईजे हैं।
  • जोसर - व्यक्त्ति द्वारा आपरे जीते - जी मोसर करणो ।
  • रंग बदलणो ज्ञ् कोई रे पिता री मोत होणे पर परिवार रा सब लोग सफ़ेद साफ़ा बांधे औंर 12 वे दिन उत्तराधिकारी रे ससुराल सु गुलाबी रंग रा साफ़ा लाविजे जिका पूरे परिवार मे बाँट देवीजे । बाद मे सफ़ेद साफ़ा उतार गुलाबी साफ़ा बांधीजे हैं इ परम्परा ने रंग बदलनो केविजे हैं।
  • पगडी रो दस्तूर - मृतक रे सबसु बडे बेटे ने उत्तराधिकारी रे रुप मे पगडी बांधीजे हैं।
  • महीने रो घडो - व्यक्ति री मृत्यु रे एक माह बाद कियो जावण वाळो हवन व दान।
  • छमाही - व्यक्ति री मृत्यु रे 6 माह बाद कियो जावण वाळो हवन व दान।
  • बारह माह रो घडो - व्यक्ति री मृत्यु रे 12 माह बाद कियो जावण वाळो हवन व दान।
  • श्राद्ध - भादवे री पूनम व आसोज री कृष्ण पक्ष री प्रतिपदा सु अमावस तक रे समय जिके दिन व्यक्ति री मृत्यु हुई बिण रा संबंधी ,ब्रामण ,गाय,कन्या ,व कौंवा सब ने भोजन कराईजे ।
  • ओख - अगर कोई त्यौंहार पर मृत्यु हो जावे तो पीढ़ी दर पीढ़ी बी त्यौंहार ने मनाविजे कोनी ।
 
    दूसरा रीति रिवाज
 
  • नातो - पति री मोत रे बाद पत्नी रादूसरा ब्याव करणा इमे खाली लडके रे (दूसरे ब्याव वाळे ) परिवार रा 3-4 आदमी लडकी रे घरे आ र बिने लडके रे नाम री ओढ़णी ओढ़ा र गठजोडो कर नातो कर देवे ।
  • जनेऊ - बामण जात मे जद लडके री आयु 8साल हो जावे तो बी ने जनेऊ पेराविजे हैं।
  • डावरिया - लडकी रे ब्याव मे दहेज रे साथे कुंवारी कन्यायां भेजणो ।
  • नांगल -नयो मकान बनवाणे बाद बिरो उदघाटण कर देवी देवताओ री पूजा कर आपरे सगे संबंधियो ने भोजन करवाणो ।
  • पान्या री गोठ - जठे बढ़िया मक्की पैंदा होवे बठे पान्या री गोठ प्रचलित हैं।

 

 
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