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राजस्थानी आड्‌यां (पहेलियां)


राजस्थानी लोक साहित्य री लूंठी परम्परा : आड्‌यां

संदर्भ- कानिया मानिया कुर्र, जुलाई-सितम्बर 2005,
हनुमानगढ़ जंकशन, अंक-4, पेज- 1
संकलनकर्त्ता - दीनदयाल शर्मा

 

जिया इलेक्ट्रोनिक मीडिया ह्ावी होवण लागर्‌यो है बियां -बियां गांव अर शहरा में घणकारी सी लोकपरम्परा खत्म होवण लागरी है। मायड भाषा राजस्थानी में आडी जिसै लोक साहित्य री परम्परा तो जाणै लुप्त ही होयगी है।

आड्‌यां खाली मनोरंजन रो साधन कोनी हो। आड्‌यां रै भानै गावां री गुवाड अर चौपाळा माथै हथायां हौवती। इण सूं टाबरां री मानसिक योग्यता, सृजनात्मक रूचि, मेळजोळ अर स्नेह भाव बढतौ।

इण अंक री आड्‌यां रो सगळौ श्रैय परलीकै ग़ांव रा साहित्यकार भाई श्री सत्यनारायण सोनी ने दियौ जा सकै। जिका गांव रा भाई-बंधु श्री कुलछत्र बेनीवाल, प्रतापजी, जितेन्द्र, मदनलाल बेनीवाल, लीलाधर अर इन्द्रचंद रै साथै-साथै आपरी जोडयात श्रीमती सावित्री सोनी सूं बात कर र मन्नै फोन माथै अै आड्‌यां लिखवाई। श्री सोनी रो म्हूं घणौ-घणौ आभार प्रकट करूं।

1. सावण में सुंसाट करै,
पगां चलावै कार
इ आडी रो अरथ बताद्‌यो,
रिपिया द्‌यूं हजार

2. छोटी सी पिदकी
पिद-पिद करती,
सारै दिन चरती
लेडा नहीं करती ।

3. भूरती भैस टिब्बे पर बयाई
सो सिंगांळी पाडी ल्याई
जामतांई मारण नै आई।

4. अेक सींग गी गा
घालै बीतौ खा।

5. हरी घणी लाम्बी घणी
सुअै जिस्यौ रंग,
ग्यारह देवर छोडनै,
चाली जेठ रे संग

6. धोळी घोडी झबरौ पूंछ
नीं आवै तो बापू नै पूछ।

7. रूघो चालै रग-मग
तीन माथा दस पग

8. हरी टोपी लाल दुशाला,
पेट में मोत्या री माळा।

9. धोळौ-धोळौ धपलौ
मूळी ग़ो सो कपलो।

10. आडूंक आडूं
गोडै सूदौ गाडूं।

11. आडी चालूं टेडी चालूं
चालूं कमर कस
ई आडी ऱौ अरथ बतादयौ
रिपिया देस्यूं दस।

12. आंको-बांको आंटियो,
आंको म्हांको नाम,
ई आडी गो अरथ बताद्तौ,
नीं तो छोडो गाम।

कीं आड्‌यां दूजी तरियां री है। इणां सू टाबरा रौ जठै मानसिक विकास होंवतो बठैई बै कविता री परम्परा नै भी आगै बंधावता हां।

13. सोनै गी कढावणी घडद्‌यौ...
सासू-भू कमावणी
सोनै गी घडी कढावणि।

14. भोजासर रै कुअै ऊपर सूं कोई मतीरो कुदाद्‌यौै...
आकां रै लाग्या अकडोडिया
फोगां रै लाग्यौ जीरो
भोजासर रै कुअै ऊपर कूदग्यौ मतीरो।

15. कुअै में सूं मोबी बकरो काडदयौै...
थाळी भरी मोतियां, कोठो भरयौ सिंदूर
निकळ म्हारा मोबी बकरा, अेवड निसरयौ दूर

16. कोठी नै परलै बास पुगादयौ
हाथ में पुराणी पग में रास
चाल म्हारी कोठी परले बास

17. अम्बर सूं गाडौ रूडादयौै...
भूरती भैस भराडा पाडा
अम्बर परिया रूडग्या गाडा।

18. हाथी सूं लादौ मंगादयौ ...
छिणमिण छिणमिण छांट पडै
गोडै सूदौ कादौ
तावडियै री चूंचाड में
हाथी ल्यावै लादौ।

19. सुसियै ने राख में लिटाद्‌यौ...
आधी रोटी काख में
सुसियौ लिटयौ राख में

20. कुअै पर जान जिमाद्‌यौ...
म्हारै कान थारै कान
कुअै ऊपर जिमै जान

21. भूरती भैंस दुहद्‌यौ...
अगड लडै दो बगड लडै
पेडै चढता सर्प लडै
सर्पा रै मुंह में सुई
अर भूरती भैंस दुई।

22. बागड री रेल मगाद्‌यौ ...
अगड लडै दो बगड लडै
पेडै चढता सर्प लडै
सर्पा रै मुंह में सुई
अर भूरती भैंस दुई।
दुहतां-दुहतां आया झाग
बै दिखै बाळू रा बाग
बागां में अेरौ-घेरौ
अर बौ दिखै डाकण रो डेरौ
डाकण रै डेरै में करुओ तेल
बा आई बागड गी रेल।

23. हाथी गो पोड पीळौ करद्‌यौ...
बाटकियै में सीरौ
हाथी गो पोड पीळौ।


उत्तर : 1. भूंडियो 2. दांती 3. भरूंट 4. चाकी 5. सांगरी 6. मूळी 7. दो बादळां लारै किसान 8. लाल मिर्च 9. चांदी आळौ रिपियो 10. खूंटो 11. भुवारी 12. बेरडी रो बांकियो कांटो।


 

संदर्भ- कानिया मानिया कुर्र, हनुमानगढ जंक्शन 2,
जुलाई-सितम्बर, 2005 पेज-2
प्रस्तुति- छगनलाल (लाली) परलीका

 

 

1. सासू गी तो सासू, सुसरै गी माता
सागी खसम री दादी, अैई म्हारा नाता।

2. छाती तो खाती घडी, पेट घडयो सुनार
सिर तो कुम्हार घडयो, टोपी घडी लुहार।

3. साळै गौ साळौ, बींगौ डावौ कान काळौ
बींगै भाणजै री भुआ, तैरै के लागी?

4. गोगो बैठयौ उरलै बास,
पग पसारया परलै बास।

5. आडयौ रे आडयौ,
गोडै सुदौ गाडयौ
चोटी पकडग़े काडयौ।

1. सूकी नैर में मंगलियौ तिरायदौ...
पिण्डी पाटी लोही झरै
सूकी नैर में मंगलियौ तिरै

2. बिल्ली नै बूंटियौ परादयौ...
चूल्है लारै चूंटीयौ
बिल्ली पैरै बूंटीयौ

3. तारा ने राबडी प्यादे...
छज्जे ऊपर छाबडी
तारा पीयै राबडी

4. सोनै री कीकर काट दे...
कसियौ-कुहाडियौ पिपाटी
सोनै री कीकर म्हूं काटी।



उत्तर : 1. दादेर सासू 2. होको (कळी) 3. घरआळी 4. दियौ, चनणौ 5. बूरेडौ मतीरियौ

 

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