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(आभार राजस्थान पत्रिका)

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चित्तौंडगढ़ जिले रो सामान्य परिचय

सहयोग कर्ता रो नाम अने ठिकाणो
नाम पंकज शर्मा
गांव - ग़रवाला
तहसील - दोग्ंाला
पोस्ट- बिलोदा
जिला - चित्तौंडगढ़
राजस्थान ( 312402 )
मोबाईल न.- 9413046129

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क्षेत्रफ़ल

10,856 वर्गकिमी

साक्षरता

54.37 प्रतिशत

समुद्र तल सु ऊँचाई

1338 फ़ीट

आदमियो री साक्षरता

71.82 प्रतिशत

बारिश रो औंसत

85 से.मी.

लुगाया री साक्षरता

36.45 प्रतिशत

उच्चतम तापक्रम

45 ं से.ग्रे.

नगरपालिका

7

न्युनतम तापक्रम

1 ं से.ग्रे.

पंचायत समितियाँ

14

कुल जनसंख्या

18,02,656

गांव पंचायते

391

आदमियो री संख्या

9,17,023

राजस्व गांव

2379

लुगाया री संख्या

8,85,633

तहसील

13

ग्रामीण जनसंख्या

15.14 लाख

 

 

शहरी जनसंख्या

2.89 लाख

 

 


इतिहासकार बतावे हैं कि चित्तौंडगढ़ रो किलो वणावारो श्रेय मोर्य राजा चित्रागंद ने हैं। अणी नगर रो पुराणो नाम चित्रकुट हो जिण री साख अठारा सिक्का रा लिख्योडो चित्रकुट हैं। अण्डो अपभ्रंस रुप चित्तौंडगढ़ पडयो हैं।इतिहासकारा रे मुजब सन 128 ई. मे बापा रावल मोर्य वंश रा शासन करवा वाला राजावां रे पास सूं लेर राजपूताना ( चित्तौंड ) मे गुहिल वंश री स्थाना किदी।मेवाड रे गुहिल (गुरुदत्त) रे नाम पाछे बापारावल रो नाम जग प्रसिद्ध मानो जावे हैं।
चित्तौंडगढ़ री एक ओलखाण

घणाघणादेशमां ,पणएकहीसिरमोर।
इणधरतीपरवन्योडोएकलगढ़चित्तौंड।।

चित्तौंड रा गढ़ पर कण क ण रण बांका रा रक्ता सूं रंग्योडो हैं।मातृ भूमि री रक्षा रा खातर अण गणत रण बांकुरा रज होकर रज मे मलग्या व अण गणत विरांगना जीवता तका ही अगन मे प्रवेश कर सरंगा चढ़ग़ी रा़णी पदमनी रो जोहर ,राणा सांगा रो पराक्रम ,गौंरा बादल री बलिदान री गाथा अटा रा कण कण सूं भाषरित वेती सुणाय पडे हैं। अणी दुर्ग रा कोटा परकोटा बुर्झ देखता ही एक दाण सोचवा रो क्षण आवे की यो तो किण देवता रो वणायो तको हैं। अणी दुर्ग पर जावा रा मार्ग मां दरवाजा वन्योडा हैं। जठे ठोर ठोर काम आया वीरा रा स्मारक वन्योडा हैं।यो दुर्ग समुद्रतल सूं 1810 फ़ूट उंचो उंचो पठार पर वन्योडो हैं। इणरी लम्बाई 5.6 किलो मीटर औंर चौंडाई 0.8 किलोमीटर व क्षेत्रफ़ल 28 वर्गकिलो मीटर हैं।

 

दर्शनीय स्थल :

श्रंृगार चवरी
चित्तौंड दुर्ग माथे बनबीर भीत सागे राजपूत औंर जैंन मन्दर री भाटा री खुदाई (शैंल कला ) देखण जोग हैं।इणे श्रंृगार चवरी रा नाम सू जाणे हैं।वटे 4 थाम्बा माथे एक रुपाली छतरी वण्योडी हैं। अस्यो माने हैं के महाराणा कुम्भा री राज कंवरी रो ब्याव अणीज ठोर व्यो हैं।

कुम्भा महल
बनवीर री भीत्ंा रे लंकाऊ मे रजपूती ढ्ंग सू वन्योडो कुम्भा रो जूनो महल टूटयो पडयो हैं। यो महल भारत रा कारीगरा री कारीगरी रो घणो बडिया नमूनो हैं । अणी महल ने पाछो बणावा रो काम महाराणा कुम्भा करयो हैं।जणी सूं वणी रो नाम कुम्भा महल पडियो हो । महल रे सागे ही वन्योडा दीवाने आम ,सूरज गोखडा जनाना महल कंवर पदा रा महल देखण योग हैं।

फ़तह प्रकाश
कुम्भा
महल सूं बाने निकलते ही महाराणा फ़तेहसिंह रो वन्योडो फ़तह प्रकाश महल नजर आवे हैं। अणी महल मे एक संग्रहालय री स्थापना करियोडी हैं।जणी मे पाथर जुग अस्त्र शस्त्र ,मुर्तिया ,जुना चित्राम इतिहास व लोग संस्कृति री सामग्री देखण जोग हैं।


सातबीस देवरी
फ़तह प्रकाश महल रे आथवणा गेला माथेग्यारवी सताब्दी मे वन्योडा वाणीयां (जैंन) रा मन्दर वन्योडा हैं। वणा मे सतईस देवरीया वेवा रे कारण वणाने सतबीस देवरी केवे हैं।मन्दर रा मेरला ठोर री छत रा थम्बा माऊंट आबू माथे वन्योडा जैंन मन्दिर जस्याईज वन्योडा हैं।

कुम्भा श्याम मन्दिर
सतबीस देवरी सूं आथवणो व थोडोक लंकाउ गेला माथे भगवान विष्णु रा वराह अवतार अर कुम्भ श्याम रो ऊंचो मन्दर ने भी राणा कुम्भा सन 1449 ई. मे वणायो हैं।वराह मन्दिर रे सागे एक ऊंची छतरी मे गरुड री मूर्ति वन्योडी हैं।आकाश पूगता मन्दर इण्डो आर्यन स्थापत्य कला रो रूपालो नमूनो हैं।

मीरा
मन्दिर
कुम्भ श्याम मन्दर से सागे ही मीरा मन्दर वन्योडो हैं।मीरा रे नीज मन्दिर मे मुरली वजातो कानुडो अर भक्ति भाव रा समन्दर मे डुबी मीरा रो चित्राम सागे ही मीरा रा गुरो रेदास री छतरी वन्योडी हैं। भक्ता री सिरमौंर मीरा बाई रो जनम 1503 ई. मे राव दूधा रे घरा मेडता व्यो हैं।

विजय स्तंभ
स्तंभ स्थापत्य कला रो अणुतो स्मारक हैं।देश विदेश रा सैंलानी इने देख्या वगर नी जावे हैं।122 फ़ूट व 9 मंजिल ऊंचो विजय स्तंभ आपणा देश री बारिक अर रुपाली कारीगरी रो अणुतो नमूनो हैं। अणी रे उपर जावा सारु 157 पंगत्या वन्योडी हैं। अणी ने वणावां रो काम भी महाराणा कुम्भा इज किदो हो । अणी रे बारला व मेरला भाग मे आपणा देवी देवता अर्द्धनारीश्वर सृष्टी रा पालण हार लक्ष्मीणारायण धरती आकास अर आखी
सृष्टी ने वणावा वाला ब्रह्मा, सत परे अटल सावित्री , हरिहर अर रामायण ओर महाभारत रा सेकडो पात्रा री मूर्तिया वन्योडी हैं ।

समिद्देश्वर महादेव
विजय सतम्भ रे सागे हीसमिद्देश्वर महादेव रो जूनो मन्दिर वन्योडो हैं।जीण ने मालवा रा परमार राजा भोज वणवायो हैं केवे हैं। इण मन्दर ने त्रिभुवन नारायण अर भोज जगती रा नाम सूं भी जाणे हैं । निज मन्दर रा मायने शिवलिंग अर अणीरी पाछली दिवार मायने शिवजी री मोटी त्रिशुल वन्योडी हैं।

गौंमुखकुण्ड
समिद्देश्वर महादेव मन्दर से सागे ही ग़ौं मुख रो पवितर थानक हैं।जणीमे तीन ठोर भाटा सू शिवलिंग माथे बराबर पाणी पडतो रेवे हैं।यो पाणी गौंमुख कुण्ड मायने भेलो वेवे हैं।

कालिका माता मन्दिर
इण मन्दर ने मेवाड रा नामी गुहिल वंश रा राजावां आठवी नवी शताब्दी मे वणायो हैं।पेला अणी मन्दर ने सूर्य मन्दर रा नाम सूं जाणता हां।पर मुसलमाना सूं जगडा रा टेम सूरज री मूर्ति तोड र मां कालका री स्थापना कर दीदी ।महाराणा सज्जन सिंह जी इण मन्दर ने पाछो वणायो हो ऩोरता रे टेम अठे जंगी मेलो भरियो जावे हैं।मन्दर रे सागे आथवणी दशा मे नौं गजा पीर रो थानक हैं । अणी णे णौं गज लम्बा भाटा सू बणावण सारु ही नौं गज पीर केवे हैं।

पदमनी महल
दुर्ग रे लंकाउ दशा मे एक पाणी रो ताळाब नजर आवे हैं।जणी रे सागे ही जोहर व्रत ढ़ाणवा वाली राणी पदमणी रो चौंखो महल वन्योडो हैं। इण महल रे एक भाग मे मोटा मोटा कांच लाग्योडा हैं।जिण मे पाणी रे बीच मे वन्योडा महल मे उबा रयोडा आदमी री परछाई सागे ही नजर आवे हैं। इतिहास कारां से मुजब अणीज ठोर सू अल्लाउद्दीन खिलजी राणी पदमणी ने कांच मे देख कर वणी रा रुपाला पणा माथे रीझग्यो हो ऽर वणी ने चावण री ब्हावना सू पगलाग्यो हौं।

कीर्ति स्तंभ
दूर्ग रे सूरज पोल जावा वाला गेला माथे वाणीया रो कीर्ति स्तंभ वन्योडो हैं । अणीरी ऊच्ई  ग़ज हैं ।इण स्त्भ ने बारवी शताब्दी वाणीया रा दिगम्बर पंथ रा वाणीया बगेरवाल सनाथ रा बेटा जीजा वणायो हो।

सांवलिया जी मन्दिर
यो मन्दिर चित्तौंड सू लंकाऊ  मे उदयपुर रा गेला माथे 40 किलो मीटर दूरी पे हैं। अठे कृष्ण म मे रोजाना हजारो श्रृद्धालु दर्शन करवाने आवे हैं।
अणी रे अलावा जुदा जुदा ख्यात स्थान मेनाल रो झरनो (बेगूं ) सावा रो ख्वाजा बाग , बाडोली रो मन्दिर (रावतभाटा) रानीमहाराज (कपासन),दरगाह दीवान शाह (कपासन) , मात्रृ कुण्डीया (कपासन ) भवर माता (छोटी सादडी) , गोतमेश्‍वर (कपासन) आवरी माता (भदेसर) झांतल माता (चित्तौंड),जोगणीया माताजी (बेगू), एलवा माता (डूंगला),आदी देखवा लायक स्थान हैं।

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