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(आभार राजस्थान पत्रिका)

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वीर तेजाजी

 

बिरखा रूत सरू हुवतां ई राजस्थान रै गामां रौ वातावरण 'तैजे' री टेर सूं गूंजण लागै। हरेक करसौ आपरै खेत मांय 'तेजा टेर' रै साथै ई बुवाई सरू करै। जाट जाति में पेैदा हुया तेजाजी गोगाजी री दाई सांपां रै देवता रै रूप में राजस्थान में पूज्या जावै। इण रूप में वां रै पूजीजणा रै लारै अेक घटना रैयी है वां रै ई जीवण री।
राजस्थान रै लोक-देवतावां में तेजाजी री ई ठावी ठौड़ है। इणां री जनम-तिथि रै संबंध में कोई समसामयिक साक्ष्य उपलब्ध नीं है, पण इणां रै वंश रै भाटां री बहियां देखण सूं पतौ चालै के इणां रौ जनम मारवाड़ रै नागौर परगनै रे खड़नाल नाम रै गाम में जाट जाति रै धोल्या गौत्र में वि. सं. 1130 री माघ सुदी 14 नै बिस्पतवार (1074) रे दिन हुयौ हौ। इणां रेै पिता रौ नाम ताहडजी अर माता रौ नाम रामकुंवरी हौ। कैयौ जावै के पेमल इणां री छेहली पत्नी ही अर इणसूं पैली इणां रा पांच व्याव हुय चुक्या हा।
गोगाजी री दाई तेजाजी ई आपरौ जीवण गायां री रक्षा में लगाया दियौ हौ। लोकगीतां सू पतौ चालै के जद अै आपरी पत्नी पेमल नै लेवण सारू पनेर गयोड़ा हा, उणी बगत मेर लोग लाछा गूजरी री गायां चोरनै लेयग्या। गूजरां री प्रार्थना माथै तेजाजी मेरां रौ लारौ कर्यौ अर कठण संघर्षां रे बाद गायां नै छुडावण में सफलता प्राप्त करी। पण इण संघर्ष में अै अणूंता ई घायल हुयग्या, जिणसूं अै जमीन माथै हेठा पड़ग्या अर इणरै बाद सरप रै काटण री वजै सूं इणां रौ देहांत हुयग्यौ। इणां रौ देहांत किशनगढ रै त्हैत आयै सुरसरा गाम में हुयौ हौ। इणां रे लारै इणां री पत्नी सती हुई। तेजाजी रै बारै में भाट भैरू (डेगाणा) री बही मुजब तेजाजी रौ देहांत वि. सं. 1160 री माघ बदी 4 नै हुयौ हौ जद के जनसाधारण में इणां रौ ेहांत दिन भादवा सुदी 1 प्रचलित है।
तेजाजी नै सरप रै काटण रे बाबत केई लोकगाथावां मिलै। अेक गाथा मुजब जद तेजाजी आपरै सासरै जाय रैया हा, तौ रस्तै मेें आं अेक सरप नै बलण सूं बचाय लियौ, पण इणां री इण कोसिस रै दरम्यान उणरी सरपणी बल चुकी ही। सो बचियोड़ौ सरप क्रोध में पागल हुयग्यौ अर तेजाजी नै डसण लाग्यौ। तद तेजाजी उणनै रोकता थकां वचन दियौ के - "सासरै जाय'र म्हैं पाछौ थारै कनै आवूं, तद थूं म्हनै डस लीजै।" सासरै गयां इणां नै अचाणचक गायां छुडावण सारू मेरां रै लारै जावणौ पड्यौ। मेरां रै साथे हुयै संघर्ष में अै अणूंता ई घायल हुयग्या हा, तौ ई आपरै वचन निभावण सारू अै उण सरप कनै पूग्या। तद इणांने देख'र सरप कैयौ के - " थांरौ तो सगलौ सरीर ई घावां सूं भर्यौ पड्यौ है, म्हैं डसूं ई तौ कठै डसूं?" इण बात माथै तेजाजी आपरी जीभ निकाली अर सरप इणां री जीभ नै डस लियौ। दूजै कानी लोकगाथा मुजब तेजाजी जद गायां चरावण नै जाया करता हा, तद अेक गाय अलग हुय'र अेक बिल रै कनै जावती परी ही, जठै अेक सरप निकल'र गाय रौ दूध पीय जावतौ हौ। आ बात ठा पड़ियां तेजाजी सरप नै नित दूध पावण रौ वादौ कर्यौ। पण, किणी वजै सूं अेक दिन अै उणने दूध पावणौ भूलग्या। इण बात माथै सरप रीस में झालौझाल हुय'र इणां नै डसणौ चायौ। तद तेजाजी सासरै जाय'र उठै सूं बावड़ियां खुदौखुद नै डसावण रौ वायदौ कर्यौ। जद तेजाजी सासरै सूं घायल हुयोड़ा आय'र उण जगै पूग्या, तौ सरप तेजाजी रौ सारौ सरीर घायल देख'र जीभ माथै डस लियौ। तीसरी लोकघाथा मुजबमेरां रै साथै हुयै संघर्ष में वै अणूंता ई घायल हुयग्या हा, सो वै उठै ई हेठा पड़ग्या। उण बगत उठै सरप बैठ्यौ हौ जिकौ अजेज तेजाजी री जीभ माथै काट खायौ।

तेजाजी रे कर्यौडै शौर्यपूर्ण कृत्य, त्याग, वचन-पालणा अर गौ-रक्षा ई इणां नै देवत्व प्रदान कर्यौ। सरू में इणांरे मिरतु-स्थल सुरसरा में इणां रौ अेक मिंदर बणवाईज्यौ, जठै अेक पशु मैलौ लाग्या करतौ हौ। पण वि. सं. 1791 परवाणै सन् 1734 ई. में जोधपुर-महाराजा अभयसिंह रै बगत परबतसर रौ हाकिम उठै सूं तेजाजी री मूरती परबतसर लेय आयौ। तद सूं परबतसर तेजाजी रौ खास स्थान बणग्यौ है। परबतसर में भादवा सुदी 5 सूं 15 तांई अेक विसाल पशु-मैलौ लागै, जिणमें बौत ई बडी संख्या में दूर-दूर रै स्थानां रा सैकडूं वौपारी अर दरसणारथी अेकठ हुवै। तेजाजी रा दूजा खास-खास मेला इणां री जनमभूमि खड़नाल, सुरसरा अर ब्यावर में लागै, जठै इणां रा मिंदर बणियोड़ा है। किशनगढ़, बूंदी, अजमेर इत्याद भूतपूर्व रियासतां में ई केई स्थानां माथै तेजाजी रा मिंदर है। वियां राजस्थान रै अमूमन हर गाम में इणां रा देवरा बणियोड़ा है, जिणां सूं इणां री लोकप्रियता आंकी जाय सकै। आं देवरां रै त्हैत तेजाजी री मूरती गाम रै अेकाध चबूतरै माथै प्रतिष्ठित करीजै, जिकी हाथ में तलवार लियोड़ा घोडै़ माथै असवार रै रूप में हुवै जिणां री जीभ नै सांप डसतौ थकौ दिखायोड़ौ हुवै, कनै ई इणां री पत्नी ई ऊभी हुवै।
राजस्थान में भादवा सुदी 10 नै तेजाजी रौ पूजन हुवै। इण दिन धणकारा लोग तेजाजी रौ ब्यावलौ बंचवावै तौ केई इणां री कथा-वाचन रौ आयोजन करवावै। कठै-कठै ई इणां री जीवण-लीला री व्याख्या में ख्याल ई खेल्या जावै, जिणनै देखण सारू ब डी भारी संख्या में गाम रा लोग भेला हुवै। जाटां में तेजाजी रा भगत बेसी है। अमूमन जाट गलै मांय चांदी रौ अेक ताबीज पैर्यां राखै, जिण माथै तेजाजी अश्वारोही (घुड़सवार) जोद्धा रै रूप में हाथ में नागी तरवार लियोड़ा अर अेक सरप उणां री जीभ नै डसतौ थकौ अंकित कर्योड़ौ हुवै।
राजस्थान में अै ई गोगाजी री दाई सरपां रेै देवता रै रूप में पूज्या जावै। राजस्थान री गांवेड़ी जनता रौ अैड़ौ विसवास है के जे सरप रै डस्योड़ै मिनख रै जीवणै पग में तेजाजी री तांती (डोरी) बांध दी जावै, तौ उणने ज्हैर नीं चढ़ै। बाद में, उण मिनख नै तेाजी रै स्थान माथै ले जायौ जावै अर विधिपूर्वक पूजा रै उपरांयत वा तांती काट दी जावै। मिनखां रै अलावा सरपां रै काट्योडै़ पशुवां रै ई आ तांती बांधीजै।
तेजाजी नै लेय'र राजस्थान में अणमाप लोक साहित्य रौ निरमाण हुयौ है। जन साधारण में अर कास करनै करसां में तेजाजी रै साहसिक, दृढप्रतिज्ञ अर सेवाभावी जीवण री गुणावली रै साथै-साथै इणां रै घरू जीवण संबंध घटनावां री गाथा ई हुवै जिकी ठीक करसां रै अनुरूप हुवै। सो असाढ़, सावण अर भादवै रै महीनै में गामां रौ वातावरण तेजाजी रै गीतां सूं गूंजतौ रैवै। हरेक करसौ 'तेजा टेर' रै साथै बुवाई सरू करै, क्यूं कै वौ अैड़ौ करणौ आपरी भावी फसल सारू शुभ समझै। इणरै अलावा उणां रौ जीवण ई तेजाजी रै जीवण रै समान ई है, क्यूं कै ऊणां ने ई वां ई परिस्थितियां सूं सामनौ करणौ पड़ै जिणां सूं तेजाजी ई कर्यौ हौ। सो आं गीतां सूं करसां नै आपरै लौकिक जीवण रे कार्यकलापां मैं बरौबर प्रेरणा मिलती रैवै। लुगायां रै गावण वालै तेजाजी रै गीतां में सूं अेक गीत में तेजाजी सूं कालै नाग रौ ज्हैर उतारण सारू अरज करीजी है। अेक दूजै गीत सूं ठा पड़ै के तेजाजी रै नाम सूं ई ज्हैर शांत हुय जावै। इण भांत आं न्यारै-न्यारै गीतां सूं तेजाजी रै प्रति राजस्थानी लोक हिरदै मांय व्याप्योड़ी श्रद्धा-भावना रौ पतौ पड़ै।

तेजाजी रै चमत्कारां री इधकाई रौ वरणाव अनेकूं लोक गीतां मुजब उल्लेखजोग है। इण गीतां में तेजाजी अर नाग रै बतलावण री छिब देखणजोग-
डोर तौ लागी छै रै, श्री भगवान सूं,
झूठो सब संसार रै, बाबा बासग।
झूठी तौ काया रै, साचौ रामजी,
सत पै सांी खड़ौ छै रै, बाबा बासग।।
तैजाजी रै इण भगती-उद्गारां रौ पडूत्तर
देवता थका नागराज कैवै-
सत पै ही मरेगौ रै, लड़कौ जाट को,
धन-धन थारा सत नै रै, तेजल बेटा।
घनयक तौ छै जी रै थारा ग्यान नै,
घर-घर में पुजावा दूं रै, तेजल थनैं।।
लोक जीवण में अर खास र' कृषक समाज में तेजाजी री अणूंती ई धावना रैयी है खेतां मांय हल चलावतै बगत किरसाण तेजा टेर सूं काम करणौ सरू करै-
कलजुग में तौ दोय फूलड़ा बडा जी,
अेक सूरज दूजौ चांद औ।
वासग रा औ तेजाजी थे बडा जी,
सूरज री करिणां तपै जी,
चंदा री निरमल रात औ।।
इंदर तौ बरसावै जी,
धरती तौ निपजावै धान हौ।
मायड़ जण जलम दीना,
बाप लडाया छै लाड जी।।

 

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