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राजस्थान रा जिला रो नक्शो
(आभार राजस्थान पत्रिका)

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पन्नालाल कटारिया 'बिठौड़ा''

वंस रो बधापो

मोवनी आज घणी रोई, कुरलाई पण उणरा आसूं ओढञनी रे पल्ला मांय, दबर रैगा। आदत सूं ालचर ुजआरी अर दारूडियो कनै उणरी मोट्यार बेटी मोवनी ने बेचण रे सिवा दूजो कीं उपाव नीं हो। बो जुवा मांय कीं रकम री एवज मांय उणरी लाड़ली अर मोबी ने फेरू कीं दारू जोगा पईसा लेयनै टीकम ने सुपरत कर दीनी ही। मोवनी री उमर सत्रेक बरस व्हैगली। टीकमो मोवनी ने आपरे बेटा विरमा खातर ल्यायो हो। महोवनीि राती धोती (साड़ी) पैरियोड़ी विरमा रे गांव पूगी तो आस-पड़ौस री लुगायां देखती रहगी, पण उणरी आंख्यां रा आंसुड़ा अजै टूटण रो नांव ई नीं लैवे हा, हिरणी जिसा नैण, पतली नाक, गोल गट्ट उणियारो गुलाबी भरिया भरिया गाल, गुलाब री पांखडिया जिसा होठ, बा जाणे सुरग री परी लाग रही व्है।

मोबवनी और मांय बैठी एकली रोवे ही। पल्लो आसुवां सूं तर व्हैगो हो। निचौवे जिसो। उणरो हियो हबोला लेय रह्यो है-के कांई बा इण भात रा बप्याव सूं सुखी व्है सके। कांई ओ अणजाण घर अर वर बो भी दुगणी उमर रो, दुख देय सकेला। कांई समाज में म्हनै बो सनमान मिलेला जो एक परणेत लुगाई ने मिलै..? रोवती जावै विचारती जावै। बा कितरी चोखी बणर रैवण रा जतन करै पण कैवीजैला जुआ री हारियोड़ी बेटी। बा उंडा विचार मांय डूबी रही अर फेरू विचारां सूं बारे आई अम मन में ठाण लियो के खरीदी लुगाई पतिव्रतता नीं बण सकै पण एक नामी मां अर जोड़ायत तो अवस बण सके।

इयां विचार करता करता रात रा दसैक बजगा अर किंवाड़ माथै खट खट बाजी। बा उठर किवाड खोल्यो। बारला कनै विरमौ ऊभौ हो हाथ में एक मोटौ सो थैलो हो जो अबरा ई बजरा सूं ल्यायो हो। विरमौ मोवनी रै कनै दूजी माची माथै नैड़ौ सी बैठगो। थेला मांय सूं मिठाई रो पुड़को काढ्यो। दोन्यूं आमी सामी कवा दिना। मोवनी ुणरी घणी रा लाड प्यार ने देख लारली बातां पांतरगी।

मोवनी ने कद छफकी आई बींनै की ठाह नीं। सवार रा नव साव नव बज्या नींद खुली तो विरमा ने दूजी मनाची माथै गांठडी सो भेलो व्हियोड़ो सूतो देखर हापल वाई सी उठी। विरमा ने जगायो अर घर रा काम में लागगी बा चार पांच दिना में ई सगला घर रो रूप बदल दियो। बा राजी ही पर धणी रे अलगो रैवण सूं कालजा मांय कांटा चुभण लागा।

दिनूगै मजदूरी कर सिंझ्यां खायपी दूजी माची माथै पड़ जावतो। इयां उणरे मांय खोटा लक्स कीं नीं हा। दारू अर दूजा नसा सूं कोसां अलगो। पण बो मोवनी सूं कीं बतां चीतां नीं करतो अर नीि ं कदै..?

ऐक दिन मोवनी आंगणे बैठी नैणां सूं आंसूड़ा नितारे ही अर विरमा सूं कैवा लागी। आ सजा म्हनै क्यूं दैवो हो। कांई गुनो रियो म्हैं थारो। म्हैं तो अणजाण देस अर अणजाण मिनखां नै पण बाप री खोटी लत रे कारण हियै माथै सिलाड़ी राखर अपनावण रो मनसूबो पाल राख्यो हो अर थां म्हनै..?

विरमो ऐक टक सांमी झांकतो रह्यो अर मोवनी ने आपरे सीना सूं लगाय दी वर बो भी रोवण लागगो। मोवनी उणरे धठणी ने इंया रोवतो देख भंवर जाल मांय पड़डगी। कैवम लागी मिनख वहै र लुगाई रै सामी रोवो, इसी बकांई बात है, म्हनै बतावो। मोवनी थथोबती थकी बोली। मोहनवी म्हैं थारो गुनाहगार हूं। म्हनैं थनै सगला सुख दे सकूं पण..? विरमो दियावलो सो बोल्यो।

मोवनी ने बाढ़ो तो लोही नीं, पगां हैठे सूं जमी सरकगी। बो फेरूं कैवण ला ागो..मोहनवी म्हैं इण काबल नीं हूं, पण म्हैं मां, बाप रौ एकाएक बेटो हूं अर इणाने वंस रो बधापो चाईजै। इण खातर म्हैं बा रे डर रे कारण थारे सूं ब्याव कर दियो। आ म्हनै ठाह कोनी के बै कियां वंस बधापो करसी। विरमा री बातां सुण मोबनवी तो अणचैत व्हैगी। कद फाखफाटी रो कूंकड़ो बोल्यो छाई नी पड़ी अर बखतर उठर घर रे काम में लागगी।

थोडी ताल सूं किंवाड़ माथै खट-खट बाजी, मोवनी किंवाड़ खोल्यो तो सामी एक जोध जवान, स्यालो मोट्यार उमर चौबीस पच्ची रै लगै टगै। मोवनी एक निजर निरखती रहगी। बो मांय आग्यो, सगलां ने धोक लगाई, विरमा ने पण धोक लगाई, कनै सी टिकमौ बैठो हो कह्यो बेटा गोपाल आ थारी माबी है इ ै धोक लगाव पण मोवनी उणरा हाथ पकड़ लिया अर सरमीज गी। विरमो बोल्यो-ओ म्हारो भाणू गोपाल है। कनै स्हैर मांय कॉलेज री भणाई करै। ईयां आवतो ईज रैवे पर अबार मीना दोयेक रै टाल नीं आयो। म्है कॉलेज रा टूर में उटी गियोड़ो हो इण खातर नीं आय सक्यो गोपाल बात में बात मिलाई।

अबै गोपाल इकांतरे आवण लागौ, नाना नानी रै बजाय मारी रे मथै निजर राघण लागो। मोवनी पण गोपाल कैई घड़ी तांई तीठी हथाई करती। गोपाल अर मोवनी ने इंया नैड़ा आलवता देख टीकमा अर उणरी लुगाई ने की सुगन मिलियो। मोवनी गोपाल रे सामी सगली हथाई करती पण धमई ने परमेसर मानती।

मोहनी मन मांय विचारण लागी विरमा रे वंस रो बधापो करण रो ओ सोवनो अलवसर हो सो गोपल सूं हिमलमिल गी दोन्यूं एक व्हैगा। बगत पर माथे थाल बाज्यौ। वीरमा रे बैटो जलम्यो अर घर में घणो हरख अर उमाव हो। मिठाईयां बंटीजी, कमीण कारू ने नेगद दिरिज्या, ढोल रा ढमका बाज्या।

पर मोवनी भंवरजाल मांय के बा किणरो वंस बंधाय री है? वीरमा रो के गोपा रो आ बात तो फखत बा इज जाणे ही। पण घणी रो लाड अर बेटा ने आंख्यां रै सांमी देख बा मन मसोसर रहगी।


परायो धन

पितामर अबार ईज विलायत सूं डागदर री भणाई पूरी कर गांव पूग्यो हो। पिताम्बर जको ऐक तूल्यो डील आलो छोरो हो पर अबै तो उणरो रूप ई निरवालो हो। गोरा गटट भरिये गोले अर घणो फुटरो लागे हो। आंख्या माथै विलायती चम्सो। कमर पट्टा रे मोबाईल बांध्योड़ो जामऐ भैरूजी रै भोपा रे घुंघरा बांध्योड़ा व्है।

पिताम्बर रा मायत उणरा डागदर वारा रूप ने निरख-निरख घणा हरखे हा। गिणिया दिनां मांय ईज वो चोखले चांवो व्हैगो क्यूंकै बारै कोसी री भौ नै डैगदर नी हो। नैड़े एक स्हैर मांय घरू सफाखानो खोल दियो। देखता ई देखता पिताम्बर ने सफखाखाना मांय हियो हियो दिरीजण लागो। मरीजां री अणूती भीड़ भैली व्हैवण लागीगी। अबै पिताम्बर रा बखआण चोकलै चावा व्हैवण लागगा।

पिताम्बर अजै कंवारो हो, उणरे सगपण सारू लोग आवण लागा पण मायता रो मनसूबो लूंठी आसामी रे बेटी सूं ब्याव करणो हो। पिताम्बर ने इण बहात रो भा नीं। वीं रै मन मांय ईसो लालच नीं हो। हरमेस पिताम्बर रो भाव ताव व्है पर दोदौ नीं जमै।
छैकड़ पिताम्बर रो सौदो तय व्है जावै अर टीका रा दस्तूर में 21 लाख रोकड़ा, विलायती कार, हाथ री दसां आंगल्यां अर अंगूठां सारू 1-1 तोला री बींटियां। सफाखाना सारू जमी रो मोल।

मायत फेरू कैवण लागा, सुणौ औ तो फगत टीक रो दस्तूर है। ओ दूजौ रूको ब्याव रे समै थानै देखण है-दो सौ जानियनां 1-1 तोला री सोना री सांकली क्यूंकै म्हैं उणारी जान में गिया जद म्हनैं ई मिली ही। जान रो डेरो 5 तारा होटल में दिरावणो चाईजे। पिताम्बर रो बापू सारू ऐक फटफटियौ, टी.वी. फ्रिज अर पिताम्बर सारू बंगला बणायर देवणो पिताम्बर री मां नाक मांय सल घालती थकी कैवण लागी।


नीलम भींत रे अडखल कनै लुकर ऊभी सगली बातां सुण ली ही। नीलम सूं बापू रो हाल देखोयनीं गियो। नीमल रो बापू रामजी लाल ऐक लांठो उद्योगपति हो। करोड़ो रो आसामी। देस रे नामी सैरा मांय मोटी मोटी फैक्ट्रियां चालै। उगिया आथमिय रो ठा ई नीं पड़ै..ऊंट री गाबड़ घणी लम्बी व्है पर बाढण सारू थोड़ी ई व्है? रामजीलाल कालजा माथै भाटो राखर हामी भर दी। नीलम रो ब्याव ठाट पाट सूं पिताम्बर रै सागै व्हैगो। सगली आस पूरीजी।

छार छ मीना तो सूती ंगगा वही दिन सुख सायंती सुं निकलया। पण कैवत है के लोभ रै कोई थोब नीं व्है। लोभ बधतो गियो। पिताम्बरी मां आपरै खातर पच्ची तोला नेकलेस री मांग फेरूं कर न्हाखी। नी लावै तो घसलेट री पीप भरियोडी त्यार, जो पैली सूं ई मांय राखियोड़ी।

नीलम घणी फुटरी फर्री, मिराग नैणी, हंस री चाल, पतली कमर रंग रूप सूं गौरी निछोर। एम.ए. तांई भणी पढ़ी। डिजायनर रो काम काज करै। हलकी गुलाबी धोती साड़ सागी रंग ही हाथां री कलाइयां में एक-एक चूड़ी होठां परहलको गुलाबी लिपिस्टिक, उणरा उणियार में च्यांर-चांद लगावै। इसी है नीमल पर पराया धन रो कांई मोल..?

रै रै ने मांग रे कारण नीलम सफा टूटगी ही। बापू पण बेटी री मांग पूरी करण में कसर नीं राखी पर जियां तियां व्है बैटी ने पराये धन मेलणी पड़ी। क्यूंकै बैटी बाप रा घर में नी खटै बां तो परायो धन गिणीजै।

अबकै नीलम बापू सूं की मांग नीं राखी अर एक महिला संगठन री पाटवी सूं मिली अर सगली बिगतवार बताई। इण मुद्द री रपट नैड़ै सी थाणा मांय लिखाई गई। दायजा रा लोभ में बिनणी ने बालण री घौंस देवण रै जुरम में नीलम री सासू ने जेल री सजा व्ही। पिताम्बर तो घरवाली री रीस ने देख हाथ पग सूना पड़गा। नीलम ने हाथ जोड़ण लागो पर कैवत है रीसियोड़ी हथणी अर रूठियोड़ी लुगाई कम बैसी इस पाछी फोर्या करै। नीलम पिताम्बर सु तलाक ले लियो अबै बा ऐक लखक सूं ब्याप कर दियो अर सुख रू रैवण लागी। पुलिस कारवाही रे मुजब रामजीलाल रो सगलो धन जको दायजा अर टीका रै रूप में पिताम्बर ने दियो पाछो दिराय दियो।


टीका रो दस्तूर

विभा रमती कूदती अर पढ़ती कद मोट्यार व्हैगी ठाह ई नीं पड़ी। साढी पांच फुट डिगी, भरिये गोल डील, फुटरी फर्ररी अर भणाई पढ़ाई में दूजा सूं दो पांवड़ा अगाड़ी। कॉलेज तक री पढ़ाई कर ली। विभा अबै परणावण जोग व्हैगी। तो मायता ने उणरे सगपण री चिता खावण लागी। पर बेटी ने सगपण सारू टीका रो दस्तूर करणो, ओ तलवार री धार पावंडा भरण सरीखो व्हैगो।

केसव एक दफ्तर रो बाबू हो, ई खातर उणरी तनखा तो घर री दाल रोटी चलावण जोगी ही। केसव एक इमान री धार माथै चालणियो कारकून हो, इण खातर घूंस रै नांव माथै किण सूं ई एक पईसो लेवणो हराम ई मानतो। माथा पर लम्बी चोटी अर उणर ेचारेक गांठा उताउती दियोड़ी लिलड़ माथे चंदण री चारेक लकीरां अर उठतौ बैठतो मन मांय गुणगुणवातो रैवतो।

केसव री नौकरी तिसके बरस रे लगै टगै व्हैगी ही पण अजै बो उण इज बडेरां रा कच्चा टापरा मांय मेलावा सागै दिनड़ा काटे हो। बास गवाड़ी रा मिनख केसव सूं कह्या करता, बाबूजी विभा सगपण जोग व्हैगी है। विभा तो घणी हुस्यार फुटरी फर्री है पर जिसो टीका रो दस्तूर हौसी बिसां ई घर अर वर मिल जासी। था तो राज रा चाकर हो अर बाबूजी हो थारे किसो बैरो..? केसव रै उणियरां रो रंग साव फीको पड़गो हो। रात दिन विभा रे सगपण री चिंता खवाण लागी। मन ई मन विचारै विभा सारू लांखां रिपिया रो टीका रौ दस्तूर कठै सूं निभा सूं? उणरै पछै दायजो फेरूं न्यारौ।

पेटी रे खातर सगला लोन ले लीना अर जियां तियां टीका रो दस्तूर पूरो किनो पर छोरो मैट्रिक फेल, काम सूं बेकार, रूलेट न्मबर एक, गलियां मांय रूलतो फिरै। टीका रा दस्तूर में पचास हजार रिपिया रोकड़ा, एक मोटर सायकल, सोना री सवा तोला री बींटी-दस्तूर में भैला सगला सगा रे पांचू गाभा अर एक घड़ी री मांग, जीमण चोखी भांत रो काण कसर रह जावै तो सगपण टूटण रो डर। केसव सगला रे सामी हाथ जोड़ जोड़ उणरी आवभगत करै टीका रौ दस्तूर पूरौ व्हियौ। सगा ने राजी बाजी सीख दिरजी तो केसव रै जीव में जीव आयो।

विभा तो सगपण मोटा धरमा में करण सारू टीका रो दस्तूर इणसूं चार पांती बत्तो व्है जद कछै ी थर्ड कल् ास रौ नौकर मिलै पण ओ केसव खातर घमो दोरो हो। ब्याव टाणे मोटी होटल में जान रो डेरो। चोखी बांत रो जीमण सगला तामझाम अर दायजो न्यारो इतरो सगवड़ कठै सूं व्है।

छोरी भला ई फुटरी फर्री पड में मांडे जिसी अर सांतरी भणी पढ़ी पर समाज में इणरो कोई मायनो नीं। समाज में वापरियोड़ी इण कोजी रीत रे पाण मन रा मंसूबा मन मांय रह जावे अर घुट घुट मर जांवे।


आबरू रो वेरी दारू

दूजा रे देखा देखी हरिया रे पण दिसावर कमावण री मंशा व्हेगी। हरियो पूरा मे ावा रे सागे एक स्हैर पूगगो। कैई दिनां तांई तो स्हैर री सड़कां माथै रातीवासो लिनो पर एक दिन ेक फटफटिया वालो उणरे कनै आयर ढबियो। हरिया सूं कीं बंतल किनी। उणरी घरआली अर टाबर कठै बलिता रो वंग करण सारू गियोड़ा हा।

हरियो सेठ रे कनै मजरी करण लागो। मजूरी में उणने पन्द्रे सो रिपिया मिले। इण कमाई सूं जियां तिंया घर रो टबारो चलावे पण उनै सौबत मिली तो ईसी के मजूरी री तनखा दारू में ई पूरो नीं पड़े। सगली कमा ी दारू में गमाय देवे।

सिंझ्या ढलता ई बो बोतलड़ी अर बाटकी लेर पीवण ल्याग जावे। घर मायं लुगाई अर तीन छोरियां। मोबी बेटी बरस सोलेक री। हरिया री इण कोजी लत रे कारण चारू मां अर बेटिया भेली रोवे। हरियो दारू रा नसा में जेठे बेठो पीवे पड़ जावे। माथै कुत्तिया मूते भले। सवार रा उछे तो बो ई ढालो कुरलो ई दारू सूं ई करे। हरियो कदै कदै सेठ रे पगां पड़ जावतो तो सेठ तस खाय उठनै बीस तीस रिपिया खाणा दारू दे देवतो पर बो ुणरो भी दारू पी लेवतो।

एक दिन अचाणक हरिया री लुगाई अर मोटी बेटी पदमा दोन्यूं सेठ रे कनै पुगगी अर हाथ जोड़ सेठ सूं विनती करण लागी।

सेठ कीं अचपलो हो, दो लुगायां ने सांमी ऊभी देख एक वार तो चिमकगो फेरूं एक तार बांने बाको फाड़र देखण लागगो।

उणरी नजर पदमा रे डील माथै थिर व्हैगी। चोटी सूं एडी तांई पदमा ने निरखण लागो। सेठ मन ई मन गरणांट करण लागो हरिये रे घर मांय इसौ हीरो..म्हनै भान तक नीं। हरिये घरआली फेरू बोली..सेठ जी, म्हारो धणी दारू रो बंधाणी है। पन्द्रे सौ रिपिया सूं कीं नीं सरे। तनखा में थोड़ो वधापो करो।

सेठ मन ई मन सोच्यो..अरे अबै तो म्हैं हरिया री तनखा तीन हजार कर देस्यूं अर हरियो दारू रो बंधाणी है आ तो ओरूं म्हारे खातर चौखी बात है। सेठ मन मांय घड़े अर भांगे। फेरू बोल्यो थे लोग अबार कठै रैवौ हो, स्यात नैनी सी भाड़ी री खोली व्हैला। स्हैर है अछै तो साकड़भीड़ में दिन काढणा पड़ै पर थे लोग चावो तो म्हारे बंगला रे लारले पासे म्हारे औरूं एक मोटो घर खाली पड़ियो है बठै थै रैवास कर सको हो। हरिया री घरवाणी ने दाल में की कालो निजर आयो पण फेरूं विचारियो नीं एड़ी नीं व्है सके। सठ दयालु लखावै? सेठ दयालु दातार समझण लागी। पण उणने कांई ठाह हो कै सेठ..?

हरिया रो मेलावो भाड़ायती खोली छोड़ सेठ रे घर में रैवास कर दियो।

अबै सेठ रोजीना हरियो रो मेलावा री साल संभाल करै अर कैवै किसी भांत री कमी बैसी व्है तो याद करजो।

सेठ री खोटी निजर पद्मा माथै ही। सिंझ्या रा बो हरिया ने दारू री बोतल झैलाय देवतो। हरिया ने तो जाणै रामजी मिलिया। नसा में अणूतो चूंव व्है जावतो, मेलावो भलांई पड़ दरड़ा मांय।

सेठ जिंया तिंया पदमा ने घरा रा चूला चौकी करण सारू हरिया री लुगाई ने राजी कर दी। इण एवज में कीं मंजरू फेरूं देवण रो लालच दे दियो।

अजै तांई सगलो ई धोलो धोलो दूध हो। एक दिन री बात पद्मा बंगला में आंगणै पोछो फैरे ही अर सेठ डाठी करै हो। सेठ री नजिर उणियारा मांय सूं पदमा रे डील माथै पड़गी अर वो चैताचूक व्है निरखम लागगो। एकाध चीरो गालड़ा रै काढ़ दियो। लोही रो रैलो पूंछता थको कैवण लागो, पद्मा थूं घणी कामगरी है।

पद्मा उजले मन सूं सेठ री चाकरी करै उणरै मन में धोलो दूध। बाप री उमर जिसो सेठ..किसो बेहम। कैवण लागी सेठजी आप म्हारा दातारमां ी बाप हो धरम री मूरत हो। दया रा सगार हो। जदै तो म्हारी अरज सुण बापू री तनखा वधाय दी अर घर फेरूं दे दियौ..।

म्हारे व्हैता थारै किण बात बैरो..सेठ दातारी दरसावतो बोल्यो। फेरूं बोल्यो बेटी पद्मा ड्राईंग रूप मांय पोछो लगायो कै नीं, पिछावणो सावल करियो कै नी..अबार कर देस्यूं सेठ जी पद्मा पडूत्तर दियो।

नीं बेटो, अबै करदे, तालौ देयर म्हनै बारे जावणो है। जी सेठजी पैली करूं पद्मा कह्यो। पद्मा ड्राईंग रूप मांय गी, अपूठी ऊभी बिछावणो सावल करै ही। सेठ छानौ मानो मांय बड़ किंवाड़ औडाल दियो। पद्मा हाकबाकी व्हैगी, केवण लागी, सेठजी आडो किंयो औडाल दियो पण सेठ तो सुणियो न सांभलियो। जोर जबराई रे पाण कालो मूंडो कर दियो, पद्मा जोर सूं बांग मेली, रोई, पण कुण सुणै।कालजा मांय धपलका उठिया कांई इण खातर बधाई तनखा..? पद्मा रोवती रोवती मां रे आंचल सूं लिपटगी। बेटी री दसा देख बा सगली विगत जाणगी हीं।

हरियो बीं टैम दारू री बोतल लेय पीवण सारू उतावो हो कै पद्मा री दसा देख चेता चूक व्हैगो। हाथ सूं बोतल छूटगी अर जमी माथै पटकण सूं फूटगी।

मन ई मन विचार करण लागो स्यात् म्हैं दारू नीं पीतो तो आज आबरू नीं लूटीजती..। हरियो पण घणो रोयो। बो सौगन खाय ली। उमर भर दारू नीं पीवण री।

सेठ री चाकरी छोड़ गांव आयगो। गाँव में खेती बाड़ी करै। इज्जत री दैनकी करै। पण जो पैली इज संभल जावतो पद्मा री आबरू नीं लूटीजाती। आ सांची है आबरू रो वेरी दारू।


मोट्यार डोकरी

तेजो मां बाप रे एका एक हो। पण बात रो घणी स्योणो मोट्यार हो। लोग केवत तेजो जिनो बारे दिखै उणसू जैइी जमी मांय लागै। नही तो अत्ती हुस्यारी इणमें कठा सूं आयगी।

तेजा रो सगपण कमला रे सागै कर दियौ। कमला रै ब्याव रा दिनांबीं उजाड़ में रात रूपाली बणगी। दारू री मैफलां हुई, चावल रांधीज्या। गीत गाल आखै दिन गाईजिया। मैंदी मांडीजी। ठिमख्या रा लीला लहंगा रे लाल चुट मगज्या लगाईजी माथे राता लाल गोटा रा ओढणियां में सगली लुगाया स्जयौड़ी सांतरी लागती। कांच रा खंबा। ताणी रा धोला घट्ट चूड़ा ने कांठला, मादालिया सूं भरयोड़ा गला सूं बैं गायां जाती, रांत्यूं नाच नीं थमतो।

कमल गिणगौर सी सज्यौड़ी आंगणां में फिरती बरखा रूत री मोरनी जियां लागती। तेजो अर कमला घणा राजी आपरी मौज सूं रैवे।

तेजो आठवीं तांई भणियो पढ़ियो मोट्यार हो, बो कमावणा सारू मुम्बई जावणं री मंछा राखै। कमला घणी राजी हुई के म्हारो धणी बम्बई जैड़ा मोटा स्हैर में जावेला अर घणौ धन कमार लावैला अर म्हैं भी दूजां री जियां सुख सूं रैवूंला। टाबरपणै सूं कमला रै मन में एक सुपनो हो, आपरो न्यारो निरवालो घर बसार सातूं सिंझया बाज्यां काम सूं थाक ने आया धणी री उडीक रो। आंगणो नीप चांक हालरियो हुलरावती नाचणै री मनस्यावा ली, मन रै पालणे बरसा झुलाई। बै मनस्यावां पल्ला सूं खुली कदे हाथ नीं आई।

एक हाथ माथै तेजाजी नांव खिणायो बीं दिन तेजा ने कैवण लागी-म्हनै सोना रौ एक मादलियो घड़ाय द्यो।

गैली क्यूं सोच करै? सोना रो तिमणियौ, बींटी, मादलियो सगला घड़ाय देवलूं, म्हनै बम्बई जारर कीं कमावण दै।

बीनै ठाह हो के पूरो लगावण कोनी ल्यां सूकी-पाकी रोट्यां खाया भी आपणै पीसा कोनी ऊबरै पठै अठै रैवण सूं हाथ कियां सिरकसी?

दोन्यूं जणां आपरी तंगी जाणता मुलक्या। बा सोचे आखै दिन बलती तावड़ी में भाटा फोड़ा, माटी री गुणिया न्हाखां, रेतूड में सगलौ डीर भर्यौ रे। काम करता थका हाय बोय मची रैवे। धरती माथे केई मिनख सोरा धणाई रैवे, मोटरां में बैठ्यां नै देख जद लागै ए सैरा में बगला री मौज लैवे, भांत-भांत रा पकवान जीमै। पैलड़े जलम रा चोखा करयोड़ हुसी।

कमला रो जीव रात दिन ई उजाड़ में रोजडीज्योड़ो घणओ दुख पावै। तेजो बम्बई जावै कमला घण हरख सूं कूंकु चावल रो टीको काढै, मूंडो मंगलैस सूं मीठौ करावै। कमला मन ही मन हरखै म्हारौ धमी बम्बई रा मोटा बंगला मांय रैवेला। मोटरा गाड़ाय में फिरैला। टेलीफून सूं बातां करैला, इण सपना मांय डूबगी। फेरूं तेजो कैवो कमला, म्हैं जावूं? थारी सगली मनसां हूं पाछो आय पूरण कर देस्यूं। तिमणियो, मादलियो..। अर बठै पुग्यां थांनै कागद मेल देस्यूं।

तेजा ने बम्बई गयां छवमीना बीत गया। पण ओजूं कागद नीं आयौ। कमला कागद री उडीक में बारणा कनै बैठी रैवै। पण दो बरस निकल गया। तैजा रो कागद नीं आयौ। तेजौ बम्बई में छोटो मोटा काम करै रूखी सुखी खावै अर फुटपाथ माथै बंगला रौ सपनौ पूरौ करै। तेजो बम्बई में सोबत रै पाण दारू पीवणो सीख गियो अर रात में कोठा माथै जावण लागगौ। तेजा रा सगला सपना खिंडग्या। अबै बींने एक तरनाक मांदकी पकड़ लियो जिणने एड्रस केवां। तेजो कम भणियो पढ्यो हो, बींनै इण बात रो भान नीं हो अर सौबत रै पाण बो गलत मारग पकड़ लियौ। तेजा रौ डील तर तर गल लागौ। अबै बो काम नीं कर सकै। बीरां भायल ाबींनै सफाखाने लेग्या पण बै सगली बीं भकत चमकगा जद् डागदर बांने तैजा री मांदगी एड्स रे बारे में बतायौ। जो तेजा रा साथी सायना बम्बई में बीरै सागै उठात बैठता, दारू पीवता अर मौज मस्ती करता, अबै वै तेजा नै एकलो छोड़ दियौ। तैजौ बम्बई सूं गाव आयगौ। कमला घणी राजी हुई के म्हारौ धमी घणा बरसा सूं गांव आयौ है। रूपया री जेट लायौ व्हैला। अबै म्हारा सगला सपना पूरा व्है जावेला। पण बींने कांई ठाह के बो तो फगत एक मोटी मांदगी एड्स री गांठड़ बांधर ल्यायौ है जिणसूं खुद तो मरैला अर बींनै सागै मारैला।

कमला तेजा रा काला भड़ी ़ डील नै देख मन मसोसर रैयगी। तेजो अब दिन गलतौ जावै। कमला घणी री चाकरी करै। ठीकरा में निपटै जिणने कमरा बारै न्याखै।

इयां चाकरी करता तेजो घणा दिन नीं काढ्या अर बो एक दिन आंख मींच लीनी। कमला बीं दिन घणी कुरलाई अर छाती पोड़ी पण अब कांई हुवै। कमला रो सुवाग उतार दियौ अर बीनै एक लम्बै आस्तीन री कांचली (विधवा री) पैराय दी। अबै बा मोट्यार कमला एक डोररी सी लागै, आपरौ घणी बीने बम्बई सूं लायौड़ी मांदगी दैयर सुरग सिधाय गियौ।

कमला रै बिरादी में नातौ व्हे पण कुण ई कमला सूं नातो करण नै त्यार नीं हो क्यूंकि तेजा रा बम्बई रे सफाखाना रा कागदां सूं आ बात खुलासा व्हैगी ही कै तेजो ऐड्स री मांदगी सूं मरियौ, ई वास्तै कमला में आ मांदगी जरूर आयगी व्हैला।

अबै कमला डोकर्यां रै सागै सागै काम काज माथै जैवा अर डोरी रै जियां ही लम्बी आस्ती री कांचली, बिना सिंदर अर बिना टीकी री लिलाड। दागीणा रै नांव माथै कीं नीं। पग अर हाथ बांडा बट। अबै बा फगत एक मोट्यार डोकरी है।


दायजौ

अमरजी माट साब मिनखां रै जमघट में बोलतां छका कह्यो, साथियों। दहेज एक अभिशाप है। इक कुरीती को समाज से उखाड़ फेंकना है। सगला नुवां मोच्यार माट साब रे भासण माथै तालियां पर तालियां बजावै। अमरजी आखै चौखला मांय एक लूंठा समाज सुधार मानीजै। गांव-गांव समाज मांय वापरियोड़ी कोजी रीतां ने छोड़ण री भुलावण देवै।

अमरजी कोई स्कूल में पढावण आला मासट्र नीं हौ, पण बै एम.ए. तांई भलिया पढ़ाई जरूर हा, इण खातर लोग बांनै लाड सू माटसाब इज कैवता। पूरै चौखलै में अमरजी माटङसाब नांव सूं चावा है।

माटङसाब रै एका एक छोरी जमना। जमना कॉलेज में पढ़े। बा घणी फूटरी फर्री अर पढ़ाई में घणी हुस्यार। हुवै पछै क्यूं नीं उणरौ बापू अणूतौ भणियो पढ़ियों अर चौखलै चावौ समाज सुधारक मानीजै। जमना पण उणरै बापू री सीख आलै मारग चालै।

जमना अबै मोट्यार व्हैगी, बा कॉलेज री पढाई पण पूरी करली। माटङसाबने जमना रै सगपण री चिंत खावण लागी।

माटङसाब उणरा सिद्धांतां रै मुजब इसौ घर अर वर देखणौ चावै जो दायजा रो विरोध करै।

पर माटङसाब ने ईसौ घर ओजूं मिलयो नीं। माटङसाब अबै समाज सुधार रा भासण देवणा बंद कर दिया। बै जमना रै सगपण खातर दायजा विरोधी घर अर वर भी भाल में फिरता फिरै। इयां करता करता एक दो बरस फेरूं निकलगा।

माटङसाब घर मांय उदास बैठा कीं बिचारै हा कै म्हैं भाषण देवतो जद लोग कितरी तालियां बजावता अर म्हैं मानतो के म्हारी बात लोगां अंग्रेज कर ली। बै ऊंडा विचारा में डूबगा।

उण इज बखत एक मोट्यार माट साब रे घरां आयो, माट साब सूं राम राम कर्या।

बोल्यो माटङसाब म्हैं आपरी बेटी जमना रो हाथ मांगण सारू आयो हूं। माटङसाब एक टक सांमी देखण लागा। माटङसाब बोल्या-आप कांई करो हो अर आपरी पिछाण बतावो।

म्हैं, विकास पंडित, म्हैं इण बरस इस डॉक्टरी पढ़ाई पूरी करर कॉलेस सूं आयौ हूं। थारै नजीक रै गांव रौ रेवासी हूं।

जद तो थां म्हनै पण पिछाणता व्हौला। हां सां थारो नांव तो चौकले चावौ है। कोई हियाफूटो होसी जो नीं जाणै, विकास पडूतर देतो थको बोल्यो।

जद तो थां आ पण जाणता व्होला कै म्हैं दायजा रो विरोधी हूं, माटङसाब बोल्या। विसाक माटङसाब री बात मंजूर करी।

विका रा मां बाप उणरौ सगपण घणो दायजी देवण आला रै घरमां करण सारू कैवे। पण बो नीं मान्यो। विका मां बाप रै परबारो जमना सूं ब्याव कर लियौ।

माटङसाब जमना रो घर बसाय नै घणा राजी हुया। अणूतो भार उतरगो माटङसाब रो। बठीनै विकास रा मां बाप बींयां रै परबारौ ब्याव करण रै कारण रीसां बल घर रा बारण मांय नीं बडण दियौ। जमना अर विकास दोन्यूं धणी लुगाई सासू सुसरा सूं न्यारा रेवण लागा। दोन्यूं घणा राजी अर सुख सूरैवे।

जमना बारणा कनै उभी उणरै धणी विकास नै उडीकै ही। डाकियो गली मांय कागद बैंचतो थको जमना रै घर कनै आय कागद फरोलण लागो अर एक मोटो सो लिफाफो जमना रै हाथ में दियो।

जमाना नांव ठिकाणो पढ़र देख्यो के लिफाफो डॉ. विकास रे नांव रो हो। वा लिफाफा ने खोलर देख्यो तो बा घणी राजी व्ही। बो उणरे धणी री नौकरी रो हुकम हो। विकास री अमेरिका मांय नौकरी लागगी। विकास जद घरां आयो तो पैली उणरो मूंडो मंगलेस ूसं मीठौ करायो अर पछै नौकरी रे हुकम (ऑडर) आलो लिफाफो हाथ में दियो।

जमना आज घणी राजी है। माटङसाब ने जद विका रै नौकरी री ठाह पड़ी तो बै बठै आ ा, मीठो मुंहड़ो करावण सारू। माटङसाब पण घणा राजी के म्हारो जंवाई अमेरिका में लूंठो डॉक्टर मानीजैला अर म्हारी जमना राज करैला।

विका कीं विचार में डूबगो, करै पण कांई। अबार बो जमना ने साथै नीं ले जाय सकै क्यूंकि हाल तांई नुंई नौकरी अर रैवण री सगवड़?

विकास मां अर बापू कनै जाय नौकरी लागण रा समाचार सुणाया तो बे पण घणा राजी हुया पण जमना कांट री दांई खटकै ही। जियां तियां विकास जमना ने आपरा मां अर बापू कने राख अमेरिका व्हीर व्है गियौ।

जमना आपरी आदरा भावना, मीठी बोली अर सेवा चाकरी सूं सासू सुसरा ने राजी कर दिया। अबै सासु सुसरा जमना नै घणै लाड़ सुं राखै। बींदणी रा चौफेर बखाण करै। बे दायज आला लोओभ ने भूलगा। जमना ने दायजा सूं बैसी मानै।

पिकास रै अमेरिक गिया बरस एक व्हैगौ पर ओजूं कागद जमना रै नांव सूं नीं आयो। फगत मां अर बापू रे खातर रिपिया भेजै।

जमना अबै मन मांय रौवे अर विचारै कै विकास पाछो क्यूं नीं आयो, म्हनै याद पण नीं करी, कांई बो ब्याव फगत एक सूपनो हो। फेरूं बा विचारै स्यात विलायत में काम घणौ रैवतो होवैला।

माटङसाब जमना री हालत देखा घणा दुखी व्है। माटङसाब रै अबै धोला आयगा। बरस साठ रै लगै टगै व्हैगा। माटङसाब रै कनै अबै कुण ई भाशण रो न्यूतौ नीं लावै।

बै मन मांय घुटण लागा। विकास ओजू पाछो क्यूंनी आयो-विचारै हा।

जमना सासू सुसरा री चकारी करै अर बै भी जमना नै घणौ लाड राखै पण बा घणी रै विजोग में फगत एक चाकर बणर रैगी।

माटङसाब जमना सूं विकास रा फोन नंबर देखण रो कह्यो। जमना मनीआर्डर आला फोर्म माथै नंबर देखे अर बापू ने दिया।

माटङसाब टेलीफोन सूं बंतल करै।
अमेरिका में विकास रे घरां फोन रे घंटी बाजै।
हैलो..हैलो..
म्हैं ि ण्यि से.. माटङसाब अमरजी..
(आई एम अमर स्पीकिंग फ्रोम इण्डिया)
हैलो..आप चाहो तो हिन्दी में बात कर सकतै हैं मैं भी इण्डियन हूं।
आप कौन..
हैलो..मैं डॉ..सुधा पंडित बोल रही हूं। मेरा मतलब डॉ. विकास की वाईफ बोल रही हूं।
ऐक बार माटङसाब रे हाथ सूं रिसीवर छूटगौ अर जमी माथै पड़गौ।

फेरूं बोलण लागा-म्हैं अमरीज माटङसाब जमना का बापू बोल रहा हूँ।

सुधा..ओह! जमना...हाँ..हाँ..विकास ने मुझे बताया था कि अमेरिका आने से पहले उसने घर पर एक नौकरानी रख ली है। वह थोड़ी बहुत पढ़ी लिखी अर समझदार है। मां अर बापू की देखभाल अच्ची तरह से कर लेगी।

माटङसाब..जमना..नौकरानी..यह क्या कर रही हो तुम! माटङसाब तो धड़ाम जमी माथै पड़गा अर अमूजणी आयगी उणनै।

जमना माटङसाब ने उठावे अर घरां ले जावै। बीं दिन जमना अर माटङसाब घणा रोया।

विका अमेरिका जाय एक देसी (भारत) डॉक्टरणी सूं धम माल अर बंगला गाड़ियां रे लोभ में आंधौ व्है ब्याव कर लियो अर जमना ने भूलगो।
अबै जमना विका रो घर छोड़ दियो अर एक पक्को मनसूबो मन मायं राखर बापू रो समाज सुधार आलो मारग फकड़ लियो। बींरी आंख्या सूं त्रासदी रा पतंगा उठलै हा। बहा एक घायल नारी री दांई छटपटावै ही।

जमना अबै एक मोरचो बणायो। इणमें घणकरी सतायोड़ी लुगायां ही। सगली जमना रे साथै व्हैगी।

इयां करता जमना एक लूठठीं समाज सुधारक बणगी।

जमना कोर्ट में डॉ. विकास पंडित रै खिलाफ में एक केस रपट मुजब दरज करायो। कोरट रौ फैसलो डॉ. विकास रे शादीशुदा व्हैता थकां दायजा रा लोभ मे ंदूजौ ब्याव करणो जुलम में नौकरी सूं बर्खास्त कर दियौ अर जेल री करड़ी सजा सुणाय दी।

जमना एक लेखक रे साथ घर बसाय लियो। लेखक अर जमना अबै घणा सुख सूंरैवे।

विकास जेल मांय उणरै खोटै करमां रे पांण पछतावै। जेल री काल कोठरी मांय खूणा में बैठो नीची नाड़ कर रोवे हो।


कालजे री कोर

धापू हाथ में कागद लिया बारणा रै बारै बैठी कीं विचारै ही। डाकियो थोड़ी ताल पैली धापू ररै हाथ में एक कागद फकड़ाय गियो हो। कागद बचावण सारू बारै उभी किणी भणिया पढ़िया री उडीक में आवता जावता ने देखे। कागद धापू रे बेटा जवाना रो हो। जवानो फौज मांय दुसमिया रे सांमी चाती डटियोड़ो हो। धापू बेटा रे राजी खुशी रा समाचार सुण बा घणी राजी व्ही। बेटो देस रे खातर दुसमियां सूं लड़ै इण बात सूं बीनै दुणौ अंतस हो। जवानो दो महिना पछै छुट्टी आवण रा समाचार लिख्या हा।

धापू पण एक सहीद री विधाव है। दो बरस पैली ईज उणरो धणी दुसमियां सूं लड़तो देस रे खातर सहीद व्हैगो हो। धापू ने पण समाज मांय अणऊतो मान सनमान मिलियो। बींनै उणरा धणी री वीरता माथै घणौ गुमान हो। धापू उणरै धणी रै मारग चालण री सीख उणरा बेटा जवानां ने दी ही। उणरै मन में देस भगती री भावना अणूती है। धापू री बिनणी जवानां री बऊलिछमी रो पग भारी है, उणरै टाबर जलमण रा दिन नैडा आयगा हा। लिछमी आंगणा रे बिचालै बैठी विचारै ही इसै बखत में हरेक नौकर ने छुट्टी मिले, फखत देस रे खातर लड़ण फौजी ने नीं मिलै। बो कै तो लड़ाई पीरी होयां घरां आवै कै उणरी लास..।

लिछमी कीं आपौ संभाल र मन ने फटकारियो-आ थूं कांई सौचे है, धणी तो परमेसर मानीजै अर उणरै वास्तै इसा विचार। बा करै पण कांई पैलो टाबर अर धणई काले कोसां आगौ बैठो है। थारे कने भगवान है। भगवान माथै भरोसो राख बा मन ने थथोबो दियो। धापू लिछमी ने इंया बैठी शी घणा बखत सूं दैखे ही। बा कह्यो घ्बेटा उठ! इंया कालजा ने नैनो नीं करणो चाईजै। जवानो म्हारै कालजी री कोर है। बेटा ! बो देस रे खातर सीमा माथै डट्योडो है। उठ बेटा! थनै इण हाल में घणो भूखौ नी रैवणो चाईजै।'

लिछमी उठी! रसोड़ा मांय जाय खीचड़ो रांध्यो। सासु अर बिनणी दोन्यूं खिचड़ो जिम्यो। तद घणी धरां नीं व्है तो पांच पकवान किणनै भावै। जे टाबर व्है तो उणरे मिस बणाय दैवे पण लिछमी रे तो ओजूं पैलो टाबर अबै होवण आलो है। बा तिबारी लिछमी री आंख फेरूं खुली, उणनै नींद कद आवै ही? चाणचक चिमनी बुझगी, तिबारी मांय अंधारो व्हैगो। एक अणूती पड़ी उणरी कमर ने पकड़ ली। बा पाछी माछी माथै बैसगी। पीड़ री मारी परेवा (पसीना) सूं तर व्हैगी। लिछमी फेरू जोर कर उछी। चिमनी जगाई अर उणनै सावल लटकाय नीं सकी जितै पड़ी पाछी वापरगी। लिछमी गांठड़ी री नाई भैली व्है-अरे, इसौ कांई व्हैगो म्हारै? माची माथै पड़गी लिछमी अमूज आयगी उणने। पीड़ रो हिलारो बीने कोजी भांत फड़फड़ावै हो।

धापू कनै दूजै ओरे मांय सूती ही। लिछमी सासु ने नी जगाई-बीने सास री बात याद ही कि चार पांच घड़ी तांई तो दरद झलणो चाईजै। बा विचारियो सफाखाने जाय कांई करणो है? पीड़ तो म्हनै ई जेणी पड़सी। सफाखाना मांय कै घरां। इतरी अणूती पीड़ व्हैला लिछमी कदैई नीं विचारियो हो। पूरा डील ने गांठड़ी रे जियां भैलो कर राख्यौ हो।

बा फेरू हिम्मत कर उठी अर सासू ने जगाई। धापू हाफलबाई उठी अर पड़ौस आली दाई ने बुलावण सारी गू। धापू बैगी सी दाई नै सागै सागै लेयर आवगी। पड़ौ री दो चार लुगायां फेरूं आयगी। बैगी सी सफाखाना में पण खबर करया दी। सफाखाना सूं एक लैड़ी डॉक्टरणी अरदूजौ स्टाफ आयगौ। धापू लिछमी रे माथा माथै हाथ फेरे ही अर थथोबै ही।

धापू मन मांय डरपै ही-घ्अबै कांई होसी। सांसा भूलगी-लिछमी'इतरी तड़पावै आ कालजा री कोर। भाखफाटी री वेला लिछमी रे एक नैनकियो जलम्यो। अणचैतै पड़ी ही। कीं चैतो आयौ तो नैनकिया ने देख निहाल व्हैगी। बींनै आपरो घणी जवानो याद आयोगा। लै ओ थार देश रो रखवाओ अर म्हरा कालाज री कोर। घर मांय थाली री झणकार फूटी। गांव मांय सगला ने ठाह पड़गी कि फौजी जवानो रे बेटो जलम्यो।

दिन उगे सूर उग्यां पछै लगै टगै आठ सवा आठ बज्या व्हैला के गांव रा सार्वजनिक टेलिफोन तांई आ खबर पूगी के जवानो दुसमणां सूं लड़तो लड़तो देस रे खातर सहीद व्हे ैगो. आज सिंझ्या तांई सहीद री लास गांव पूग जासी।

लिछमी तो जाणै माथै भाकर पड़ृगो। अणचेते व्हेगी। चैतो आवण तांई सासु री छाती में माथो दे कुरलावण लोगी। नानकडिया ने छाती सू लगाव लियौ। बा रोवती सी बोले क्यूं मिनख एक दूजा ने मारे। गोली चाहे कुणसी दिया सूं लागै। टूटै तो एक मां रे कालजा री कोर।

एक मां पूरी रात अणूती पीड़ झेल नवा जीव ने धरती माथै ल्यावै। लिछमी नानड़िया रा अणूतो लाड़ करै अर जोर जोर सूं रोवे ही। धापू रे मुंडै सूं फखत एक इज सबद निकलै म्हारै कालजा री कोर। फेरू लिछमी रोवे -अरे! म्हारे कालजा री कोर। दोन्यूं री आंख्यां मांय ूसं आंसुवा रो अबै थाग आयगो हो।

जवानो कैवतो हो-घ्लिछमी थांरो लाड़लो पण म्हरा ै जियां देस री रिच्छा करैला।'

लिछमी ने जवाना री बात याद आयगी, बा रोवती थकी घ्जरूर..जरूर करैला म्हारा भरतार, म्हारी आ कालज री कोण इण देस री रिच्छा जरूर करेला।'धापू अर लिछमी रे कालजा रा लीरा लीर व्हैगा।

पण एक अंतस ही मन में देस रे खातर जान देवण आलै सहीद री मां अर अर्धांगनी होवण रो, गुमेज पण ही।


बूढो मरतंग

जीवा री बूढी मां आज सरग सिधाय गी। घर मांय सगला लुगाई टाबर रोवण लागा। जीवो पण मां रे सागै सागै उमरी गरीबी ने भैलो रोवे हो। उणरै माथै जाणै भाखर पड़गौ। पण बाती कीं भाखर सूं बैसी ही। घर मायं बूढो मरतंग अर समाज री कोजी रीत रे पांण मां रे लारे चोखो लगावण री रीत।

जीवो मेङणत मजूरी कर नीठ डाबरां रो पेट पालै। उणरै कनै मजूरी रे सिवा कीं दूजा आजोग नींह ही। पांच टाबरां रो पेट भरणो अर मां री चाकरी बींनै गला तांई दबाय दियो हो।

जीवो मेलावा रे भैलो जोर जोर सूं बांग देतो थको मां ने रोवे हो। जीवा ने रोवता सुण गांव रा मिनख भेला हुग्या। सगला जीवा ने थथोबे हा। कुण ई कैवे-घ्भई जीवा छानो रह भाई, ओ तो बूढ़ो मरतंग है, ब्याव जिसी बात है। थारे हाथ सूं चाकरी करी अर थांरा कांधा सूं सुरग पूगगी इण सूं बैसी मायतां रै खातर कांई व्है सकै?'

कुण ई कैवे-घ्भई जीवा घर में बूढो मरतंग है, लारै चोखौ लगाईजै भलो।'कुण ई कैवे-घ्जीवा थारी गवाड़ी बडेरा सूं खरच खाता आली मानीजै, इण खातर घर में बूढो मरतंग अर चोखो लागवण रो ईसौ मौको फेरूं ना आवै भलो।'

जीवो सगलां री सुणै पण करै कांई? उणरी गरीबी घर रा चारूं खूणा मांय गतोला खावै ही। समाज में चोखो लगावण री रीत अर घर मांय बूढो मरतंग।

गांव रा मिनख लुगायां बूढा बडेरा जीव रे घरां बैसण आवै। सगला मां रे लारे चोखो लगावण री भुलावण देय नै जातै रैवे।

कुण ई आ नीं कैवे के जीवा थूं चि ंता मत कर पांच पचीस म्हारै सूं ले लिया। गांव रो एक ठेकदार जद आ बात सुणी तो जीवा रे घरां बैसण आयो। ठेकेदार ने घरां आवता देख जीवो मां ने रोवण लागो। ठेकेदार जीवो ने थथोबो दियो।

जीवो बोल्यो-घ्ठेकदार सा आप म्हारै घरां पधारिया, म्हारा मोटा भाग।'ठेकेदार कैवण लागो-घ्भई जीवा दुख मांय मिनख मिनख रे इज काम आवै। म्हैं आ कैवण आयो हो के पांच पचीस री जरूरत पड़ै तो थूं पाछो मत जोई भलो। घर मांय बूढो मरतंग है, ईसौ मौकौ फेरूं नीं आवै। मां रे लारे चोखो लगाईजै भलो।'

जीवो बोल्यो-घ्ठेकदार सा म्हारै कनै तो गिरवै राखण सारू कीं नीं है। घर मांय फाट्योड़ा पूर अर दो चार जूना पातला वासण-दो थाली परात अर माट री हांडी रे सिवा कीं नीं है। दागीणो तो अजै तांई म्हैं देख्यो ई कोनी।'

घ्अरे! थूं इयां पाछो कियां जौवे है'ठेकदार बोल्यो। थारे आलै मोटेड़े छोरे ने म्हारै साथै मेल दिया। थांरी मां रे लारे रो सगलो खरचो म्हैं दे देस्यूं।'

जीवो ठेकेदार रा बोल सुण ऊंडा विचारां मे डूबगो। ठेकेदार ह्यो-घर मांय बात कर लीजै, काल पाछो मिलसूं। ठेकेदार रे वास्तै ओ एक सौवणो मौको हो।
घ्हां तो कांई विचार राख्यो भई जीवा?'दूजै दिन फेरूं जीवा रे घरां बैठतो थको बोल्यो। ठेकेदार सा! म्हनै तो कीं एतराज कोनी पर छोरी री मां...।देख भई जीवा घर रा सगला ऊंदरा मिनकी राजी व्हैणा चाईजै। घर मांय सावल समझायदे थांरी लुगाई ने के बारै गया थांरो छोर हुस्यार व्है जासी। ठेकेदार कीं जोर सूं बोल्यो। घ्ठेकदार सा, म्हैं घणा गरीब हां अर म्हारै छोरो पण एक इज है। छोरी री उमर दस बारा बरसां रे लगै टगै इज है। म्हारै छोर्यां पण चार है।'जीवा हाथ जोड़तो थको बोल्यो। आछो भई-मरजी थारी पछै मत ना कईजै के ठेकदराजी म्हारी की ईमदाद नीं करी।

घ्दस बारा दिनां पछै म्हैं जावूंलो थूं एक बार फेरूं विचार कर लिया।'ठेकेदार बोल्यो अर धोती रो पल्लो झाड़तो थको बैठो व्है गियो। बीं रात जीवा अर उणरी लुगाई री आंख्यां में नींद नाव नीं ही। कनै निधड़क सूता दस बारा बरस रो बेटो भीमौ अर च्यारूं बेट्यां ने फोट्योड़ी आंख्यां सूं देखता देखता रात निकलगी अर ठाह ई नीं पड़ी।

जीवो दोन्यूं कात्या बिचालै फसगौ हो। बो डफलीजगो। घर मायं बूढो मरतंग अर एका एक छोरा ने ठेकेदार ने सुपरत करणौ।

दिनूगै जीवो फेरूं भीमा री मां ने पूछ्यो-घ्थूं कांई विचारियो? ठेकेदार पांच हजार तो अबार ई दे देसी। म्हनै तो ईणमे कीं खोट नीं लागै। दो बरसां रीज तो बात है। हां करता निकल जा ीस दो बरस तो! घर मांय बूढ़ो मरतंग है, लारे चोखो ल्याग जासी। ठेकेदार घरां आय सांमी बतलाया है, ईसो मौको फेरूं नी मिलै।'

घ्ए ठेकदार जी म्हारा बेटा ने कठै ले जासी?'कीं अत्तो पत्तो रैसी उणरो'जीवा री लुगाई बोली। घ्बे कैवे हा के कनै एक स्हैर में कारखानो है बठै काम पर लगासी'जीवो पडूत्तर देतो थको बोल्यो।

जीवा री लुगाई जीवा रे आगे किंया पग दैवे ही बा फगत इतरो कैयो के म्हारा बेटा ने म्हनै मिलता रईजो, बस! म्हारी आंख्या लरो तारो है बो..। समाज री कोजी रीत ने निभावण सारू दुखी मां कालजा माथै भाटो राख'र बेटा ने ले जावण री हामी भर दी। पण उणरो कालजो मांय सूं फाटै हो।

ठेकेदार जीवा ने पांच हजरा रिपिया रोकड़ा गिणाय दिया। जीवो उणरी मां रे लारे पूरा चोखला ने भोज दियो। बूढो मरतंग हो इण सारू भोज पंच पटेलां री आस मुजब बणायो गयो।जीवा रो नांव पूरा चोखला मायं ऊंचो व्हैगो।

जीवो रो कालजो उणरा बैटा खातर हिलोरा खावै हो। भीमा ने ठेकेदार साथै गया सात-आठ महिना व्हैगा। ओजूं कागद पण नीं आयो। बो कठै है? अर किंया है? कीं समाचार नीं मिल्या।

जीवो ठेकेदार रे घरां जावे पण बठै तो दिन रात तालो लटकतो निजर आवै। जीवा री लुगा ी रोय रोय आंख्यां रो नास कर दियो। बा बेटा ने देखण खातर रात रा पण सुपना मांय आ आस राखै। बा आस पण पूरी नीं व्ही।

एक दि आ ठाह पड़ी के ठेकेदार जिण घर मायं रैया करतो, बो तो भाड़ा रा घर हो। जीवा रै जाणै पगां हेठेकर जमी सरकगी। जीवा री लुगाई रोवे-कुरलावै अर जीवा ने कैवे-घ्था म्हारा बेटा ने बेच दियो। म्है े पैली कैवे ही के औ ठेकेदार गलत निरजां रो मिनख है। म्हनै म्हारो भीमो पाछो लाय दो। म्हैं उणरे सिवा नीं जीव सकूं।'
आ गरीबी अर समाज री कोजी रीत म्हारा बेटा ने गमाय दियो।

जीवो बेटा सारू घणा जतन करिया। अखबारां में छापा छफाया पण नतीजो कीं नीं मिलोय। मां अर बाप बेटा रा विजोग में गैला गूंगा व्हैगा।

समाज रा पंच पटेल अर दूजा दीवा ने मां रे लारे चौखो लगावण री भुलावण देवता। बे आज जीवा ने याद पण नीं करै।

जीवा री जियंा घणकरा परिवरां ने औ ठेकेदार गरीबी री दसा अर समाज री कोजी रीतां रे कारण रिपिया रो लोभ देय उजाड़ दिया हा।
एक दिन जीवो सिरेपंच रे कनै पूग्यो अर सगली बंतल करी। सिरेपंच थाणा में जाय रपट लिखा ी, जीवां ने कीं आस बंधी।
थाणेदार जीवा ने थाणा मायं बुलायो। सगली बात सुणी तो बो सांमी जीवा ने आंख्या बतावण लागौ अर ऐक हजार रिपिया लावण रो कह थाणे सूं बारै कर दियौ।

जीवो थाणा रै बारै ऊभो आंसूड़ा नितारै हो के घरां लुगाई ने कांई जवाब देस्यूं।

अबै जीवो थाणो सूं सगली आस छोड़ दी। बो एक नेताजी सूं मिलण रो विचार कर स्हैर पूग्यो। नेताजी रै घरयां जाय बो हाथ जोड़ अरदास करण लागो।

नेताजी बोल्यो-घ्जीवा..ओ मुद्दो तो ऐसेम्बली मांय गूंजे जिसो है। थांरी अरदास राजधानी तांई पूगसी।'

नेताजी री बात सुणतां ई जीवा रे मुंडा माथै नूर वापरियो। बां मन में विचारियो अबै तो म्हारो बेटो जरूर आ जासी।

कैई बरस बीतगा घणकरा थाणेदार बदलगा, राज बदलगा पण जीवा री आस आज तांई जणा जणा सूं अरदास करती निजर आवै।

अबै दोन्यूं धणी लुगाई बूढ़ा व्हैगा। बेट्यां मोट्यार व्हैगी, हाथ पीला करण जोगी व्हैगी। आज भीमो जीवा रे कनै व्हैतो तो उणरै बुढापा रो सियारो बणतो। पण समाज री आ कोजी रीत अर गरीबी जीवा रा एका एक बेटा ने मां बाप सूं अलगौ कर दियो। भैणा भई रे खातर आंसूड़ा नितारै ही।

पता लोग सूं दस पन्द्रै बीत्यां भीमो ठेकेदार रा जाल सूं छूट छानो मानो गावं पूगगो।

अंधारी धुप्प रात भीमो घर रो बारणो खुट्कायो। जीवा अर उणरी लुगाई री आंख्यां सूं नींद तो लारला दस पन्द्रे बरसां सूं नैड़े ई नीं आवै ही। बारणा री खट् खट् सुण दोन्युं धणी लुगाई बारणा सांममी दौड़या। सायत सुपना रो बहम व्हैला। थोड़ी ताल सूं बारणो फेरूं खट् खट् बाज्यो। जीवो आगल सरकाय बारणो खोल्यो तो बारै एक पच्चीस बरस री उमर जोध जवान। दोन्यूं धणी लुगाई उणरा बेटा ने नीं ओलख सक्या। बोल्या-घ्कुण होवे सा'म्हैं थारो भीमो मां बापू। ओ म्हैं थारो भीमो हूं। इतरो सुणता ई भीमा री बमां बेटा ने गले लगाय धणी रोई। आज उणरी खुसी रो पार नीं हो। मां रो आचल आसुंवा सूं तर व्हैगो। भीमना रा मां बापू, बेटा रा विजोग में साव दुबला पण व्हैगा हा। जीवो मांदो रैवण लागगो हो। बरस ऐक रै पछै जीवो पण सुरग सिधाय गियो। भीमो उणरा बापू ने कांधो दे पुरखां री रीत रो दस्तू करयो पण अबकै वो जीवा रे लारे चोखो लगावण आली लोगां री भुलावण ने अंगेज नीं करी। ि ण कोजी रीत ने बंद करण रो बंद करण रो बीड़ो उमरा घर सूं उठाय लियो। जो गलती जीवो किवी वा गलती भीमो करण ने मंजरू नी हो। भीमो समाजरा पंच पटेलां री आख्यां में खटकण लागो। भीमा ने समाज में घणी मानता नीं देवता। भीमो भरांत राखण री रपट दो चार लूंठा लूंठा पंचा रे नांव सूं मानवाधिकार आयोग में दर ज कराई तो घणकरा भीमा रे सांमी व्हैग अर इण कोजी रीत ने छोड़ण री आवाज उठाई। बखत पाण सगलो समाज भीमा री बात अंगेज कर ली क्यूंकै इणें एकला भीमा रो कीं सवारथ नीं हो। इण कोजी रीत ने त्याग करण सूं घणकरा घर उजड़गा बचगा।


थाल री टणकार

थाल री टणकार बाजता ही पास गवाड़ी मांय पण सगला लोग घणा राजी होया। सगला ऐक दूजै सूं कैवण लागा कूकल रे बेटो जलम्यो है। घर मांय भांत भांत री जुगत करीजै। कूकला रो बूढो बाप गमनो आ सुणता ई जाणै मोट्यारपणो पाछो आयागो व्है। बो डांगड़ी रे स्सारै सेठ री दुकान पर कीं पईसा टक्का अर सीधा री जोड़ जुगत सारू राजी राजी व्हीर व्है जावै। वो हवले हवले दुकान तांई पूग्यो अर बारणा रे बारै बैठ खांसण लागो।

धन्नो सेठ दुकान मांय की ब्याज बटा रा हिसा में लाग्योड़ौ हो। गमना ने दुकान रे बारै देख सेठ रो चित हिसाब सूं टूटगौ। बो गमना ने देख्यो। सेठ रे कनै दो तीन मिनख फेरूं बैठा हा। बे कीं हिसाब किताब करावण सारू आया हा।

गमनी फेरूं डांगड़ी संभाली अर सियारो लेय दुकान मांय बड़तो थको बोल्यो घ्मजरो सेठ।'आव भई गमना, सेठ बोल्यो। सेठ गमना रे सांमी सावल देख्यो अर बोल्यो घ्किया गमना भई आज तो म्हनै थांरी बोली अर आंख्यां मांय की फेर निजर आवै है? म्हनै ई तो बताव कांई नुवी खबर ल्यायौ है?'

गमनौ कवेण लागौ-घ्सेठां घर में गीगो जलम्यो है, छोरा कुकला रे बेटो जलम्यो है।'कूकला रै पैलो टाबर इज जलम्यो, आ बात तो नीं ही पण अबकै बेटो जलम्यो हो।

कूकला रे दो बरसां री एक छोरी ही पण बा मांदी मांदी है। छोरी रे जलम पर थाल री टककार नी बाजै अर घर मांय मातम री छिंया पड़ जावै। आ समाज री ऐक कोजी रीत मानीजै।

गमनो सेठां ने कैवे-घ्सेठ कमीण कारू ने नेग, यार-भायलां ने गोठ, भैण भुवा ने कीं गहणां रो नेग देवण रसारू कीं पईसा टका चाईजै। घर मांय उच्छब सारू सीधो पण चाईजे। अबै पांच पचसा सिर होसी तो होसी। सेठां ! पईसो तो हाथ रो मैल है, आखिर मांनखो कमावै ई कुणसै दिन खातर है।'गमनो की पईसा टक्का अरसीधा री जुगत कर घरां आवै। बास गवाडी में घर र लाडू की हांती बंटीजै। सिझ्यां रा घर में लापसी रो भोजन बणाईजै। बास गवाड़ी में जीमण रो नूतो दिराजै। मिनख कर लुगायां गीगा रे हाथ में पांच पच्चीस रूपीया सरधा मुजब नालेर दैवे। गीगा रो अणूतो लाड करै।

कूकला रे घरां उच्छब मनाई जै, लुगाईयां मंगल गीत गावै-
थे तो देवो नीं रूपीड़ा रो दान
सूरज भल उगियो।
ऐ तो बाज्या है सोवन थाल
सूरज भल उगियो।
थारै जलमियो है लाडल पूत,
सूरज भल उगियो।
थारे हुई मातीजी री मेर
सूरज भल उगियो।

गीगा रो पालण रिपिया कवा सूं करीजै। सगलां मां बाप आ आस राखै कि उणरो लाडेसर बैगी सो मोट्यार व्है जावे, कमार ल्यावै। उणरो ब्याव होसी तो घर में बीनणी पण आसी। पुरखां रो नांव रेसी।

गीगा रो नांव टीकमो राख्यौ। बखत टीकमो पांच बरस रो हुग्यौ। कूकलो अर टीकमा रो दादो गमनो एक एक दिन गिणती करै हा, आज बो दिन आयगो।

छोटी गीता पण टीकमा रै सागै-सागै सात बरस री व्हैगी। पण उणरो कुण ध्यान राखै हो। बा कुणसी कमार देसी? बा तो परायो धन मानीजै। समाज में सगलां री आ इज मानता। इण मानता अर कोजी रीत रै कारण सीता ने स्कूल पण नीं मैली।
छोरा रे बांच बरस रो हयां उणने शारदा पूजावै, नालेर बधारे अर गीत गाईजै।
बना थे तो बांच बरस रा हुयग्या,
थे तो दूध पतासा पियग्या।

कूकलो उणरा लाडेसर री आंगली पकड़र स्कूल में नांव लिखावण सारू लै जावै। मास्टरजी ने टडीका री भुलावण दैवे। टीकमा रो पढ़ाई में मन नी लागै। पर इणनै पढ़ावणौ जरूरी है। टीकमो स्कूल जावण में आल टोल करै। स्कूल सूं न्हाट न्हाट घरां आ जावै। घर में लाड रे कारण बींनै कुण ई नीं पालै। टीकमा ने इया फटोल व्हेतां देख कूकल मन में विचारियो सीता ने टीकमा रे साथै साथै स्कूल मेल देवां तो दोन्यूं भाई भैण सियारा सूं स्कूल में बैछ जासी। टीका रै साथै सीता रो नांव पण मंडाय दियौ।

टीकमौ लाड रे कारण नीं पढ़ सकयौ। सालीना फैल व्हैतो गियो। सीता पढाई में हुस्यार, टीकमा सूं दस पांवड़ा आगै। टीकमौ दस बरसा में नीठा नीठ आठ किताब तांई पढ़ सक्यो। सीता री पढ़ाई देखतां थकां स्कूल रा माटङसाब ने समझावै के सीता ने स्कूल नीं छोडावै। पण सीता रे स्कूल भेजण सारू घर मं नित राड़ व्है। कूकला अर सीता री मां रे माटङसाब री बाद दाय आयगी।

अबै सीता स्कूल री पढ़ाई पूरी कर कॉलेज तांई पुगगी अर मन लगाय पढ़ाय करी। पढाई पूरी होयां बा नौकरी री जोड़ जगत में लागगी।

टीकमो तो आठ किताब पढ स्कूल छोड दी ही। अबै बो रूलेटां रै साथै रूलतो फिरै। घर में बेटो होवण रे कारण बींने कुण ई नीं पाले। इयां करतां वो कदै कदै दारू री मेहफलां में पण बैसण लागगो। बो घर आला रे कैणे सूं बारै व्हैगो।
समै किणनै उडीकै कोनी, बखत बीतता जेज नीं लागी अर बरस अठारै रो व्हैगो टीकमो। उमर पैली बो कोजी सोबत में फंसगो।

सीता ने पढाई अर जुगत रो फल बैगो मिलगो। बा कलेक्टर रा ओहदा तांई पूगगी। सीता रे कलक्टर बणण पे सगला बास गवाड़ी अर गांव रा लोग घणा राजी हुया। चारूं मेर सीता रा बखाम होवण लागा।

ओ दिन गमना अर कूकला खातर पण घोणो सोवणो हो। अबै बांने ठाह पड़ी के छोरा छोरी में फैर नीं राखणो चाईजै। बे टीकमा ने इयां गलियां गलियां रूलतो दैखे तो भाटा सूं माथो फोड़े, करै पण कांई। इण री कोजी रीत रे कारण वे सीता ने पछै स्कूल भेजी।

मीको मिल्यां छोर्या छोरा सूं चार पांवडा आगै चाल सकै है, जिंया सीता मैणत करनै कलक्टर रा ओहदा तांई पुगगी। टीकमौ जिणरै जलमियां थे थाल बाज्यो, लाडू बंटया। बो आज लाड रे पाण रूलेट अर फटोल बण मां बाप रो बोझ बण बैठो है।

सीता रो सगपण बैगो इज उणरै बराबरी रे ओहदै आलै रे साथै तय व्हैगो। सीता रो ठाट पाट सूं ब्याव पण व्हैगो।टीकमा रा फटोलपणा ने देखतां उणरो सगपण नीं होयो। कुण ई आपरी छोरी देखतां आंख्या खाडाड में नीं न्हाखणी चावै हा। बोईयां ई रूलतो रह्यो।

धनो सेठ उधारी रा तकादा खातर गमना रो पग आंगणो कर दियो। बो घणी ताकीद देवण लागौ। आ बात जद सीता ने ठाह पड़ी तो बा सगलो चुकारो कर दियो।

कूकला रो नांब बदल कुंदनमल राख दियो अर गमना रो नांव गुमानमल राख दियो गयो। अबपै दोन्यूं बाप बेटा कुंदनमलजी अर गुमानमलजी, कलेक्टर साहिबा रे बापू अर दादीज रे नांव सूं चोखला में जाणीजै। भा टीकमा रो नांव पण बदल टीकचंद बदल गियो गयो। भा ी नेइयां रूतो देख सीता बींनै प्रधानमंत्री रोजगार योजना आलो करजो दियो अर सीखी दीनी के छोटो मोटो काम कर।

टीकमचंद करजो मिलयां एक छोटी दुकान खोली दी। वो दुकानदार बणगो अर कीं कमावणो सरू करि दियो। अबै वो सगली गलत सोबत छोड़ धंधा में चित लगाय दियो।

टीकमचंद रा धंधा ने देखतां बींरो सगपण बैगो इज तय व्हैगो अर ब्याव पण व्हैगो।


रामू रो बछेरियो

रामू रे छोरा छोरी नीं हा। उणरै कनै फखत एक बछेरियो (गधेड़ी रो बच्चो) हो। घणो फुटरो रंग अर आंख उणयारे। रामू अर उणरी जोड़ायत बछेरा रो घणो लाड़ राखे। उणने ई'ज आपरो बेटो माने। बछेरियो आंगणां मांय उछल कूद करै अर आपरा धणी धिणियारी रे आले दौले फिरै।

रामू ऐक दिन इस्कूल रै कनै बैठ्यो-गांव रा छोरा छोरियां ने इस्कूल जाता देख्यो तो उणरै मन मां उंडो विचार आयो घ्क्यूं नीं म्हैं पण म्हारा बछेरिया ने इस्कूल मेलूं।'विचार करतो करतो घरां पूगौ अर मन री बात लुगाई सूं कही। लुगाईने पण आ बात सोलह आना जंचगी।

दूजै दिन सवार रा रामू बछेरिया ने लेय मूरी पकड्या इस्कूल पूगौ। बछेरिया ने फलसा रे बांध्यौ अर माटङसाब रै कनै जाय राम राम कियना अर कैवण लागौ-घ्माट'साब म्हारौ ओ बछेरियो म्हारै वास्तै बेटै सूं कीं कम कोनी। आप इणरो नांव इस्कूल मांय मांडो। थांरी फीस व्है जो म्हरै सूं लै लियो।'

माटङसाब बोल्या-घ्भई रामू। म्है इणरो नांव मांड देस्यूं, बारै महीने री मण बाजरी देतो रहिजै।'ठीक सा। थारै आ मण बाजरी पक्क्यात समझो, पण भणाई पढ़ाई में फरक नीं आवणी चाईजै रामू भुलावण देतो थको बोल्यो।

घ्अरे! रामू इणने गधैड़े सूं मिनखी नीं बणाय देवूं तो म्हारो नांव भी मास्टर ठोटीमल नी।'माङट साब छाती ठोक'र बोल्यो।

अबै रामू नेम सर बछेरिया नै इस्कूल रै फलसा रै बांध घरां आय जावै। इस्कूल री छुट्टी व्है जद माटङसाब बछेरिया रै एक पाटी लटकाय देवे इण पर दो चार मोटा मोटा आखर मांड देवै। काम नेम सर होवम लागो। बछेरिया घरां जद कदै...चिक..भौ..चिक..भौ...चालू करे तो दोन्यू धणी लुगाई घणा राजी व्है, घ्देख बढभागण बछेरिया आखर बांच रह्यो है, आधो निमख तो बणग्यौ लागै?'राम जोड़ायत नै केवे।

जोग री बात मिनौ डेढेक हुयौ के बछेरिया ने बटाऊ ताको राख'र आपरै डेरा मांय भेलौ कर जाता रह्या। माटङसाब फलसा कानी देखौ तो बछेरियो निजर नी आयो। माटङसाब करे पण कांई? उलूजाड़ में पड़गा। मन में विचरौ, घ्रामू ने कांई पडूतर देस्यूं? 'फेरूं मन मांय कीं उंडौ विचार करियो, जितैङक बछेरिया ने घरां नी पूगतो देख रामू स्कूल कानी दौड़त थको माटङसाब साब ने ढाब्या। बोल्यो, घ्माटङसाब सगला छोरा छोरियां ने घरां जाता देख्या। म्हारो बछेरियो औजूं नी पूगौ।'
माटङसाब साब की हंसता थका बोल्यो, घ्अरे रामू, थूं अजै तांई उणनै बछेरियो इज गिणै। बो तो मिनख बणगो..मिनख..। है, 'सांचणी..रामू घणौ राजी व्हीयौ अर बोल्यो है बो? बो तो जोधपुर सैर मांय लांठो अफसर बण्यो है। माटङसाब कह्यो। आछो सा, भगवान थांरौ भलो करै। रामू राजी राजी घरां पूग्यौ, लुगाई ने सगली बात बताई। लुगाण पण घणी राजी व्ही।

जोधपुर स्हैर जावण नै उतावणो रामू लगु ाई सूं भाड़ा री जोड़ जगत सारू कह्यो। घ्पईसा टका तो घर मांय है कोनी। बाजरी मण च्यारेक पड़ी है, जो भाड़ा जोगी लेय जावौ।'रामू री लुगाई रामू सूं कह्यो।

आछो। रामू गमछा में बाजरी री गांठ बांधी अर माथा माथै मेल हाथ में मुरी, सटियो अर तुसां री पोटली लेय राजी राजी रैल टेसण कांनी व्हीर व्हैगो। रामू खाथौ खाथौ टेसण पूग्यो। रामू रै रेल टेसण देखण रौ काम पैली बार पड़ियौ हो। मुसाफिर खाना री एक कुरसी माथै बैसगो। ईनै बीनै देखै अर ताका झांका करे।

रामूनै ईया बैठ्यौ देख एक भणियौ पढ़ियौ मोट्यार रामू सकूं पूछ्यौ घ्कहां जायेगा भाई।'
घ्जोधपुर रा अफसर कनै'राम बोल्यो मोट्यार नै समझतां जैज नीं लागी, बो जाणगौ के इ ै जोधपुर जावणौ है।

घ्तू ऐसा कर सामने जो खिड़की दिख रही है, वहा ँ से टिकट लेकर फिर उस तरफ काले ईजन वाली धुंआ निकलाती हुई गाड़ी आयेगी, झट से उसमे चढ जाना।'मोट्यार आंगली सूं सैण करतौ थको बोल्यौ।

रामू टिगट खिड़की रै सांमी जाय उभगौ। मांय एक टोपधारी मिनख टिगट बांटै हो, चित लगार देखण लागौ। रामू री बारी आई तो रामू बजारी गांठ खिड़की रे सामी मेल दी। टिगट बाबू देखतो रहग्यौ, रिसां बलतौ थकौ घ्अबै यह कह्या है? कहां जाना है तुझै? पैसे निकाल'टिगट बाबु बोल्यौ।

म्हारै कनै पईसा टका कोनी। म्हनै जाणो जोधुपर। म्हैं ल्यायौ बाजरी री गांठ। थारौ माथा उपरलौ ठाठियो (टोप) नीचो मेल राम झटझट टिगर बाबू रै सवालां रौ वडूतर देतो थको बोल्यो।

अबै गंवार कहीं के। यहां बाजरी नहीं ली जाती है। टिगट बाबू फेरूं चिढ़ियौ।

रामू तो टिगट बाबू रै चींचड़ा री जयां चिपगो। टिगट बापू आखिर तंग व्है टोप उतारियो अर रामू रै सामी राख्यौ।

रामू तो झररर..बाजरी गांठ टोप मांय खाली कर दी अर कीं राख दी। टिगट बापू माथो ठणकतो थको जोधपुर रो टिगट रामू रे हाथ में झिलायौ।

टिगत हाथ में लेय रामू चीला कानी निजर न्हाखी। सिंझ्या लटैटगै सवा नव बजया हा।

अलगौ सी एक मिनख काला गाभा (कोट पेंट) पैरयां हाथ में सिगरेट, मूंडै सूं धुंआ रा गोठ उडावतौ थको चीलरां रै बीचालै आवतौ निजर आयो (बो रेले रौ पैठवान हो)

रामू री आंख्यां मांय कीं चिमक वापरी बो मन मांय राजी व्हीयो, घ्आई रेल। इणनै नी झाली तो हाथा सूं जाती रैसी। फेरूं दूजी ठाह नीं कदै आसी?'
रामू तो ताको राखर ऊभो हो। पैठवान चीलां रै बिचालै बिचालै हाथ में लालटेण अर मुंहडा में सूं धुंआ रा गोठ उडावतो थको राम रै नेड़ै आया पूछ्यो, कहां जाना है तुझे? रामू तो ताको राखर चढ़गो बीरै घोड़े पलाण। फेरू बोल्यो जोधपुर जावणौ है।

पैठवान तो हाबाकियो व्हैगो बोल्यो, यह क्या बदमतीजी है? रेल रौ टिगट है म्हारै कनै। रामू छाती ताणर बोल्यो। अबै। नीचे उतर। पैठवान कड़कर बोल्यौ। ठाठियो भरर बाजारी दीनी है, रामू फेरू बोल्यौ।

अबै क्या बक रहा है? पेठवान फेरूं कड़कियौ। बकरो कोनी गधेड़ी है, रामू पडूतर देतौ थको बोल्यौ।

अबै नीचे उत्तर..नीचे उत्तर..पैठवान जोर सूं हाका हूक मांड्या।

दो तीनेक बडाऊ दौड़र आया रामू नै हेठौ उतारियो अर कीं भुलावण घाथी। थोड़ी ताल में सूं रेल छुक..छुक..करती धुंआ रा गोठ उडावती प्लेट फार्म माथै पूगी। रामू तो आवती रै ई झांप घातर डब्बा रै उचालै चढ़गौ। रामू नै इंया उचालै चढ्यो देख रेलवे रा दोयेक नौकर चाकर आया अर बीनै सावल बैठायो। रामू ने कीं बात दाय नी आई तो बो छानो मानो गलियारा बीचालै बैसगो।

गार्ड बाबू सिटि बजाई अर हरी झंडी बतावतां रेल व्हीर व्हैगी।

रेल चीला माथै सरपट दौड़ण लागी। गाड़ी रा हिचकोला सूं रामू ने मीठी मीठी नींद आयगी। रे जोधपुर टेसण पूगतां ही प्लेटफार्म माथै मिनखां रौ हियो हियो लाग्योड़ौ। सगला जोधपुर..जोधपुर करता करता आप आप रा बींटा संभाल्या।

रामू नै पण जगायो भई, उठ देसण आयगो। रामू झट व्हीर व्हैगो दूजा मिनखां रे देख देख टिगट बाबू ने टिगट झेलाया, गेठ सूं बारै निसरियौ। बारै गांडियां री जमघट अर मानखा री हियो हियो देख रामू तो जाणै डाफाचूक व्हैगो। फेरूं एक तांगा आला रै नेड़ै सी जाय मोटा अफसर कनै पूगावण रौ कह्यो। रामू तांगा माथै सवार व्है गलियां मांय गोता खावै।

तांगा आला नै कीं गतागम नी पड़ी तो बो रामू नै एक दफ्तर रै कनै उतार दियो। तागां आला रौ भाड़ो कीं बाजरी बीरै कनै बच्योड़ी ही दे दीनी।

रामू गेट रै नेड़ौ पूगो तो चोकीदार बीनै पाल दियो। किससे मिलना है? चौकीदार रोब सूं बोल्यो।

मोटा अफसर रौ बापू हू अर उण सूं इज मिलणौ हे। रामू पडूतर दियौ।

चौकीदार कीं संकियौ अर बल्ला गलै नी लेवण में चौखौ मान्यौ। रामू नै छूट दे दीनी।

दफ्तर मांय बड़ बारणा रै कनै थलैटी माथै उभ रामू चारूं कानी नजिर न्हाखी अर करड़ौ धज्ज व्हा सगला रै माथै विडियो कैमरा रै जिंया निजर न्हाखी।

रामू मन में विचारियो ईंया कां ी ठाह लागसी आपां आलौ कुणसौ है? बीनै बात याद आयगी के तुस री पोटली बताया ठा लागसी। बो तुस री पोटली ऊंची कर सगला सामी सैण करण लागौ। दफ्तर रा सगला नौकर रामू नै आंख्या रा डोला काढ काढ देखण लागगा, क्यूंक नजारो कीं अनोखौ हो।

जितै सी सामी साम ोटी कुरसी माथै बैठ्यौ एक जाड़ौ मातौ नौकर हाथ सूं सैण करी। बोई दफ्तर रो सै सूं मोटो अफसर हो। अफसर मन ई मन हरखै, मुरगी चोखी फसी। कीं माल ताल सांतरो लायो दिसै। लोभी जीवड़ौ मन ई मन घणौ राजी व्हियो। बो दफ्तर रा दूजा नौकरां नै पर्सनल बात रो कह थोड़ी ताल वास्तै बारै जावण रो हुकम दियौ। सगला अफसर रै हुकम नै अंगेज कर लियो अर बारै बैसगा।

अबै रामू अफसर रै नेड़ौ पूगो अर धोती री खोल्यां खोसर मींडका (डेडरिया) री नांई उछलर अफसर री कुरसी रै सामाला पाटा माथै चढगौ। अफसर री आंख्यां मांय आंख्या घाती, फेरू नाड़ ठणकी अर विचारियो घणो फेर फार तो निजर नी आवे। पर भणाई पढ़ाई सूं कीं फेर फार तो व्है ई है।

अफसर आंख्या माथै मोटो चस्मौ लगायां बठ्यौ रामू पण आंख्या फाड़ फाड़र देखे हो।

घ्म्हारै बिना पूछ्यां कियां आयोग?'रामू अफसर सूं कह्यो।

कह्या बकता है? काम की बात कर..कितना लाहा है? जिल्दी निकला दूसरे देख लेंगे। अफसर बोल्यो। अफसर कीं घूसखोर हो।

रामू रै कीं पल्लै नीं पड़ी..बो तो बोल्यो न चाल्यौ, ताकौ राखर नाड़ काठी झाली अर अर मुरी घातर दो च्यारेक जोर सूं सटीक मेल्या मोर तणा। म्हारै सूं लपलप..थारे खातर बारजी री कोठी खाली कर न्हाखी। रामू बापा बारै व्हैगो। अफसर रै मूंडै सूं फेफूंड अर आंख्यां रा डोला बारै आयगा, रामू बींनै साख्यात् जमदूत रौ रूप नजिर आवे हो।

अफसरो बोल्यो, थूं कांई चावै है म्हारा बाप। हां। अबै पूगौ नी ठाणै..। रामू नाड़ ठिणकतो थको बोल्यौ।

रिपिया चाईजै म्हनै..रिपिया।थारी तनख्वाह..। मरतौ कांई करतो..अफसर जेब सूं रिपिया री एक गिड्डी रामू रै हाथ में झेलाय दी अर विचारियो ई साटे ई पिराण तो बचिया।

रामू रिपिया री गिड्डि लेय पाछो गांव पूगो। गांव रा सगला मिनखां ने बीती बात बता ी तो लोगां आपरा छोरी छोरियां नै इस्कूल मेल्या ई विचार में के एक बछेरियो भणाई पढ़ाई सूं मिनख बण सकैतो ऐ टाबर तो देस रा मोटा सूं मोटा नेता अर अफसर अवस व्है सकेला।

रामू इण भांत आपरी अकल हुशियारी रै पाण आपरा गांव मांय पढ़ाई री नुंवी जोत जगाय दी।


जद धरती धूजी

26 जनवरी, 2001 रो वो दिन सवार रा लगैटगै नव सावा नव बज्या हा। जद धरती धूजी। आंखो गुजरात अर मरू ुधरा हिंडा हिंड़ण लागी। सगला मानखौ खुरलावण लागो। कुण ई बोले भूकम्प आयगो अर कुण ई बोले धरती धूजी। मानखा में च्यारूमेर भागा दौड़ लागी। हाहाकार मचगो। मोटा मोटा गंगाल दस माला सूं लेयर पचास साठ माला ताणी रा देखतां देखतां तास रै पत्ता रै जिंया खिडंगा अर धूड़ भेला व्हैगा। अणगिन मानखौ जीवतौ बूरीजगौ। सगला जीवता समाधी लैय ली, लेवै कुण हो ओर कुमाणस बगत धिंगाणे दे दी। मोटी मोटी होटलां, दफ्तर, पोसाहां, कारखाना पूरा सैर अर गांव रा गांव मसाण घाट में बदलगा। लासां रा ढिगाल व्हैगा। जीवता रह्या बे एक दूजा खातर आंसूड़ा नितारै हा। मां बाप टाबरां खातर, बैन भाई खातर, लुगाई धणी खातर, घणकरा टाबर रूदरा व्हैगा। लुगायां रांडीजगी। केई लुला पांगला व्हेगा।

आज तांई बो दिन आंख्या रै सामी जमदूत रै जिंया उभौ दिसै।

बो दिन गुजरात ई कांई सगली दुनिया याद राखसी, जद धरती धूजी।

चारू मेर जमी मसाण बणगी, लासां रा ढिगला पड़या हा। सगली लासां नै एक साथै धरम करम अर जांत पांत नै पर राख अगनी नै सुपरत करिज्या।

रूगनाथौ ओ दिन उणरा झूंपड़ा रै बारै बैठ्यौ बींरी आंख्यां सूं देख्यौ हो। उणरी आंख्यां रै सामती बो दरसाव फोर फोर आवै हो।

रूगनाथ राजस्थान में काल रो सतायोड़ी घर बार समेत कमावण साय गुजरात कानी गियो हो। पर कुदरत रूगनाथा रै मेलावा रो लारौ काठो झाल दियो।

रूगनाथ अलगो सो ऊभौ डर रौ मारिय ो थर थर धूजै हो। बो एक झूंपड़ा मांय आपरा मेलावा सागै दुख रा दिनड़ा काटण सारू गांव सूं अठै पूगौ हो। बो मैणत मजरू ी कर मेलावा रो पेट भरण रौ जुगाड़ करतौ हो।

आज रूगनाथा रो झूंपड़ो जिंया रो तियं ा अर सागी ठौड़ जमयोड़ो हो, रूगनाथो आपरा झूंपड़ा अर मेलावा ने राजी खुशी देख हरखै हो। बो विचार में डूबगौ टाबरियां भूख सूं अधमरिया तो व्हैगा पर जीवता तो है।

रूगनाथ रै मूंडा रौ नूर चाणचक उतरगो बो उंडा विचारां मांय डूबगो, मगज मांय उणरो भूख सूं तड़पतौ मेलावो गतोला खावैहो। मेलावा रौ पेट भरण खातर कीं मजूरी मिल जाती ही। पर जद धरती धूजी बीं दिन सूं तो इण धरती रौ रूप ई बदलगो हो। चारूं मेर हाहाकार मच्यो हो, कठै मजूरी अर रोटी?

किणी मजूर नै मजूरी नी मिलण रौ सीधी मतलब भूख नै नूतौ देवण मानीजै। मेलावा रै भूखा रेवण री आवटण सूं रूगनाथो मांदो पड़गौ। बींनै ताव आयगो। बीं रौ डील ताव सूं सिकेहो। झूंपडा में पईसो एक नी अर होयां भी व्है कांई। दवाई कठां सूं लावै?

रूगनाथा री जोड़ायत टीपू उणरी लिलाड़ माथै गाभौ भिजोय मेल राख्यो हो। बी रा टाबर उणरा पीला पड्या डील नै टुकर टुकर देखे हा। रूगनाथो पण आपरा लुगागई टाबरां नै देखे हो। बी री आंख्यां सूं पाणई री धार छुटगी जोर सूं रोवण लाग्यो। बो मेलावा नै जीव सूं बैसी लाड करै हो। उणरा टाबर लारला जीन चार दिनां सूं साव भूख हा। उण दिन सूं जद धरती धूजी ही।

रूगनाथो पूरो जोर लगाय मांची सूं ऊभौ व्हैगो। उणरौ कमजरो डील हींड़ा खावै हो। भींत रौ अडखण लेय बो जमी माथै आबचिंतो उभौ व्हैगो।

बो राज सूं मिलण आलौ ईमदाद लेवण सारू व्हीर व्हैगो। बठै पूग्यां मानखां रो हियो हियो लाग्योड़ो देखता पाण बीं रो तो मूंडो उतरगो। थोड़ी ताल बो ईया ई ऊभौ ऊभौ देखतौ रह्यो, चाणचक बीं रे मांय एक अणूती सगती वापरी। बो मन मांय कीं बोल्यो, घ्म्हैं म्हारी आंख्यां रै सामी म्हारा टाबरां नै भूख सूं नी मरण देवूंला। म्हैं टाबरां खातर रोटी जरूर जरूर ले जावूंला।'

बो पूरी सगती सूं भीड़ी रै बिचालै बडगौ। रोट्यां बैंसण आली गाडी रै कनै पूगगो। गाडी रै डाला माथै ऊभा मिनख रै हाथ सूं रोट्यां रो बीड़ौ झपटर भीड सूं झूंझतो बारै आयोग। बारै आवतां ई उणरौ कमजोर अर मांदो डील सागी रूब बताय। बो धड़ाम देता जमी माथै पड़गो। आंख्यां आडी तिरमाली आयगी उणरै।

एकाद फेरूं आपौ संभालयौ तो उणरै हाथ में रोट्यां रौ बीड़ो हो अर मेलावा रो जीव? फेरू हिम्मत राख बो सूपड़ा आली दांडी सामी दौड़्यौ। रोट्यां रो बीड़ो लेय घरां पूगो। बीड़ो टीपू रै हाथ में झेलायो। रूगनाथो आज घणो राजी हो जाणे कठै रौ किलौ जीतर आयगो व्है।

रोट्यां रौ बीड़ो देख टाबपरां री आंख्या मांय चमक वापरगी। टाबरां नै इया देख रूगनाथा री आंख्या पण तर व्हैगी। आज उणरी आंख्यां सूं खूसी रा आंसूडा छलके हा। टीपू री आंख्यां पण तर व्हैगी। टाबरअर टीपू एक तर रूगनाथा ने देखे हा।

आज घणा दिना सूं मेलावा ने रोटी मिली ही। रूगनाथौ झूंपड़ा रै बारै पड़ी सागी मांची माथै पड़गी।

आभै सूं पटक्यौ अर खजूर में अक्यो आली कहावत रूगनाथा माथै सांगोपांग जचगी।

रूगनाथो गुजरात सूं जिंया तिंया पड़ धड़र उणरै गांव आयगो। आज पण रूगनाथो गुजरात री धरती रौ बो दिन मिनखां नै कैवतो नी भूले घ्जद धरती धूजी।'उमर सुद पुन्यु तांई बो दिन याद रैसी'जद धरती धूजी'

 

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