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लेखक- महाराज चतुरसिंहजी बावजी

किष्किंधा चरित्र

अबे तो दोही भी सीताजी ने हेरता-भेरता रिष्यमूक नाम रा मंगरा कानी पधारवा लागा। वणी मंगरा रे मथारे सुग्रीव नाम रो एक वांदोर बेठो-बेठो देख रियो हो। अणी, अणां दोही भायां ने आवता देख हनुमानजी ने बुलाय, ने कियो देखो तो हनुमानजी ! ई दो जमा अठीने कुण आयरिया है। अणांरे नखे तो शसतर भी है, ने जाणे कई हेरता व्हे' ज्यूं दीखे है। व्हे' ने व्हे' तो ई बाली रा मोकल्या थका है, ने आपां ने हीज हेरता व्हे'गा। आप ही देखो नी कश्याक धार-धारन े ई आपांमा मंगरा कानी देख रिया है। जदी तो हनुमाजनी भी सुग्रीवरी आँगली री सूध पे देखने के'वा लागा सांची है, ई कोई अश्या-वश्या मनख तो नी दीखे है। अणी रागशां रा घोर उजाड़ वन में दो मनखांरो यूं नडिर फिरणो शै'ल वात नी है। ई कमी ने कणी म्होटा काम रे वासेत आया व्हेगा, ने अणांरी चाल-ढाल शूं ही दीखे के ई से'जरा मनख नी है। यूं शुण सुग्रीव कियो देखां आप अणांरी खबर पाड़ो के ई कूण है ने अठी रा उठी की'ने हेर रिया है ? जदी तो हनुमानजी बामण रो भेष कर दोई भायां नेख जाय ने पूछी के आप दोही बड़ा राजा सरीखा दीखो हो. पण यो साधु रो भेष आप क्यूं कीधो है ? आप कई शोध रियो हो ? जदी दोही भायां कियो के म्हें अयोध्या रा राजा दशरथजी रा बेटा हां। राम ने लछमण म्हांरो नाम है, ने हे बरामण देवता ! आप अठे कूंकर पधार्या, ने अबे कठी पधारोगा ? या शुणतां ही हनुमानजी दोई भायाँ रे पगां लागा, ने बरामण रो भेष पाछो उतार ने कियो के म्हारा आज आछा भाग है, जो धरम रा राखवा वाला रा घर बैठां ही दरशण व्हे'गिया। म्हारो नाम हनुमान है, म्हारी माता रो नाम अंजनी ौर पिता रो नाम केशरी है। पवन रा वरदान शूं म्हारो जन्म व्हियो। जणीं शूं म्हने पवनपुत्र भी केवे है। अठे किष्किंधा नाम री नगरी है। वठे वांदरां रो राजा बाली राज करे। वणी बाली रे, ने रागसां रा राजा रावण रे पूरो मेल है। अणी वाली, अणीरा छोटा भाई सुग्रीव ने मार-कूट ने घ में शूँ निकाल ने सुग्रीव गरीब री लुगाई ने भी खोश लीधी, ने फेर मावरवारे वासते हेरथ ाफिरे है। पण अणी रिष्यमूक नामरा मगरा पे, वो आय नी शके। एक सादु बाली ने फफटकार दे'दीधी। सो अणी मगरा पे आवे तो बाली रो जीव निकल जावे। जणी शूं सुग्रीव अणी मगरा पे जीव चुफायने बेठो है। दूज्याूं तो सुग्रीव ने अणी पापी कदकोई मार्यो व्हे'तो। या वात शुण राम भगवान ने बाली पे रीश आई, ने सुग्रीव पे दया आई, ने हनुमानजी ने हुकम कीधो, वो सुग्रीव कठे है ?वणीरा दुःख ने म्हूं मिटावुंगा। ई धनुष ने तीर अणीज वासते रजपूत ऊंचावे है, के आछारी रखवाली ने खोटा ने खोटाई रो दंड देशके। आज म्हने सीता रा चोर ने हेरतां-हेरतां एक फेर वश्यो हीज दूजो चोर लाघ गियो. ज्यूं एक ना'र री भाल व्हे' ने दो ना'र निकलया शूं शिकारी रो मन राजी व्हे', यूं ही आज म्हारो मन राजी व्हियो है। कजणा कतरा पारप अणी धरती पे व्हे' रिया व्हे'गा। यूं केतां-केतां भगवान रे लाल कमल री पांखड़ी जशी आंखां में फोरो-फोरो जल आवा लागो। जाणे हियो मायली दया ने रीश आंख में व्हे'ने सामी दीखवा लागी। जदी तो हनुमानजी दोई बायां ने सुग्रीव नखे ले'गया, ने सुग्रीव ने सब वातां शूं वाकब करने कियो, के जाणे आपांरो पुरब रो पुन्न हीज आज जाग्यो है। जदीज तो ई अयोध्या नाथ अणाँरा छोटा भाई से'थी आपाँणे अठे पधार्या है। अणां रे हाथ में यो धनुष-बाण नी है, पण जाणे आछा मनखां रा दुख रा कांटा काढ़वारो सुयो, ने चींप्यो है। अणांरी चाकरी करवा शूं आपणों भी जनम सुधर जावेगा। जदी तो सुग्री वदडोने भगवान रे पगां में धोक देवा लागो, ने भगवान वणी ने छाती रे लगाय ने मिल्या. ने हुकम कीधो के हे मित्र ! आपरो दुःख म्हारी पती नी खमाय है। बाली आपरो नी, पण म्हारो वेरी है. जो अतीती पे चाले वो म्हारो वेरी है, न जो नीती पे चाले वो म्हारो शेम है। जदी सुग्रीवजी भी या ही अरज कीधी, के आज शूं ही म्हूं भी यूं हीज गणूंगा। अबे तो दोयां रे ही घणी मित्रता व्हे'गी। वणी वगत लछमणजी सुग्रीवजी ने पूछी, के अठीने-कठीने ही सीता माता रा वी वावोड़ लागा है ? जदी सुग्रीवजी कियो, के हां कठीने आकाश में एक पतला कंठरो लुगाई रो रोवणो म्हां सुण्यो हो। वींरे समचे म्हां ऊंचो देख्,ो तो तारो टूटे ने रींगटी री रींगटी पड़े जशी रींगटी म्हांने आकाश में दीखी। वो म्हांरी जाणमें वेावण हो'ने घमी वेग सूं जाय रियो हो। वोतो देखतां-देखतां में ही अलोप व्हे' गियो। पण वणी वगत आकाश में शूं या हसताड़ा री गांठड़ी म्हारे मूंडा आगे आय पड़ी। जणी शू म्हांने आशरो बंध्यो, के व्हे' ने व्हे तो देवाण में शूं हीज पड़ी है। यूं के'ने झट गुफा में सूं लायने वा गांठड़ी राम भगवान रे नजर कर दीधी। राम भगवान लछमणजी न ेहुकम कीधो, के देखां देखजे भाई ई में कई है। जदी तो लछमजी, वमी हसतडाा पे अनुसूयाजी रो नाम वांचने अरजी कीधी,, यो तो अनसूया माता भाभी मां ने वगस्यो वो हसताड़ो दीखे है। यू के'ने वमी गांट ने खोली तो मायनूं दो पींछां, दो रमझोल ने द कनफूल निकलया। भगवान हुकम कीधो, 'देखां, लछमण अणां गेणाने धारने ओलख ई कणीरा है ?' जदी लछमणजी अरज कीदी, 'अमां पोंछा री ने कनफूली री तो निश्चय अरज नी कर सकूं। पण ई रमझोल तो भाभी मां रे धारण रा हीज है। यूं केतां-केतां लछमणजी रे आंखां में शूँ मोती रा मोती आंशू ढलकवा लाग गिया, नेवणां रमझलोां रे धरती रे माथो लगाव ने धोक दीधी, ने अरज कीधी प्रभादे सदा ही भाभी मां रे धोर देतो, जदी अणां रमझलोां रा दरशण व्हे' ता हा। ाम भगवान वमां गेणां ने छाती रे लगाय लीधा, ने रोकतां-रोकतां भी वणां बड़ी -बड़ी आंखां में शूं बड़ी-बडी बूंदा टपकवा लागगी पछे वणीज हसताड़ा शूं आंखां पूछ, हुकम कीधो वो वेवाण कणी आड़ी गियो हो?' जदी सुग्रीव कियो अठाशू तो लकाऊ कानी गियो हो। आगेरी खबर नी। भघगवान हुकम कीधो अणीरी खबर कूंकर पड़े ?

सुग्रीव अरज कीधी अणीरी आप कई चिंता नी करावे। वांदरा पाणी में शूं भी खोज लगाय शके है।फेर अकेला ई अंजनी कुँवर हनुमानजी ही तीन ही लोकन े हेर शके है। भगवान हुकम कीधो, पेलो आपरा ठावा वेरी ने छोड़ म्हारा वेरी ने हेरणो म्हने नी चावे. क्यूंके आपोर वेरी है वो म्हारो हीज वेरी है। जदी आपरो दुःख आज ही मटि शके, तो वणी में देर क्यूं करणी। यूं केने धनुष बाण ले'ने सुग्रीव, लछमण, हनुमानजी ने साथे ले ने सब बाली री नगरी कानी पधार्या। वमी वगत शूरपणखा भी बालो नखे आय गी ही। अणी ने रावण सिखाय ने मेली ही। या बाली रे राखी-डोरा री बे'न ही ने रावण तो बाली रे धर्म रो भाई हो. अणी शूरपणखा आपने बालीरे मूंडा आगे रोय ने कियो, के अधोयध्या रा राजा रा बेटा पंचवटी में मह्राा गेले चालतां नाक-कान काट न्हाख्या। जदी रावण वणीरो वेर लेवा रे वासते वणाँरी लुगाई ने छाने पकड़ लायो. अबे हेरता-हेरता अठीने आवे, जदी आप मोको देख धोखो दे'ने दोयां ने ही मार न्हाखझो. या आप रे धर्म रे भाी राजा रावण के'वाई है, ने म्हूं बी आप नखाशूं यो हीज कापड़ो मांगवाने आई हूं। जदी वाली कियो बे'न ! थां दोई बे'न-भायां रे वास्ते हूं प्राण छोड़वाने भी त्यार हूं। पण मनुजी रा वंश रा राजा कणी लुगाई रा गेले चालतां ही नाक-कान का न्हाखे, या तो म्हारे आशे नो आवे। वणारा वड़ावा तो धरम री मरजाद बांधी, ने वणारां वंशरा हीज भलां वीं ने कूंकर लोपे। जदी तो शूरपणखा चरड़ ने बोली, 'वी धरमवाला व्हे'ता तो सगो बाप देश निकाल क्यूं दे तो, ने साधु व्हे ने शरधूणी क्यूं राखता। हाती रां दांत देखवा रा ओर व्हे' है, ने खावारा रो व्हे है। वमआं सरीखा पापी कूण व्हेगा। धरम रो नाम ले'ने मनखां ने गेले चालतां ही डंडे। वात-वात पे यूं ही अधर्म व्हे', यूं करने सबांने दु कर राख्या है। धर्मवाला तो आपरा धर्म रा भाई राजा रावम है, सो कण ीवात री रोंक-टोंक नी राखे. सामा धर्म रा नाम शूं सगत दुःख देके वणांने भी मारे-कूटे, ने ज्यूं व्हे' ज्यूं वणारो वो खोड़ीलो शुभाव छोड़ाय देवे। देखो नी भलाँ म्हें कश्या म्हारा हातां शूं ही तो ई म्हारा हीज तो नाक-कान नी काट्या व्हेगा ? जदी बाली कियो बे'न शूरपणखा, थें कियो जो म्हूं करवाने त्यार हूं। पण धर्म ने पाप तो म्हारी पती नी के'णी आवेगा ओर नी जो कीनी ही धोखो देवूंगा। पम अबे थूं नक्की जाण के अमी संसार में के'क तो राम हीज रे'वेगा, ने के'क बाली हीज रे'वेगा। जदी तो शूरपणखा घणी हरखी ने कियो के आप बल करवा में कसर राखो मती. अतराक में सुग्रीव ने साथ ले'ने राम भगवान भी बाली री नगरी रखे पधार गिया ने बाली शूं लड़वारी सुग्रीव ने सिखाय ने आप एक आड़ा रूंखड़ा आलखे छुपने विराज गिया। घमी वगत सुग्रीव घणां जोरसूं बाली ने धाकल ने हेलो पड़ायो। सुग्रीव री ललकार शुणतां ही बाली भी दोड़ ने सुग्रीव शूं आय भिड्‌यो। जाणे आज घमा दिना शूं दोई भायां री छाती शूं छाती मिली. जाणए दो लोह रा लाल तवा पीलाय रिहा है. दोयां रे ही ङणा ंदिनां रा वेर री वासदी आज सांची भड़कगी। जो जाणे आखा ही डील में शूँ पूट ने निकलवा लागगी। आखां शूं जाणे एक-एक ने ाल न्हाखेगा। दांता ने जोर-जोर शूं पीस ने जाणे आखा जगत ने भरड़ खावेगा। मुंक्या सूं जाणे दखेर न्हाखेगा। गर्जने हाक शूं जाणे उड़ाय देगा। दोही भिड़ है, उछले है, दबे है, डावा-जमीणा सलूक जाय है, तरे' तरे' दाव-पेच कर ने एक-एक रो जीव लेया री धात में लाग रिया है। राम-लछमण दोही भाई, बाली-सुग्री दोही भायां री लड़ाई रूंखड़ा री आड़ में शूं देख रिया है। सांची वात है, भाई ज्शाय शेम नी, भाई सरीखो दुशमण भी नी। सुग्रीव तो राम भगवान रे भरोसे बाली जश्या म्होटा वेरी शूं लड़ रलियो है, ने बाली ने आपणा बल रो घमडं़ है। बाली सुग्रीव रो आज पाप काटवाने हीज दाव खेल रियो है। यूं लड़तां-लड़तां सुग्रीव घमो थाक गियो पण रण रा मद में वणी ने सुध नी री'। राम भगवान जाण गिया के सुग्रीव रो बल अबे घटवा लाग गियो है। अबे यो भाग ने म्हारे शरणए आय जावे, तो पछे म्हारे ने बाली रे युद्ध व्हे'गा लाग जावे। क्यूंके बाली तो ईंने छोड़ेगा नी, ने म्हूँज्यो शरणे आया ने मारवा दूंगा नी. यूं भगवान विचार ही रिया हा, अतराक में तो बाली कनफेड़ी री थाप सुग्रीव रे अशी दीधी, के वणीरे झरणाट छाप गी, ने फर जतराक में गाढ़ी मुक्की बांध नेबाली सुग्रीव रे छाती में देवे-देवे जतरे-क झट राम भगावन इन्द्रबाण नरी बाली री छाती में दे' पाड़ी। जो भगवान रे बाण वावा मेें अंछे कई देर व्हे जाय तो सुग्रीव रो हसो उड़ जावतो। पड़ावरी तो सुग्रीव रे आई ही। पण बाण लागती ही मंगरा रा मथारा री नांई बाली धड़ाम देती रो धरती पे पड़ गियो। अतराकम में राम भघवान धनुष खेंच, बाली रे सामा आव ऊभा व्हिया। बाली भी शूरापण शूं पाछो ऊभो तो व्हे गियो, पण फेर गरणेटी खाय ने पड़ गियो. फेर ऊभो तो व्हे वारी कीधी पण अबरके बेठो व्हेने हीज पड़ गियो। ज्यूं दारू रो पीधो ऊओभो व्हेवे, ने पड़े है, यूंही बाली बेठो व्हेवे, ने पड़़वा लागो। पण राम तरो वो बाण वणी ने धरती री कानीज धकेल रियो हो, ने लोही री छर्यां छूट री ही। वमी वगत राम भगवान घमआं उदास व्हे'ने बाली री या दशा देख रिया हा। सब वांदरा कर्याटया करवा लाग गिया। जदी बाली भगवान कानी देख ने के'वा लागो, आपने यूं लड़णो कश्ये गुरु शिखायो ?

म्हारोत लड़ती वगत सामा छीती बाण शूंँ मार ने परलोक सुधा र दीधो, पण अणी शू ंआपने संसार कई के'वेगा के एक वांदरा रे सामां भी आपने आपरी पती नी लड़णी आयो। रावणसंसार ने जीतवा वालो है न वणी ने सहस्त्रवाह राजा जीत लीधो, ने वणी सहस्त्रबाहू ने परशरामजी जीत गिया। वणा परशरामजी ने जीतवा वाला राम दशरथ रा कुंवर भी बाली रे सामा तो नी आय शक्या। यूं केने धावण्यो बालक हंसतो-हंसतो मां रा खोला में सूय जोव, यूंही सूय गियो, ने पाछो जागो ही नी। अबे तो थोड़ीक देरमें ईसमाचार आखी किष्किन्धा नगरी में फेल गिया, ने ांदरा ने वांदर्या हजारां वठे आय भेला व्हे गिया। वाली रां गुण याद कर-कर ने सब रोवा लागा। वाली री राणी तारा ने वणी रो बेटो अंगद भी वठे दोड्‌या आया, ने वाली ने देख धरती पे पछाड़ खायने पड़ गिया। वमी वगत हनुमानजी, जामवतजी सबां ने समझाया। सुग्रीव भी दुशमणी भूल ने नाना बालक ज्यूं रोवा लाग गियो। पछे सारा ही जणा भेला व्हेने बाली री क्रिया-काष्टी कीधी, ने राम भघवान रा हुकम शूं सुग्रीवन े लछमणजी राजगादी बेठायो. नेसुग्रीव रे खोल्यां बाली रा बेटा अंगद ने बेठायो, ने वींने पाटवी कुंव र वणायो। वणां दिनां चोमासो आय गियो होस वठे ही प्रवर्षम नाम रा मंगरा पे राम भगवान ने लछमणजी विराज गिया। क्यूंके चोमासा में वांदरा रे फिरवा री अबकाई रे'वे, यूं सुग्रीव अर्ज कराी ही। यूं भगवान चार ही महीना चोमासा रा वठे पूरा कीधा ने चोमासो उतर्यां, दोही भाई आगे फेर सीताजी ने हेरवा पधारवा लागा। दी हनुमानजी सुग्रीव ने कियो के यूं आपने गुमचोर व्हेने वांदरा रा वंश में गाल नी लगावणी चावे। एक तो राम भगवान ने देखणां चावे, के आपरे वासते कश्यो काम कीधो, ने एक अबे भी आप वणां री चाकरी नी करो हो। जदी तो सुग्वी कियो म्हूं ने म्हारो सब राज, राम रे वासते प्राण देवना ने त्यार हां। आप ने तन-मन-धन शूं राम री शेवा करणी चावे। यूं केने सुग्रीव देश-देशावर रा तरे'-तरे' रा सब वांदां री फोजां भेली कीधी,न े वणां में रीछा रा राजा जामवंतजी भी हा सो वणां रीछड़ां री फोजां एकठी करट ने सब राम भगवान रे आय हाजर व्हिया। रावण री खोटाी शूं सब ही वणी पे खारा हा, ने राम भघवान शूँ सारा ही राजी हा। जी शूँ सब ही राम भगवान री आड़ी आय हाजर व्हिया। जाणे आखी धरती पे वांदरा ने रीछड़ हीज छाय गिया हा। सब उछल-उछल ने राम भगवान रा दरशम कर-कर ने राजी व्हे'गिया हा। अबे सुग्रीवजी राम भगवान ने अर्ज कर चार ही कानी ठावा-ठावा वांदरा ने वांरी फोजां ने सीताजी ने हेरवा मोकल्या। लंका री कानी सब में शरनामी वांदरा री फोज भेजी।वणी में हनुमानजी, कुँवर अंगदजी, रीछारां राजा जांमवानजी, द्विविद, मेंद, नल, नील, ई नामी-नामी हा। अणांरे साथे ओर भी नरी फोज ही। भगवान हनुमानजी ने हाथ में धारण री वींटी बगसी, ने हुकम दीधो, सीता ने या म्हारी देसाणी दे'दीजो, ने ई समाचार के' दीजो, ने या भी की'जो, के खबर नी लागवा शूँ हीज अतरा दिन लागा है। हनुमानजी धोक दे'ने वा वींटी ले'ने सबां से'ती लंकाऊ कानी सीताजी ने हेरवा पधरा गिया। ओर कानी रा वांदरा तो एक महीना में हेर ने पाछा ाय गिया। सीता माता रा कठे वावोड़ नी लागा। अबे तो सारा ही लंकाऊ कानी रा वांदरा री वाट देखवा लागा ने अठीने ही भे'म भी हो। पण अठीने तो वन में हेरतां-हेरतां नराई दिन व्हे'गिया ने एक कांकड़ में तो वांदरा अश्या भूल गिया के नराी दिन वठे ही वीत गिया। यूं फिरतां-फिरतां घमआं दिनां में समंदर नखे पूगा। वठे एक संवली रेती हो। अणीर ोनाम संपाती हो। जो जटायु गीध, जो रावण शू लड़ने काम आयो, बड़ो भाई है। अणी कियो के सौ जोजन री छेटी अठा शूं लंकापुरी है। वच्चे यो म्होटो सागर है। जो ईंरे पार जाय ने पाछो आय शके, वो ही पाछो राम भगवान नखे जाय, सब समाचार अर्ज कर शकेगा। अबे सागर नखे बेठा सब विचार बांदवां लागा, न्के अबे णआं ने कई करणो चावे।

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