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(आभार राजस्थान पत्रिका)

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राजस्थानी लोक गाथा

करी पण करी नीं जांण


एक राजा ने सपनो आयो के उणरा थाल में सोना री वाटकी में परुसियोड़ी खीर में कागलो चांच मार रियो।
दूजै दिन परभात री वेलां,राजा भरिया दरीखाना मेंसुपनो सुणाय इण रो मियानो पूछियो। किणी सूं इण रो अरथ नीं बताणी आयो। राजा दुखी व्हे पूछियों, "म्हारी राजसभा में एड़ो कोई स्याणो आदमी नीं जो एक माड़ासा सपना रो अरथ बताय दे। म्हारी राजा सभा में मूरख ई मूरख ई कांई ?"
जत एक बूढो आदमी हाथ जोड़ बोलियो, "पिरथीनाथ, सपना रो अरथ तो म्हूं समझ गियो पण बतावणी नीं आवे।"
"क्यूं नीं बतावणी आवे, बता।"
"जीभू सूं कैवूं तो म्हारी जीभ कटायदो, आंगली सूं बतावूं तो आंगली कटायदो, आंख री सैण कर समझावूं तो म्हारी आंख फोड़ायदो।"
"नीं थारो सो गुनाह माफ। सपना रो अरथ बता।"
"आपने एकला ने अरज करुला।"
राजा सैंग सभा ने बवड़ाय दीधी। बूढे आदमी अरज करी, "सपना रो यो अरथ है के आपरी एक राणी कोईचाकर सागै चूक री है।"
राणी पूछियो, "कसी राणी ?"
"वो तो आप पैहरो लगाय ठा पाड़लो। जिण रांणी रे म्हेलां में आधी रात रा दीवो वलै उण ने पकड़ो।"
राजा अबै राणिया रा म्हेलां री गिस्त देवा लागियो। आधी राता रा अचांणचका एक रांणी रा म्हेला में दीवो बलियो।
राजा छानो मानो देखवा लागियो. एक पैहराद सूं रांणी बात कर री, आप रा म्हेल में लेगी।
राजा झाल में भरगयिो। दूजै दिस सभा जोड़ न बैठियो। हूकम दीधो।
"फलाणी रांणी ने सभा में लाय ऊभी करो।"
सैग जणां रा कांन ऊभा व्हेगिया। राजा ने कुण मना करे, हाथी ने कुण हड़ेलो दे। रांणी घणी नटा नर्ट, कीधी पण हुकम राजा रो पकड़ाय मंगाई। सभा में रांणी ने लाय ऊभी दीधी।
राजा हुकम दीधो, "आज सूं थूं म्हांरी रांणी नीं। थारे दाय आवे उण रो हाथ पकड़ ले। म्हारी कांनी सूं इजाजत है थनें।"
अबै रांई कांई करै। चित्तराम री व्हियोड़ी बैठी। राजा तणियो बैठियो। रांणी किण रो हाथ पकड़ै। किण नै औलखै नीं। पैहरायती ऊभो रांणी तो ुण रे कनें जाय ऊभी री।
राजा हुकम दीधो, "ले जाव यां दोवां ने। चौरंगिया कर चौवट्टा में बैठाय दो। आता जाता यां पे थूंकेला। या यां रीसजा है।"
चौवट्टा में खलक मुलक आय भेलो व्हियो। राजा कमैतियां नै बैठाय दीधा। मिनख देखवा ने आवे यां सारूं कांी कांई कैवे जो चौपनिया में मांडता जावो। पछै चौपनियां म्हूं बांचूंला।
दोवां ई चौरंगिया कर दीधा। खलक मूलक भेलो व्हेयरियो। मूंडै मूंडै मिनख कोई कांई कैवे कोई कैवे। कामैति चौपनिया में माडता जावै।
परधान रे तीन बेटियां. वां सुणी चौवटा में में तो एड़ीक कौगत व्हेयरी है। मेलो मंडरियो। नगरी रा मिनख उलक रिया तमासो देखवाने। वे वठै गी। आगे दोई चोरंगिया व्हिया पड़िया, लोही सूं लथपथियोड़ा, माक्खा भिणक रहिया, कागला चांच रहिया, मिनख माथै थूंक रहिया। भूंडी दसा व्हेयरी।
परधान री बड़ी बेली बोली, "करमा रा फल है।"
बचेट बोली "करी जेड़ी भरी।"
छोटोड़ी बोली "करी पण करी नीं जांणी, करी ही तो पूरी कर न बतावणी।"
कामैती चौपनियां में मांड लीधी। चौपनियो राजा रे निजर गुजरायो। बांचता बाचतां राजा छोरियां री वातां पै आय अटकियो। कामैत ने बुलाय पूछियो "या वात केवा वालो कुण ?" कामैती हाथ जोड़िया "गुना माफ। परधानजी री छोटी बेटी कहियो।"

राजा दूजै ई दिन परधानजी ने हुकम दीधो "अबार री अबरा थांरी छोटी रो बियाव म्हारे लारे करो। करी पणकर कोनी जांणी देखां वा कांई कर बतावे।"

परधान टाला टोली घणी कीधी पण जोर कांई चाले। राज हठ, पकड़ लीधी जो पकड़ लीधी।
परधान रोवणपतियो घरे गियो. जाय हकीगत सुणाई। छोटी बेटी बोली "फिकर मती करो। कर नीं बतावूं तो तांरी बेटी नीं।"
आला लीला बांस कटाय, फेर फिर गिया। परणतां ई म्हेलां री एक ओवरी में उण ने मूंद दीधी। एक बारी राखी, उण बारी में बांसड़ा रे रोटी पांणी बांध झेलाय दे। परंदो मांयने नीं वलै जेड़ो परबंध। नीचै पेरो बैठाय दीधो।
तीनूं बेरां री तो आपस में सल्ला करियोड़ी। परधान ने कैय एक सुरंग खोदाई। सुरंग उण री ओवरी में जाती काड़ी वा तो बापरे घरे आयगी। बठै एक डावड़ी ने बैठाय दीधी। रोज दोईवेला बासड़ा सूं रोटी पांणी झेलावे जो वा झेल ले, पाछी खाली हांडी बांसड़ा रे बांध दे।
राजा घणां राजी देखां अबै कांई कर बतावे। एड़ी मूंदी है के सात सात भव याद आयगिया व्हेला।
परधान री बेटी तोजोगी रो रुप बणायो। सिद्ध बाबो बण न बैटी गोडा गोडा तांीजटा लटके। सात सात धूणियां तापै। करामात बतावै। दुनिया तो अकल री आंधी, लोभ री बावली, लोगां रा थट्ट लागिया रै। बावोजी राजी व्हे किण ने ई भभूती दे के "धौलस न पीजा जे।" वो पांणी में घोले तो वा भभूती सोना रा दांणा बण जावे लोगां ने तो घणो नेहचो।
वात राजा रा कानां तांईपूगी। परधान ने पूछियो। परधान बोलियो "सुण तो घणा ई रहिया हां। म्हूं ई बाबाजी रा दरसण करवा ने जाऊंला।"
राजा बोलियो "एड़ा सिद्ध पुरख है तो म्हूं ई चालूला। आपां दोई रात में चालां ला।"
दोई रात ने भेख बदल न गिया. जाय डंडोत कीधी। आंखिया मीचिय.ो ई जोगेसर बोलिया "आयुस्मा व्हो राजा।"
राजा ने भरोसो आयगियो बाबाजी है करामाती।
जाती वेला धूणी भभूत री दीधी। "घोल कर पीलेणा। काले संझया रा आंणा।"
राजा घोली तो बाजरी बाजरी जेड़ा सोना रा दांणा।
राजा रो नेहचो बैठ गियो।
"बाबाजी दूजै दिन भगतां ने मनां कर दीधा तीन दिन तांई कोई अठे नीं आवे। कोई आय गियो तो नेस्ट व्हेला।"
"डरपता कोई नीं आया। संझ्या रा राजा आया। हाथ जोड़ बैठिया। जोगेसर एक दो करामात और बताया। राजा ने एक जड़ी दीधी "या जड़ी खाय लै जो कदै ई बूढो नी व्हे। महेसा जुवान रै।"
जड़ी लै राजा घणो हरखियो। झट खाधी। खाय न घरे जावा लागियो जोगेसर तो उठाय चीपियो राजा रा मोरां माथे पांच न छ चीपिया मारिया, "जावे कठै,जड़ी खाणो सोरो नीं है। बैठ अठे, दूजी जड़िया लैन आवूं जतरे बैठियो धूणीि में लकड़िया देतो रै। आज रे तीजै दिन पाछो आऊं दूजी बूंटी ले। उण ने खाया या जड़ु सुफल व्हेला नी तो कालजा रे लायलाय लाग जावेला।"

जोगेसर तो परा गिया। राजा बैठियो धूणी में कठफाड़ा देय रिया। रमा झमां करती, ोसला सिणगार कीधां, थाली लीधा एक लुगाई आई। राजा देखतो रैगियो।
वा बोली, "म्हूं जोगेसरां री चेली हूं, वां थाली भेजी केराजा धूणी पै बैठियो जो जा जमीया आ।"
राजा ने जीमायो। चेली रात ने वठै रैगी। चेली दोई वेला जमीण लाय जीमावे, रात ने वठै ईसोय जावै। राजा मन में जोगी सूं डरपतो जावे पण चेली ने बतलाया बिना नीं रैवणी आवे।
तीजो दि नव्हियो चेली बोल, "आज जोगसीर धूणी पा आया जावेला, रमता जोगी है, रम जावेला। म्हनें थां री सैनांणी देय दो। रा ा रा हाथ रो मूंदड़ो, कांधा रो दुसालो, कम रो कटारो चेली लेय लीधो।" जोगीसरा आया। राजा ने बूंटी दे विदा कीधो। दूजै दिन रमता जोगी रम गिया।
नौ म्हीनां बीतिया म्हेलां रा पैरावाला सुणियो मांयने तो टाबर फलां फरलां रोय रहियो। पैरावालां री छाती धड़कगी। आंपां ने रैपा माथै ऊभा कर राखिया। बांसड़ा रूं रोटी पांणी झेलावां, परन्दो पांखड़ो नीं मारे यो टाबर कठा सूं आय गियौ। डरपतां डरपतां राजा ने अरजकीधी। राजा तो ले नांगी तरवार हाथ में आयो। भीत तोड़ाय मांयने वलियो। परधान री बेटा, आप रा बेटा नेराजा रो दुपट्टो ओढाय राखियो, भड़ै कटार मेल राखियो, टाबर रा हाथ में राजा रो मूंदड़ो घाल राखियो, राजा तो जावतां ई हट्ट कीधी न भट्ट, बहू रे माथे तरवार तांणी।
"बता, बेटो कठा सूं आयो ?"
"जाय न पूछैा बेटो खुद जुबाब देवेला थांने।"
राजा ने आप री नींसाणियां रो धियान ईं नीं आयो।
बेटो कठा सूं बोलतो. राजा तो तांणी तरवार "बता के खोपड़ी खोलूं।"
"हियो फूटगियो है के आंखिया फूटगी ? दीखै कोयनी इण रा बाप रो दुपट्टो ओढ राखियो है। मूंदड़ो फैर राखियो कटरा पड़ियो है कनें।"
राजा धियान कर न देखियो "ये तौ म्हारा है।"
पण रीस में बोलियो "ले आई। व्हेला कठा सूं ई।"
"यां ने तो ले आई व्हूंला पण मोरा में चीपियो मारिया जो तो याद व्हेला।" करणी इण नै कै। "कही जो कर बताई।"
राजा तो लजखांणो पड़ गियो। बेटा ने, बहू ने घरे लैगियो, सुख सूं खाधा पीधा राज कीधा।

पन्ना 8

आगे रा पन्ना - 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10

 

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