आपाणो राजस्थान
AAPANO RAJASTHAN
AAPANO RAJASTHAN
धरती धोरा री धरती मगरा री धरती चंबल री धरती मीरा री धरती वीरा री
AAPANO RAJASTHAN

आपाणो राजस्थान री वेबसाइट रो Logo

राजस्थान रा जिला रो नक्शो
(आभार राजस्थान पत्रिका)

Home Gallery FAQ Feedback Contact Us Help
आपाणो राजस्थान
राजस्थानी भाषा
मोडिया लिपि
पांडुलिपिया
राजस्थानी व्याकरण
साहित्यिक-सांस्कृतिक कोश
भाषा संबंधी कवितावां
इंटरनेट पर राजस्थानी
राजस्थानी ऐस.ऐम.ऐस
विद्वाना रा विचार
राजस्थानी भाषा कार्यक्रम
साहित्यकार
प्रवासी साहित्यकार
किताबा री सूची
संस्थाया अर संघ
बाबा रामदेवजी
गोगाजी चौहान
वीर तेजाजी
रावल मल्लिनाथजी
मेहाजी मांगलिया
हड़बूजी सांखला
पाबूजी
देवजी
सिद्धपुरुष खेमा बाबा
आलमजी
केसरिया कंवर
बभूतौ सिद्ध
संत पीपाजी
जोगिराज जालंधरनाथ
भगत धन्नौ
संत कूबाजी
जीण माता
रूपांदे
करनी माता
आई माता
माजीसा राणी भटियाणी
मीराबाई
महाराणा प्रताप
पन्नाधाय
ठा.केसरीसिंह बारहठ
बप्पा रावल
बादल व गोरा
बिहारीमल
चन्द्र सखी
दादू
दुर्गादास
हाडी राणी
जयमल अर पत्ता
जोरावर सिंह बारहठ
महाराणा कुम्भा
कमलावती
कविवर व्रिंद
महाराणा लाखा
रानी लीलावती
मालदेव राठौड
पद्मिनी रानी
पृथ्वीसिंह
पृथ्वीराज कवि
प्रताप सिंह बारहठ
राणा रतनसिंह
राणा सांगा
अमरसिंह राठौड
रामसिंह राठौड
अजयपाल जी
राव प्रतापसिंह जी
सूरजमल जी
राव बीकाजी
चित्रांगद मौर्यजी
डूंगरसिंह जी
गंगासिंह जी
जनमेजय जी
राव जोधाजी
सवाई जयसिंहजी
भाटी जैसलजी
खिज्र खां जी
किशनसिंह जी राठौड
महारावल प्रतापसिंहजी
रतनसिंहजी
सूरतसिंहजी
सरदार सिंह जी
सुजानसिंहजी
उम्मेदसिंह जी
उदयसिंह जी
मेजर शैतानसिंह
सागरमल गोपा
अर्जुनलाल सेठी
रामचन्द्र नन्दवाना
जलवायु
जिला
ग़ाँव
तालुका
ढ़ाणियाँ
जनसंख्या
वीर योद्धा
महापुरुष
किला
ऐतिहासिक युद्ध
स्वतन्त्रता संग्राम
वीरा री वाता
धार्मिक स्थान
धर्म - सम्प्रदाय
मेले
सांस्कृतिक संस्थान
रामायण
राजस्थानी व्रत-कथायां
राजस्थानी भजन
भाषा
व्याकरण
लोकग़ीत
लोकनाटय
चित्रकला
मूर्तिकला
स्थापत्यकला
कहावता
दूहा
कविता
वेशभूषा
जातियाँ
तीज- तेवार
शादी-ब्याह
काचँ करियावर
ब्याव रा कार्ड्स
व्यापार-व्यापारी
प्राकृतिक संसाधन
उद्यम- उद्यमी
राजस्थानी वातां
कहाणियां
राजस्थानी गजला
टुणकला
हंसीकावां
हास्य कवितावां
पहेलियां
गळगचिया
टाबरां री पोथी
टाबरा री कहाणियां
टाबरां रा गीत
टाबरां री कवितावां
वेबसाइट वास्ते मिली चिट्ठियां री सूची
राजस्थानी भाषा रे ब्लोग
राजस्थानी भाषा री दूजी वेबसाईटा

राजेन्द्रसिंह बारहठ
देव कोठारी
सत्यनारायण सोनी
पद्मचंदजी मेहता
भवनलालजी
रवि पुरोहितजी

संक्षिप्त राजस्थानी साहित्यिक और सांस्कृतिक कोश


क-घ

कच्छप- विष्णु रो अेक अवतार।
कड़खो- (1) चारणां, भाटां के ढाढियां द्वारा ऊंचा स्वरां सूं गावीजतो विजय गीत। (2) सिंधु राग, जिका वीरांने प्रोत्साहण करण सारू गावीजे। (3) अेक छंद।
कड़ा- लोक नाटकां रो अेक रूप, जिको वीर रस माथे आधारित है। इण मांय अेक पुरुष गावे अर दूजो उणीज ओलियांने उणीज ढब सूं पाछो गावे।
कण्व- कश्यप कुल रा अेक ब्रह्मर्षि। इणारो आश्रम मालिनी नदी रे कांठे हो अर शकुंतला इमरी पालित पुत्री ही।
कन्हैयालाल दूगड़-  जनम ई. 1921, सरदार शहर। संन्यास लियां पछे रामशरणदास नाम राखीयो। घणा दानी अर आगवी सूझबूझ रा घणी। शिक्षा रे प्रसार सारू घणो काम कियो। सरदार शङर मांय गांधी विद्यालय अर छात्रावास इणारा जीवंत स्मारक है। आपरी प्रगट पोथियां है-  'पूंछ मूंछ री मुलाकात, गीता री पुकार, योग लहरी, विचार बावनी, आदर्श बालक' अर 'बजरंग बली कर भली।'
कन्हैयालाल (कान्ह) महर्षि- जनम ई. 1927, चीताणा, वीकानेर। 'गुणवंती, उपहार, मरुमयंक, वात भली दिन पाधरा' ने 'रसवंती' आपरी छपियोड़ी पोथियां है। गुणवंती अर मरुमयंक माथे पंचायत समिति नोखा सूं पुरस्कार दीरीजियो।
कन्हैयालाल शर्मा (डॉ.)- जनम ई. 1925 कोटा। आछा विद्वान अर समालोचक। 'हाड़ौती बोली अर साहित्य' आपरो शोध प्रबंध है। राजस्थान मांय घणी कॉलेजां मांय प्रोफेसर ने अध्यक्ष रह्या। शोध निदेशक। 'पुथ्वीराज का कड़ा' आपरी प्रगट पोथी है।
कन्हैयालाल सहल (डॉ.)-  जनम ई. 1911, नवलगढ़ अर मृत्यु ई. 1977। 'बिड़ला एज्युकेशन ट्रस्ट', पिलाणी रा मंत्री ने इणीज संस्था सं संबंधित कॉलेज रा प्राचार्य रह्या। घणा विद्वान, शोघवेता अर लेखक। 'वीर सतसई, निहालई- सुलतान' अर 'द्रोपदी विनय (करुण बहत्तरी) रा संपादक। 'राजस्थान के सांस्कृतिक उपाख्यान, राजस्थान के ऐतिहासिक प्रवाद, राजस्थानी वीर गाथाएँ' अर 'राजस्थानी लोक गाथाएँ' आपरी हिंदी मांय छपियोड़ी पोथियां है। 'राजस्थानी कहावतें' आपरो शोध प्रबंध है। 'मरुभारती' मासिक पत्रिका रा संपादक रह्या। 'हिंदी साहित्य समिति, पिलाणी'रा निदेशक रह्या। यू.जी.सी., उत्तर प्रदेश सरकार, राजस्थान विश्वविद्यालय अर बंगाल हिंदी मण्डल सूं पुरुस्कृत। शोध निदेशक।
कन्हैयालाल सेठिया-  जनम सन 1919, सुजानगढ। राजस्थानी अर हिंदी रा सिरमौड़ कवि। अबारतांई राजस्थानी मांय चवदे, हिंदी मांय पनरे अर उर्दू मायं अेक पोथी प्रगट है। बंगाली, मराठी अर अंगरेजी सूं अेक अेक पोथी रो ऊथलो कीनो है। 'साहित्य मार्तण्ड, साहित्य वाचस्पति' अर 'साहित्य मनीषी' री उपाधियां सूं विभूषित है। 'मूर्ति देवी' पुरस्कार सूं सम्मानित। आजादी रे जुद्ध मंय सक्रिय बाग लीनो ने जद राजस्थान सरकार मांय आपने वित्तमंत्री बणावण रा नोहरा करीजिया तो सफा नटगा ने कह्यो के ओ म्हारो काम कोनी। घणा मायालू पण घणा स्वमानी चिंतक ने विचारक। वेपार मांय ई पाका। राजस्थानी री संवैधानिक नान्यता रा जबरा हिमायती। आपरी केई कृतियां गुजराती अर मराठी मांय अनुदित। सेठियाजी री रचनावां मांय दार्शनिकता रो पुट रेहवे। 'पत्रों के प्रकाश मांय कन्हैयालाल सेठिया', श्रीमती भालोटिया रो अैड़ो ग्रंथ है, जिको उणारा जीवण रा सगला पासा उजागर करे। 'प्रज्ञा पुरुष' आपरे माथे प्रकाशित अेक उत्तम ग्रंथ है।
कपालेश्वर- पाकिस्तान री सीम कनै चौहटण (बाड़मेर) रा भाखरां मांय ओ शिव मंदिर है। अठै जूना सूं जूनो शिलालेख सं. 1168 रो है। अठै तेरमा सैका रा ई शिलालेख है। अठै जिके विष्णु रा पगलिया है, उम संबंध मांय मान्यता है के सैंंगा सूं पेहला विष्णु धरती माथे अठैईज पग धरिया है। 'शिव पुराण' मांय ई कपालेश्वर रो वर्णन आवे।
कपिल- सांख्यशास्त्र रा प्रणेता, अेक महामुनि। पिता रो नाम कर्दम अर माता रो नाम देवहुती हो। इणारे क्रोध सूं ई सगर राजा रा साठ हजार पुत्र भस्म व्हीया। चक्रधनु इणारो बीजो नाम। इणा माताने ब्रह्मतत्त्व रो बोध करायो हो। 'भागवत' मांय इणाने विष्णु रो पांचमो अवतार, 'महाभारत' मांय ब्रह्मा रो मानस पुत्र अर कठैई अग्नि रो अवतार बतायो है।
कपूर वासियो पाणी-  कपूर सूं सुवासित पाणी।

कबंध- दंडकारण्य रो अेक राक्षस। पूरब जनम मांय ओ गंधर्व हो ने अेक ब्रामण रा शाप सूं राक्षस वणियो। राम- लक्ष्मण इणरा हाथ काट'र इणरो संधार कियो। फकत घड़ होवण सूं इणरो नाम कबंध पड़ियो। इणरे छाती मांय अेक मोटी आंख ही। मरतां मरतां इण रामने सला दीवी के वे सुग्रीव ने मिले। सीता री भाल मांय वो आपरो उमदा सहायक बणसी।
कबीर- (ई. 1394 सूं 1518) अेक ख्यातनाम निर्गुणी संत, कवि अर 'कबीर पंथ' रा प्रवर्तक तो नी पण उणारे नाम सूं ओ पंथ चालियो। अे रामानंद रा मुसलमान शिष्य हा। कमाल अर कमाली इणारा पुत्र- पुत्री हा नै पत्नी रो नाम लोई हो। इणारो जनम अर मृत्यु दोनूं मगहर मांय व्हीगा। इणारो मुख्य ग्रंथ 'बीजक' है तथा इणारी साखियां नै पद जग चावा। भाषा रो रूप साधुकड़ी है, जिण मांय मुख्य रूप सूं राजस्थानी रे साथे ब्रज, उर्दू ने पूरवी हिंदी सफा निजर आवे। आपरी निडरता, सत्यवादिता नै कथनी- करणी री अेकता सूं समाज माथे जबरी पकड़ ही। पाखंड रो जोरदार खंडन कीनो। राजस्थान अर गुजरात मांय कबीर पंथ रो जोर बत्तो है। मानव- जात री अेकता रा हिमालयती। मगहर मांय अेक ईज वंडा मांय मिंदर न मसीत दोनू है।
कमलपूजा- भक्त री वा क्रिया, मांय वो खुद रा हाथ सूं खुद रो माथो काटने देवी देवता ने चढावे।
कमायचा- बे, अठी फुट लांबो अेक ईरानी वाजींत्र है, जिको सारंगी जैड़ो लागे। ओ मुसलमानां साथे भारत मांय आयो ने गज सूं वाजे। इणरा तार घोड़ा रा बाल रा व्है। कमायचा रा तार घेटा के बकरी री आंतां सुकायने ई वणाया जावे। इण मांय बे मोरणा ने नव मोरणियां व्है। इण मांय अेक तार सूं लेय'र चार तार तांई व्है सके। इणरी तबली थोड़ी मोटी ने चामड़ा सू मंडियोड़ी व्है। जैसलमेर अर बाड़मेर मांय इणरो बोहलो प्रयोग व्है।
करणाराम- जैसलमेर रा चावा 'नड' वादक। भील जात रा अे वादक पेहला कुख्यात डाकू हा। पाकिस्तान मांय घणा धाड़ा पाड़िया, पण कदैई किणी लुगाई ने अड़िया तकात नी, पछे वा सोना सूं लड़ालूंब क्युं नी व्है। जबरा निसाणाबाज पण नशाबाज साव ई नी। गरीबां रा बेली। इणरी जलेबीदार वट खाती छह फुट आठ इंच लांबी मूंछा, इणाने 'वल्ड बुक ऑफ गिनीज' मांय नाम देरायो। अे आपरे पोतिया मांय सदीव शिवलिंग राखता अर उम मांय मोरपांख ई खोसता। इणारा संगीत गुरु घन्नेखां हा। लारे सूं धाड़ मारणो छोड़ण सूं, राजस्थान सरकार इणाने तीस बीधा जमीन खेड़ण सारू दीवी। इणारे छ बेटा ने अेक बेटी ही। अदावत रे कारण इणारे अेक भतीजे ई इणारी हत्या कीवी।
करणीदान कविया- प्रकांड पांडित्य, काव्य प्रतिभा, सूरवीरता ने रण कौशल जिसा गुणा रा घणी। अे जोधपुर महाराजा अभैसिंघ रा आश्रित कवि ने मेवाड़ रा सुलवाड़ा गाम रा वासी हा। छंदां रो विशाल ग्रंथ 'सूरज प्रकाश' आपरी काव्यकला रो अनुपम रत्न है। 'विरद सिणगार' ने 'जती रासो' आपरा दूजा ग्रंथ है।
करणीदान बारहठ- जनम ई. 1925, फेफाणा, वीकानेर (श्री गंगानगर जिलो)। 'झिंडिया, झरझर कंथा, गांधी बाबो' ने आदमी रा सींग' आपरी काव्य पोथियां है। चावा कवि। 'मंत्री री बेटी' आपरी चर्चित नवलवारता है। 'म्हारलो गाम, शकुंतला, माटी री महक' आपरी बीजी कृतियां है। 20 मई 2002 ने निधन।
करणी देवी- जनम ई. 1444, सुपाय, मारवाड़ अर मृत्यु सं. 1538। अे मेहा चारण री पुत्री हा ने साठीका गाम रा देपा चारण री पत्नी। अे देवी रे रूप मांय पूजीजे। वीकानेर रे देशणोक गांम मांय इणारो प्रख्यात मिंदर है। वीकानेर राज री कुलदेवी अर चारणां मांय घणी पूजनीक है। ओ मिंदर वीकानेर सूं. 40 कि.मी. आगो है ने इम मांय ऊंदरा घणा, जिणाने कोई मार नी सके। अे ऊंदरा 'कावा' केहवीजे।
करणीसिंघ महाराजा (डा.)- वीकानेर रा पूर्व महाराजा सादुलसिंघ रा पाटवी राजकुमार। 'वीकानेर के राजघराने का केन्द्रीय सत्ता के साथे संबंध' शोध प्रबंध माथे पी- एच- डी. री उपाधि मिली। सन् 1953 सूं 1977 तांई संसद सदस्य रह्या, जठै राजस्थानी रो सवाल घणी वार उठायो। अंतर्राष्ट्रीय ख्याति रा निशाणाबाज। 'अर्जुन' पुरस्कार मिलियो। संसद सूं मिलणआलो सगलो भत्तो अे प्रतिभाशाली लोगां ने देवता। वे पूरण शाकाहारी। नी दारू पीवता अर नीं मांस खावता। ई. 1988 मांय निधन।
करवा चौथ- ओ व्रत काती वद चौथ ने मानईजे। ओ व्रत सुहागणा राखे। इण मांय शिव पार्वती, कार्तिकेय और चंदरमा री पूजा करीजे। लुगायां आखो दिन अवास राखे अर चंदरमा रा दरसण कर जीमे।
करमसी रूणेचो (सांखलो)-  अेक राजपूत भक्त कवि, जिणा पृथ्वीराज राठौड़ सूं पेहला 'श्रीकिसनजी री वेलि' नाम रो ग्रंथ वणायो।

करमांबाई- भगवान जगन्नाथ री एक भक्त कवयित्री। अे जाट जात रा हा, ने भगवान इणरो खीचड़ो अरोग्यो। खीचड़ो अरोग्यो। खीचड़ो भगवान ने चढावण री प्रथा अजै तांई जगन्नाथ पुरी मांय चालू है।
करुण रस- नव रसां मांय सूं अेक, इणरो वर्ण कपोत, स्थायी भाव 'शोक', आलम्बन 'दुखी मिनख' अर इण संबंधी कथा वगेरा उद्दीपन हुवे।
करोडी (किरोड़ी)- मुसलमानी राज में बादशाह री तरफ सूं मेहसूल वसूल करण वालो अेक अफसर।
कर्ण- कुंती अर सूरज रो औरस पुत्र। लोक लाज रे कारण कुंती इणने अेक पेटी में बंद कर'र जमना मांय बहाय दियो। अधिरथ अर उणरी पत्नी राधा उणने पालियो पोषियो। इणसूं कर्ण रो अेक नाम राधेय ई है। अर्जुन रे ज्युं कर्ण ई द्रोणाचार्य सूं धनुर्विद्या सीखी। दोनूं मे जबरी प्रतिद्वंद्विता ही। 'महाभारत' रे पेहला जद कुंती ने ठा पड़ी के कर्ण उणरोईझ पुत्र है तो उण कृष्ण ने कर्ण कनै मेलिया ने केहवाड़ियो के वो आपरे भाइयां (पांडवा) कांनी सूं युद्ध करे, पण कर्ण मानियो कोनी। पचे कुंती सुध समझावण गई। वो नी मानियो, पण वचन दियो के युद्ध में अर्जुन सिवा वो दूजा भाइयां ने नी मारेला। दुर्योधन कर्ण ने अंग देश रो राजा बणायो, इणसूं वो अंगराज केहवीजे। कर्ण मोटो दानवीर हो। सवारणा वेगो ऊठ'र वो दान देवतो, जिणसूं आ वेला, राजा कर्ण री वेला, राजा कर्ण री केहवीजे। उण आपरा कवच- कुंडल इंद्र े दान दिया, जिको ब्रामण रा वेष में दान मांगण आयो हो। 'महाभारत' रा सोलमा दिन, वो कौरवां रो सेनापति बणियो ने सतरमा दिन अर्जुन रे हाथां कमौत हुई।
कर्णघंटा- अेक अनन्य शिवभक्त ब्रामण, जिको आपरा कानां में घंटड़ियां बांधियो रेहवतो, जिणसूं दूजा देवां रो नाम तकातक नी सुणीजे। जिग जगा माथे ओ रेहवतो, उमरो नाम कर्णघंटा पड़ियो।
कर्मयोग- जीवण मांय सुखदुख ने हार जीत रो विचार किया वगर, कर्त्तव्य भावना सूं भगवान ने समर्पण करने काम करतो रेहवणो। 'गीता' मांय ओ उपदेश श्रीकृष्ण अर्जुन ने दियो हो।
कलजुग- चार युगां मांय सूं आखरी युग, जिको अबार चाले है। ओ 32000 वरसां रो मानीजे ने इणरो प्रारंभ राजा परीक्षित री मृत्यु सूं गिणीजे।
कलस- (1)काव्य री समाप्ति पछे उपसंहार रूप सूं लिखियोड़ो अंतिम छंद। (2) कुंभ राशि। (3) डींगल छंद।
कल्कि- (1) विष्णु रो दसमो अवतार, जिको कलजुग रा अंत में (मुरादाबाद, उत्तरप्रदेश) में विष्णुयश नाम रा ब्रामण रा घर में अवतरेला ने अस प्रवृत्तियां री ठौड़ सद प्रवृत्तियां प्रारंभ करेला।
कल्प-  ब्रह्मा रो अेक दिन, जिणमांय 4,32,00,000 वरस व्है।
कल्पवृक्ष- स्वर्ग रो अेक रूंख, जिको समुद्रमंथन री टैम चवदां रत्नां साथे निकलियो हो। मानीजे है के इणरा फूलां मांय हरेक आपरी इंछा मुजब सुंगध सूंघ सके।
कल्याण- मारवाड़ी समाज रा थोड़ा विश्रुत ने धर्मप्राण आयोजकां ने गुप्तदानवीरां रा धन प्रवाह सूं प्रकाशित उच्च कोटि री धार्मिक पत्रिका। रतनगढ (शेखावाटी) रा परम वैष्णव स्व. श्री हनुमानप्रसादजी पोद्दार (भाईजी) शुरू मांय इणरा संपादक रह्या। पछे सर्वश्री गोस्वामीजी अर मोतीलालजी जालान इणरो संपादन करयो। पूणा दोय लाख सूं वत्ता इणरा गिराग है ने 68 वरसां सूं ओ हिंदू धरम री सेवा करे। ओ घणो सस्तो ने सचित्र मासिक- पत्र है। इणरी अंग्रेजी आवृति ई नीकले। इणरो वार्षिक अंक पांच सो रूपिया री कीमत सूं ओछो नी हुवे तोई वार्षिक कीमत अबार फक्त 120 रूपिया है। गीताप्रेस, गोरखपुर (उ.प्र.) सूं प्रगट हुवे। अबार श्री राधेश्याम खेमका संपादन करे।

कल्याणदास मेहडू- अे जाडा मेहडू रा पुत्र ने जोधपुर महाराजा गजसिंघ रा कृपा पात्र हा। महाराजा इणाने 'लाख पसाव' देयने सम्मानित किया। इणा बूंदी रा राव रतनसिंघ माथे 'राव रतनसिंघ री वेलि' नाम रो खंड काव्य लिखियो। इण काव्य मांय 121 छंद अर तीन षटपदियां है।
कल्याणमस्तु- दे. शुभममस्तु।
कल्याणसिंघ राजावत- जनम ई 1939 चितावा (नागोर) अेक प्रभावशाली कवि। 'रामतियामत तोड़, मिमझर, आ जमीन आंपणी' अर 'प्रभाती' आपरा काव्य संग्रह है।
कल्याणसिंघ शेखावत (डॉ.)- जनम ई. 1942 खिरोड़, झूंझणू। जोधपुर विश्वविद्यालय रा राजस्थानी विभाग रा अध्यक्ष अर राजस्थानी साहित्य संगम रा सदस्य। मीरा बृहत पदावली रो संपादन कियो ने 'मीरांबाई जीवनवृत अर पदावली' ऊपर शोध प्रबंध लिखियो। 'करुण बहोतरी' रो संपादन कियो। राजस्थानी साहित्य सम्मेलन रा मुख्य कार्यकर्त्ता। वि.वि. कांनी सूं विदेश ई जाय आया। आछा निंबध लेखक।
कल्लाजी रायमलोत- जोधपुर रा राव मालदेव रा पोता ने राव रायमल रा बेटा, जिणारी जागीर नागोर मांय ही। राज चंद्रसेन सूं इणाने सिवाणो जागीर में मिलियो। बादशाह री चाकरी में जद दिल्ली गया तो उठे भक्त्तकवि पृथ्वीराज राठौड़ सूं मुलाकात हुई। अेक वार उणाने मिलण सारू वे वीकानेर गया ने क्होय के म्हूं मां भौम सारू जूंझुंला ने वीरगति प्राप्त करूंला। आपने अरज है के म्हारे मरण- तेवार अर जूझणे रो काव्य बणाय'र अबार ई सुणाय दो। कवि उणारी प्रशंसा में आबेहूब काव्य बणायो, जिको डींगल री अमर संपदा है। आ. बदरी प्रसाद साकरिया इणरो संपादन कियो है। इण जूझारू वीर ने उदार शासक माते मोटा राजा उदैसिंघ, अकबर री फौज साथे हमलो कियो। युद्ध में सिर कटियां पछे इणारो घड़ लड़ियो। इणारो थान सिवाणा रा किला मांय है ने लोग इण माथे दीवो करे ने मानता माने। हमैं, उठे अेक समारोह ई हुवे।
कल्लो राठौड़- चितौड़ रा संग्राम में वीरवर पत्ता अर जैमल रा झूझारू साथी। मेवाड़ में सलूंबर सूं पनेर कि.मी. दूर रूंडेणा गांम में इणारो थान है। नवरात्रां में थांन माते मेलो भरीजे। अे लोक देवता ज्युं पूजीजे। इणारा परचा चावा घणा है।
कल्लोल-  'ढोला- मारू रा दूहा' रा लेखक, जिणारा जीवण संबंधी तथ्यां रो पतो हाल नी लागो।
कला- किणी काम ने खांत ने कुशलता सूं पूरो करणो कला है। कला रा मुख्य भेद बे है- अेक उपयोगी ने बीजी ललित। शैवतंत्र मांय चौसठ कलावां रो उल्लेख है जद के राजस्थानी में 72 कलावां रो वर्णन मिले। दोनूं रा नामां अर गुणां मांय ई घणो फेर है। जिका कला वत्ती अमूरती व्है, वा उतरी ई श्रेष्ठ गिणीजे। काव्यकला इण सारू श्रेष्ठ है।
कलानिधि- ई. 1712, बूंदी रा राव बुद्धसिंघ रा आश्रित अेक उत्कृष्ठ रामभक्त कवि। 'श्रृंगार' रस माधुरी, रामायण सूचनिका, वृत्त चंद्रिका' आद रा रचयिता। 'वाल्मीकि रामायण' रा तीन कांडा रो ऊथलो ई कियो है।
कलायण- (1) मेह रो अेक लोकगीत। (2) कांठल।
कविकुल बोध- उदयराम बारठ रचित छंदशास्त्र रो अेक उत्तम ग्रंथ, जिको दस तरंगां में विभक्त्त है। सगली तरंगां पछे, कवि अस्त्रां- शस्त्रां रा वर्णन साथे, 'अवधान माला, अेकाक्षरी' ने 'अनेकार्थीं कोषां रो वर्णन ई कियो है। भाषा डींगल है।
कवित्त- इगतीस आखरां रो अेक वर्णवृत्त। इणरो अंतिम वर्ण गुरु होवणो चाहीजे। इणरा दूजा पर्याय दंडक, मनहरण के धनाक्षरी ई है।
कवि निरंकुशता- खुद री इंछा मुजब, कवि द्वारा काव्य मांय शब्दां री तोड़मरोड़। छंद भंग ने व्याकरण रा नियमां रो उल्लंघण ई इणमांय सामेल है।
कवि समय- प्रकृति- शास्त्र ने लोकविरोधी वे वातां, जिणरो उपयोग कविगण परंपरा सूं करता आया है। इणारा संबंध में ओ नी विचारीजे के अे साची है। ज्युं- हंस रो मोती चुगणो; स्वाति बूंद रो केला रा झाड़ में पड़णे सूं कपूर, छीपला मांय मोती नै साप रो मूंडा मांय जहर पैदा हुवणो, अर लुगायां रे नृत्य सूं कर्णिकार झाड़ रो पुष्पित हूवणो। इणने 'कवि- प्रसिद्धि' ई केहवे।

कश्यप- ब्रह्मा रा मानस पुत्र। इणारे 37 पत्नियां ही। इणासूं ईज जुदा 2 जीवां री उत्पत्ति मानीजे। ज्युं कद्रू सूं साप; अदिति सूं देवता। दिति सूं दैत्य। कश्यप री गिणती प्रजापतियां में व्है। कठैई सैंतीस री जगा तेरे पत्नियां मानीजे।
कसूंबो-  (1) घणा नशा सारू पाणी मांय गालीजियोड़ो अमल। (2) कलूमल रंग।
कस्तूरचंद कासलीवाल (डा.)-  जनम ई. 1920, सैंथल, जयपुर। अबार जैन साहित्य शोध विभाग, जैपुर रा निदेशक है। 'प्रद्युम्न चरित्र' अर 'जिणदत्त चरित्र' रो संपादन कियो।
कहाणी-  राजस्थानी मांय इणने 'वात' केहवे। गद्य साहित्य री अेक विद्या, जिका स्वतंत्र, पूर्ण अर स्वल्पकाया व्है तथा जिण मांय अेक तथ्य के प्रभाव ने आगे बढावणआली व्यक्ति, घटणा रे उत्थान- पतन साथे पात्रां रे चरित्र रे माथे प्रभाव नाखे। कहाणी रा विविध प्रकार व्है। इणरा प्रमुख चार तत्त्व व्है- वस्तु, पात्र, संवाद अर शैली। राजस्थानी रे इण विधा मांय प्रचुर नै वैविध्यपूर्ण साहित्य मिले।
कंठेसरी माता- आदिवासियां री अेक देवी।
कंवली-  (1) हस्तप्रतां ने सुरक्षित राखण सारू उणारे आकार ही हाथ सूं बणायोड़ी कूटा री पेटी। घण कर अे पेटियां, वे साधु बणावता, जिणारे अधिकार मांय अे पोथियां व्हैती। इण पेटियां रे बारे ने मांयने अेक कास मसालावालो रेशमीवस्त्र चैंठाड़ता, जिणसूं उण मांय कीड़ा नी लागे। इण कारण कई सैकां तांई उण मांयला ग्रंथ वेहड़ा रा वेहड़ा रेहवता। (2) बारणा रे दोनूं कांनी लगायोड़ी ऊभी छीण (भाटा री पट्टी)। (3) भूंडण।
कंस- मथरा नरेश उग्रसेन रो अत्याचारी बेटो अर कृष्ण रो मामो। ओ जरासंघ रो जमाई हो ने कृष्ण इणे मारियो।
काक नदी- जैसलमेर राज री प्राचीन राजधानी, लुदरवा नगर रा खंड़ेरां कने वेहवण आली अेक नदी। इणीज नदी रे कांठे प्रख्यात लोक नायिका मूमल री मैड़ी रा खंडेर आज ई ऊभा है।
काकभुशुंडि- अेक ब्राह्मण जिके लोमश ऋषि रे शाप सूं कागला बणिया। पछे लोमश सूं ईज 'रामकथा' री दीक्षा लीवी अर सैंग ठौड़ रामकथा केहवता फिरता। रामकथा करणिया सगला सूं पेहला अेईझ हा। जोधपुर मांय कागो तीरथ इणारे नाम माथे है ने अठै इणारो आश्रम मानीजे।
काछ- पंचाल- कच्छ अर पंचाल (सौराष्ट्र) प्रदेशां री अेक देवी।
काछराय- सैणी नाम री कच्छ री अेक देवी।
काजलियो-  (1) अेक चावो लोक गीत। ओ सिंगार रो गीत है। इणरा बोल है- काजल भरयो कूंपलो कोई धरयो पलंग अधबीच, कोरो काजलियो। (2) आंख्या मांय काजल गालीजे, जिणसूं शोभा वधे।
काजली तीज-  भादरवा वद तीज ने मनाईजतो लुगायां रे अेक तेवार। अेक वार द्रौपदी रे पूछणे पर श्रीकृष्ण उणने शिव अर सती री अेक व्रतकथा संभलाई। इण व्रत रे राखणे सूं स्त्री आपरे पति रो प्रेम घणो प्राप्त कर सके, वा रूपवती बणे, घर मांय लिछमी आवे, अन्न- धन्न रा भंडार भरिया रेहवे अर बेटा, पोता, पड़पोता, दोहितां रो ठाठ रेहवे। इण कथा रा रूपांतर ई मोकला मिले। इण दिन लुगायां व्रत राखे ने रातरां सती री पूजा करे। पछे चंदरमा देख'र उणरी पूजा करे नै पछे चावलां के गऊंवां रे आटा रा सातू, आकड़ा रा पान माथे राखने खावे। इणने 'बड़ी तीज' ई केहवे। नींबू, काचरो, फेदड़, मोती, दीवो, कंकू अर आखा हाथ मांय लेयने लीमड़ी री पूजा करे। पूजा री वखत काचा दूध अर पांणी सूं भरियोड़ी, गोबर री पाल वाली नैनी नाडकी मांय अेक 2 करने ऊपरली सगली वस्तुवां दीवा रा चांदणा मांय देखे-
तलाई मांय दीवो दीठो-  दीठो जैड़ो तूठो।

तलाई मांय मोती दीठो-  दीठो जैड़ो तूठो।
तलाई मांय नींबू दीठो-  दीठो जैड़ो तूठो।
सांवण वद तीज ने 'लोड़ी तीज' केहवे।
काजी महमद- इण निर्गुणी संत रो गाम- ठाम रो तो पतो कोनी, पण इणां राजस्थानी मांय घणा मार्मिक पद बणाया है। डॉ. मनोहर शर्मा, आचार्य बद्रीप्रसाद साकरिया अर श्री अगरचंद नाहटा इणारा पदांने प्रकाशित करवाया है। इणारा कई पद गुजरात रंगत रा ई है। स्व. झवेरचंद मेघाणी 'सोरठी संतवाणी' मांय इणरो अेक पद दियो है।
कानसिंघ रावत- जनम ई. 1912, रूपाणा, अजमेर। राजस्थानी रा प्रगतिवादी विचारां रा आछा वृद्ध कवि। 'कानजी रा गीत, कानजी रा फागण रा गीत, मजूर करसां रा गीत, वगड़ावत राग रा तीन गीत, मरवा रा मीठा गीत' अर 'करसां रा जागरण गीत'  आपरी छपियोड़ी पोथियां है। जद के अणछपियोड़ी पोथिया मांय 'साम्यवाद री पड़, वियेट नाम रे जुद्ध री पीड़, रावत गीता, मार्क्सवादी कम्युनिष्ठ पार्टी रा गीत' वगैरा है।
कान्हड़दे सोनगरो (चौहाण)- अलाऊदीन जद सोमनाथ महादेव रे मिंदर नो तोड़'र, टूटोड़ी मूरत बलदांगाड़ी मांय धाल'र जालोर कनै सूं निसरतो हो, कान्हड़दे उणने वकारियो नै जबरो धमसाण कियो। मूरत खोस लीवी अर सकराणा मांय थर्पित कीवी। केहवीजे है के सकराणा मांय हालतांई वोईज लिंग है। इण जुद्ध मांय दोनूं कांनी से हजारां वीर काम आया। खुद कान्हड़दे ने उणरो पाटवी कंवर वीरमदे पण काम आया। कवि पद्मनाभ इणा माथे 'कान्हड़दे प्रबंध' री रचना कीवी। कान्हड़दे सालिगराम रो अवतार गिणीजे।
कान्हड़दे प्रबंध-  सं. 1512 मांय पद्मनाभ इण ग्रंथ री रचना कीवी। ओ ग्रंथ चार खंडां मांय है, जिण मांय दूहा, चौपाई ने सवैया छंद है। प्रसाद काव्य सूं भरपूर ओ काव्य देशाभिमान अर जातीय गौरव पैदा करणार, श्रेष्ठ अमर काव्य है। भाषा री दीठ सूं इणरो घणो महत्त्व है, क्युंके 'मारू अपभ्रंश' सूं प्रसूत राजस्थानी रे रूप रा इम मांय दरसण व्है। इतिहास री दीठ सूं ई इणरो महत्त्व कोई कम कोनी। इण मांय जालोर रा घणी कान्हड़दे सोनगरो अर सिवाणो- घणी सांतल रे साथे अलाऊदीन रे युद्ध रो वर्णन है। साथे साथे इण मांय उण टैम री सामाजिक व्यवस्ता रो ई वर्णण है अर इण मांय प्रयुक्त अलौकिता तो अचरजभरी है।
कान्ह महर्षि- जनम ई. 1927, चितावा, नागोर। चावा कवि अर कथाकार। 'मरूमयंक' आपरो प्रबंध काव्य है तो 'वात भली दिन पाधरा' आपरो वात- संगह है। 'पाका- चीन ने चेतावणी' आधुनिक काव्य है।
कामड़ियो-  (1) रामदेव रो भक्त। (2) तंबूरो लेयने गाणआली अेक याचक जात।
कामण-  (1) मेह आवण रे पेहल कांसो, तांबो आद धातुवां रो बदलणवालो रंग। (2) व्याव रो अेक लोक गीत। (3) स्त्री। (4) वशीकरण।
कामदेव-  प्रेम ने सुंदरता रो देवता, जिके प्राणीमात्र ने संभोग री प्रेरणा देवे। लक्ष्मी ने विष्णु इणरा माता- पिता। पत्नी रो नाम रति, मित्र रो नाम बसंत अर सवारी कोयल के पोपट व्है। इणरी धजा राती ने उणमांय धोली माछली अंकित रेहवे। फूलां सू बणियोड़ा इणरा धनुष बाण व्है। तारकासुर ने मारण सारु जद देवता इणरी वीनती कीवी तो इणा शिवजी री समाधि भंग कीवी। शिवजी आपेर तीजा नेत्र सूं इणने भसम कर दियो। कृष्ण ने रूकमणी रो पुत्र प्रद्युम्न कामदेव रो अवतार हो। इणरा पांच बाणा रा नाम है- मोहन(लाल कमल), उन्मादन (अशोक रा फूल), संतपन (आंबा रा मोर), शोषण (चमेली) अर निश्चेष्टीकरण (नीलकमल)। 'अथर्वणवेद' मांय इणने सत कर्म री इंछा रा श्रेष्ठ देव मानीयो है। 'तैतरेय ब्राह्मण' मांय कामदेव ने न्याव रो अधिष्ठाता देव धर्म अर आस्था री देवी श्रद्धा रो पुत्र कह्यो है। दूजो अेक ग्रंथ इणरो जनम पाणी सूं माने है। इणीज सारू इणरो अेक नाम 'इराज' है। ओ स्वयंभू ई मानीजे। इण वास्ते इणने अज तता अनन्यज ई केहवे। 'ऋग्वेद' माय 10/129 ऋचा मांय इणने ब्रह्मा रो मानस पुत्र मानीयो है ने क्होय है के ओ इंछा (काम) के इंद्रीय स्वाद री इंछा नी, पण सत्कर्म रो देवता है। छतां शिव सूं भसम व्हीयां पछे ई 'ब्रह्मा रे वरदान सूं ओ लुगायां रे नेत्र- कटाक्ष, जंधा, स्तन, स्कंध, अधर आदभागां मांय अर वसंत ऋतु, कोयल रे कंठ, चांदणी, वरसा ऋतु अर चैत्र ्‌र वैसाख मास मांय सदीव रेहवेला।
कामधेनु- मनचाही वस्तु देवण आली गाय, जिका चवदे रत्नां मांय सूं अेक है। आ दक्ष प्रजापति अर अश्विनी री पुत्री मानीजे। वशिष्ठ अर विश्वामित्र रे वच मांय जुद्ध रो कारण आ ईज ही।

कामबाण- दे. कामदेव।
कामवन- वो वन जठे शिवजी कामदेव ने भसम कियो हो।
कायमखांनी-  'कायमखांरासो' मांय इण जात री उत्पत्ति रो संबंध मांय लिखियो है के ददरेवा रा राणा मोटेराय रे काल मांय फिरोज तुगलक, उणरा चार बेटा मांय सूं तीन ने मुसलमान बणाया। सैंगासूं मोटो करमचंद रो नाम क्यामखां राखीयो। इणरा वंशज ई क्यामखांनी वाजिया। क्यामखां हिसार रो सूबेदार ई रह्यो। कायमखानियां री मोटी वसती शेखावटी मांय है। अे वीर ने खेतीखड़ है। इणारा रीत- रिवाज अर आचार- विचार हिन्दुआं जैड़ा है पण पाकिस्तान व्हीयां पछे इण जात मांय घणो परिवर्तन आयो है।
कारकदीप- अेक अर्थालंकार, जिण मंय अनेक क्रियावां रो अेक ईज कारक व्है।
कार्तिकेय- शिव रा पुत्र अर देवतावां रा सेनापति। इणारो दूजो नाम है- स्कंद कुमार। मोर ने कूंकड़ो इणारा वाहन मानीजे। क्युंके अे कृतिकावां सूं उत्पन्न व्हीया इण कारण इणारो नाम कार्तिकेय पड़ियो ने क्युंके कृतिकावां छ व्है, इण कारण इणारे छ मूंडा है।
कालका-  'भागवत' मुजब वैश्वानर री कन्या।
कालनेमि-  (1) रावण री लंका रो वो राक्षस, जिको आपरी इंछानुसार रूप धारण कर सकतो हो। संजीवनी लावण गया, जद इण हड़मानजी रो रस्तो रोकण री कोशिश कीवी, पण मार्यो गयो। (2) अेक राक्षस, जिण देवतावां ने हराय'र, स्वर्ग माथे अधिकार कियो। आखर विष्णु इणरो वध कियो। आगले जनम मांय ओईज कंस बणियो।
कालतरो-  (1) पिता री हत्या करणआला शत्रु रो बदलो नी लेवणआला पुत्र री कलंक रूप उपाधि। (2) जुद्ध सूं भागणआलो कलंकित पुरुष। कालोतरो।
कालदोष-  साहित्य री किणी ई विधा मांय किणी काल विशेष रो वर्णण करता टैम, अैड़ा तथ्यां रो निर्देश करणो, जिके उण काल मांय संभव नी व्है।
कालबेलिया-  आ अेक धुमक्कड़ जात है, जिका सापां ने वश मांय कर, पूंगी री धुन माथे नचावे। इण तरै सूं लोगां रो मनोरंजन ई करे ने आपरो पेट ई पाले। काल जैड़ा नागांने आपरा मित्र (बेली) रूप राखणआला कालबेलिया (काल रा बेली) केहवीजिया। अे आपने अर्जुन री औलाद माने, क्युंके अर्जुन रो अेक व्याव नाग कन्या सूं व्हीयो हो ने इण दोनूं सूं उत्पन्न कालबेलियां रा वडेरा हा। राजस्थान रो कालबेलिया- नृत्य देश- विदेश मांय घणो चालो। इणा घणा इनाम- इलकाव ई जीतिया।
कालभैरव- शिवजी रा सेवक। अे काशी रा कोतवाल बण'र पापियां ने दंड देवे। इण वास्तै इणाने दंडपाणी ई केहवे। अे घणा क्रोधी है ने अेक वार शिवजी रे केहणे सूं इणा पंचमुखी ब्रह्मा ने चौमुखी बणा दिया।
कालरात्रि-  (1) ब्रह्मा री रात, जिणमांय सगली सृष्ठि रो विनास व्है ने फकत नारायण ईज शेष रेहवे। (2) अेक व्रत जिको आसोज सुद आठमने राखीजे।
कालिय- ओ अेक नाग हो, जिणरे पांच फण हा। ओ कद्रू रो बेटो हो ने रमणक द्वीप मांय रेहवतो हो, पण गरुड री बीक सूं  जमना नदी रे कालीदह मांय आयने रेहवण लागो। इणरे जहर रे कारण, जहरी पाणी पीवण सूं जद गायां बेभान हूवण ढूकी तो कृष्ण गेंद रे मिस कालीदह मांय कूदिया अर इणे नाथियो। नागणियां नै खुद कालिय री वीनती सूं कृष्ण इणने माफी बगसी अर वो पाछो रमणक द्वीप जायने रेहवण लागो।
कालिंदी- कालिद भाखर सूं निकलण कारण, जमना रो अेक नाम कालिंदी पड़ियो। पूर्व जनम मांय आ सूर्यपुत्री ही। कृष्ण ने पति रूप मांय प्राप्त करण सारू, इण जमना काठे घोर तप कियो। सफलता मिली। कृष्ण सूं इणरे दस पुत्र व्हीया। कठैई राजा समर री माता हूवण रो उल्लेख ई मिले।

कालिदास-  संस्कृत रा अेक उत्कृष्ठ कवि। 'उपमा कालिदासस्य' प्रसिद्ध उक्ति है। 'अभिज्ञानशाकुंतल, मेघदूत, कुमारसंभव, रघुवंश' आद आठ ग्रंथां रा प्रणेता। सम्राट विक्रमादित्य रे नव रत्नां मांय सूं अेक हा।
काली- दे. दुर्गा
काली रो कलस-  (1) राजस्थानी लोक कथावां री अेक कथानक रूढि। जिण भांत गे'ली रे माथी री मटकी री कुशलता कोनी, इणीज भांत वीर रा जीवनकाल मांय, उणरे माथा री सलामती कोनी (क्युंके वो जुद्ध रसियो व्है)। (2) वीर साहित्य रो अेक उपमा अलंकार। (3) राजस्थानी साहित्य रो एक कवि समय।
कालूगणी-  सं. 1933, छापर मांय श्री मूलचंद रे घरे माता छोगाजी री कूख सूं जनम। राशिनाम शोभाचंद हो, पण काला भैरू री मानता रे कारण, माता- पिता कालू कहेवता। लारे सूं ओईज नाम प्रमुख व्हीयो। मा अर बेटो, दोनूं अेक सागे माधवगणी सूं दीक्षा लीवी। मुनि डालगणि रे पछे सन् 1966 मांय कालूगणी 'तेरा पंथ' रा आठमा आचार्य बणिया। वीकानेर चतुर्मास मांय घा लोगां निंदा कीवी नै गालां दीवी। हत्या रो प्रयास ई व्हीयो। मारवाड़ अर मालवा मांय ई इणारो घोर विरोध व्हीयो, पण पछे सगला शांत व्हैगा। अे संस्कृत, प्राकृत अर अपभ्रंश रा लूंठा विद्वान हा तथा सरल प्रकृति रा तेजस्वी साधु हा।
कालूराम प्रजापत- लोकगीतां रा चावा गायक। इणारी केसटां ई निकली है।
कालूलाल श्रीमाली (डा.)- उदयपुर रा चावा शिक्षाविद। पेहला उदयपुर रा गोविंदराम सेकसरिया टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज रा प्राचार्य हा। ई. 1953 मांय राजस्थान सूं राज सभा मांय चूंटीजिया ने पछे केन्द्र मांय शिक्षा विभाग रा राज्यमंत्री रह्या। घणी पोथियां रा लिखारा।
कावड़- देवी- देवता, संत- महात्मा, भक्तां वगेरा रा रंग- बेरंगी चित्रां री घणी खंड आली अेक नैनी पेटी, जिका काठसूं बणियोड़ी व्है अर मिंदर ज्युं दीसे। इण मांय घणा भांत रा कपाट व्है। अेक कपाट माथे अेक पौराणिक चित्र व्है। कावड़ियो अेक अेक चितराम रो वर्णण करतो जावे ने ओले- दोले ऊभी भीड़ ने देखावतो जावे। कावड़ने अेक साथे घणा देवतावां रो हालतो- फरतो मिंदर कह सकां। जठै कावड़ वंचावणी व्है, उठे कावड़ियो कावड़ ने खोले मांय लेय'र बैठे, पछे मोरपंख सूं चितराम बतावतो अर मीठी लय सूं वर्णण करतो जावे। ज्युंके-  धना जाट री बेटी, वावे तूंबा नीपजे मोती।
कावड़ गाम लोगां ने शिक्षा, संस्कृति ने संस्कार सिखावणआली घणीज उपयोगी वस्तु है। खरेखर कावड़ टेलीविजन रो लोकरूप है। कावड़ मांय घणएखर 'रामायण' रा पात्र के कृष्ण चरित्र लेवीजे। लारे सूं मुसलमानां ने राजी राखण सारू उणारा ई कई पात्र लेवण लागा।
कावड़ियो- कावड़ वांचण रो काम करे, वो कावड़ियो केहवीजे। घणेकर अे भाट व्हैता।
काव्य-  'वाक्य रसात्मकं काव्यं' के 'रमणीयार्थ प्रतिपादकः शब्दः काव्य' संसार रा सगला कवियां री भावप्रधान मानसिक प्रतिक्रियावांने श्रेय रो प्रेय रूप देवण आली अभिव्यक्ति। शब्द अर अरथ काव्य रा शरीर मानीजिया है, जद के काव्य री आत्मा मांय विद्वानां मांय घणो मतभेद है। जुदा जुदा आचार्यां रस, अलंकार, रीति, वक्रोक्ति ध्वनि अर औचित्य ने काव्य री आत्मा मानी है। इण सूं ईज विभिन्न काव्य संप्रदायां री उत्पत्ति व्ही। काव्य रा बे भेद है- श्रव्य अर दृश्य। बंध री दीठ सूं काव्य रा बे भेद है- प्रबंध ने मुक्तक। प्रबंध रा ई बेद भेद है- महाकाव्य अर खंड काव्य।

काव्य न्याव- पापी ने दंड अर पुण्यात्मा ने पुरस्कार देवण आलो न्याव।
काव्य प्रयोजन- मम्मट काव्य रा छ प्रयोजन बताया है- यशलाभ, धनलाभ, व्यवहार रो ज्ञान, अमंगल सूं रक्षा, परमानंद री प्राप्ति अर कांता रै जैड़ो प्रेममय उपदेश। विश्वनाथ धर्म, अर्थ, काम मोक्ष री प्राप्ति बतावे तो तुलसीदास 'स्वांतः सुखाय' ने काव्य रो प्रयोजन मानीयो है। आथूणे साहित्य रा काव्य प्रयोजन आंपणे सूं थोड़ा जुदा है।
काशी-  (1) योग रे मुताबिक आज्ञाचक्र रे कने इडा (गंगा के वरणा) अर पिंगला (जमना के असी) रो मध्य स्थान काशी केहवीजे। (2) वाराणसी जठै द्वादशज्योतिर्लिंगां मांय सूं अेक विश्वनाथ रो मिंदर है। 'काशी करवत' प्रख्यात है। प्रसिद्ध है के काशी मांय मरे, जिके स्वर्ग जावे। चावो तीरथ ने विद्याधाम। मालवीयजी थरपित हिन्दू विश्वविद्यालय अठैईज है।
काशी करवत-  इंयू मानीजे के काशी रे अेक कुआ मांय मोटी करवत लागोड़ी ही। उण माथे लंगोटी मार'र, कोई उघाड़ो कूदे तो उणरे शरीर रा कटका तो हुवे, पण वो सीधो स्वर्ग जावे।
काशीराम शर्मा- जनम ई. 1925, रतननगर, चूरू। शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार मांय अधिकारी हा। श्री रघुवीरसिंघ, सीतामउ साथे 'वचनिका राव रतनसिंघ महेशदासोत री खिड़िया जगा री कही' अर 'कुंभकर्ण रचित 'रतनरासौ' रो संपादन कीनो। संस्कृत रा चोखा ज्ञाता।
कांकण डोरो- व्याव रे आगले दिन वींद रे जीमणे हाथ- पग माथे बांधीजे। ओ वटियोड़ी मोली सूं बणियोड़ो व्है, जिण मांय अेक मींढल पोवीजियोड़ी व्है ने बे चांदी रा नैना छल्ला तथा आंवला री अेक फली बंधियोड़ी व्है। मानीजे के इणसूं वींद ने नजर नी लागे। व्याव सूं घरे आया पछे ओ कांकण डोरो खोलीजे। वीनणी रे ई अैड़ो कांकण डोरो बांधीजे।
कांकरोली- मेवाड़ मांय 'वल्लभ संप्रदाय' रो अेक तीरथ। नाथद्वारा सूं 19 कि. मी. दूर है। राजसमंद री पाल माथे मिंदर अर महल- मालिया वणियोड़ा है।
कांगसियो- अेक लोक गीत। बोल है-  'म्हारे छैल भंवर रो कांगसियो पणिहारियां ले गई रे'।
कांचलियो पंथ- अेक वाम मारगी पंथ. इण पंथ री लुगायां अेक जगा भेली हुय'र आप आपरी कांचलियां अेक मटकी मांय धाले ने हिलावे। पछे भेला हुयोड़ा लोग उण मांय सूं अेक अेक लेवे ने जिण लुगाई री कांचली व्है, उणरे साथे संभोग करे। आदिवासियां रो ओ पंथ नै आज रा अति आधुनिक क्लबां मांय कितरो साम्य है।
कांचली-  (1) पुत्री नेग। (2) मामेरो।
कांटो मिलावणो-  (1) जोड़, बाकी, भाग अर गुणा रो सही होवण रो गुर। (2) जीमियां पछे रोटी चूरने उण मांय साग- दाल मिलावणो।
कांबी- छूटा पांनां री हस्तप्रत वांचता टैम, आंगलियां ने हाथां रा परसेवा सूं पोथी मैली नी व्है, इण सारू हाथ रे हैठे राखीजण वाली लकड़ा री पतली पट्टी। इणने कंबिका ई केहवे। हस्तलिखित ग्रंथां रे रक्षण रो अेक जरूरी उपकरण है।

किन्नर- अेक देवता, जिणरो मूंडो घोड़ा जैड़ो व्है। अे संगीत विद्या मांय घणा कुशल व्है। इणरो निवास कैलाश पर्वत माथे कुबेर नगरी है ने इणारी उत्पत्ति ब्रह्मा रे अंगूठा सूं मानीजे।
किरणचंद नाहटा (डा.)- जनम ई. 1946, कालू (वीकानेर)। 'आधुनिक राजस्थानी साहित्य प्रेणा स्रोत और प्रवृत्तियां' माथे शोध प्रबंध लिखियो। 'शिवचंद भरतिया' अर 'भल लुंा बाजो किती' आपरा दूजा प्रकाशन है। 'राजस्थानी गंगा' वीकानेर रा संपादक। 'उजास' प्रकाशन रा व्यवस्थापक। समर्थ समालोचक। पत्र- पत्रिकावां मांय निरंतर लिखारा। अर 'आचार्य तलुसी शान्ति प्रतिष्ठान'रे अन्तरगत 'राजस्थानी शोध संस्थान' रा सचिव। प्रबुद्ध प्राध्यापक। शोध निदेशक।
किरतार बावनी- दुरसा आढा रचित छंदां री अेक विशिष्ठ रचना। इण मांय कवि रो ध्यान उण धंधां, जातियां ने व्यक्तियां कांनी गयो है, जिके रोटी खातर, जोखम उठायने मुश्कल सूं मुश्कल काम करे। साथे अैड़ा लोगां रो ई वर्णण है, जिके पेट खातर नागाई करे, अर मोटा सूं मोटा पाप करे।
किराडू- मारवाड़ रे मालाणी परगणा रो अेक जग चावो जूनो अैतिहासिक नगर। जिको आज खंडेर है। इणरो जूनो नाम किराड़कूप हो। नवकोटी मारवाड़ रा नव गढ़ां मांय सूं ओ ई अेक है। बाड़मेर सूं वीस की.मी. आगो, भाखरां री घाटी मांय हाथमा गाम कने आयोड़े इण नगर रो अैतिहासिक नै धार्मिक महत्त्व घणो है। इणरो निर्माण तेरमा सइका पेहलारो है। अठै जिके पगलिया है उणारे वास्ते केववीजे के सैंसूं पेहला भगवान विष्णु अठै ईज जमीं माथे पग मेलिया। पुराणा मांय इणरो वर्णण आवे।
किरात- हिमाले रो उगमणो भाग तथा उणरे कनेलो प्रदेश नै इण प्रदेश रा रेहवासी भील। सिक्किम मांय आज ई किरात नाम री जात रेहवे। किरातां ने अर्जुन रो जुद्ध चावो है।
किशनगढ- अेक भूतपूर्व राज ने इण नाम रो नगर। जोधपुर रा मोटा राजा उदैसिंघ रा कंवर किशनसिंघ इण नगर ने राज रा थापणहार हा। फुलेरा- जैपर रेल लाइण माथे इण नगर रो ठेसण है। अठै पुष्टिमार्गियां रो जोर है। अठैरी चित्रकला (किशनगढ़ शैली) रे नाम सूं जग विख्यात है। भगत ने कवयित्री बनीठनीजी अठैरा नरेश सामंतसिंघ रा उपपत्नी हा। अठैईज थोड़ो रेल रे चीला कनै ब्रह्मनिष्ठ ब्रह्म श्रोत्रीय हंसनिर्वाणजी महाराज री समाधि है।
किशनी सोनी-  जनम सन् 1947, वीकानेर। बास्केट बॉल री भारत री लुगायां री टीम री खेलाड़ी। तेहरान (ईरान), श्रीलंका, मलेशिया आद में किशनी सोनी भारत री टीम मांय रमी, पण इण ऊगती खेलाड़ी रो भरी जवानी मांय देहांत व्हैगो।
किशनोजी आढा-  ई. 1768 सूं. ई. 1831। मेवाड़ महाराण भीमसिंघ रा आश्रित डींगल कवि। इणा 'भीम विलास' बणायो। रामकथा लेय'र छंदशास्त्र रे श्रेष्ठ ग्रंथ 'रघुवर जस प्रकाश' री रचना कीवी, जिण मांय संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश अर राजस्थानी भाषावां रा विविध छंदां मांय मौलिक विशद वर्णण है। इण ग्रंथ मांय अेकाणू भांत रा डींगल गीत छंदां रो उल्लेख है। अे प्रख्यात कवि दुरसा आढा री आठमी पीढी मांय हा। इणा कर्नल टॉड ने राजस्थान रे इतिहास री सामग्री भेली करण मांय घणी मदद कीवी।
किशोर कल्पनाकांत- जनम ई. 1978, रतनगढ। पिताजी रो नाम चिरंजीलालजी मिश्र। मातभाषा राजस्थानी रा प्रबल हेमायती अर हेतालू। 'ओलमो' पत्रिका रा यशस्वी संपादक। 'नष्टनीड़, गंजत्व दर्शन (लोढी- मोडी मथरी)' अर 'ऋतुसंहार' रा सफल अनुवादक। 'कूंपल रा फूल, सेक्सपियर री वातां, विश्वनाथ सत्यनारायण री वातां, निवण निवण शिव, कुण केहो बो, कूख पड़िये री पीड़, देखी जिसी चितारे' आद आपरी दूजी पोथियां है। 'धरती री धीव' आपरी नमूनेदार रचना है। घणी संस्थावां सूं पुरस्कृत। पत्रिकावां मांय बराबर लिखता रेहवता। रतनगढ मांय 'राजस्थानी सम्मेलण' ई कर्यो। अैड़े सह्रदयी साहित्यकार मित्र रो फरवरी 2002 मांय देहावसन व्हेगो।

किशोरसिंह वार्हस्पत्य- जनम ई. 1878 शाहपुरा अर मृत्यु ई. 1939, पटियाला (पंजाब), चावा क्रांतिकारी केसरीसिंह रा भाई। इणारे नाम सूं ईसरदास कृत 'हरिरस' छपियो। हिंदी मांय 'करणी चरित्र' ई लिखियो। 'चारण' मासिक पत्रिका रो संपादन कियो, जिणरा इगियारे अंक ईज प्रगट व्हीया। 'पागल प्रमोद' नाम री छोटी रचना ई बणाई। पटियाला राजा मांय म्युजियम रा क्युरेटर बणिया अर उठैईज काम करतां देहांत व्हैगो।
किष्किंधा- दंडकारण्य मांय वो प्रदेश जठै पेहला बालि ने पछे सुग्रीव राज करता हा अबार ओ आंधप्रदेश अर कर्णाटक रो विचलो प्रदेश, तुंगभद्रा नदी रे कांठे अने गुंदी नाम सूं ओलखीजे।
किसनजी री वेलि- दे. करमसी रूणेचा।
किसनो सिंढायच-  डींगल रा अेक उत्तम कवि। इणा आपरे आश्रयदाता महारावल उदयसिंघ री प्रशंसा मांय 'उदयप्रकाश' बणायो। सिंगार, हास्य अर राजनीति रो इण मांय अच्छो समायोजन है।
किसा गौतमी- भगवान बुद्ध री अेक शिष्या। इणरो अेक रो पुत्र मरगो अर वा शब ने लेयर अठी- उठीने भटकती ही। किणी उणने भगावन बुद्ध कनै जावण रो कह्यो। भगवान बुद्ध कह्यो म्हूं थारे बेटा ने जीवित कर देस्यूं, पण पेहला थूं अेक मूठी अन्न उण घर सूं लाव, जिणमांय अजांताईं कोई मरयो नी व्है। उणने कोई अैड़ो घरनी मिलियो। वा निराश पाछी आई। भगवान समझायो के जीवण- मरण तो जीव रो नेम है। पछे वा भगवान री शिष्या बणगी।
किसान- योग री भाषा मांय शरीर स्थित पांच प्राण- उदाय(माथा मांय), प्राण (हृदय मांय), समान(हूंटी माय), अपान (गुह्य स्थान मांय), अर ध्यान (आखा शरीर मांय)।
किसोरदास- दे. राजप्रकाश।
कीचक- राजा विराट रो सालो अर सेनापति तथा कैकयराज रो पुत्र। अज्ञातवास रो समै इण द्रोपदी री लाज लेवण रो प्रयास कियो तो भीम रा हाथां मारीजियो।
कीर्तिसुंदर-  इणारो रचना काल सं. 1740 सूं 1770 गिणीजे। 'वाग्विलास, मांकड रास, ज्ञान छतीसी, साधु रा, चौबोली चौपई' ने 'अवंतिकुमार चोढालियो' इणारा ग्रंथ है। 'वाग्विलास' वातांरो सुंदर ग्रंथ है तो 'मांकड़ रास' विनोदी रचना है।
कुबेर (वैश्रवण)- विश्रवा ऋषि रो पुत्र, माता रो नाम देववर्णनी। ब्रह्मा रा वरदानां सूं इणने लंका अर पुष्पक विमाण मिलिया। दूजा वरदानां सूं इणने अमरत्व, रूद्र सी दोस्ती सूं राजत्व, लोकपालत्व अर धनेशस्व मिलिया। ओ यक्षधिपति हो। जद रावण इण कनै सूं लंका खोसली तो इण हिमाले में अलकापुरी वसाई। रावण, पुष्पक विमाण ई कोस लीनो। केहवीजे है के अे घणा कदरूपा हा। इणारे अेक आंख, तीन पग ने आठ दांत हा। इ्‌युं रावण अर कुबेर दुमात जाया भाई हा। इणरो मंत्री प्रहास हो।
कुब्जा- कदरूपी अर शरीर में तीन स्थानां सूं वांकी। कृष्ण री कृपा सूं आ सीधी ने सरूपा हुई। आ कृष्ण सूं प्रेम करती ही। 'भ्रमर गीत' काव्य में कुब्जा रे संबंध मांय गोपियां, कृष्ण ने खरी खरी सुणाई।
कुरजां-  (1) मासिक पत्रिका, जिणरा संपादक अद्भुत शास्त्री, रतनगढ। (2) अेक लोगगीत-  'कुरजां थे म्हारा भंवर मिलायदो अे।'
कुरब- राजा द्वारा खुद रा सामंतां अर जागीरदारां रो कियो जावण वालो स्वागत- सनमान। कुरब पनेर किसम रा हुवे, ज्युं- हाथ रो कुरब। इण मांय राजा नजराणा रे टांणे आपरो हाथ सामंत री भुजा सूं स्पर्श कर'र, उणीज हाथ ने आपरी छाती सूं लगावे।
कुराण-  मुसलमानां रो धरम ग्रंथ, ओ ग्रंथ अरबी में हो, मानीजे के ओ मुहम्मद ने इलहाम सूं प्रगट व्हीो।
कुरुक्षेत्र- महाभारत काल सूं चालतो आयो अेक तीरथ, जिको आज हरियाणा मांय है। ओ दिल्ली सूं 120 की.मी. आगो है। अठैईज महाभारत व्हीयो। कुरुक्षेत्र ने स्थानुतीर्थ अर सामंतपंचक ई केहवे।
कुलक- जिण पोथी मांय किणी शास्त्रीय विषय री संक्षिप्त जाणकारी दियोड़ी व्है। राजस्थानी मांय सोलमी- सतरमी शती मांय अैड़ी कुलक पोथियां घणी मिले।
कुवलयपीड- कृष्ण रो वध करण सारू इण नाम रा हाथी ने कंस आपरा बारणे ऊभो राखियो हो, पण श्रीकृष्ण इणरो वध कर'र, कंस रा दरबार मांय गया।
कुवलयमाला- जालोर मांय सं. 835 मांय आचार्य उद्योतनसूरि रचित ग्रंथ. इणमांय उण वखत री अडारे प्रांतां री सोले भाषावां रा नमूनां दीना है। इणा मांय सूं अेक मरूभाषा ई है। इण ग्रंथ मांय  जुदा जुदा प्रांतां मांय रेहवण वालां री विशेषतावां रो ई वर्णन है।
कुश- भारतीय संस्कृति री दीठ सूं अेक पवित्र दोब घास। संध्या, यज्ञ के बीजा धार्मिक कार्यो री अगत्य री वस्तु। हरेक हिंदू रे घर मांय इणरो राखणो जरूरी मानीजियो है। कुशासन माथै बैठने यज्ञ, पूजा- पाठ वगेरा करीजे।

कुश, लव- राम ने सीता रा बे पुत्र। इणारो जनम वाल्मिकी ऋषि रा आश्रम मांय हुयो हो। इणा जद राम रो अश्वमेघ रो घोड़ो पकड़ लियो तो जबरो युद्ध हुओ। भरत, लक्ष्मण, शत्रुघ्न ने हड्ुमान हारिया। युद्ध मांय राम, इणाने ओलखलीना। अैड़ी कथा है के अश्वमेघ मांय पधारण सारू राम वाल्मिकी ने नैतिया हा। ऋषि आपरा साथे दोनूं भाइयां ने ई ले गया, जठै इण बालकां रामायण गान सूं सैंगांने मोहित कर दिया। लव ने कौशल रो राज तता कुश ने उत्तर कौशल रो राज मिलियो।
कुंडलिनी- आ शक्ति मिनख रे मेरूदंड रे नीचे मूलाधार मांय है। ध्यान सूं इणने उर्द्धवित कियो जावे।
कुंडलिया रामायण- दे. अग्रदास।
कुंडलियो- चौवीस मात्रांवां रो अेक षष्टपदी डींगल छंद। 'झड़ उलट, राजवट' ने 'दोहाल' इणरा दूजा तीन भेद है। इण मांय पेहला दूहो ने पछे रोला आवे। इणरी दूजी विशेषता आ है के चौथो ने पांचमो चरण अेक ईज व्है।
कूंडापंथ- रावल मल्लिनाथ रो चलायोड़ो अेक वाम मारगी पंथ। आध्यात्मिक साधना री विचित्र प्रणाली, पण मूल भावना घणी ऊंची। इणरी अेक मानता आ ई है के जठे तांई कूंडा पंथी, घर रा किणी मिनख ने इणमांय दीक्षित नीं करे, उणरी आतमा मरिया पछे पण भटकतीईज रेहवे।
कुंती- आ शूरसेन री कन्या ने वसुदेव री बेन ही। इण रो नाम पृथा हो, पण राजा कुंती भोज रे खोले जावण सूं कुंती नाम पड़ियो। इणरो व्याव पांडु सूं हुओ हो, पण शाप रे कारण वो संभोग नी कर सकतो। दुर्वासा रा दियोड़ा मंत्र रा आह्वान सूं सूर्य, धर्मराज, वायु ने इंद्र द्वारा कुंती रे कर्ण, युधिष्ठिर, भीम ने अर्जुन पैदा हुआ। अश्विनीकुमार रा संयोग सूं माद्री रे नकुल अर सहदेव हुआ।
कुंदन माली- जनम सन् 1957, उदयपुर। इ्‌युं अंग्रेजी रा प्रोफेसर पण राजस्थानी रा कवि ने समीक्षक। आपरी पोथियां इण मुजब है-  (1) जग रो लेखो (काव्य) (2) समकालीन राजस्थान काव्य : संवेदन अर शिल्प (समीक्षा) (3) सागर पंखी (काव्य)। हिंदी अर अंग्रेजी मांय ई आपरी पोथियां छपियोड़ी है। 'गुजरात हिंदी अकादमी' सूं पुरस्कृत। अबार 'केंद्रीय साहित्य अकादमी' दिल्ली मांय राजस्थानी रे सलाहकार बोर्ड रा सदस्य है।
कुंभकर्ण-  (1) भदोरा (मारवाड़) रा रेहवासी ने अति प्रख्यात ग्रंथ 'रतनरासो' रा कवि। पिताजी रो नाम ईसरदास हो। 'रतनरासो' मांय रतलाम नरेश रतनसिंघ री वीरता रो वर्णन है। 'जयचंद रासो, रायसिंघजी री सतियां रा कवित्त' ने 'राठौड़ दुर्गादास रा गीत' इणारी दूजी रचनावां है। (2) रावण रो भाई, जिणरो वध राम कियो हो। जद ओ ब्रह्मा सूं वर मांगतो हो तो सरस्वती इणरी जीभ माथे बैठगी ने उणासूं ऊंग रो वरदान ईज मांग सकियो।
कुंभलगढ-  ओ गढ नाथद्वारा सूं 25 मील उतरादे घणघोर जंगल मांय है। अठैरा अेक जैन मिंदर री प्रशस्ति मुजब, इण गढ रो निर्माण जैन राजा संप्रति तीजा सैका में करायो हो। इणरो जीर्णाद्धार महाराणा कुंभा करायो। इणीज कारण इणरो नाम कुंभलगढ पड़ियो। कुंभगढ, कुंभमेरु, मछिंदरगढ ने माहिर इणरा दूजा नाम है। मंडन, जैता अर नापा जैड़ा उत्तम सूत्रधारां री देखरेख में वीस वरसां मांय ओ गढ वणियो। ओ विशाल गढ नील, धोली, हेमकूट, निषाद ने गंधमादन नाम री भाखरियां माथे पसरियोड़ो है। राणा सांगा ने राणा उदैसिंघ रो बालपण अठैईज वीतीयो। अठैईज ई. 1537 मांय उदैसिंघ रो राजतिलक हुओ। मालवा रो महमूद खिलजी ने गुजरात रो बादशाह कुतुबद्दीन इण गढने खोसण सारू घणा प्रयत्नां किया, पर हार'र नाठणो पड़ियो।

कुंभा- महाराणा कुंभा कोरा महान जोद्धा ई नी, पण कुशल प्रशासक ने सेनापति साते, अेक राजनीतिज्ञ, कालाकार ने निर्माता ई हा। मेवाड़ रा चौरासी गढां मांय सूं इणा अेकले बत्तीस बणाया। वास्तुकला रा मर्मज्ञ मंडन नै नापा दोनूं इणारा आश्रित हा। मंडन रो 'विश्वकर्मा शिल्पसूत्र' तो विश्वप्रसिद्ध ग्रंथ है। कुंभा खुद वेदां, स्मृतियां, व्याकरण अर उपनिषदां रा ज्ञाता हा। इणा 'गीत गोविंद' री टीका तथा 'चंडी शतक' री व्याख्या कीवी। चार नाटक लिखने 'अभिनव भरताचार्य' री उपाधि लीधी। वे संगीत शास्त्र रा महान ज्ञाता हा। संगीत माथे तीन ग्रंथ वणाया। अेक रो नाम 'संगीतराज' हो। कुंभा घणी भाषावां (संस्कृत, राजस्थानी, कन्नड़ अर मराठी) रा जाणकारा हा। मालवा विजय री यादगार मांय चित्तौड़ में जयस्तंभ वणायो। राज रा लोभ सूं इणारा पुत्र उदैसिंघ ई. 1525 मांय कटारी सूं इणारी हत्या कीवी। कुंभा, राणा लाखा रा पोता हा।
कुंबरमाणो- कुंवर रा नाम सूं प्रजा सूं वसूल करीजती अेक जागीरी लाग। कुंवर पछेवड़ो, कुंवर पांमरी, कुंवर सूखड़ी, इणरा दूजा नाम है।
कूंपल- अेक मासिक पत्रिका, जिका ई. 1965 मांय कपासण, मेवाड़ सूं शुरू हुई। इणरा संपादक श्रीमंत कुमार व्यास ने केशव पथिक हा।
कृत- मृतक रो अेक संस्कार।
कृत्या- अेक राक्षसी, जिणने तांत्रिक लोग आपरा अनुष्ठान सूं शत्रु ने मारण सारू पैदा करे।
कृपाचार्य- शरद्वान ऋषि ने जालवती नाम री अपछरा रा पुत्र। द्रोणाचार्य रा साला ने अश्वत्थामा रा मामा। बेन रो नाम कृपी। राजा शांतनु जद अठै सूं निकलता हा, तद उणा शरद्वान रा बालकां ने देखिया। शरद्वान इणारो त्याग कीनो हो। क्युंके शांतनु री कृपा सूं बालकां रो लालण- पोषण व्हीयो इणीज सारू इणारा नाम कृप अर कृपी पड़िया। कौरवां अर पांडवां ने धनुर्विद्या सिखावण रो काम भीष्म पितामह इणाने सौंपियो हो। महाभारत युद्ध मांय, अे कौरवा कांनी सूं लड़िया।
कृपाराम खिड़ियो- खराड़ी, जोधपुर में जनम। अे सीकर रा रावराजा लक्ष्मणसिंघ रा आश्रित हा। आपरा नोकर राजिया ने संबोधित करने जिके नीति रा सोरठा लिखिया, वे जगत में 'राजिया रा सोरठा' नाम सूं चावा है। आवड़ देवी री स्तुति अर 'चालकनेची' आपरी दूजी रचनावां है।
कृपालसिंह शेखावत-  जनम सन् 1924, मऊ (सीकर) शांतिनिकेतन मांय चित्रकला रा प्रोफेसर। पछे टोकियो यूनिवर्सिटी मांय व्याख्याता बणिया। आल इंडिया फाईन आर्ट एंड क्राफ्ट सोसायटी, कालिदास समारोह, उज्जैन अर फाइन आर्ट अकादमी सूं पुरस्कृत। भारत सरकार सूं 'पद्मश्री' सूं नवाजिया गया।
कृष्ण- विष्णु रा अवतार। वसुदेव- देवकी रा पुत्र। कंस ने जद आकाशवाणी सूं खबर व्ही के वसुदेव रो आठमो पुत्र उणोर वध करसी, तो उण आपरा बेन- बेनोई ने कैद किया। जेल मांय भादरवां सुधी आठम ने रात रा बारे वजियां कृष्ण रो जनम हुओ। बरसते मेह ने उफणती जमना में वसुदेव कृष्ण ने आपरा मित्र नंद रे अठे मेल'र, यशोदा री लड़की लेयने जेल मांय आया। ज्युंई कंस उण लड़की ने मारण सारू तैयार व्हीयो के वा अकाश मे उड़गी नै कह्यो के थारो काल पैदा हुयगो है। कृष्ण री हत्या सारू कंस घणा प्रयत्न किया, पण निष्फल नीवड़ियो। आखर कृष्ण- बलराम ने तेड'र अक्रूर मथरा आया। उठे कंसने मारियो अर उग्रसेन ने पाछो राज दीनो। द्वारका मांय यादवां रो राज थपरियो। रूकमणी सत्यभामा ने जांववती-  अे कृष्ण री दस पटराणियां मांय सूं मुख्य ही। नरकासूर वध पचे 16100 स्त्रियां साथे व्याव कीनो, जिके नरकासुर री बंदी ही अर इणासूं असी हजार पुत्र हुआ। कृष्ण रे अेक लड़का रो नाम प्रद्युम्न हो, जिको कामदेव रो अवतार हो। 'महाभारत' मांय अे पांडवां रे पक्ष में हा, नै अर्जुन रा सारथी बणिया। अर्जुन ने 'गीता' रो उपदेश दियो। इणारी मृत्यु प्रभासपाटण मांय अेक व्याध रा तीर सूं हूई। अवतार री वात त्याग देवां तोई वे अेक महान धर्मोपदेशक, राजनीतिज्ञ, समाज सुधारक, कुशल योद्धा, क्रांतिकारी सृष्टा, महानतम पुरुष ने नवा राज रा थापणहार हा।

कृष्णलाल विश्नोई (डा)- जनम 1952, अबूबशहर (हरियाणा) 'तीतर पंखी बादली' आपरो कविता संग्रै है। 'सुरजनजी कृत राजस्थानी रामायण, वील्होजी री वाणी, कवि गद्द के कवित्त' आद आपरा संपादिक ग्रंथ है। अबार राज. प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान, बीकानेर मांय शोध अधिकारी है।
कृष्णा-  सांवली होवण रे कारण- द्रोपदी रो अेक नाम।
केकयी- राजा केकय री पुत्री अर राजा दशरथ री मानेतण राणी। आ भारत री माता तथा घणी वीर ने रूपाली ही। मंथरा दासी रा बहकावा सूं भरत ने अयोध्या रो राज तथा राम ने चवदे वरसां रो वनवास- अैड़ा दो कौल दशरथ कनै सूं लिया।
केदार- हिमालै रो अेक शिखर नै चावो तीरथ, जिण माथे केदारनाथ रो शिवलिंग है। इणरी जात्रा अबखी है।
केरल- भारत रो अेक दक्षिणी प्रांत। ओ त्रावणकोर ने कोचीन, बे जूनी रियासतां सूं बणियो। काजू नै नालेर री पैदाईश सारू ओ जग मशहूर है। इणीज प्रदेश मांय आद शंकराचार्य व्हीया है। अठै ईसाइयां ने मुसलमाना री वस्ती ई घणी। अठे साक्षरता सौ टका है। इण प्रदेश री भाषा 'मलयालम' है।
केलादेवी- इण देवी रो मिंदर करौली मांय घणो जूनो ने विख्यात है। देवी रा घणा परचा है ने घणी मानता है। करौली नरेशां री आ कुलदेवी है। अठै चेत वदी इगियारस सूं पनरे दिनां रो मोटो मोटो भरीजे। इण मिंदर मांय पशुबलि नी होवे।
केशव पथिक- जनम ई. 1938, कपासण, मेवाड़। 'मंगलगीत, साथीड़ा सैनाण आंपणो' आप री रचनावां है तथा 'बागां रा फूल' रा संपादक हा। समाज री विसंगतियां दरसावण मांय आपरी जबरी पकड़ है।
केसरियो करणो- चारूं कोनी सूं गढ रे धिर जाणे अर रक्षा रो दूजो कोई उपाव नी देख, गढ रा रक्षक, जीवण- मरण रो मोह छोड़'र केसरिया कपड़ा पेहरने शत्रुं सूं जूंझता।
केसरियाजी- जैन संप्रदाय अर आदिवासियां रो अेक प्रख्यात तीरथ। अठै रा भगवान ऋषभदेव रा विग्रह ने केसर चढे ने आ भव्य मूरत परेवा रा भाटां सूं बणियोड़ी है। काला भाटा सूं बणियोड़ी होवण रे कारण इणाने कालियो बाबो ई केहवे। इणारी पूजा जैन- वैष्णव सगला करे। ओ तीरथ मेवाड़ मांय, उदयपुर- अहमदाबाद राजमारग माथे आयोड़ो है।
केसरिया बनड़ो- व्याव रो अेक लोकगीत। ओ गीत जानणियां उण टैम गावे, ज व्याव व्हीयां पछे बींद, बीनणी ने लेय'र जानीवासा आवे।
केसरीसिंघ बारठ- (सं. 1927 सूं 1999) मेवाड़ रा सोन्याणा गाम रा हा। इणारा पांच ग्रंथ प्रसिद्ध है-  'प्रताप चरित्र, राजसिंघ चरित्र, दुर्गादास चरित्र, जसवंत चरित्र' अर 'रूठी राणी'।
केसरीसिंघ बारहठ-  जनम ई. 1872, देवपुरा (शाहपुरा), राजस्थान रा चावा क्रांतिकारी। पिता कृष्णसिंघ शाहपुरा दरबार रा पोलपात हा ने संस्कृत, हिंदी ने राजस्थानी रा विद्वान हा। अे मराठी, बंगला अर संस्कृत चोखा जाणकारा है। पत्नी रो नाम माणक ने पुत्र रो नाम प्रतापसिंघ। सर्वश्री अर्जुनलाल सेठी, खरवा ठाकुर गोपालसिंघ ने विजयसिंघ पथिक जैड़ा क्रांतिकारी मित्र हा। प्यारेराम साधु हत्या- केस मांय सरकार इणाने फँसाया ने वीस वरस री जेल' कीवी अर कोटा सेंद्रल जेल में राखिया। लारे सूं बिहार री हजारीबाग जेल मांय राखिया। उठै गुणतीस दिन जेल मांय भूख हड़ताल कीवी। अपराध सूं बरी हूवणे पर पाछा कोटा आया। शाहपुरा दरबार रा मौड़ गिणीजता। पछे कोटा नरेश उमेदसिंघ आपने आपरा दरबार मांय ऊंचा ओहदा माथे राखिया। ई. 1911 मांय इणा राजपूतां जोग देशभक्ति री अपील काढी, जिणसूं अंगरेजां मांय खलीबली मचगी। ई. 1912 मांय जद महाराणा फतैसिंघ, दिल्ली- दरबार मांय हाजरी देवण सारू जावता हा के इणा 'चेतावणी रा चूंगटिया' नाम सूं तेरे सोरठा लिख'र मेलिया। परिणाम ओ व्हीयो के वांचता ई महाराणा पाछा उदैपुर आयगा। इणारा बलिदान माथे किणी कह्यो के-
हिवड़े ऊठी हूक, पलकां सूं पाणी पड़े।
करे कालजो कूक,  किम धायो केहरसी।
श्रीमती माणक ने आपरा परिवार ऊपर घणो मान हो ने उणा कह्यो-
प्रताप जैड़ा पूत दे, केहर सो भरतार।
देवर जोरावर दिया, कर धोया करतार।।

केसोदास गाडण- जनम सं. 1610 गाडणा री वासणी (मारवाड़)। जोधपुर महाराजा गजसिंघ रा आश्रित ने 'लाख पसाव' सूं पुरुस्कृत विद्वान कवि। रचनावां प्रौढ ने प्रवाहपूर्ण है। 'गुण रूपक, विवेक वारतां री निसाणी, गजगुण चरित्र' अर 'अमरसिंघ रा दूहा' आपरी रचनावां है।
कैलाश- मानसरोवर झील सूं उतरादे पचीस मील आगो, हिमालै रो अेक शिखर, जिको अबार तिब्बत मांय है। ओ तिब्बत चीन रो भाग है। ओ शिव- पारवती रो स्थान मानीजे। हिन्दुवां रो तीरथ है।
कैलाशदान उज्जवल- जनम सन् 1922, ऊजलां (जैसलमेर)। निवृत्त आई.अे.अेस. अफसर। जुदाजुदा महकमां मांय घणा पदां माथे काम करियो। डींगल रा नामी कवि। आपरी पांच पोथियां प्रगट है-  'अंतस, आलोच, हसो मन वसो, बारह मासा, अबला सतसई' अर 'भाथड़ो'। इगसठ छंदां री 'श्री करणी वंदना' ई छपियोड़ी है।
कैलाशसिंह सांखला-  जनम सन् 1925, जोधपुर। चावा वन्य विशेषज्ञ। दिल्ली मांय जू (पशु संग्रहालय, ZOO) रा अध्यक्ष रह्या। सन् 1976 लंदन मांय जंगली जानवरां माटे आयोजित विश्व सम्मेलण री अध्यक्षता कीवी। भारत सरकार इणाने 'पद्मश्री' सूं नवाजिया।
कोकदेव- काश्मीर रा अेक पंडित, जिण 'कोकशास्त्र' अर 'रति शास्त्र' ग्रंथ पचिया।
कोटा- पेहला अठै भीलां रो राज हो, ने कोटिया भील राजा हो। इण सारू इण प्रदेश रो नाम कोटा पड़ियो। सं. 1931 मांय बूंदी रा जीतसिंघ भीलां ने हराय'र आपरो राज जमायो। उण टैम कोटा, बूंदी रो मातहत रो। सं. 1970 मांय माघोसिंघ कोटा राज रो पेहलो स्वतंत्र शासक हुओ। इणा कोटा राज रो विस्तार कीनो नै कोटा नगर ने आपरी राजधानी बणाई, जिको चंबल रो कांठे सुंदर नगर है। आजकाल ओ अेक मोटो उद्योग नगर अर रेलवे जंकशन है।
कोमल कोठारी- जनम ई. 1929 कपासण (मेवाड़)-  'रूपायन संस्था, बोरूंदा रा निदेशक अर संगीत- नाटक अकादमी, राजस्थान रा अध्यक्ष रह्या। लोक संस्कृति अर लोक साहित्य रा विकास मांय मोकलो काम कियो। 'भारत सरकार'  पद्मश्री सूं नवाजिया। साहित्य अकादेमी, दिल्ली रा राजस्थानी भाषा रा परामर्शक ई हा।
कोयलड़ी सिध चाली- व्याव रे पछे, बेटी रे विदा टांणे लुगायां द्वारा गावीजतो, चावो करुणापूर्ण विदाई- गीत।
कोयलाराणी (कोकिला रोहिणी)-  भक्तवर ईसरदास बारठ री आराध्य देवी। अेक पुराणकथा मुजब शंखासुर दैत्य रो वध करण सारू भगवान कृष्ण आपरी कुलदेवी जगदंबा सूं याचना कीवी। देवी कोयल रा रूप मांय प्रगट हुयने वचन दीनो के म्हूं आपरा शस्त्रां माथे बैठ'र, आपरे साथे रेहवूंला। जगदंबा रा प्रताप सूं आखी यादवी सेना, नावड़ियां वगर, समंदर पार करने अेक भाखर माथे पहुँची। भगवान उण शिखर माथे मिंदर बणवायो अर जगदंबा री प्रतिष्ठा कीवी। तद सूं इण भाखर रो नाम 'कोयल पर्वत' ने जगदंबा 'कोयलराणी' रा नाम सूं ओलखीजे। इण देवी नाम हर्षद माता ई है। ओ भाखर, जामनगर जिला रा भाटिया गांम सूं 21 मील दूर समंदर रे कांठे आय़ोड़ो है। ईसरदासजी आपरा ग्रंथ 'हरिरस' मांय मंगलाचरण रा दूजा छंद मांय माता सूं अैड़ी वाणी देवण री वीनती कीवी, जिणसूं वे भगवान रो भजन कर सके-

रिध सिध दियण कोयणराणी, बाला बीज मंत्र ब्रह्माणी।
वयण जुगति द्यौ अवचल वाणी, पुणां क्रीत जस सारंगपाणी।।
कोलायतजी- वीकेनर सूं 11 मील आगो कपिल मुनि रो चावो तीरथ धाम। अठैरा तलाव माथे दूजाई घणा मिंदर है, काती- पूनम ने अठै मोटो मेलो भरीजे।
कौरव- राजा कुरु री संतान, आगे जांय ने ओ नाम धृतराष्ट्र रा सौ पुत्रां सारूं रूढ हुयगो।
कौशिक- (1) महाराजा कुशिक रा वंशज कौशिक केहवीजिया। विश्वामित्र इणीज वंश रा हा ने इणीज कारण इणारो दूजो नाम कौशिक हो। (2) इंद्र रो अेक नाम। (3) अेक तपस्वी। अेक दिन अेक पंखी इण माथे वींट कीवी। इणा क्रोध में पंखी कांनी जोयो तो वो भसम हुयगो। इणसूं इणाने आपरा तप रो अभिमान व्हीयो। अेक दिन भिक्षाटण वखत थोड़ो मोड़ो होवण रा कारण (पति सेवा में) घर- घणियाणी कांनी क्रोध सूं जोयो। लुगाई बोली के म्हूं  वन री पंखी कोनी के परी बलूं? तपी ने घणो अचरज हुयो ने माफी मांगी। लुगाई आगे कह्यो के थे मिथिला रा धरम व्याघ सूं मिले। धरम व्याध इणाने उपदेश दियो ने ओ ई कह्यो के पूर्वजनम में वोई अेक ब्रामण हो।
कौशल्या- राजा दशरथ रा अेक राणी अर श्रीराम रा माता। अे कौशल नरेश भानुमान री पुत्री हा।
कौस्तुभ- चवदा रत्ना मांय सूं अेक, जिको समुद्र मंथन सूं निकलियो हो। विष्णु इण रत्न ने आपरा गला मांय पेहरियोड़ा रेहवता।
क्षीर- नीर- न्याव- (1) पाणी ने दूध ज्युं अेक हुयने अभेद बण जावे, इण भांत अभेदता रो भाव। (2) हंस ज्युं पाणी अर दूध ने जुदा कर देवे, इण भांत झूठ- सांच ने जुदा करण रो साचो न्याव- आ अेक कवि प्रसिद्धि है।
क्षीर सागर- पुराणां मुजब सात समंदरां मांय सूं अेक, जिको दूध सूं भरियोड़ो रेहवे, विष्णु इण मांयने शेष- शय्या माथे सोवे।

खड़बड़ खोपो- सुसरा रो वो अपमानकारी नाम, जिको कुलखणी के कलहकारी पुत्रवधू राखे।
खड़ी बोली- दिल्ली अर मेरठ री आजू- बाजू बोलीजणवाली वा बोली, जिका आज हिंदी नाम सूं प्रसिद्ध है।
खमाघणी- गुरु आचार्य, महंत के राजा- महाराजा रो हाथ जोड़ने कियो जावण वालो अेक अभिवादन, जिणरो अरथ हुवे के आप क्षमा करण में घणा समर्थ हो।
खरक कूण- राजस्थानी में सोले दिशावां मांय सूं अेक, वायव्य ने आथूंणी दिशा रे विचली दिशा।
खंडकाव्य- प्रबंध काव्य रो अेक रूप, जिणमांय जीवण रा किणी अेक ईज पक्ष के घटना रो वर्णन व्है। महाकाव्य रा घणा तत्त्वां रो इण मांय समावेश व्है।
खारभजणा- अमल के दारू लियां पछे, मूंडा रो जायको सुधारण सारू खावीजणवाली वस्तुवां- खारक, मिश्री, सोपारी, पापड़ वगेरा।
खालसा- (1) राजावां री उपपत्नियां रो अेक भेद। (2) सिक्खां रो अेक संप्रदाय। (3) राजा री वा जर्मीं, जिका सीधी राजा रे शासन हस्तक हुवे। (जागीरदार री नी)
खालिया करणो- अन्याव रे विरोध मांय धरणो देयने खुद रे हाथ सूं माथो काटने बलिदान हूवणो।
खासो- (1) राजा सूं संबंधित। ज्युं- खासो थाल, खासो हाथी वगेरा। (2) मात्रा मांय वत्तो।
खंाडव वन- अेक पौराणिक वन, जिको अबार मुजफ्फरपुर (उत्तरप्रदेश) जिला मांय है। 'पद्मपुराण' रे मुजब ओ वन जमना रे कांठे हो ने इन्द्रप्रस्थ इणरो भाग हो। मय दानव इणीज खांडव वन मांय रेहतो हो।
खांडो व्याव- ओ अेक भांत रो व्याव हो। मध्यकाल में इणरे मुताविक किणी कारणवश वर, जान रे सागे बींद बणने नी जा सके तो उणरे बदला में खांडो जावतो। बीनणी खांडा सागे ई फेरा फरती ने दूजा नेगचार ई खांडा साथे करीजता। कदैई कदैई खांडा सागे तीन फेरा फिरीजता ने लारला फेरा बीनणी रे सासरे आयां फिरीजता। हथलेवो ई सासरा मांय जोड़ीजतो।
खिड़ियो जगो- खिड़िया खांप रा चारण ने रतलाम नरेश रतनसिंघ रा दरबारी कवि। पिता रो नाम रतना। सं. 1715 मांय रतनसिंघ, जोधपुर महाराजा जसवंतसिंघ री तरफ सूं औरंगजेब सूं लड़िया नै काम आया। उण टैमरो आख्यां देख्यो हेवाल कवि आपरी रचना 'वचनिका राठौड़ रतनसिंघ री' मांय करयो। इणारा थोड़ा शांत रस रा पद ई मिले।
खीमराज 'प्रदीप'- जनम ई. 1935, जसोल (बाड़मेर)। 'पारसमणी' ने 'जमाने रो हेलो' दो रचनावां प्रगट है। जालोर री अेक साहित्यक संस्था रा मंत्री है।

खीमेल माता- (क्षेमकरी दुर्गा)- सिरोही जिला रा वसंतगढ मांय इण मात रो मिंदर है। वर्मलात रा राजकाल मांय गोष्ठिकां ओ मिंदर सं. 682 मांय बणवायो। इम माता रो पेहलो नाम 'क्षोमार्य्या क्षेमकरी हो, जिको अपभ्रंश हुयने खीमेल माता केहवीजे।
खींवो आभल- राजस्थान री अेक सुंदर लोक प्रेमकथा। चोटीवालागढ रो राजकंवर घणो फूटरो ने बलशाली। इणने आपरी भाभी री नैनी बेन आभलदे सूं प्रेम हो। आभलदे ई घणी फूटरी अर दोनूं अेक दूजां सूं प्रेम करे। पुष्कर यात्रा रो मिस करने वा उणसूं मिलण गई। खींवसिंघ (खींवो) छाने छाने रातरां उणसूं मिलतो। आभलदे रे काका ने इणरा समंचार मिलतांईज, उणे खींवाने मार दीनो। आभलदे घणी कलपी ने आखर शिव- पार्वती पधारिया ने खींवा ने जीवतो कियो। पछे उण दोनूं रो व्याव व्हीयो।
खुमाण रासो- इण ग्रंथ रा लिखारा साधु शांतिविजयजी रा शिष्य दौलतविजयजी हा। दीक्षा रे पेहला इणारो नाम दलपत हो। ग्रंथ रो रचना कल सं. 1769- 70 रे वच मांय मानीजे। इण मांय बप्पा रावल सूं लेय'र महाराणा राजसिंघ तांई रा राणावां रो वर्णण है। कावल खुमाण रा वंशज हूवण सूं, मेवाड़ रे महाराणा री उपाधि 'खुमाण' व्ही ने इणीज सारू इण ग्रंथ रो नाम 'खुमाण रासो' है। ओ डींगल रो विशाल ग्रंथ है, जिण मांय 3500 छंद है। ओ आठ खंडां मायं विभाजित है। दूहा, कवित्त, चौपाई ने छप्पय छंदां सूं बणियोड़ो इण ग्रंथ री भाषा सरल अर प्रसाद गुण सूं युक्त है।
खूमाणो- रावण खूमाण रे वंशजां रो विरुद।
खेजड़ली रो साको- अेक रूंख सारू 363 जिणारे बलिदान री इण अपूर्व घटणा रो जोटो, संसार मांय कठैई जोवा नी मिले। जोधपुर सूं 24 की.मी. आगो विसणोइयां रे गाम खेजड़ली मांय जोधपुर महाराजा अभैसिंघ रे काल री आ घटणा। अेक नवो गढ वणावण सारू चूनो पकावण वास्ते इंधण री जरूर पड़ी तो इण गाम री खेजड़ियां वाढण रो हुकम व्हीयो। ज्युंई राज रा आदमी खेजड़ियां वाढणी शरू कीवी तो अेक विसणोई रामू खोड़ री पत्नी अमृताबाई उणरो विरोध कीनो। उण कह्यो के थे लीला रूंख नी वाढ सको। राजा रा आदमी कह्यो के थांने इणारी कीमत देसां। रूंख ने काठी चेंटती उण कह्यो-
दाम लियां लागे दाग, टुकड़ो देवो न दान।
सिर साटे रूंख रहे, तोई ससतो जाण।।
गामवाला रे देखतां, सिपाई उणरा कटका कर नाखिया। पचे अमृताबाई री जवान जोध छोरियां आई। उणारी आईज दसा हुई। पछे तो अेक अेक कर तीन सौ तेसठ लोग लुगायां आपरो बलिदान दियो। महाराज अभैसिंघ ने ठाह पड़तांई उठै आया ने आपरा मंत्री गिरधरदास रा इण पाप करम री माफी मांगी। साथे- साथे तांबा- पत्र लिख दीनो के हमैं पछे नी तो विसणोइयां रे गां मांय लीला रूंख काटीजेला अर नी जनावरां रो शिकार हुवेला। आ घटणा 7 सितम्बर (भादरवा सुदी दसम) री है। उण दिन सूं उठै शहीदा री याद मांय मेलो भरीजण लागो। अैड़ो अनोखो बलिदान संसार रे किणी देश रे इतिहास मांय कोनी। श्री सुंदरलाल बहुगुणा रे 'चिपको आंदोलण' री आ घटनाईज प्रेरणा है।

खेड़- बालोतरा सूं पांच मील आथमणे अेक जूनो खंडेर स्थल, अठै पेहला गोहिलां रो राज हो ने डाभी दीवाण हा। राव सीहा अर उणारा पुत्र आस्थान उण दोनूं ने हराय'र मारवाड़ माथे आपरो राज कायम कीनो। अठै बारमा सैका मांय निर्मित चारभुजा ध्रुवनारायण रो कलापूर्ण मिंदर है। विग्रह चार फीट ऊंची धोले संगमरमर रो है। अठै दूजा बे शिवमंदिर ने अेक देवी रो मिंदर ई है। मुक्य मिंदर मांय शेषशायी विष्णु री छ फुट लांबी मूर्ति है। इण मांय ईज ब्रह्मा ने हड़मानजी मिंदर है। इ्‌युं तो हरेक पूनम ने अठै मेलो भरीजे, पण भादरवा वदी आठम (ध्रोब आठम) ने अठै मोटो मेलो भरीजे। इणरो जीर्णोद्धार रो काम सर्वश्री मुकुनदास पंसारी, रामयशगुप्त अर आचार्य बदरीप्रसाद साकरिया आरंभ कीनो हो, इण पेहला बदरीप्रसाद अर रामयश रा पिताजी, हर पूनम ने उठे जायने मिंदर री मूर्ति सफाई करता ने पूजा करता।
खेड़ा री वाघण- अेक भांत रो शिकार।
खेतड़ी- सन 1756 मांय राजा भोपालसिंघ इण नगर ने वसायो। भाखर माथे भोपालगढ़ है ने हैठे अेक विशाल तलाव है, जिणने सेठ पन्नालाल शाह सन् 1871 मांय बणवायो उण टैम उणरी लागत अेक लाख रूपिया आई। इण तलाब माथे राजा अजीतसिंघ, स्वामी विवेकानंद रो स्वागत कियो हो। इण राज मांय तांबा री खान है ने देश रो चावो मोटो कारखानो पण अठैईज है।
खेतलोजी- (1)क्षेत्रपाल। खेतरपाल। (2) भैरु।
खेतसी सांदू- अे महाराज अभैसिंघ, जोधपुर रा आश्रित कवि हा। अमदावाद री राड़ मांय अे महाराजा रे साथे है। 'भाषाभारत' रे नाम सूं कियोड़ो 'महाभारत' रो पद्यानुवाद सुंदर रचना है। इणरो रचनाकाल सं. 1686- 87 मानीजे अर डींगल री श्रेष्ठतम रचना मांय सूं आ अेक है।
खेमचंद प्रकाश- जनम ई. 1807 सुजानगढ़। गायन, वादन अर नृत्य तीनूं कलावां मांय प्रवीण हा। संगीत निर्देशक। 25- 30 फिल्मां मांय संगीत दियो। 'पागल, होली, तानसेन, परदेसी, महल, सावन आयो रे' वगेरा फिल्मां मांय आपरी गायन कला खिली।
खेहटियो विणायक(गणेश)- किणी शुभ कारज रे पेहला पूजीजणवाला, भारतीय संस्कृति रा अेक पूजनीक देवता। राजस्थान मांय व्याव वगेरा मांगलिक कामां माय इणारी थापणा करीजे। मांगलिक अवसरां माथे लुगायां रा लोकगीता मांय अे अग्रणी है।
ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती- जनम सं. 1509, मध्य अेशिया रा साजिस्तान रा सझ्झ गाम मांय। अे सिद्ध ओलिया गिणीजे। पिता रो नाम गयासुद्दीन अर माता रो नाम माहतूर हो। सन् 1635 मांय निधन। अजमेर मांय उणारी मजार है जठै हर वरस उर्स भरीजे, जिण मांय लाखां लोग देश- विदेश सूं आवे। शेरशाह सूरी अर बादशाह अकबर जियारत सारू अठै आया हा। मजार रे चोफकेर चांदी रो कठेरो, जैपर महाराजा सवाई जैसिंघ बणवायो हो। वडोदरा (गुजरात) रा गायकवाड़ जरी रे कामवालो मखमली शामियोणो भेट कियो हो। मक्का अर मदीना पछे मुसलमानां रो सैगां सूं लंूठो तीरथ ओ गिणीजे। अठै भेदभाव वगर सगली जातां आवे। अठैरा वडा धेग मांय 120 नै नैना धेम धांय 60 मण मेवावाला चावल अेक साथे रांधीजे। ख्वाजा सूफी संत हा। दरगा रे नीचे शिव मिंदर है, जिको अबार बंद करीजियोड़ो है।

गणेश-शिव-पार्वती-पार्वती रा पुत्र, जिणारो माथो हाथी रो अर देह मिनख री है। एक वार पार्वती आपरी पीठी री मूर्ति बणाई ने ुण मांय जीव नाखियो, जिणसूंं ए गणेश केहवीजिया। शनैश्चर री क्रूर दृष्टि सूं इणारो माथो धड़ सूं जुदो हुओ। देवता हाथी रो माथो काट'र जोड़ दियो, इणसूं गजानन केहवीजिया। एक बार शिव-पार्वती अंतःपुर मांय हा ने गजानन बार-रक्षक हा, उण टैम परशुराम मांय ने जावण लागा, जिणसूं दोनूं रे वच्चे राड़ हुई ने वांरो एक दांत टूट गयो, इणसूं एकदंत केहवीजिया। एक वार सैंग देवता नक्की कीनो के सगला सूं पहेला पृथ्वी री परकम्मा करने जो आवे, वो हरेक मंगकारज मांय सर्वप्रथम पूजनीक गिणजेला। सगला देवता आप आपरा वाहानां माथे सवारी कर'र चालिया। गणएशजी तो जमी माथे 'राम'   लिख'र, खुद रा वहान मूषक माथै बैठ'र, उपरे ओले-दोले चक्कर लगायनै बैठ गया. राम नाम री महिमा समझ'र सैंग देवता उणाने पूजनीक गिणीया। इणीज सारू हरेक मांगलिक कारज इणारी पूजा सूं आरंभीजे। ए घमोट मोटा विद्वान हा। वेदव्यास जद महाभारत लिखण पैठा तद कोई योग्य लहियोनी मिलियो। इणारो आह्वान कियो गयो ने इणा ओ महान कार्य पूर्ण कियो। ऋद्धि ने सिद्धि इणारी बे पत्नियां ही।
गणेशपुरी स्वामी-जनम सं. 1883। गाम चारणवास, मारवडा। पद्माजी रोहड़िया रा पुत्र। इणारो कविराजा मुरारीदान साथे शास्त्रार्थ हुओ। पण मुरारीदान प्रभावशाली घणा हा, नै इण कारण लोग इणाने हारियोडा घोषित किया। इण घटणा सूं इणाने मर्मात पीड़ा व्ही ने वैराग्य ले लियो. दस वरस कायी मांय अध्ययन कर'र पाछा ाया अर मुरारिदान ने वकारिया, पण वे नटका ने कह्यो के साधुवां साथे कुण शास्त्रार्थ करे। वीर विनोद (महाभारत रा कर्ण पर्व री कथा) 'मारु महाराज' अर 'जीवण मूल' इणारा ग्रंथ है। वीर विनोद, राजस्थान यंत्रालय अजमेर सूं सटीक प्रकाशित है।
गणेशीलाल 'उस्ताद'- श्री चंद्रभाण व्यास रा पुत्र। जनम सं. 1907, जोधपुरष बालपणा सूं स्वतंत्र मिजाज रा हा। देश री आजादी सारू जंग चढ़िया। जनभाषा री पकड़ जबरी। जनता रा दुखदरद रो अनुभव करण आलो अर उणरा रहण-सहण ने अपणावण आलो पेहलो कवि। आजादी रे पछे पहेला मारवाड़ मांय अर पछे राजस्थान मांय जनसंपर्क अधिकारी रह्या। मृत्यु सन् 1965। राज. साहित्य, भाषा, संस्कृति अकादमी, इणारे नाम सूं 11000 रुपियां रो पुरस्कार थरपियो है।
गणेश्वर-नीम का थाना, सीकर-(राज.) सूं आसरे छः किलमोमीटर आगो, एक चावो तीरथ। गालव मुनि रो आश्रम अठैईज हो. बाखरां रे विच में ओ घमओ रमणीक स्थल है, अठै बारो मास गरम पाणी रो झरणो वेहवे।

गद्य-गद्य कवना निकषं वदंति सांचाणी गद्य साहित्यकारां री कसौटी है। गद्य वा रचना है, जिको छंदोबद्ध नी व्है अर जिणमांय वर्ण ने मात्रांवां री संख्या ने उणारा स्थान रो प्रतिबंध रो नियम नीं हुवे। वात, नवलवारता, लेख, ख्यात आद मिरी विधावां है। राजस्थानी गद्य साहित्य री उत्पत्ति तेरमा सैकां सूं पेहला री है। विविधता अर मात्रा-दोनूं दीठ सूं इणमांय बोहलो साहित्य है।

गमनो ओड-इण मिनख ने आधुनिक भीम कह सकां. आसोतरो मारवाड़ रो कामदेव जैडो फूटरो ओ व्यक्ति चाली आदमियां रो भोजन अर उतरां ई आदमियां रो ेक दिन रो काम कर सकतो हो. खाली बलदा-गादी तो वो आपरा मोरा माथे उठायने चाल सकतो हो। कीं वरसा पेहला उणरी मृत्यु हुई। ओ कहेवतो के-काम करतां करतां थाके कीकर ने खावतो खावतो धापे कीकर ?
गया-फल्गू नदी रे कांठे बिहार प्रांत में आयोड़ो एक प्रसिद्ध हिंदू तीरथ। ओ एक शक्तिपीठ गिणीजीे। पुराण कथा मजुब अठे सीता रो छाती रो अंश पड़ियो हो। इण सूं थोड़ोक आगे बौद्धगया आवे, जजै भगवान बुद्ध बौद्धत्त्व प्राप्त कियो हो। गयासुर राक्षस रा नाम सूं ओ गयो केहवीजियो। आखो गया क्षेत्र पांच कोश रो मानीजे, अठै पितरां ने पिंडदान देवीजे।
गरासिया-ए आपने राजपूत माने। इणारी सैंग खांपां राजपूतां री है। केहीजे है के जालोर रो चौहाण कान्हड़दे जद युद्ध में तुरकां सूं हारियो तो सैनिकां साथै भाकरा मांय रेहवम लागो. अठैइज कान्हड़दे रा पुत्र ने दूजा घमआ राजपूतां भीलणियां साथे व्याव किया। उणासूं उत्पन्न पुत्रां ने भील 'पराया' कहेवण लागा। पछे ओ शब्द 'गराया' बणगो, जिको नगरा मांय 'गरासियो' केहवीजे। गुजरात मांय नैना जागीरदारां ने गरासिया केहवे । अठे इण शब्द री उत्पत्ति 'ग्रास' सूं मानीजे, जिणरो अरथ 'कवो' हुवे। (अथांत नैनी जागीरी-कवा जैड़ी)।
गरीबदास-दादूपंथी एक प्रसिद्ध संत। इणारो जनम सांभर मांय सं. 1662 मांय हुओ हो अर मृत्यु सं. 1993 में हुई।
गवर्नमेंट कॉलेज, अजमेर-165 वरसां जूनो ने ईस्ट इंयिा कं. सूं 'ब्लू कैसिल' में सन् 1839 मांय थरपित, एक इंगलिश स्कूल सूं इणरो आरंभ व्हीयो हो. सन् 1840 में हाई स्कूल ने सन् 1848 मांय इंटर मीडियट कॉलेज बणियो। उण टैम रा राजस्थान रा ेजेंट जनरल कीटींग, वर्तमान भव्य भवन रो शिलान्यास कियो हो। उण समै राजस्थान मांय ओ एक मात्र कृलेज हो अर ओ कलकत्ता विश्वविद्यालय सूं संबद्ध हो। उणरे बाद आगरा विश्वविद्यालय सूं संबंधित रह्यो। राजस्थान विश्वविद्यालय बणिया पछे उणसूं संबंधित रह्यो। ने अबे तो अठे एक स्वतंत्र विश्वविद्यालय महर्षि दयानंद रा नाम सूं बणायो गयो है ने ओ काॉलेज उणसूं संबंधित है. इमरी लाइबेरेरी में डोढ लाख सूं वत्ती पोथियां है, जिणमांय सूं घणी अप्राप्य है। अठै रा वाचनालय में 200 पत्र-पत्रिकावां आवती ही।
गरुड़-कश्यप तथा विनता रा बेटा'र विष्णु रा वाहन। पक्षीराज केहवीजे। देवतां सूं जुद्ध कर'र इणा आपरी माता ने कद्रू री दासता सूं छोड़ावी। इणा दैत्यां रो संहार कियो. णिारो दूजो नाम तार्क्ष्य हो ने इणारा पुत्र रो नाम सुमुख है।
गर्ग-बृहस्पति रा वंश में उत्पन्न एक ऋषि, जिणा गर्ग संहिता नाम रो धर्म ग्रंथ बणायो।
गलताजी-इम तीरथ रो माहात्म्य दरशावतां कह्यो गयो है के अड़सठ तीरथ पुष्कर गुरु, गलता न्हायंं होसी शुरु। केहवीजे कै के पेहला तो महामुनि गालव रो आश्रम हो। इणारा नाम माथेईज गलता नाम पड़ियो। इण आपरा तप सूं अठै गुप्त गंग प्रगट कीवी। ओ घणो रमणीय स्थल है अर जैपुर नगर सू ंउगूण भाखरां रे वच में आयोड़ो है। गलता एक सरोवर है, जिणोर पाई कदैई नी खूटे। गलताजी में सात कुड़, सात राम मिंदर, अर सात ई हनुमान मिंदर है, अठैईज संत कृष्णदास पयहारी विरजतां हा, जिणरा चेला भक्तवर नाभादास हा।
गलालैंग-ओ वागड़ प्रदेश रो ऐतिहासिक, अमर लोक, वीर-काव्य है। गलालैंग काव्य रो नायक। ओ उगणमे किणी देश रो राजा हो, जिको भाइयां रे कजिया कारण, आपोर देश छोड़'र मेवाड़ आय वसियो। महाराणा जयसिंह राजी हुयने छप्पन अर मेवल री जागीरी दीवी। उणरी बेन रो ब्याव डूंगरपुर नरेश रामसिंह साथे हुओ हो। जयसमंद बंधावण मांय उणरो मोट हाथ हो, पण किणी री चाडी सूं के गलालैंग रुशव्त लेवे, राणा उणने देश छोड़ण रो हुकम दिया। उठै सूं वो आपरा बेनोई कने गयो. बेन रा हठ सूं उणने पचलासा री मोटी जागीर मिली। कडाणा जागीरदार जद लूटपाट शुर कीवी तो गलालैंग आपरी नवी परणी मेड़तांणी रा मोह मांय महला मांय मौज माणतो हो। तद उणरी मां जोरदार फटकारियो।  उणे कडाणि माथे हुमलो कियोने  जीतियो, पण रणखेत रह्यो। पचलासा मांय दोनूं राणियां सती हुई। तीन सौ बरसां उणरी  कीर्ति आजई गावीजे। गलालैंग काव्य रा रचयिता, अपढ हा, छतां काव्य घणो स्वाभिवक है तथा वीर अर सिणगार दोनूं रसां सूं भरपूर है।

गलिया कोट-डूंगरपुर सूं तीस मील आगो, ओ घणो जूनो नगर है। पेहला ो परमारां री राजधानी हो. अठै सीतलामाता रो जूनो चावो मिंदर है। दाऊरी वोरा मुसलमांनां रो ओ घमओ मोटो प्रख्यात तीरथ है, अठै विश्वप्रसिद्ध संत सैयदी फखरुद्दीन री जियारतगाह है। अठै 27 मोहरम ने जबरो मेलो भरीजे।
गवरी-ओ उदैपुर रा भीलां रो मेरु-नाट्य है। भगवान शिव इणरा केंद्र मांय हुवे। भस्मासुर रो प्रतीक राईबूड़िया, मोहिनी अर पार्वती दोनूं री प्रतीक राइयां, कुडकड़ियों (सूत्रधार) अर पाटभोपी-ए पांच गवरी नृत्य रा मांजी कहेवजी। दूजा नाटकिया (अभिनेता) खेल्या केहवीजे। कुटकड़ियो झामटड़ा (कथा) कहेवे। ओ नाच सवारण नव वजियां सूं सांझ रा छ वजियां तांी चाले। आखा भारत में ओ सगलां सूं लांबो न-त्य है ने ो गाम रा चोवटा माथे हुवे। मादल अर थाली इणरा बे वाजींत्र है।
गवरी देवी-जनम सन् 1920। जोधपुर री जग चावी मांड गायकि जिणने बीबीसी वाला लंदन में कार्यक्रम सारू नैतिया हा। अड़सठ वरसां री अवस्था में सन् 1988 मांय देहांत व्हीयो। रूस में सन् 1979 रा भारत महोच्छ मांय भाग लीनो। सींगत नाटक अकादमी रा प्रशिक्षण शिविरां मांय वे लुगायां ने प्रशिक्षण देवता। इणारा पिता बंसीलाल, बीकानेर नरेश श्री गंगासिंंघ रा दरबारी गायक हा। श्री मोहनलाल सागे व्याव हुओ, पण चौबीस वरसां री जोधजवान अवस्था मांय विधवा व्हेगा। जोधपुर दरबार श्री उम्मेदसिंघ रा दरबार मांय रह्या । पछे रींवा गया। श्री गोरधनलाल काबरा री प्रेरणा सूं आकाशवआमी मांय प्रोग्राम देवणो शुरु कियो।
गवरीबाई-जनम सं. 1815, डूंगरपुर, नागर ब्रामण ने बाल विधवा। ए वागड़ प्रदेश रा मीरा केहवीजे। इणारा भनज वागड़ प्रदेश मांय घणाईज लोकप्रिय है। मीरा रे ज्यूं, ए कृष्ण री पति रूप सू ंउपासना करता। इणारो ग्रंथ कीर्त माला है। जिणमांय 801 पद है। सं. 1875 मांय जमना कांठे समाधी लीधी।
गंगा-भूगोल री दीठ सूं हिमाले री गंगोत्री सूं निकलण आली एक घणी पवित्र नदी, जिका बंगाल री खाड़ी मायं गंगासागर नाम रा तीरथ मांय समंदर सूं मिले। हरद्वार, प्रयाग अर कासी जैड़ मोटा तीरथ इणरे कांठे आयोड़ा है, पुराणा री दीठ सूं गंगा विष्णु रा जीमणा पग रा अंगूठां सूं नीकली है। हिन्दुवां रो विस्वास है के (1) गंगा रा दरसण, गंगाजल रो वीवणो, ने इण मांय सिनान करणो सूं मोक्ष मिले अर इण मायं फूल पधरावण सूं पितरां री आत्मावां ने शांति मिले। पुराणा मुजब गंगा, शांतन ु(महाभिष) री पत्नी बणी, जिणसूं उणरे आठ पुत्र उत्पन्न हुआ। सात ने तो उण गंगा में डुबो दिया, पपण आठमा ने सांथनु बचा लियो. ओ आठमो पुत्र भीष्ण हो, इण सार गंगा रो नाम भीष्मसू पड़ियो। परशुराम अर भीष्म रा जुद्ध में, गंगा भीष्म री रक्षा कीवी. राजा भागीरथ आपरा वडेरां रा उद्धार सारू घोर तप कीनो ने गंगा ने स्वर्ग सूं जमीं माथे लावोय इणीज सारू इणरो नाम भागीरीथ पड़ियो। जद ऋषि जहूनुं गंगा ने पी गया तो भागरीथ री वीनती सूं जांघ द्वारा पाछी काढी। इणसूं जणरो नाम जाह्नवी पड़ियो। विष्णु रे पगां सूं नीकली णि सारू इणरो नाम विष्णुपदी पड़ियो। ऐड़ी इण गंगा नदी ोर पाणी कुण जावे कीकर वरसां तांई बंद राखियां पछे पण कीड़ा न पड़े। भक्तकवि पृथ्वीराज राठौड़ अर ईसरदास गंगा रा घणा बखाण किया है। साहित्य महोपाध्याय भूपतिराम गंगा रा पर्यायां रा दूहा लिखिया है।
गंगाद्वार-भाखरां मांय सूं आवतां आवतां गंगा जठै पेहली वार मैदान मांय आवे वो स्थान। इणरो पुराणओ नाम हरिद्वार है।
गंगासागर-एक तीरथ, जठै गंगा समंदर मांय मिले। अठे कपिल मुनि रो आश्रम है।
गंगोतरी (गंगोत्री)-हिमालै रो वो तीरथ, जठै सूं गंगाजी प्रगट व्है। अठै गंगादेवी रो एक मिंदर है। गंगोतरी कनै पतनगिरि मांय चार पांडवां ने द्रौपदी रो पतन हुओ हो।
गंधर्व-देवता जके संगीत विद्या मांय कुशल हुवे। चित्ररथ ने तुंबुरु प्रधान गांधर्व गिणीजे।
ग्रंथराज-गाडण गोपीनाथ रचित डींगल रो एक महत्त्वपूर्ण काव्य ग्रंथ।
गाडोलिया लुहार (गाड़िया लुहार)-आ एक घुमक्कड़ जात है, जिका आपरी घर बिकरी साथै लेय'र एक स्थान सूं बीजे स्थान जावै। आजादी पछै नेहरुजी इणाने चित्तौड़ मांय कायमी वास करावण रो एक प्रयत्न कीनो, पण इतरा वरसां पचे हालतांई इणारो पुनर्वास संभव नी व्हीयो। केहवीजे के महाराणा प्रताप री विखा री वेला, ए सदीव सिरोला नीवड़िया। उण वेला इण व्रत लीनो के जठैतांई चित्तौड़ माथै आपणो अमल नीं व्है, वे चुणीजियोड़ा धरां मांय नीं रेहवे, आभै हेठैीज रहसी। ए लोग राजस्थान सिवाय पंबाब, गुजरात, सिंध, आंधप्रदेश अर मध्यप्रदेश मांय जाय वसिया।
गाथा-(1) 'प्राकृत' भाषा रो एक छंद। इणरो प्रयोग राजस्थानी मांय ई व्है (2) संस्कृत रे साथे पाली भाषा रे विकृत सबदां सूं युक्त ेक भाषा रो नाम (3) एक प्राचीन ऐतिहासिक विधा।
गाधोतरो-ऐड़ो शिलालेख जिण माथे गधा सूं संभोग करती लुगाई कोतरियोड़ी व्है, जिणरे हेठै उचालो रो हवालो देपा पाछी नी आवण री प्रतिज्ञा व्है. इणरो मतलब हो व्है के जो म्हां पाछा आवां तो म्हांणी बेन, पबेटी के पत्नी ने गधा साथे संभोग करण रो दोष लागे। गायत्री- (1)ब्रह्मा री ज्ञानशक्ति, जिका सरसती ने सावित्री रे नाम सूं ओलखीजे। (2) ईश्वर प्रार्तना मांय वपरीजतो एक तीन पदां वालो मंत्र।
गायत्री मंत्र-त्रिकाल संध्यावंदन मांय सूरजी पूजा रो एक चावो अर पवित्र वेद मंत्र। द्विज (ब्राह्मण, क्षीत्र अर वैश्य) मात्र सारू इणरो रोजीना जाप करणो अनिवार्य है। ओमकार अर व्याहतियां साथे ओ मंत्र इणभांत है-ॐ भूः भव तत्सवितुर्वरेण्यं। भर्गोदेवस्य धीमहि। धियो योनः प्रचोदयात्‌।
गार्गी-वचक्नु ऋषि री विदुषी कन्या। आ ब्रह्मज्ञानी ही ने परमहंस ज्युं जगत मांय विचरण करती ही। इण जनक री सभा मांय याज्ञवल्क्य सूं शास्त्रार्थ करियो हो।

गांडीव-र्‌्जुन रो धनुष। ब्रह्मा इणने बणाय'र सोम ने दियो हो. सोम, वरुण ने दियो। अर ्‌ग्नि री बीनती सूं वरुण ओ धनुष अर्जुन ने दियो हो। अंतकाल समै अर्जुन इणने वरुण ने पाछो सूंप दीनो।
गांधारी-गांधार नरेश सुबल री पुत्री अर धूतराष्ट्र री पत्नी। शिव इणने सौ पुत्रां रो वरदान दियो। हो आपरा पति ने आंधो देख'र, इण ापरी आंख्यां माथे पाटी बांधी, जिणसूं इणने कोई पर-पुरुष दीखे ई नी।
गांधीजी-जनम पोरबंदर (सौराष्ट्र) सन् 1869 अर मृत्यु सन् 1948, दिल्ली। विश्ववंद्य महात्मा। संत राजनीतिज्ञ अर भारत रा राष्ट्रपिता। इंगलैंड सूं बैरिस्ट्री पास कर'र दक्षिण अफ्रीका मांय वकालात सुरु कीवी। बोरयुद्ध मायं फौजियां री सेवा करने नाम कमायो। अफ्रीका मांय राष्ट्रीय-आंदोलण रा जनक। पछे देश पधारिया। पेहला महाराष्ट्र मांय वर्धा तथा उणरे पछे गुजरात मायं साबरमती नदी रे कांठे आश्रम थरपिया। मजदूर संगठन, अछूतोद्धार, राष्ट्रभाषा हिन्दी रो प्रचार, खादी रो प्रचार, हिन्दू-मुस्लिम एकता, सत्य अहिंसा ने सर्व धर्म सभा जैड़ा घणा कार्यां ने आपरा स्पर्श सूं सफल वणा दिया। सन् 1920 मांय असहयोग आन्दोलन आरंभियो, पण चोराचोरी री हिंसक घटणा सूं दुखी व्है ने बंद कर दियो. 1930 मांय निमक सत्याग्रह सारू दांडीयात्रा शुरी कीवी। 1933 मांय हरिजन सेवक छापो काढियो। 1934 मांय कांग्रेस सूं राजीनामो दीनो। 1942 मांय 'भारत छोड़ो आन्दोलन' आदरियो। 1944 मांय कस्तूरबा री जेल मांय मृत्यु। 1947 मांय उणारी इंचा विरुद्द देश रो विभाजन व्हीयो। उण चैम कौमवाद रे दावानल सूं बलता कोलकाता अर नोआखली रे यात्रावां कीवी। आमरण अनशन कीयनो। 30 जनवरी, 1948 बिड़ला भवन, दिल्ली मांय सांझ री प्रार्थना सभा मांय जावता, प्रमआम रे मिस नाथूराम गोडसे इणारी हत्या कीवी. देश री दूजी भाषावां ज्युं राजस्थानी मांय ई गांधीजी माथे मोकलो साहित्य मिले।
गिरधर आसियो-ए मेवाड़ रा इणारो रचनाकाल सं. 1920 रे लगेटगे है। इण महाराणा प्रताप रा भाी सगतसिंह माथे सगत रासो ग्रंथ रचियो।
गिरधर शर्मा नवरतन-जन्म सं. 1938, झालरापाटन (झालावाड़) हिंदी रा शीर्ष साहित्यकारां मांय सूं एक। सन् 1900 मांय झालावाड़ सूं विद्याभास्कर नाम सूं मासिक पत्रिका काढी, सैगां सूं पेहला गीतांजली रो हिंदी मांय अनुवाद किनो। ऊमर खैयाम री रुबाइयां रो हिंदी मांय अर गोल्ड स्मथि री हरमिट रो संस्कृत मांय उलथो कीना। 1961 मांय निधन।
गिरिजाशंकर शर्मा डॉ.- जनम बीकानेर। भारतीय प्राच्य विद्या मन्दिर रा उपनिदेशक (निवृत्त) जाणीता शोद विद्वान ने घमी पोतियां लेखा रां लिखारा। आचार्य तुलसी राजस्थानी शोध संस्थान सूं महातऊ प्रकासन तििहास रो साच रा लेखक-संपादक।
गिरधरलाल शास्त्री-सं. 1994, उदयपुर मांय जनम। घणी पोथियां रा लिखारा। चावा विद्वान। प्रणवीर प्रताप, ऊमर खैयाम, गंगालहरी, करुणा लहरी, मोह री मोगरी, दुरगा सप्तसती, सत्यनारायण कथा, मनसा महादेव री वात आपरी छपियोड़ी पोथियां है। मेघदूत अर महाविकाग्नि मतिर् अनुवाद है। राजस्थान सरकार सूं पुरस्कृत ।
गिरीशचंद मिश्र-जनम सं. 1967 सुजानगढ़। स्वतंत्रता सेनानी। बीकानेर राज, जेल मायं ठूंसिया। आजादी पछे ठ
छूटा। राजस्थान भूषण रो सनमान मिलियो। गिरीश रामायण, हनमान मंगल कवच, भक्त गिरीश भजनावली आपरी पोथियां है।
गिंदड़-राजस्थान रो एक चावो लोक-नृत्य, जिको होली रे तेवार माथे एक गोल कुंडाले मांय नाच्यो जावे। कुंडाले रे वच मांय नगारची नगारा बजावे। नाचणियां रे हाथां मांय डांडियां व्है। नाचता समै इणारी पगां री चाल भांत भांत री व्है। ज्यूं सादी चाल, आडी चाल, मांयली चाल, बारली चाल. अ र बैठक री चाल। इण नाच मांय न्यात-जात रो भेद कोनी व्है ने गा मरा सगला जणा भाग लेवे। कई लोग न्यारा-न्यारा सांग बण'र आवे अर नाचे। जिके लुगायां रा सांग बणे, वे सूठ, ढोलो, ओलू अर पीपली गीत गावे। गीत-(1) मिनख री सुख दुख री तीव्र अनुभूति रो शब्द रूप गीत है जिको आपीर ध्वन्यात्मकता मांय गावीज सके. गीत बे भात रा व्है (क) लोक गीत अर (2) शाहित्यिक। गीतां रो आरभ वेदों सूं गिणीजे,, पण इमरो खरो रुप तो जयदेव कृत गीत गोविंद मांय देखीजे. राजस्थानी गीतां रो आरंभ संतां-भक्तां रे पदां सूं व्है। मीरां रा गीत जग चावा है । (2) राजस्थानी छंद शास्र मांय गीत एक छंद रो नाम ई है जिणरा सौ सूं बेसी भेज आज मिलै। संसार रे किण साहित्य मांय आ विशेषतां जोयां नी मिले।
गीत रामायण- जोधपुर रा श्री अमृतलाल माथुर द्वारा रचियोड़ी राजस्थानी भासा अर राजस्थानी राग-रागमियां अर ढालां मांय सात कांडां री संक्षिप्त रामायण।
गींडाराम वर्मा-जनम सं. 1922 मंडावा (झुंझणु)। राजस्थान के लोक नृत्य, लोकोस्तव, लोक नाट्य, लोकानुंरन अर लोक संगीत आद हिंदी मांय पोथियां छपी। श्री देवीलाल सामर रे कलामंडल, उदयपुर सूं संबंधित।
गींदोली-वालोतरा सूं 14 कोस आचूणे मालाणी परगणा रे सिणली गाम मांय सिणलागर तलाव माथे गोरी पूजा करती तीजणियां ने गुजरात रो बदाशाह अपहरण कर'र ले आयो। मेहवा रे मल्लिनाथ रो वीर पुत्र जगमाल उणारी वाहर गयो। तीजणियां छोड़ाई ने उणारे साथे बादशाही री शहजादी गींदोली ने ई ले आयो। मारवाड़ मांय तीजणियां इण घटना रो वर्णण लोकगीतां मांय तीज परवा माथे करे-
गींदोली जगमाल म्हाले, गीदोली किम दीजे हो राज।
बादशाह वलतो आक्रमण कीन,ो पण हारियो। गींदोली ले जावण मांय असफल रह्यो ।
गींदोली गुजरात सूं, असपत री धी आण।
राखी रंगनिवास में, थे जगमाल जुवान।।
कठैी कठैी ओ ईमानीज के जमाल खु जुद्द करण सारू नी गयो, पण उणरा सेनापति ओपजी, गींदोलनी रो हरण करने लाया।
गुण-(1) रसोत्कर्ष मांय कारणभूत पदार्थ। भरत ्‌र बीजा दस आचार्य दस गुण-श्लेष, प्रसाद, समाधि, उदारत,ा णाथुर्य, अभिव्यक्ति, कांति, सुकुमारत, समता नै ओज मानिया हा। पण आचार्य विश्वनाथ सगलां रो समाहार कर'र फकत तीन गुण ईज राखिया-माधुर्य, ओज नै प्रसाद (2) ग्रंथ। ज्युं गुण हरिरस, गुण आपण, गुण निंदास्तुति वगेरा। (3) सभाव ने शरीर री दीठ सूं गुण दोय भांत रा व्है। एक शारीरिक नै बीजो आंतरिक। सात्विक, राजसिक अर तामसिक गुण ई मानीजे।
गुण आंपण-भक्त कवि ईसरदास बारहठ रचित आत्मज्ञान रो ग्रंथ।
गुण गजमोक्ष-दे माधोदास दधावड़िया।
गुण जोधाहण-दे. पसाइज गाडण।
गुण रासलीला-सांया झुला रो बाईस नाराच छंदा मांय रासलीला रो उत्तम वर्णन।
गुर्जर-(1) गुजरात प्रदेश रो एक जूनो नाम। (2) एक विशेष जात।

गुरु गोविंद-लंकाऊ राजस्थान रे भाखार मांय इणा सम्पसभा नामरी संस्था बणाई। णिसूं भील, मीणा, अर गरासियां मांय क्रांतिकारी फेापर व्हीया. सन् 1903 मांय इणा मानगढ मांय आसण जमायो। उठै धूणी री थापना कीवी ने मिगसर सुदी पूनम ने मेला रो आयोजण कियो. संपसभा रा प्रचार सूं भीलां रूद्राक्षी री माला धारण कीवी अर मांस-मदिरा रो त्याग कियो. आदिवासियां री वधती जनचेतना रे कारण अंगरेज घमा चिंतित व्हीया नै रोष भरीजिया। सन् 1908 मांय मानगढ मांय जद आखा वागड़ प्रदेश रो सम्मेलण भरीजियो तो सस्त्र क्रांति री बीक सूं डूंगरपुर, वांसवाड़ा, अर खैरवाड़ा रा सैनिकां निसस्त्र लोगा माथे गोलियां छोडी, जिणसूं आठ सौ मिनख मरिया ने हाजरां घवाया। गुरु गोविंद गिरफ्तरा व्हीया। उणारी सैंग संपत्ति लूंटीजी। ुणारे माथे फगत केहवण सारू मुकदमो चलायो ने पछै फांसी दीवी। आ इतरी भयंकर दुर्घटणा ही के जलियावांला बाग री घटणा इण सामां फीकी पड़े। गुरु गोविंद आध्तात्मिक गुरु ने सामाजिक कार्यकरता हा। उणारे संप्रदाय मांय दीक्षित लोग खद ने भगत केहवे। ओ संप्रदाय मालवा अर गुजरात मंय ई प्रसरियोड़ो है। गुरु गोविन्द रो जनम डूंगरपुर राज रे वांसिया गाम मांय वणजारा परवार मांय व्हीयो हो। सन् 1880 मांय स्वामी दयानंद रे परथख दरसणा पेहला ई वे उणारा क्रांतिकारी विचार सूं घणा प्रभावित हा।
गुरु हनुमान-बाल ब्रह्मचारी अर कुस्ती मांय भारत रो नाम ऊंचो राखण मांय गुरु हनुमान एक मोटो नाम है। झुंझुणू जिला रा चिडावा गाम मायं आपरो जन्म व्हीयो। माता-पिता रो नाम लालाराम ने रजवंती। जनम नाम विजयपाल। पद्मश्री अर द्रोणाचार्य सनमान प्राप्त कीनो. बालपण मांय मा-बाप रे पाछा हुवण सूं दिल्ली आया। दिल्ली मांय पन्नालाल कौशिक वांने मदत कीवी। ठौड़-ठौड़ अखाड़ा लगाय'र हजारां पेहलवान तैयार कीना।
गुलाबचंद नागोरी-भरतियाजी पछे राजस्थानी रा लूंठा लिखारा। ठाकर रामसिंग इणाने रास्थानी रा भीश्म पितामह कह्या। महारा,्‌टर मांय जनमिया अर उठैईज भणिया इणीज कारण इणारी भासा माथे थोड़ो मराठी प्रभाव है। मारवाड़ी मौसर अर सगाई जंजाल आपरा चावा नाटक है।
गुलाबराग-महाराज विजैसिंंघ, जोधपुर री प्रबल पारसवान। उण आपरा बेटा तेजसिंघ ने राजगादी देवणो च्हायो, पण सामंतां गुलाबराय री हत्या कर दीवी ने तेजसिंघ ई मार नांखियो।
गुह-मोहोट राम भगत। ए श्रृंगवेरपुर रा निषाद राज हा। इणा राम रो स्वागत कीनो, गंगा पार कराया ने चित्रकूट तांई साथे गया। सेना साथे भरत ने आवतां जोयने, उणासूं जुद्ध करण सारू तैयार व्हीया। राम री जबरी भगती जोयने वशिष्ठ इणाने गले लगाया।
गूढोक्ति-एक अर्थांलंकार, जिणमांय कीणी बीजाने संबोधित कर'र, संबंधित व्यक्ति ने सुणायो जावे।
गो-(1) प्राचीन काल सूं पवित्र मानजीण वालो पशु-गाय जिका समृद्दि री सूचक ही अर वेपार मांय सिक्का री ठौड़ वापरीजती। पंच गव्य, पंचामृत अर गाय रे गोबर सूं नीपीयोड़ी भौम पवित्र मानीजे। (2)ईंद्री।
गोकर्ण महादेव-डोडा रायसिंघ कने एक चावो तीरथ। नैणसी री ख्यात माय वर्णण है के मधु, कैटभ ने रावण अठै तप कियो हो।
गोकुल-मथरा सूं आठेक की.मी. दूर जमना कांठे वसियोड़ो तीरथ । अठै वल्लभ सम्प्रदाय रा घणा मिंदर है।
गोकुलभाी भट्ट-सिरोही जिला रे हांथ गाम मांय सन् 1899 मांय जनम। इणारी भणआई मुंबई मांय व्ही, जठै इणारा पिता एक सेठ री नौकरती करता हा। अठैईज विठ्ठलभाी पटेल रे संपर्क मांय आा। बैरिस्ट्री सारू विदेश प्रस्तान री तैयार करता हा के सन् 1920 मांय गांधीजी रे आंदोलण सूं प्रभावित हुयने आंदोलण मांय कूदीया। सिरोही मायं प्रजामंडल री थरपणा कवी.ी सन् 1947 मांय सिरोही रा पेहला प्रधानमंत्री वणिया, पण सादी जोवा जैड़ी। नी तो किणी बंगला मांय रेहवण गया अर नी सरकारी गाड़ी रो ऑफिस आवण-जावण मांय उपयोग कीनो। राष्ट्री संविधान सभा रा सदस्य चुणोजिया। देश-विदेश री यात्रावां कीवी। ईयूुं तो साहित्यकार नी हा, पण आदाजी रे पेहला  नैनी-मोटी रचनावां सूं देश मांय जागृति री जोत जगावता। घणीवार, देश के काज जेलगया। समाज अर राष्ट्र री सेवा करण सारू इणाने जमनालाल बजाज पुरस्कार एनायत व्हीयो। आज री गंदी राजनीति मांय ऐक तपधारी रिषी हा। लारे सूं ए सर्वोदय आंदलण सू ंजुड़गा अर घमी कीर्ति कमाई। 6 अक्टूबर सन् 1986 मांय मृत्यु।
गोगा (गूगा)मैड़ी-आ जगा गंगानगर जिलार रे नोहर गाम सूं 26 मील दिखणाद आयोड़ी है। गोगा मैड़ी मतलब गोगा री समाध माथे बणायोड़ो मिंदर। मिंदर ररे वच मायं विमिल्ला कोतरीजियोड़ो एक भाटो ी है। वीकानरे महाराजा गंगासिंघ इणरो जीणोद्धार करवायो। इम मैड़ी रे चोफकेर जिको जंगल  है वो गोजाजी वणी कहेवीजे। इयुं तो गंगामैड़ी घमआ गामां मांय मिले, पण इयुं मानजी के सैंगा सूं पेहला गोगा मैड़ी मुहम्मद गौरी बणवाई-जद उणरी मानता फली। गोगा मैड़ी मांय नात-जात रो भेद नी राखीजे. मैड़ी रे कोट मायं मांचो ढालने कोई सोय नी सके अर नी ओरण री लकड़िया ा घरे ले जा सके। गोगा नम रे दिन मोटी पूजा व्है अर भादरवा वदी एकम सूं लेय'र पूनम तांई मेलो भरीजे।

गोगाजी (गोगादेव चौहाण-राजगढ कनै ददरेवा गाम मांय राणआ जेहवरराज (जहरराज-नागराज) रा ए बेटा हा। माता रो नाम वासगदे (वाछल) अर पाबूजी राठौड़ री भतीजी केलणदे इणारी पत्नी हा। णिा बादशाह अल्तमिश रा शाहजादा फिरोजशाह ने जुद्ध मां य हरायो। इण जुद्ध मांय इणारो भाई अर घुटुंब रा घमआ लोग मारिया गया। घर आया जद इणारी मा ई इण माथे फिटकारां री वरसा कीवी. भादरवा सुद नम ने एक युद्ध मांय वीरगति पाई। ए आखा राजस्थान मांय देवता ज्यूं पूजीजे। मानता है के इणारी पूजा करणे सूं साप नी डसे अर धारो के डसे तोइणारी पूजा-मानता सूं जहर उतर जावे। गोगाजी रो बीजा नाम जहरवीर अर गूगापीर। इणारी कीरत मांय प्रसिद्ध है-
गाम गाम खेड़ी ने, गाम गाम गोगो।
घोट पीवो अंतरछाल, कालो हणे न बोगो।।
गोगाजी रो छडावो जबरो व्है। पइसा, नालेर, जीवता घडोा, बकरा ने साप रे साथे साथे सोना चांदी रा नगार अर छतर। इणरे साथे कांबलां, रेवड़ी, पतासा लूंगी, कांचली वगेरे ई व्हे। मुसलमान तालिजाय वणायने चढावे। इण चढावा री कीमत आसरे तीन लाख रुपिया व्है। वीठू मेहा दुसणाली गोगाजी रा रसावला  लिखिया है। राजस्थान मांय पाचं पीरां रो दूहो चावो है।
पाबू हड़बू रामदे, मांगलिया मेहा।
पांचू पीर पधारजो, गोगादेव जेहा।।
गोडाण (गोडावण)-जैसलमेर रे पाली प्रदेश रो एक दुर्लभ पंखी। इणरी आकृति गरुड़ अर चील रे विचली है ने लारलो भाग हंस ज्यू  व्हे। ओ राजस्थान रो राज पंखी (स्टेट बर्ड) है। ओ हिरण री चाल ज्यु चाले ने घमओ मीठो बोले। इणरो रंग धोलो के थोड़ो भूर व्हे। (2) जेसलमेर रो एक लोकगीत।

गोडो वालणो-मुकाण जाणो।
गोत्र-गोत्र (गोत) सबद रे संबंध मायं दो मत चावा है। (1) जितरा कुटंब आपरी गायां ने एक ठाण बांधता, उणरो एक गोत्र मानीजतो। (2) इणरो सबंध वंश परंपरा सूं है। किणी साचो के काल्पनिक पुरुष सूं वंश परम्परा रो आरंभ व्हैणो। गोत्रां रा आदपुरुष ब्राह्मण रिषी है। ज्यु-अत्रि, भरद्वाज वगेरा। जिणरे गोत्र री ठाह नीं व्है, वे सगला कश्यप गोत्र रा मानीजे क्यूंक कश्यप रिशी ने सैंगा रो आद-पुरुष मानीजे।
गोदावरी-महाराष्ट्र मांय वहणआली एक पवित्र नदी। इणनै गौतमी ई केहवे। त्रयंबक इणरो उद्गम स्थान अर नासिक तीरथ इणरे कांठे वसियोड़ो है।
गोपालजी कविया-सीकर जिला रा उदयपुरा गाम रा एक चावा कवि। जनम सं. 1832 मांय आलूजी कविया रे वंश माय व्हीयो हो। ए इतिहास रा विद्वान हा। शिखर वंशोत्पत्त पीढी वात्रितक, कूर्मवंश यश प्रकाश अपर नाम लावो रासो, खंडेले रो इतिहास, अर कृष्ण विलास इणारा ग्रंथ है। काव्य प्रकाश अर सभा प्रकाश ई इइणारा बणायोड़ा मानीजे। इणारा फुटकर डींगल गीत ई मिले। घणा निडर प्रकृति रा हा। सं. 1942 मांय मृत्यु।
गोपालसिंघ, खरवा-जबरदस्त क्रांतिकारी, त्यागी अर रासबिहारी घोष, रा क्रांतिकारी आंदोलम रा प्रमुख थंभ। ता जीवण क्रांतिकारी आंदोलम रा आगीवाण रह्या ने नजरबंदी मांय आखी ऊमर काढी। णिारी जागीर जब्त व्ही। परवार रा सदस्यांन घमआ फोड़ा पड़िया। घमआ क्रांतिकारियां ने प्रशिक्षण दियो तथा घमआ अस्त्रशस्त्र भेला करिया। चावा क्रांतिकारी केसरीसिंग बारहठ इण वास्ते लिखियो-
महाराष्ट्र में बाल जिमी, बांचाले में लाल।
राजत राजस्थान में, गौरवमय गोपाल।।
गोपी-वैष्णव साहित्य मांय गोपी रो मतबल उण सगली स्त्रियां सूं है, जिके गोकल मायं रेहवती ने श्रीकृष्ण री लीलावां मांय भाग लेवती।
गोपीनाथ गाडण-बीकानेर राज रा सडू गाम रा हा ने बीकानेर नरेश गजसिंघ रा आश्रित कवि हा। ग्रंराज ्‌र गजसिंघ रुपक कावप्य ग्रंथां री रचना कीवी, जिणसूं राजी हुय'र महाराजा इणाने लाखपसाव अर गेरसर गाम री जागीरी बख्शी।
गोमुख-उत्तरखंड मायं गंगोतरी रे ागे वो स्थल जठै गंगा भाकरां मांय सूं बारैे आवती दीशे. अठैरा भाखर री आकृति गाय ज्यु है, इण कारण इणरो नाम गोमुख पड़ियो। ऊबड़-खाबड़ रस्तो व्हैणे सूं अठै लोग कम जावे।
गोरखनाथ-तैरमा सइका रा गोरखनाथ, मछिंदरनाथ (मत्स्येन्द्र नाथ) रा चेला ने चावा योगी हा। चौरासी नाथ सिद्धां मांय ए प्रमुख गिणीजे। गोरखपुर (उत्तरप्रदेश) नगर इणारे नाम माथे वसियोड़ो है। भक्ति-मारग र पेहला, इणारो योग-मारग सगलां पंथां सूं शक्‌तिशाली गिणीजतो। ए आपे युग रा सै सूं मोटा आध्यात्मिक नेता हा। णिा अखंड ब्रह्मचर्य अर शील-सदाचार माथे वत्तो जोर दीनो। गोरखनाथ रे चलां री बारे शाखावां है। ए लोग कान फड़वाता। इण कारण इणाने कनकटा जोगी ई केहवे।
गोरधन-(1) एक भाखर, जिको मथरा सूं 27 कि.मी. आगो है। इंद्र रे कोप सूं बचण सारू श्रीकृष्ण इणने आंगली माथे उठायने गोप, गोपियां अर पशुधन री रक्षा कीवी। दीवाली री दूजे दिन गोबर रो गरोधन बमाण'र इणरी पूजा करीजे। ईजीज दिन मिंदरा मांय अन्नकूट करीजे अर गायां, बलदां ने सिनान करावीजे। उणारे सींगां रे तेल लगायने रंगरोगान करीजे। गोवर्धन पूजा रो मंत्र इण भांत है-
गोवर्द्धन धराधर
गोकुल त्राणकारक
विष्णु बाहु कृत्तीच्छायो
गवां कोटिष प्रदोभव।

(2) एक संत नै कवि, वीकानेर जिला रे ईनपालसर गाम रा राजपूता हा। पछे ए जसनाथी संप्रदाय मांय दीक्षित व्हीया। गौर व्यालो नाम री ेक उत्कृष्ट रचना इण बणाई, जिका वरदा नाम री मासिक पत्रिका मांय छपी।

गोरधनसिंह शेखावत-जन्म सन् 1943, गुडा (झुंझुणु) एम.ए. री परीक्षा मांय सोना रो तमगो मिलिय। किरकिर नाम रो काव्य संग्रह प्रगट व्हीयो। बतलावण, गोरबंद अर कथायान नाम री पत्रिकावां रो संपादन करीनो। हिंदी मांय पोथियां लीखी। चोखा समीक्षक। पेहला लक्ष्मणगढ़ कॉलेज मांय प्राध्यापक हा, अर अबार निवृत्त व्हीयां पछे सीकर मांय एक कॉलेज मांय प्राचार्य है।
गोरधनलाल जोशी-नाथद्वारा रा चावा लोक चित्रकार, जिणारे वास्ते रूसी कलाकार स्टेटोरोकि कह्यो के-'ए भविष्य रा महान चित्रकार है।'भील जीवण रा सगला पासा, इणारी चित्रकला रा विषय रह्या। इणरे चित्रां री एक प्रदर्सणी दिल्ली मांय ई राखीजी ही।
गोरबंद-(1) एक तिमाही पत्रिका जिणरा संपादक श्री रुपराम आशादीप हा अर इणरो पेहलो अंक सन् 1983 मांय प्रगट व्हीयो। इणरी प्रकासशक संस्था ही मीरा राजस्थानी संस्थान, श्री गंगानगर (2) ऊंटां रा सिणगार सारू उणारे गलां रो एक गेहणो, जिको लूंवां ने फूंदियां सूं गूंथीयोड़ो व्है। (3) एक प्रख्यात लोक गीत (4) भगवानदास तोदी कॉलेज, लक्ष्मणगढ़ रो सालाणी पत्रिका रो नाम।
गोरा-वीकानेर रे राव जैतसी रा एक समकालीन कवि। इणारे लिखियोड़ा 'राव लूणकरण रा कवित्त' अर 'राव जैतसी रा कवित्त' घणा चावा है।
गोवर्द्धन शर्मा (डॉ.)-जनम  सन् 1927, जोधपुर (राज.)। राजस्थानी भासा माथे हिंदी मांय घमओ लिखियो. राजस्थान कवि भाग ेक अर बे, तथा राजस्थानी साहित्य के ज्योतिपुंज आपरी पोथियां है। डींगल साहित्य माथे आपने पी.एच.डी. री उपाधि मिली। एम.ए. हिंदी मां सोना रो तमगो मिलियो। शोध निदेशक। रिटायण होवण रे पेहला ए गुजरात री राजधानी गांधीनगर री कॉलेज रा प्रार्चाय हा। घणा अनुशानस प्रिय अर ईमानदार। कच्छ माथे गुजराती अर हिंदी मांय उत्कृष्ठ पोथियां लिखी। अर गुजरात सरकार तथा गुजराती साहित्य अकादमी कांनी सूं पुरस्कृत व्हीया। इणीज भांत राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर अर उत्तरप्रदेश सरकारी कांनी सूं पुरस्कृत। गुजरात राज्य हिंदी साहित्य अकादमी रा कार्यकारिणी सदस्य रह्या। इणीज अकादमी री तिमाही पत्रिका शब्द भारती रा संपदाक रह्या तथा इणीज अकादमी 11000 रूपिया रा साहित्यकार सम्मान पुरस्कार सूं सनमान करीजियो।
गोविंद अगरवाल-जनम सं. 1989 चूरु। मुरश्री तिमाही रा यशस्वी संपादक। शेखर का सोरठा अर वारांत ही चाले पुस्तकां रो संपादन कीनो। राजस्थानी लोक कथाएँ भाग 1 अर 2 नै चूरमंडल रो इतिहास आपरा प्रकाशित ग्रंथ। इम इतिहास सूं इणाने देशव्यापी कीरती मिली, क्युंके इण जोड़ रो ग्रंथ दूजो कठैई मिलेई कोनी। नगरश्री चूरु संस्था रा संचालक।
गोविंददास सेठ-जनम जैसलमेर। हिंदी रा ख्यातनाम नाटककार नै देशभक्त। कांग्रेसी नेता। घणीवार देशहित जेल गया। आपरा पिता राजा गोकलदास जबलपुर मांय निवास करता हा। ऐई परवार सागे विणज-वेपार साथे उठैई रेहवता हा। घमआ वरसां तांई सासंद रह्या। सैसूं जूना सांस  होवण रे कारण घणी वार कार्यकारी अध्यक्ष चूंटीजिया।
गोविंदलाल माथुर (प्रो.)-जनम सं. 1914, जोधपुर। राजस्थानी रा लूंठा एकांकीकार, कहाणीकार अर अंगरेजी रा प्रोफेसर-कवि। सतंरगिणी भाग 1,2,3 रामराज के पंचायती राज भाग 1 अर 2 आप द्वारा रचियोड़ा नाटक है। हितोपदेश, पंचतंत्र, कालिदास री कहायिणां ने सेक्यपियर री कहाणियां भाग 1,2 अर 3 आपरी अनुदित पोथियां है। णिारे अलावा दहेज नाम रो तीन अंकों रो एक नाटक ई प्रकाशित है। इरोटिक इंडियन टेल्स, फॉक टेल्स ऑफ राजस्थान रे सिवाय दो अंग्रेजी एकांकी  एडोमेस्टिक अर्थक्वेक अर लव विंस दी रेस ई छपिया है। सन् 1991 मांय आपरो देहांत व्हीयो।
गोविंदलाल श्रीमाली-जनम सन् 1931 बीकानेर। राजस्थान रा ताम्रपत्रां, शिलालेखां अर ऐहितासिक प्राचीन ग्रंथां रा शोदकर्ता व उणा माथे शोधपूर्ण लेखां रा लिखारा विद्वाना। एकाल किाडू माथे 17 लेख अर डॉ. हजारीप्रसाद द्विवेदी रे हिंदी उपन्यास बाणभट्ट की आत्मकथा माथे 22 लेख प्रकाशित। अबार, भारतीय लिपिशास्त्र रो अध्ययन, मंडोर रा गुप्त आखरां सूं अंकित देवतोरण अर घमआ प्राचीन अभिलेखां रे पुनर-अनुशीलन मांय रत।
गौतम-सात ऋषियां (सप्तर्षियों) मांय सूं एक। अहल्या इणारी पत्नी हा। राजा जनक रा पुरोहित शतानंद इणारा पुत्र हा। न्यायसूत्र ग्‌ंथ आपरो बणायोड़ो है। इणारो दूजो नाम अक्षयपाद ई हो। इणारो आश्रम जनकपुरी ने नजीक अहींयरी मांय है।

गौतमेश्वर रो मेलो-इणने गौतम बाबा रो मेलो ई केहवे। गौतमजी मीणा लोगां रा कुल देवता हा। इणारे नाम सूं ओ मेलो सिरोही जिला री पोसालिया नदी रे कांठे गौतमेश्वर मांय भरीजे, जिको चैत सुद अगियारस सूं पूनम तांी रेहवे। ओ नाम गौतमगुआ मीणा रे नाम सूं पड़ियो। मानता है कि कंगाजी इणने दरसण दीधा तथा गौतमगुआ रे नाम सूं प्रगट व्हीया। मीणा आपेर पूर्वजां रा फूल अठै पधरावे। राजस्थान रे साथे साथे गुजरात अर मध्यप्रदेश सूं ई मीणा अठै आवै। णि मेला रो आकर्षण एक कुंड है जकिंको इयुं तो खाली रेहवे, पर जद मीणा रो पुरोहित अठै आयने पूजा करे तो आपोआप पाणी नीकले अर ज्युंई मेलोपुर व्है के पाणी आपो आप निठ जावे। रंग-बेरंगी वेषभूषा मांय, ए लोग अठै घमा नाचे-गावे। इणीज नाम रो एक मोल प्रतापगढ़ तहसील रा अरणोद गां मांय भरीजे। आत्मशुद्धि सारु ओ तीरथ चावो है।
गौरख टीलो-श्रीगंगानगर जिला नै नोहर सूं कोई एक मीला आगो ओ टीलो प्रख्यात है। ऐड़ी मानत है एक अठै गुरु गोरखनाथ रह्या हा। गोरखनाथ री थरपियोड़ी बारे शाखवां मांय सूं बे राजस्थान मांय है। (1) वैराग पंथ अर (2) मानभाथी पंथ। वैराग पंथ रो केनद्‌र पुष्कर कनै राताडुंगा अर मानभाथी पंथजोधपुर मांय महामिंदर है।
गौरा बादल री कथा-इण ग्रंथ रा लेखक जटमल है अर ग्रंथ रो संपादन पंडित अयोध्याप्रसाद शर्मा, वीकानेर कीनो है। इणीज तरै सूं गोरा बादल चरित ग्रंथ है, जिणरा कर्ता हेमरत्न है ने इणरो संपदान मुनि जिनविजयजी कियो। ओ एक वीर काव्य है, जिणरा दोनूं पात्र ऐतिहासिक है। इणरो प्रतिनायक अलाऊदीन खिलजी है, जिण पद्मिनी प्राप्त करम सारु चित्तौड़ माथे आक्रमण कियो हो। जायसी रे पद्मावत मांय आईज कथा है।
गौरा बाई-गोल्याणा (झुंझणू) रा राम कुंभार री बेटी, जिका 3.10.1973 ने बावन बरसां री मोटी अवस्था मांय ापरे पति रे चिता माथे बैठ'र सती व्हैगी।
गौरीशंकर (पं.)-जन्म सुजानगढ़-आप जैपर घराणे री कत्थक शैली रा पितामह गिणीजे। नृत्य निर्देशक रे रुप मांय पंचावन सूं वत्ती फिल्मां मांय काम कर'र चावा व्हीया। बर्लिन (जरमनी) मांय सन् 1936 मांय आपरे नृत्य सू ंलोग घणा प्रभावित व्हिया, अर आपने स्वर्णपदक मिलियो।

गोरीशंकर हरीचंद ओझा, महामहोपाध्याय, रायबहादुर-सिरोही जिले रे रोहिड़ा गां मांय सन् 1863 मां जनम अर मृ-त्यु 1947 मांय। इतिहास, पुरातत्त्व अर साहित्य रा अजोड़ विद्वान। राजस्थान रा सिरमौड़ हा। उणारे कृतित्व रो क्षेत्र घमओ व्यापक। पचास सूं वत्ता ग्रंथ लिखिया अर संपादन किया. भारतीय प्राचीन लिपि माला लिपि संबंधी संसार रो श्रेष्ठतम ग्रंथ गिणीजे। इण मांय 84 लिपियां रो विवेचन है। एक कांनी कल्हण कृत इतिहास ग्रंथ राजतरंगिणी ने संशोधित अर परिष्कृत करण रो महताऊ काम कियो तो बीजी कांनी उणा उदयपुर, सिरोही, डूंगरपुर, बांसवाडा, प्रतापगढ़, वीकानेर अर जोधपुर राज्यां रा इतिहास लिखिया।  इणा सोलंकियों का इतिहास अर कर्नल जेम्स टॉड रो जीवण चरित्र ई लिखियो। भरतपुर में हिंदी साहित्य सम्मेलण  रा अध्यक्ष बणाया अर नड़ियाद (गुजरात) मांय गुजराती साहित्य परिषद रा इतिहास विभाग रा अध्यक्ष निर्वाचित व्हीया। सन् 1914 मांय ओझाझी ने राय बहादुर री पदवी मिली। सन् 1928 महामहोपाध्याय अर सन् 1930 मांय काशी विश्वविद्यालय सूं डी.लिट् री उपाधि मिली। आपरी अनुपम सेवावां रे मान मांय सगला देशवासी भारतीय अनुशीलन ग्रंथ अर्पित कर'र उणारो अभिनंदन कियो। इतरा मोटा विद्वान रे बालपण कांनी नजर नाखां तो अचरज सूं हैरान व्हैणो पड़ै। घमा ईज साधारण घर रा हा, पण भणवा री भूख इतरी जबरी के आपरे गाम सूं अमदावाद तांई चालता ाया ने उठै सूं मुंबई गया। मुंबई मांय एक मिंदर री परकम्मा मांय सोवता ने भणता। अभाव री वेला मांय खुद रे गाम सूं पोता री पत्नी साथे पगपाला उदैपुर गया। अठै सूं ईज आपरी कारकिर्दी शुरु व्ही।
ग्रह-नव ग्रह (रवि, सूर्य, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु अर केतु) मिनख री उन्नति-अवनति माथे ग्रहां रो भारी प्रभाव व्है। वराहमिहिर रा सात ग्रहां मांय राहु, केतु कोनी। खरेखर तो ग्रह वे तारा है, जिके सूरज रे चक्कर लगावे। हमें तो नैप्चूय नै प्लोट ई जुड़गा।
ग्रहण-पुराणा रे अनुसार जद राह अर केतु, सूर्य ्‌र चंद्रमा ने ग्रसे तो ग्रहण जिलीजे। ग्रहण-काल मांय दान देवीए अर भोजन नी करीजे। सूतक लागे. ग्रहण बे भात रा व्है। एक कंड ग्रहण अर तूजो खसास (पूर्ण) ग्रहण। सूर्यग्हण अमावस अर चंद्र ग्रहण पूनम ने व्है।
ग्राह-पौराणिक कथा मुजब ओ पेहला हूहू नाम रो गंधर्व हो। देवल रिषी रे शाप रे कारम इणने ग्राहण बणणो पड़ियो। गज-ग्राह रे जुद्द मांय विष्णु गज री मदत सारू गया तो गज री रक्षा कर'र, दोनूं रो उद्धार कियनो। ग्राह पाछ गंधर्व बणगो ने आपरे लोक (गंधर्व) गयो। गज-ग्राह रे जुद्ध ने लेयने राजस्थानी मायं मोकलो साहित्य रचीजियो है।
गियर्सन, ज्यार्ज-एक घमआ चावा अंगरेज भारतीय भाषाविद्, जिणा Linguistic Survey of India नाम रो ग्रंथ लिख'र भारतीय भाषावां रो पर्यवेक्षण, कियो। राजस्थआनी एक स्वतंत्र भाषा है-लिख'र उण देश रा विद्वानां रो भ्रम भांगियो। गियर्सन Modern Vernacular Literature of Northern India ग्रंथ ई लिखियो। ए भाषा रा प्रकांड विद्वान हा ने भारत मांय Asisatic Society of Calcutta सूं संभंधित हा। इणाईज डॉ. तैस्सितोरी री प्रतिभा जोयने ब्रिटिश सरकार ने सिफारिश कीवी के वांने Asiatic Society  मांय नियुक्त करने, राजस्थान मांय डीगल-साहित्-संशोधन रो घमआ महताऊ काम सूंपमओ चाहीजे। डॉ. तैस्सितोरी तो खरेखर राजस्थानी रा उद्धारक निकलिया।


घटोत्कच-हिंडिंबा सूं उत्पन्न भीम पुत्र। ओ जनमियो जद णिरो माथो वगर केसां रो हो ने इणीज कारण इणरो ओ नाम पड़ियो। ओ घमओ पराक्रमी ने मायावी हो। इणरी मा इणने राक्षसी विद्या सिखाई। महाभारत रे युद्ध मायं जद कर्ण भयंकर युद्ध आरंभियो तो कृष्ण रे केहवणे सूं घटोत्कच कर्ण सूं लड़वा गयो. साक्षात काल ज्युं आवतो जोयने कर्ण इणरे माथे वासवी शक्ति रो प्रयोग करियो। जिणसूं उणरी मृत्यु व्ही। खरेखर तो आ अचूक शक्ति अर्जुन ने मारण सारू, कर्ण आपरे कनै बचाय राखी ही।
घड़ोटिया-मृतक लारे बारमा दिन री शुद्धि क्रिया, जियण मांय बारे पिंडा रे सिवाय, पाणी सूं भरियोड़ा ने गरणा वाला बारे घड़ा माथे, ताजी मिठाी सूं भरियोड़ी एक थाली व्है। तर्पण कियां पछे ए घढ़ा मिठाई साथे कुटंबियां ने देवीजे अर पिंड गायं ने देवीजे। इणने बारियो ई कहेवे।
घणा जीवो-(1) घाट, माड अर मालाणी प्रदेशां मायं कागद मांय लिखीजणवालो आशीर्वादात्मक विशेषण। (2) एक आशीर्वादात्मक पद।
घणी खमा- गुरु आचार्य, महंत के राजा-महाराजा रो हाथ जोड़ने कियो जावण वालो अेक अभिवादन, जिणरो अरथ हुवे के आप क्षमा करण में घणा समर्थ हो।
घनश्याम बिड़ला सेठ-जनम सन् 1894, रामनवमी, पिलाणी। जी.डी. रे हुलामणा नाम सूं विश्वविख्यात। यए कोरा सफल उद्योगपति ई नी हा, पण विद्वान, चिंतक, वक्ता, दूरदर्शी, राजनीतिज्ञ, अर्थशास्त्री, दानवीर ने लेखक ई हा। तेरे बरस री नैनी ऊमर मांय बिड़ला ब्रदर्स रे प्रबंधक रे रुप मायं उद्योग क्षेत्र मायं प्रवेश कीनो. काम ईज पूजा है-इण सिद्धांत ने चरितार्थ करण रे कारण आप देश-विदेश मांय घमा चावा व्हीया। गांधीजी रा सगला आदेशां ने निष्ठा सूं मानणवाला। हरिजन सेवक संघ रा थापकां मांय सूं एक हा। ए हरिजन रा संपादक ई रह्या ने दिल्ली रो लक्ष्मीनारायण मिंदर हरिजनां सारू खोल'र घणो हबीमत रो डगलो भरयो. सन् 1924 मांय इंडियन चेम्बर्स ऑफ कॉमर्स रा अध्यक्ष चुणीजिाय। सन् 1927 मांय जीनीवा मायं मजदूर संघठण री बैठक मायं भारत रो प्रतिनिधित्व कीनो। हिंदी रे प्चरा सारू सस्ता साहित्य मंडल री दिल्ली मांय थरपना कीनो। हिंदी अर अंगरेजी मायं घमी पोथियां लीखी। आप राजस्थानी मांय ई लिखता हा, पण मात भासा सारू जिण टेका ने बल री आवश्यकता ही, वो आप नी दे सकिया। साठ वरस री मोटी ऊमर मांय फ्रेंच भासा सीखी। हिन्दुस्तान टाइम्स प्रकासन समूह री थरपना कीनी। इण सगली सेववां रे कारण भारत सरकार आपने पद्म विभूषण अर्पण किनो। राजस्थान विश्वविद्यालय आपने डी.लिट् टी उपाधि दीवी। ्‌रबां रुपिया दान मांय दीना अर देश रे खूणआ खूणा मांय मिंदर, धर्मशालावां ने शिक्षण संस्थावां बणवाई। एकली पिलाणी री शिक्षा संस्था ऐड़ी है के भारत मायं उणरी जोड़ री दूजी कोई कोनी। सुधारवादी जी. डी. परम्पर, हठागर्ह अर बंधनां री लाचीरने खुद रे माथे सवार नी व्हैण दी। वे कांग्रे रा चार आनी सदस्य ई नी हा, पण जिको काम कांग्रेस कारू उणा कियो, वे उण समै रा सक्रिय नता ई नी कर सकिया. सन् 1983 मांय लंदन मांय उणारो देहांत व्हीयो. इणरा सगला साहित्यिक, शैक्षिणक, अर सामाजिक कामां माथे गांदीजी रे दर्शन री ऊंडी छाप ही। इणारो माथे हिंदी-अंगरेजी मांय घणी पोथियां लिखीजी। वे वास्तव मायं बिरला हा।

घी खीचड़ी रो मेल-मृतक लारे कियोड़ो पहेलो जीमण, जिको मूंगा री खचड़ी रो घी रो व्है।
घी देणो-कपाल क्रिया करणी।
घुड़लो-पीपाड़ (मारवाड़) मांय चैत सुदी तीजन ने जद तलाव री कोर माथे तीजणियां गोरी-पूजा करती ही तद अजमेर रो सूबेदार मल्लूखां उणारो हरण कीनो। जोधपुर रा राव सातल उणारी वाहर गया। घमसाण व्हीयो। मल्लूखां ने रावल सातल, दोनूं घमआ सैनिकां साथे मारिया गया। मल्लूखां रो एक सिंधी सिपहसालर घुड़डलेखां घमी वीरतां सूं लड़ियो उणरो शरीर घावां सूं चालमी बणगो, तोई सात दिनां पछे उणरी मृत्यु व्ही। जद घुड़लेखां रो माथो तीजणियां ने सूंपीजियो तो वे उणने लेयने आखा गाम मांय घूमी। ओ जुद्ध पीपाड़ कने कोसाण गाम मांय सन् 1548 मांय लड़ीजियो। इण जुद्ध एक सांस्कृतिक रुप लीनो। लुगायां विजय री खुसी ठींडावाल घड़ा मांय दीवा रुपी जीव ने राख'र सात दिनां तांई नगर के गाम री गलियां मायं घूमने जाणे ओ बतावती व्है के नारी प्रतिष्ठा रा हनन करण ाला री ऐड़ीईज दुदर्शा व्है। लुगायां इम संबंध रो गीत ई गावे-घुड़लो घूमेलाली घूमेला।
घूघरी-(1)ऊबालियोड़ा गऊ, जिके घमआ मंगलिक अवसरां माथे हांती रे रुप मांय बांटीजे के किणी पर्व माथे भेली व्हीयोड़ी लुगायां ने दीरीजे। (2) राजस्थान सूं संबंधित एक लोगगीत (3) लुगायां सूं संबंधित एक लघु गीत नाटिका।
घूमर-ओ राजस्थानी लुगायां रो एक सामूहिक नृत्य है, जिको गणगीर रे तेवार माथे ापरा इष्ट देवी-देवतावां री प्रसन्नता सारू के मनोरंजन सारु कियो जावे. इण नृत्य रा तीन रुप देखीजे-(1) सगली लुयागां गोलकूंडो बणाय'र नाचे। (2) बे बे लुगायां आमासामी हाथ पकड'र नाचे। एक एक लुगाई गोल चक्करी खावती नाचे। घूमर नृत्य-गीत रा चावा बोल इण भांत है-
म्हारी घूमर छे जी नखराली ए माय
घूमर रमवा म्हां जास्यां
आज म्हाने देवरिया री वातां प्यारी लागे ए माय
घूमर रमवा म्हां जास्यां।
घृताची-एक अपछरा। भरद्वाज नै व्यास सूं इणरे दो पुत्र क्रमशः द्रोणाचार्य अर शुक्राचार्य जनमिया।
घोटिया आंबो मेलो-वांसवाड़ा जिला रो सैंगासूं मोटो मेलो, जिको चेत वद अमवास ने भरीजे। राजस्तान, गुजरात अर मध्यप्रदेश रा आदिवासी मोटी संख्या मांय अठै आवे। इयुं मानीजे के अज्ञातवास मांय पांडव अठै थोड़ी टैम रह्या ने कृष्ण री मदद सूं 88 हजार रिषियां ने केला रे पानां माथ ेचावल ने अमरस रो भजोन करवायो। ्‌ठै आजइ फूल विहूण केलां रा घणा छोड़ है ने चावलां रा पौदा है।
घोड़ी-व्याव रो ेक लोगगीत। घोड़ा माथे चढ़'र जद वर तोरण वांदे, उण ैटम ओ गीत गावीजे। घोड़ी म्हारी चंद्रमुखी, इंद्रलोक सूं आई ओ राज वगेरा।
घोल करणी-निछरावल करणी।

 आपाणो राजस्थान
Download Hindi Fonts

राजस्थानी भाषा नें
मान्यता वास्ते प्रयास
राजस्तानी संघर्ष समिति
प्रेस नोट्स
स्वामी विवेकानद
अन्य
ओळख द्वैमासिक
कल्चर साप्ताहिक
कानिया मानिया कुर्र त्रैमासिक
गणपत
गवरजा मासिक
गुणज्ञान
चौकसी पाक्षिक
जलते दीप दैनिक
जागती जोत मासिक
जय श्री बालाजी
झुणझुणीयो
टाबर टोली पाक्षिक
तनिमा मासिक
तुमुल तुफानी साप्ताहिक
देस-दिसावर मासिक
नैणसी मासिक
नेगचार
प्रभात केसरी साप्ताहिक
बाल वाटिका मासिक
बिणजारो
माणक मासिक
मायड रो हेलो
युगपक्ष दैनिक
राजस्थली त्रैमासिक
राजस्थान उद्घोष
राजस्थानी गंगा त्रैमासिक
राजस्थानी चिराग
राष्ट्रोत्थान सार पाक्षिक लाडली भैंण
लूर
लोकमत दैनिक
वरदा
समाचार सफर पाक्षिक
सूरतगढ़ टाईम्स पाक्षिक
शेखावटी बोध
महिमा भीखण री

पर्यावरण
पानी रो उपयोग
भवन निर्माण कला
नया विज्ञान नई टेक्नोलोजी
विकास की सम्भावनाएं
इतिहास
राजनीति
विज्ञान
शिक्षा में योगदान
भारत रा युद्धा में राजस्थान रो योगदान
खानपान
प्रसिद्ध मिठाईयां
मौसम रे अनुसार खान -पान
विश्वविद्यालय
इंजिन्यिरिग कालेज
शिक्षा बोर्ड
प्राथमिक शिक्षा
राजस्थानी फिल्मा
हिन्दी फिल्मा में राजस्थान रो योगदान

सेटेलाइट ऊ लीदो थको
राजस्थान रो फोटो

राजस्थान रा सूरमा
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
आप भला तो जगभलो नीतरं भलो न कोय ।

आस रे थांबे आसमान टिक्योडो ।

आपाणो राजस्थान
अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं अ: क ख ग घ च छ  ज झ ञ ट ठ ड ढ़ ण त थ द ध न प फ ब भ म य र ल वश ष स ह ळ क्ष त्र ज्ञ

साइट रा सर्जन कर्ता:

ज्ञान गंगा ऑनलाइन
डा. सुरेन्द्र सिंह पोखरणा, बी-71 पृथ्वी टावर, जोधपुर चार रास्ता, अहमदाबाद-380015,
फ़ोन न.-26925850, मोबाईल- 09825646519, ई-मेल--sspokharna15@yahoo.com

हाई-टेक आऊट सोर्सिंग सर्विसेज
अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्षर् समिति
राजस्थानी मोटियार परिषद
राजस्थानी महिला परिषद
राजस्थानी चिन्तन परिषद
राजस्थानी खेल परिषद

हाई-टेक हाऊस, विमूर्ति कोम्पलेक्स के पीछे, हरेश दुधीया के पास, गुरुकुल, अहमदाबाद - 380052
फोन न.:- 079-40003000 ई-मेल:- info@hitechos.com