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बालपने री बाता

रोजिना अेक काणी

मानसी री आदत है कै आ सोंवती वेळा जरूर कैवै कै, 'पापा, कोई काणी सुणाऔ नीं। ईंरी बात राखण सारू मन्नै काणी सुणाणी ही पड़ै।
मानसी रोजिना अेक काणी सुणर ई सोवै। बिस्तर माथै लिटर तकियै पर सिर धरतांईं कैवैगी, 'पापा, कोई काणी सुणाओ नीं!
ईंनै म्हंू मेरी हिन्दी अर राजस्थानी सगळी पोथ्यां री काणी सुणा दी। अर घणी काण्यां जोड़-जोड़र भी सुणा दी......... पण ईंरी आ रट पूरी नीं होवै..........।
कदी तो म्हंू सोचूं कै भगवान रै आदेश मुजब मानसी मेरै कन्नैऊं काणी लिखवावै....... क्यंू कै काण्यां लिखणी म्हंू आजकालै भौत ई कम कर दी। पण लिखंू जरूर हंू.........लिखै बिना रैईजै कोनी।
लिखणौ अेक नशौ सौ है। काणी लिखूं चायै कविता........ जिण दिन लिख ल्यंू ........बीं दिन नींद भी चोखी आवै.......पैली रोज लिखतौ अर रोज कठैन-कठैई छपतौ......अबै छपण रौ तो इत्तौ कोड नीं रैयौ।
पैली अ$खबार में आपरी रचना देखण सारू दीतवार आळै दिन बजार दिनुगै ई पूग ज्यावंता। म्हंू अर ओम पुरोहित, राजेश चड्ढा, रविदत्त मोहता, प्रमोद शर्मा आद नरेश विद्यार्थी अर महेश संतुष्ट कन्नै बैठता........कई बार संदीप डूमरा 'मायामृग अर संजय माधो भी आ ज्यावंतौ।
अ$खबार आणै में देरी हो ज्यावंती तो अ$खबार आळै कन्नै कई बार गेड़ा काट लेंता। अर रेलवे टेसण माथै बातां करता रैंता..........जकै री अखबार में कोई रचना छपती, बौ चापाणी रौ खर्चो करतौ.........।
साहित्य सिरजण में मजो सो आंवतौ। भेळा होर भौत बातां करता। पछै गोष्ठ्यां करता........अर आप आप री फेंकता...........। पण अबै मानसी री काणी सारू रोज-रोज मांग घणी बार तो मन्नै चोखी लागती, उण टैम बींनै काणी सुणा द्यंू...........अर घणी बार टाळा ले ल्यंू।
अेक दिन मानसी सोंवती टैम जिद करण लाग्गी.......... 'पापा, कित्ता दिन होग्या.......आज काणी सुणाणी पड़सी।........अर म्हंू बींरै आगै हार मानर काणी सरू कर दी।
अेक छोरी ही। नांव हो निशा। पांचवीं में पढती। पढण में भौत ई हुंस्यार। इस्कूल रा सगळा टाबर अर सरजी बींनै चांवता। इस्कूल संू घरां पूगतांईं बा सैंस्यंू पैली तो आपरौ होम वर्क करती। पछै खेलती। टी.वी. देखती। खाणौ खांवती। अर पछै आठ-नौ बज्यां तांईं आपरौ पाठ याद करर सोण संू पैली आपरै पापा संू अेक काणी जरूर सुणती।
'रैण द्यौ काणी सुणाणी। मानसी नराज होंवती बोली।
'क्यंू?
'थे तो मेरै ऊपर ई सुणाऔ।
'ना बेटा......तेरै ऊपर कोनी........निशा भी तेरै जिंयां ही........अर बींरा पापा मेरै तरियां.......। निशा पांचवीं में पढती अर थंू तो तीजी में पढै। निशा रा पापा भी मेरै तरियां आपरी बेटी नै काणी सुणांवता। समझी के?
'फेर ठीक है.......सुणाऔ तो........। आगै बोलो.........। मानसी री जिज्ञासा बढगी।
जिंयांईं नौ बज्या.......निशा आपरै पापा रै बैड माथै पूगगी। बींरा पापा कोई किताब पढै हा.........। निशा बोली, पापा, म्हंू आयगी हंू.........अबै काणी सुणाऔ.......इत्तौ कैर निशा पापा रै बिस्तर में घुसगी अर रजाई ओढता थकां बोली, 'पापा.......थानै याद है नीं.........अेक काणी सुणाणी है.........।
'हां याद है.........बस दो मिण्ट रुकज्या...म्हंू औ अेक पेज पढल्यूं। पछै सुणा स्यंू..........। निशा रा पापा किताब पढतां-पढतांईं कैयौ। निशा चुप होयगी। बा बिस्तर में लेटी-लेटी दिवार घड़ी कानी देखण लाग्गी। पांच मिण्ट पछै निशा रा पापा किताब बंद करी तो निशा अचंभौ करता थकां कैयौ, 'पापा, थानै पतौ है कांईं..........आपणै मौलै में अेक बूढौ सो पागल घूमण लागर्यौ है..........जको अंगरेजी में बातां करै.........।
'पतौ है.........। बींरा पापा रजाई संू पग ढकता थकां कैयौ।
'कमाल है पापा, बौ पागल है फेर बी अंगरेजी बोलै.......... क्यंू पापा, बौ पढेड़ौ हो सकै कांईं? निशा आपरै पापा संू सवाल कर्यौ।
म्हंू रुकर मानसी कानी देख्यौ.........मानसी बोली, 'ईंयां के देखौ.........। काणी सुणाऔ........। आगै के होयौ?
निशा आपरै पापा संू पूछ्यौ, 'पापा थे बताऔ....... बीं पागल नै जाणौ के........?
निशा रै सुवाल करतांईं बींरा पापा बोल्या, 'तंू जिकै नै पागल बता रही है........बै कदी म्हारा गुरुजी हा........अर बां उण टैम एम.ए., बी.एड. कर राखी ही.........।

'वॉव.......बै थारा सरजी हा.........अर एम.ए.......... बी.एड...करेड़ी ही।........निशा अचंभौ करता थकां कैयौ।
'क्यंू .........इण में अचंभौ करण आळी के बात है........ आदमी कोई जलम संू थोड़ो ई पागल होवै.........।
'तो पापा, थानै पतौ है........कै थारा सरजी पागल किंयां होया?........। निशा रजाई ठीक करता थकां आपरै पापा संू पूछ्यौ।
'मन्नै तो चोखी तरियां पतौ है........।
'साची?
'हां भई.......म्हंू गळत थोड़ै ई कैऊं.........।
'थे आ बात मन्नै पैली तो कोनी बताई?
'तैं पूछ्यौ ई कद हो?
'तो पापा, अबै बताओ कै थारा सरजी पागल किंयां होग्या..? निशा आपरै पापा रौ मुंडौ आपरी हथेळ्यां में लेर पूछ्यौ। निशा रा पापा बोल्या- 'आ बात 1967 री है.......जद म्हंू सातवीं में पढतौ........म्हारै इस्कूल में आठ गुरजी हा........अर अेक हैड सर.........। हैड सर नै म्हे सगळा टाबर 'बड़े सर कैंता अर गुरज्यां नै 'सर जी। सगळा सरजी म्हारौ लाड करता......पण अंगरेजी आळा रमन सरजी संू इस्कूल रा सगळा टाबर डरता।
'बै कूटता होसी? मानसी बीच में ई सुवाल कर्यौ।
'हां।
'बां संू थे भी डरता पापा? निशा आपरै पापा नै पूछ्यौ।
'बिल्कुल........म्हंू तो स्यात सगळा टाबरां संू बेसी डरतौ। बींरा पापा कैयौ।
'अबै बता.........तंू काणी सुणैगी........कै आबात सुणैगी........? म्हंू मानसी नै पूछ्यौ।
'चलो ठीक है........काणी रैणद्यौ........आज आबात ई सुणा द्यौ......। मानसी कैयौ।
'आ बात काणी ई तो है।
'अबै बताऔ कै आगै के होयौ? मानसी पूछ्यौ।
'बीं दिन सातुंवैं मीनै री सत्ताइस तारीख ही।
'सातुंवैं मीनै री.........मतलब जुलाई री......?
'हां.......जुलाई री 27 तारीख ही अर बार हो गुरुवार यानी बिस्पतवार। जिंयां ई सातुंवौं घण्टौ सरू होयौ........सातवीं क्लास में सरणाटौ सो छा ग्यौ। उण दिन रमन सर नै सातुंवैं पाठ रा मीनिंग सुणणां हा। म्हे सगळा दब्योड़ी अवाज में मीनिंग याद करण लागर्या........। सगळा टाबरां रौ ध्यान पाठ रै मीनिंगां में ई हो........ जद कै कान क्लास संू बारै हा।
ठक......... ठक.......... ठक......... ठक.......... ठक......... ठक..........जूतां री तेज होंवती अवाज म्हारी क्लास कन्नै आर रुकगी.......। म्हे सगळा समझग्या कै रमन सर म्हारी क्लास कन्नै आ ग्या। जिंयां ईं रमन सर म्हारी क्लास में बड़्या.......सगळा टाबर बांरै सनमान में खड़्या होग्या।
'बैठौ।
'थैंक्यू सर। सगळा टाबरां अेक साथै कैयौ अर बैठग्या।
'हां भई...तो आज सातुंवैं पाठ रा मीनिंग सुणणां है नीं? रमन सर पूछ्यौ।
'यस सर...। रमन सर रौ सुवाल सुणर क्लास रौ मनिटर ई बोल्यौ।
'बाकि टाबर चुप किंयां है.........के बात है मीनिंग याद कोनी?
'..............।
'बोलो......अर चुप किंयां हो भई......। रमन सर सगळा टाबरां रै मुंडै कानी देख्यौ।
'पूरा पक्का याद कोनी जी........। रोहित दब्योड़ी अवाज में बोल्यौ।
'पांच मिण्ट रौ टैम देऊं.........अेकर और देखल्यौ........पछै नीं सुणाया तो मेरौ गुस्सौ जाणौ ई हो......। रमन सर सगळा टाबरां कानी देखतां थकां कैयौ।
टाबर दबी-दबी अवाज में मीनिंग रटण लागग्या। अर रमन सर क्लास में इन्नै-बीन्नै घूमण लागग्या। जिंयांईं पांच मिण्ट होया, रमन सर बोल्या-'सगळा टाबर आप-आपरी कॉपी अर किताबां बंद करद्यौ।
टाबरां कॉपी-किताबां बंद करदी। रमन सर रै डर संू सगळा टाबरां री जाणै सासां रुकगी। क्लास में सरणाटौ छा ग्यौ। इण सरणाटै में सगळा टाबरां रै दिल री धड़कनां साफ सुणीजै ही। सगळां रै दिल री धड़कनां बधगी। कोई टाबर मन ई मन मीनिंग याद करै हो तो कोई आपरै इष्टदेव नै।
'फेर पापा? मानसी डरेड़ी सी बोली।
अर रमन सर हरीश कानी आंगळी रौ इशारौ कर्यौ-'हरीश.....स्टैण्ड अप।
'यस सर। हरीश झट संू खड़्यौ होर बोल्यौ।
'ब्रेव मीन्स?
'बहादुर।
'भौत बढिया.......सिट डाउन........। पछै रमन सर राघव कन्नै पूग्या अर बोल्या- 'राघव......तुम बताओ......अेनिमी मीन्स.......?
'सर.........दूसरा। राघव दब्योड़ी अवाज में डर्योड़ौ सो बोल्यौ।
'अेनिमी मीन्स के बतायौ........? रमन सर दूसर पूछ्यौ।
राघव होळै सी बोल्यौ- 'सर दूसरा।
'तड़ाक स्स्स्.......। रमन सर राघव रै इत्तौ जोर संू थप्पड़ मार्यौ कै राघव री चीख निकळगी। अर चीख भी इत्ती जोर संू नीकळी कै क्लास में च्यां-म्यां चुप।
राघव बेहोश होर पड़ग्यौ...। राघव रै पड़तांईं रमन सर भी हक्का-बक्का रैग्या। हातोहात सारली क्लास आळा सर भी आ ग्या। राघव आभी बेहोश पड़्यौ हो। किंरी भी हिम्मत नीं पड़ी कै राघव नै उठा ल्यै। रमन सर रौ दिमाक सुन्नौ होग्यौ। बानै कीं नीं सूझ्यौ कै बै अबै के करै। बै मन ई मन आपरै गुस्सै नै कोसण लागर्या हा।
थोड़सीक ताळ पछै सारली क्लासां संू टाबर आणां सरू होग्या। सातवीं क्लास रै सामीं टाबरां री खासा भीड़ होयगी। बड़ा सर भी सातवीं क्लास में आ ग्या। बां आंवतांईं पूछ्यौ- 'रमन सर........क्लास रै सामीं आ भीड़ किंयां कर राखी है?
बड़ै सर रै आंवतांईं टाबरां री भीड़ छंटण लाग्गी। बै क्लास कानीं गया तो बांरी निजर राघव माथै पड़ी। बां राघव नै उठांवतां थकां रमन सर नै पूछ्यौ-'कांईं होयौ राघव रै?
'केठा...कांईं होयौ..मन्नै तो आप पतौ नीं लाग्यौ सर! रमन सर चिंता करता थकां रमन सर रौ जवाब सुणर सगळा टाबर अेक-दूसरै कानी देखण लागग्या। बोल्यौ कोई कोनी। सगळा टाबर भी चुप।
'पछै पापा? मानसी पूछ्यौ।
पछै बड़ा सर रमन सर संू थोड़ा रिसां में आर बोल्या-'मेरौ मुंडौ के देखौ......जाऔ पाणी लेर आऔ चटकै सी।
रमन सर भाज्या-भाज्या गया अर ऑफिस संू पाणी रौ गिलास लेर आया। बड़ा सर गिलास लेर राघव रै मुंडै माथै पाणी रा छिंटा मारता मारता बींनै बतळावै-'राघव......औ राघव.........।
बड़ा सर राघव रौ चेरौ आपरी दोनूं हथेळ्यां में लेर बींनै बतळावै-'राघव......राघव.........। पछै बड़ा सर झुंझळावतां सा रमन सर नै देखतां थकां पूछ्यौ- 'मन्नै कोई साची बात क्यंू कोनी बतावै कै राघव बेहाश किंयां होग्यौ!
बड़ा सर रौ रिसां में सवाल सुणतांईं रमन सर री निजरां झुकगी..। राघव रै गाल माथै मंड्योड़ी आंगळ्यां आपरी काणी साफ-साफ बतावै ही। बां आंगळ्यां रौ लाल निशान देखतांईं रमन सर संू पूछ्यौ- 'रमन सर, आप राघव रै थप्पड़ मार्यौ हो?
'गळती होयगी सर।
इत्तौ सुणतांईं बांरौ गुस्सौ सातुंवैं असमान चढग्यौ.......। 'म्हंू थानै कित्ती बार कैयौ है कै टाबरां नै मारा-कूटी नां करे करौ। पण आपरै कोई असर ई नीं! अबै........जे ईं छोरै रै कीं होग्यौ तो कुण द्यैगौ जवाब?
जद तांईं इस्कूल रा सगळा टीचर बां कानीं आ ग्या। सगळां रै आंख्यां में अेक ई सुवाल दिखै हो कै राघव रै कांईं होग्यौ। बड़ा सर राघव नै कांधै माथै उठार गैरेज कानीं भाज्या........रमन सर अर तीन च्यार और सरजी भी बड़ा सर रै पीछै-पीछै.........। अेक सरजी हिम्मत करर पूछ ई लियौ-'सर.......कांईं होग्यौ राघव रै?
'होणौ के है........अै रमन सर अेकाधै छोरै री ज्यान ल्यैगा.......कित्तौ समझाऊं.......पण किणी रै कोई असर नीं........। अरै......बाकि अठै के करौ........आप आपरी क्लासां संभाळौ...रमन सर और भाटी जी...... मेरै साथै आऔ........। रमन सर भाजर बस रौ दरवाजौ खोल्यौ। बड़ा सर राघव नै बस री अेक सीट माथै लिटायौ.........रमन सर अर भाटी सर भी जद तांईं बस में बैठग्या। भाटी सर राघव नै आपरी गोद्यां में लिटा लियौ। राघव अब भी बेहोश हो। बड़ा सर बस स्टाट करी......।
बस अबै अस्पताळ कानी भाजण लागरी ही.....भाटी सर अर रमन पूरै रस्तै चुप ई रैया। राघव री बेहोशी अब भी नीं टूटी। बींरौ गोरौ-चिट्टौ शरीर अबै लीलौ पड़ण लाग ग्यौ।
डॉक्टर भार्गव राघव नै देख्यौ...अर बींरा टाई-बैळ्ट ढीला कर्या। पछै डॉक्टर साब भौत ई प्यार संू भाटी सर नै राघव रा जूता उतारण रौ कैयौ। भाटी सर राघव रौ दूसरौ जूतौ उतारतांईं चिमकर डॉक्टर संू कैयौ-'देखौ डॉक्टर साब, राघव रै जूतै में बिच्छू........। देखौ कित्तौ बड्डौ बिच्छू......।
सगळा देखताई रैग्या। जहरीलौ बिच्छू देखतांईं सगळां नै राघव री बेहोशी रौ पतौ लागग्यौ। राघव रै मम्मी-पापा नै केठा कुण सूचना दे दी...बै भी अस्पताळ में पूगग्या।
डॉक्टर साब राघव रौ इलाज सरू कर्यौ। बै सगळां नै धीरज बंधार दूजै मरीज नै देखण चल्या गया।
बीसेक मिण्ट पछै राघव नै होश आणौ सरू होयौ। राघव पैली तो खुद नै देख्यौ कै बौ अस्पताळ में बैड माथै आडौ हो र्यौ है। बैड रै कन्नै पापा, बड़ा सर, भाटी सर अर रमन सर खड़्या है। मम्मी बींरै सिराणै बैठी बाळां में होळै-होळै आपरौ हात फेर री है।
पछै राघव रमन सर कानी देखर होळै सी बुदबुदायौ- 'अेनिमी मिन्स दूसरा नीं.......दुसमण होवै सर......अेनिमी माने दुसमण........अेनिमी माने दुसमण.......। अर र्इंयां कैंतौ-कैंतौ राघव फेरूं बेहोश होग्यौ।
आधै घण्टै पछै राघव नै फेरूं होश आयौ तो बण आपरै डावै कान कन्नै दर्द होवण री बात कैयी।
थोड़ी ताळ पछै डॉक्टरां री टीम राघव नै चोखी तरियां देख्यौ अर बींरी जांच करर बतायौ के बिच्छू भौत जैरीलौ हो..बींरै जैर रौ असर अबै धीरै-धीरै खतम होसी। अबै चिंता री कोई बात कोनी। पण ईंरै कोई चोट री वजै संू डावै कान रौ पड़दौ फाटग्यौ...।
सगळा लोग डॉक्टर री बात बड़ै ध्यान संू सुणै हा, पण पड़ूतर में बोल्यौ कोई कोनी।
डॉक्टरां री टीम संू अेक डॉक्टर राघव नै पूछ्यौ- 'बेटा, तेरै आ कनपटी माथै क्यांरी चोट लाग्योड़ी है?या फेर कणी थप्पड़ मार्यौ है...?
डॉक्टर रौ सुवाल सुणतांईं राघव री आंख्यां सामणै क्लास रौ सगळौ सीन आ ग्यौ। बौ बड़ा सर, भाटी सर, रमन सर अर आपरै मम्मी-पापा कानी देखर होळै सी बोल्यौ- 'इस्कूल में खेलतौ-खेलतौ म्हंू आखड़र पड़ग्यौ...अर कन्नै ई भाठौ पड़्यौ हो...बीं भाठै संू म्हारै कनपटी माथै लाग्गी। स्यात बींरै कारण ई.....।
'नहीं....स्स्स्........। चाणचकैई रमन सर चीखर बोल्या, 'राघव री कनपटी माथै किणी पत्थर री चोट नीं लागी है...औतो मेरै गुस्सै रौ शिकार होयौ है....मेरै कारण ई ईंरै कान रौ पड़दौ फाट्यौ है...औसब मेरै कारण ई होयौ है......। ईंयां कैंता-कैंता रमन सर रोवण लागग्या..... रोंवता-रोंवता बै आपरै सिर रा बाळ नोचण लागग्या अर आपरौ माथौ पीटण लागग्या।
'पछै पापा? मानसी पूछ्यौ।
सगळा रमन सर कानी देखताई रैग्या। रमन सर आपरै मुंडै माथै जोर-जोर संू थप्पड़ मारण लागग्या अर आपरा बाळ पटण लागग्या। पछै जोर-जोर संू चीखता-चीखता बारै चल्या गया।
'फेर पापा? मानसी पूछ्यौ।
फेर कई दिनां तांईं रमन सर रौ पतौ ई नीं लाग्यौ कै बै कठै गया। तीन-चारेक मीना पछै कणी बतायौ कै रमन सर पागल होग्या।
'अर फेर बै कदी ठीक कोनीं होया.....हनीं पापा। मानसी गंभीर होर कैयौ।
'और के......जदी तो.......।
'पापा, अेक बात तो मेरी समझ भी आयगी है।
'किसी बात?
'बौ राघव नांव रौ जिकौ छोरौ है नीं........बौ कोई और कोनीं.........थे ई हो। हनीं पापा?
'किंयां? तूं इत्तै बिसवास रै साथै किंयां कै सकै कै बौ मैं ई हंू।
'थानै भी डावै कान संू कोनीं सुणै नीं........! इत्तौ कैर मानसी मेरै बांथ घाल ली।
'किंयां लागी काणी? म्हंू पूछ्यौ।
'भौत ई बढिया। ईं काणी सूं अेक तो आ शिक्षा मिलै कै अेक तो आपरा बंूट या जूता आच्छी तरियां झड़कार पैरणा चइजै...........अर दूजी शिक्षा आ कै टाबरां नै मारणा-कूटणा नीं चइजै..........। पापा, आ काणी तो भौत ई जोरदार है। अबकाळै म्हंू कोई डरावणी सी काणी सुण संू........।
'रात नै डर सी फेर?
'कोनीं डरूं।
'कोनीं के डरै........रात नै डरगी अर गाभा खराब कर दिया पछै...।
'हम्बै...कर द्यंूगी गाभा खराब......कोनीं करूं नी........कदी कर्या के गाभा खराब.....टी.वी. में कित्ता डरावणा सीरियल आवै........म्हंू घणाई देखंू.........कदी कोनीं डरूं। कदी डरी तो बताओ.....थे ई बंद कराद्यौ टी.वी.....म्हानै डर कोनी लागै नीं।
'चंगा तो फेर कदी सुणा द्यंूगा.........अबै तो सो ज्या.......।

बै इन्सान कोनी के?

29 जनवरी 2007 में म्हे नूंवैं घर में आया। पूरी गळी सूनी। गळी में छोटौ टाबर अेक ई कोनी। सारै ई रेलवे लेणां रै पार छोटा-छोटा टाबर रामलीला खेलै। बै टाबर अेक दिन चंदौ मांगता-मांगता म्हारै कन्नै भी आग्या। मानसी मेरै कन्नै ई खड़ी ही। म्हंू टाबरां नै चंदौ दियौ........ तो बै बड़ा राजी होया। कैवण लाग्या कै अंकल जी, स्यामनै रामलीला देखण जरूर आइयौ। म्हे रामलीला घाल स्यां।
'थे रामलीला घालस्यौ ! म्हंू अचंभौ कर्यौ।
'हां अंकल जी, म्हे पिछलै दो सालां संू रामलीला खेलां।
'जरूर आइयौ भलौ। दो तीन टाबरां अेक साथै कैयौ।
'पिछलै दो सालां संू खेलण लागर्या हो......! जरूर आवांगा भई। म्हंू राजी होर कैयौ
मानसी बोली, 'पापा...जरूर चालोगा नीं?
'हां बेटा..जरूर चालस्यां।
'थे कठैई बजार नां चल्या जाइयौ।
मानसी बीं दिन भौत ई राजी होरी ही। घर संू बारै जार कई बार देखियाई कै दिन छिप्यौ कै कोनी। कदी मुंडौ धोवै...कदी बाळ बावै...कदी कोई ड्रेस बदळै तो कदी कोई...। बीं दिन मानसी नै लाग्यौ कै आज दिन छिपसी कै केठा कोनीं। अर बार-बार बा मेरै पर भी निजर राखै कै कठैई म्हंू बजार नीं चल्यौ जाऊं।
दिन छिपतांईं मानसी बोली, 'पापा, चालां..रामलीला देखण।
'अर चालांगा भई...अेकर सरू तो होण दे। अभी तो ढंग संू दिन ई कोनी छिप्यौ। चालस्यां.... घणी तावळ नां कर।
मानसी थोड़ी नराज होंवती सी बोली, 'तावळ कठै करूं........दिन तो छिपग्यौ। अबै चालणौ है रामलीला देखण।
पछै मानसी मन्ने पूछ्यौ, 'मेरै आड्रेस किंयां रैसी पापा?
'ठीक है। म्हंू कैयौ।
'देखे बिनां ई केवौ...देखौ तो सरी।
'अर देखली भई.....तंू भी मानसी........ईंयां ना करे कर बेटा........। तंू घणी फूटरी लागै.......।
'कित्ता बजे चालांगा पापा रामलीला देखण?
'आठ-नौ बज्यां।
'आठ-नौ बज्यां! इत्ती रात नै!
'आठ-नौ बज्यां के इत्ती रात होज्यैगी? चालांगा......तंू कैवैगी जदी चालांगा........ठीक है अबै तो?
'ठीक है पापा।
पौणेक आठ बज्यां बठै रामलीला में आरती सरू होयगी। आरती सरू होंवतांईं मानसी बोली, 'चालां पापा........अबै तो आरती भी सरू होयगी।
म्हे घर संू चाल पड़्या। सौ-डेढ सौ पांवडा दूर पूगण में कित्तीक देर लागैई......दो मिण्ट में ई पूग ग्या। म्हे देख्यौ कै रामलीला देखण नै म्हे सैंसंू पैली पूग्या हां। बठै देखर मानसी बोली, 'आपां चटकैई आ ग्या।
'तो म्हंू के कैयौ। जद तो लाग्गी........चटकै चालां.......चटकै चालां.......अबै केठा कद सरू होसी........। रामलीला खेलणियां टाबर म्हानै देखर घणांईं राजी होया......बै म्हानै देखर आपसरी में खुसर-फुसर करण लागग्या.........अर थोड़सीक ताळ पछै अेक छोरौ आरती री थाळी म्हारै सामै करदी........म्हंू आरती लेर बींमें कीं खुल्ला पीसा घाल दिया........।
मौलै रा गिण्या-चुण्या टाबर ई रामलीला देखण आया। म्हंू मानसी नै कैयौ, 'बेटा मानसी घरे चालां।
'पापा, आभी तो आया हां। आभी तो रामलीला अेकर सरू ई कोनी होई। जाणगी इत्ती तावळ तो नां करौ।
'किसी तो रामलीला है.......टींगर ईंयां ईं लछ करै बेटा।
रामलीला सरू भी होई.....पण टाबर तो टाबर ही हा.......बै आपरै हिसाब संू रामलीला सरू करदी......बीच-बीच में डान्स रौ प्रोग्राम भी होग्यौ........। पण कुल मिलार टाबरां रौ प्रयास चोखौ हो.....।
रामलीला रै भानै टाबर आपणी संस्कृति नै तो याद करै हा.......। म्हूं अर मानसी घणी ताळ तांईं खड़्या रैया....... मन्नै गिरधारीआळी रामलीला याद आयगी, जिकौ सालो साल म्हारै गांव जसाणै में रामलीला घालण सारू आंवतौ। गिरधारी अर बौ अेक छोटौ सो छोरौ छिटांकड़ी इस्या नाचता कै लोग देखताई रैज्यांता। रामलीला खतम होयां पछै म्हे घणकरा टाबर रळमिलर रामलीला खेलता। कोई राम बणतौ तो कोई हड़मान। कोई बांदर तो कोई रावण.........। सगळा टाबर आप-आप रौ रोल आपैई बांट लेंवता।
म्हंू अबै थकावट मैसूस करै हो। मानसी भी खड़ी-खड़ी थकगी लागै ही। म्हंू बींनैं पूछ्यौ, 'किंयां मानसी.......देखैगी..........कै चालां ...?
'बस थोड़सीक और देखल्यां पापा।
म्हंू देख्यौ कै म्हारै घर री दूसरी गळी में अेक घर है.......जिण में अेक थाकल सो परवार रैवै हो। म्हंू अेक जणै नै पूछ्यौ तो बां बतायौ कै औ नायकां रौ परवार है। आपरौ टैम पास करै........। इणां रै साथै भू-बेटौ अर दो-तीन पोता-पोतियां रैवै।

रामलीला री जिग्यां नायकां रा.........बै दो-तीन टाबर मन्नै दिख्या। बै मेरै कानी देखर थोड़साक मुळक्या। म्हंू भी पड़ूत्तर में थोड़सोक मुळकग्यौ। मेरै मुळकतांईं बैटाबर म्हारै कन्नै आ ग्या। मानसी भी बानै देखर राजी होई।
म्हंू मानसी कानी देख्यौ तो बा समझगी कै पापा घरां जावणौ चावै। बा बोली, 'पापा, थे घरां जाणौ है तो चल्या जावौ......म्हंू आंरै साथै आ ज्यास्यंू।
म्हे घण्टैभर तांईं और देखता रैया। पछै मानसी नै म्हंू थोड़सोक करड़ौ होर कैयौ, 'मानसी........अबै चाल बेटा........भौत देर होयगी.........ईंयां के धापै ईंस्यंू........।
म्हंू अर मानसी बठै संू घर कानी चाल पड़्या। बैनायकां आळा टाबरिया म्हारै कानी देखै हा। मानसी भी बां कानी देखै ही.........। म्हंू सोच्यौ कै टाबर तो टाबर संू राजी........। पण रामलीला मन्नै कीं खास नीं लागी.........म्हंू आ बात भी सोचै हो कै मानसी मेरौ मान राख दियौ.........नीं तो टाबर री जिद आगै भगवान भी हार ज्यै। बाबोली, 'पापा.........काल और आ स्यौ नीं?
'बिल्कुल..काल जरूर आवांगा........।
'थे भूल नां जाइयौ।
'लै कमाल करै........म्हंू भूल ज्यांऊंगा तो तूं याद करादेई।
'चंगा तो।
अर दूजै दिन इस्कूल संू आंवतांईं मानसी बोली, 'पापा, याद है नीं.........?
'के?
'भूलग्या के?
'अच्छ्या..........अच्छ्या.........रामलीला में जाणौ.......याद है.........ईंयां म्हंू कोई भूलंू थोड़ो ई हंू।
सिंझ्या म्हंू बजार गयौ। बठै टैम कीं बौळौ ई लागग्यौ। आंवतांईं मानसी गळै पडग़ी.......'औ टैम है आणै रौ..........कद लागी अडीकण नै.........कित्तौ मोड़ौ कर्यौ है..!
म्हंू सुस्ती सी मैसूस करै हो......ईंयां लागै हो जाणै बीपी लो हौग्यौ........ म्हंू मानसी नै होळै सी कैयौ.........'मानसी काल चालस्यां बेटा........आज-आज रैण दे नीं........। मेरौ बठै जाणनै जी कोनी करै........मन्नै लागै जाणै आज मेरौ बीपी लो होग्यौ ......।
मानसी बोली, 'पापा, आपणै पाड़ौस में ईं गळी में जिका टाबर रैवै.........बांरै साथै चली जाऊं के?
'बांरै साथै जावैगी!
'क्यंू .........बै इन्सान कोनी के? सुणर म्हंू धोळौ होग्यौ। मानसी री बात सुणर जोड़ायत मुळकती सी बोली, ' अबै द्यौ बेटी री बात रौ जवाब.........आई ताबै ल्यैगी थानै!
मेरै कन्नै कोई जवाब नीं हो.........। म्हंू बोल्यौ, 'ठीक है चली ज्याई। अर बाराजी होर बां टाबरां कानी चाल पड़ी।

डरावणी काणी

'पापा, आज कोई डरावणी सी काणी सुणाणी है.......थारौ वादौ करेड़ौ है। मानसी मेरै साथै बिस्तर माथै लेटतां थकां बोली।
'सुणा तो द्यंूगा........पण डरी नां भलौ..।
'कोनी डरूं..........थे सुणाऔ तो सरी।
'काळजौ पक्कौ कर लेई।
'पक्कोई है.....थे काणी सरू तो करौ।
'चंगा तो फेर सुण......।
'मक्कासर गांम रै इस्कूल में हो नीं .........उण टैम री साची काणी सुणाद्यंू के?
'सुणाद्यौ......पण डरावणी होवणी चइजै........।
'हां.....हां.......डरावणी है जदी तो पूछंू।
'तो सुणाऔ फेर........।
'आबात है 1983 री। बींसाल म्हंू मक्कासर रै बडोड़ै इस्कूल में नूवौं-नूवौं नौकरी लाग्यौ। पुस्तकालय अध्यक्ष री नौकरी। आधी मई पछै म्हारै इस्कूल में डेढ मीनै री छुट्यां सरू होयगी। पण मन्नै छुट्टी कोनी होई।
'थानै छुट्टी क्यंू कोनी होई पापा?
'बस कोनी होई.........। सरकारी नियम हो......।
औ के नियम हो.......टाबरां नै छुट्टी हो ज्यांवती .........तो टाबरां बिना इस्कूल में थे के करता?
'करता के........म्हंू तो छुट्यां में कीं टाबरां नै बुला लेंवतौ.....।
'छुट्यां में टाबर आ ज्यांवता?
'आंवता क्यंू कोनी.......मेरै कन्नै गांम रा टाबर अर घणाई लोग आवण लागग्या। कोई किताब पढतौ तो कोई अखबार। पूरौ दिन अराम संू कट ज्यांवतौ। मन्नै भौत ई बढिया लागतौ।
पण रात नैं इस्कूल में सरणाटौ छा ज्यांवतौ। अर म्हंू इस्कूल रै पिछवाड़ै बण्योड़ै क्वाटर में अेकलौ ई सोंवतौ। अेकलै नै रात काटणी बड़ी औखी लागती। घणी बार आधी रात नै ई आंख खुल ज्यांवती तो दिन उगणौ मुस्कल हो ज्यांवतौ। लिखण-पढण री आदत रै कारण टैम चोखौ पास हो ज्यांवतौ पण लिखतौ-पढतौ भी कितीक ताळ!
'पछै पापा?
'अेक रात पढतै-पढतै नै दो बजग्या। मन्नै नींद आवण लाग्गी। गरमी लागै ही..........इण कारण म्हंू आपरौ मांचौ बारै काड्यौ। बिस्तर बिछाया... ......कमरौ बंद कर्यौ अर पछै सोवण री त्यारी करी। अेकलै नैं नींद कोनी आवै ही......। पछै म्हंू खेस ओढ लियौ........खेस ओढतांईं जिंयांईं सोवण सारू आंख्यां मीची तो छम-छम-छम-छम री अवाज सुणर मेरौ काळजौ धक् सी होग्यौ। म्हंू चमक्यौ..। आ के बला है!
'फेर...........?
'मैं खेस नै कसर आपरै च्यारूंमेर चोखी तरियां लपेट लियौ। उमावस री काळी रात...तेज चालती आंधी री सांय.........सांय......। गळी में कुत्तै रै रोवण री अवाज। अर कन्नै ही इस्कूल में लाग्योड़ै सफेदै रै दरखत माथै बैठ्यै कोचरै री हुक-हुक करती अवाज सगळै वातावरण नै और भी घणौ डरावणौ बणावै ही। ........तन्नै डर तो कोनी लागै नीं मानसी? म्हंू बींनै पूछ्यौ।
'कोनी लागै नीं पापा...........थे आगै बताऔ नीं के होयौ? माथै पर आयोड़ै बाळां नै ठीक करता थकां मानसी बोली।
'मेरौ सगळौ शरीर पसीनै संू लथपथ होग्यौ। दिमाक तो जाणै काम करणौ ई बंद करदियौ। म्हंू आंख्यां बंद करली.........अर बिना हिल्यां-डुल्यां..........आपरै इष्ट नैं याद करण लागग्यौ........। म्हंू सोच्यौ कै आज जिनगी रौ आखरी टैम आग्यौ दिसै। उण टैम ताबूत में रख्योड़ै मुड़दै री सी हालत होयगी मेरी तो।
छम-छम-छम-छम........फेर बाई घुघरियांळी अवाज मेरै मांचै रै कन्नेऊं गई तो ईंयां लाग्यौ जाणै काळजौ जिग्यां छोडैगौ। म्हंू मांचै पर चुपचाप पड़्यौ रैयौ। पसीनौ इत्तौ नीकळ्यौ कै चादर गिलगच होयगी।
फेर बाई छम-छम-छम-छम.......... री अवाज। मेरी घबराट बधगी। अबै के करूं...........किन्नै बुलाऊं..........बस आई सोचतौ रैयौ...........। पछै म्हंू सोच्यौ कै जकी होसी.......देखी जासी.........अेक दिन मरणौ तो है ई............अर म्हंू हिम्मत करर घुघरियां री ईं अवाज नै जाणण खातर मांचै माथै बैठ्यौ होग्यौ.......... खेस दूर फेंक्यौ.......। पछै खेस फेंकतांईं ठण्डी हवा रौ झोंकौ लाग्यौ तो पूरै शरीर में जाणै झुरझरी सी छूटगी.........। म्हंू मांचै संू खड़्यौ होयौ..पछै इस्कूल रै लाम्बै-चौड़ै मैदान में च्यारां कानी निजर पसारर देख्यौ.........। आंख्यां फाड़-फाड़र देखंू..च्यांरां कानी अंधेरौ ई अंधेरौ........।
दो घण्टा बीत ग्या। अबै च्यार बजग्या। झांझरकौ होग्यौ। इस्कूल री टूंटी कन्नै खिंड्योड़ै पाणी में संू डेडरां री टर्र.......टर्र.......अर दूब में संू झिंगुरां री चर्र.......चर्र्र्र........अवाज रै कारण वातावरण और भी डरावणौ सो होग्यौ।
अबै मेरा कान घुघरियां री बा अवाज सुणन खातर तरसै हा.......... चाणचकोई म्हंू घुघरियां री बाई अवाज भळै फेर सुणी......अबकै बा अवाज सामणै आळै हॉल संू आरी ही। म्हंू तावळै सी कमरै संू बंैटरी ली अर रसोई संू लट्ठ लियौ। पछै म्हंू हॉल कानी चाल पड़्यौ........। मेरै अेक हात में बंैटरी अर दूजै हात में लट्ठ हो। हॉल स्यंू घुघरियां री अवाज अबै भी आरी ही........। म्हंू गळौ खंखार्यौ अर जोर संू बोल्यौ, अरै कुण है जिकौ रोळा मचाण लागर्यौ है........ मेरै इत्तौ कैंवतांईं घुघरियां री अवाज तो बंद होयगी......पण मेरौ काळजौ फड़क-फड़क करण लागग्यौ हो.........। म्हंू डरतै-डरतै पीतर जी रै नांव सवा पांच आना रौ परसाद भी बोल दियौ।
पछै म्हंू डरतै-डरतै हॉल में बैंटरी संू रोशनी फेंकी.......पण कीं नीं दिस्यौ.........हड़बड़ाट में मेरै हात संू लट्ठ छूटताईं बैंटरी केठा किंयां बंद होयगी.......अर बंैटरी रै बंद होंवतांईं घुघरियांळी अवाज मेरै सारैऊं नीकळी तो म्हंू बठैई जड़ होग्यौ........सैज होण में थोड़ौ टैम लाग्यौ.......पछै कांपतां हातां संू ईं बैंटरी उठाई......लट्ठ उठायौ अर फेर कांपतै हातां स्यंू बैंटरी री रोशनी इन्नै-बीन्ने फेंकी......मन्नै कोई निजर नीं आयौ........ म्हंू अबै आपरै कमरै कानीं चाल पड़्यौ..।
चाणचकोई मेरी निजर पराथना आळी जिग्यां कानी पड़ी......बठै सफेदै रै दरखत माथै मन्नै दो बल्ब सा जगता दिख्या.....म्हंू बंैटरी री रोशनी बीनैं फेंकी तो देख्यौ कै दरखत माथै अेक बिल्ली बैठी है....।
'बिल्ली! मानसी अचंभौ करतां थकां बोली।
'हां बिल्ली!......... बिल्ली आपरै मुंडै में अधमर्यौ सो अेक ऊंदरो पकड़ राख्यौ.........म्हंू जिंयांईं छिर्र.........कैयौ तो बा धम्मदणी सी नीचै कूदी अर पछै दड़ाईछंट.........बगै उडी.........बा भाजी...... जणां म्हंू देख्यौ कै घुघरियांआळी अवाज भी घणी जोर-जोर संूंू आवै ही......पछै मेरै समझ में आई कै आ बिल्ली कोई पाळ्योड़ी है........अर बींरै गळै में पांच-सात घुघरिया बांध्योड़ा हा.......बैई बोलै हा........आ अठै ऊंदरै रै लालच में आयगी ही.....मेरी संास में सांस आयौ.......अर म्हंू सोवण रौ जतन कर्यौ तो गांमै संू कूकड़ौ बोलणै री अवाज सुणर चिमक्यौ ........दिनुगै रा पांच बजणआळा हा........अबै कांईं सोवणौ........पछै म्हंू आपरै न्हाणै-धोणै अर चापाणी में लागग्यौ।.........किंयां लागी मानसी?
'काणी सुणर तो मजौ आ ग्यौ। अबै म्हंू डरावणी काण्यां सुणे कर संू........। मानसी राजी होर बोली।
'डरावणी क्यंू?
'बस र्इंयां ईं.......बधिया लागै........। मानसी बोली।

लड़ाई छुडवाऊं

म्हारी मोटोड़ी बेटी ऋतु कोई तीन चारेक बरसां री ही। जद री बात है। म्हंू इस्कूल संू घरां आयौ .......तो देख्यौ के ऋतु टी.वी. एण्टीना रौ सिल्वरआळौ पाइप लेर टी.वी. रै कन्नै जावै ही।
म्हंू पूछ्यौ, 'ऋतु बेटा, ईं पाइप रौ करै अे?
बाबोली, 'पापा, औ देखौ........टी.वी. में लोग कदगा लड़ण लागर्या है........म्हंू आंरी लड़ाई छुडवाऊं........! म्हंू देख्यौ के कोई सीरियल में लड़ाई रौ सीन हो.........सोच्यौ कै..........अेक-दो मिण्ट री देर हो ज्यांवती तो केठा के हो ज्यांवतौ........।
पण बेटी रौ सुभाव देखर म्हंू गद्गद् होग्यौ........सोचण लाग्यौ कै आजकाल रै टैम में लोग किंरी लड़ाई देखर दूर संू ईं अणदेख्या करर चल्या जावै.........या पछै मौलै में लड़ाई-लड़ूई होवै तो लोग आपरा बारणां बंद करल्यै........। अर ऋतु लड़ाई छुडाण सारू पाइप रौ टुकड़ौ लेर आई है.........। म्हंू गोद्यां में लेर बींरा लाड करण लागग्यौ।

नाव में म्हानै भी हिंडाद्यौ

सितम्बर,1995 री बात है। हड़मानगढ में बाढ आई...पण अठै लोकल भाषा में कैवां तो आ कैसकां कै नाळी आई ......। सात-सात फुट पाणी। सैर री हालत बड़ी कौजी होगी...। पूरै सैर में अफरा-तफरी मचरी ही। कोई घर बंचावै...कोई समान बंचावै तो कोई खुद नै बंचावै...। सैर री सड़कां माथै पाणी ई पाणी...। जकी सड़कां माथै इस्कूटर, मोटर, जीप-कारां अर बसां चालती...बांमाथै अबै नावां चालै ही..। कमाल है भगवान री कुदरत नै ठा नीं लागै कै कद के होज्यै।
सैर में दान पुन्न करणआळां री भी कमी कोनी ही..........बाढ पीडि़तां नै कोई रोटी-सब्जी बांटै, कोई पूड़्यां बांटै........कोई मिठाई बांटै तो कोई फळ-फ्रूट आद.........। दो-च्यार दिनां पछै लोग भी चोखौ-चोखौ खावै...........अर रोट्यां नै बै डांगरां नै नाखण लागग्या। प्रशासन भी सचेत...........अठै री समाजिक संस्थावां भी बढ-चढर भाग लेवै............। और तो और हरियाणै अर पंजाब संू भी लोग आर मदद सारू जुट ग्या। बीं संकट में लोगां रौ अेकौ देखणआळौ हो।
हड़मानगढ रौ घणकरौ सो अेरियौ बाढ री चपेट में आ ग्यौ............म्हारलौ अेरियौ.......यानी हाउसिंग बोर्ड बंचेड़ौ हो........। अबै हाउसिंग बोर्ड संू भी इक्का-दुक्का लोग आपरै भाई-बेलियां या रिश्तेदारां कन्नै जाणां सरू होग्या। म्हानै भी लोग कैवण लागग्या कै..........'मास्टरजी, अठै के करौ...........थे जण्डाळी चल्या जावौ.........।
म्हंू बठै नौकरी करै हो। इण कारण लोग बार-बार कैवै.........किंयां मास्टरजी गया कोनी अजेतांईं!
'चल्या जावांगा.......। म्हंू थोड़सोक मुळकर कैदेंवतौ।
पण जांवां किंयां........जी तो समान में पड़्यौ......... सोच्यौ.........कै जे चल्या गया तो...घर रौ समान पार..........। इस्यै मौकै कई लोग फाइदौ भी उठावै.........देखौ..........झ्यान है.........अठै सब तरै रा लोग है..........आच्छा घणांईं तो माड़ा भी भौत है.........। सुणणै में आई कै फलाणै रौ सगळौ समान ट्रैक्टर में घालर ले ग्या.........। अर पतौ ई नीं लाग्यौ कै कठै लेग्या.........।
नाळी आळै टैम लोग रात-रातभर जागै...........। कोई स्पीकरां में बोलै...........कै पाणी और आर्यौ है..........सचेत हो ज्याइयौ...........। कदी कैवै कै अबै पाणी उतरण लागग्यौ है.......... अबै कोई चिंत्या ना कर्या...........।
सगळौ हिसाब-किताब देखर म्हंू सोच्यौ कै अबै जण्डाळी जाणौ ठीक रैसी........अर थोड़ौ भौत जरूत आळौ समान साथै ले लियौ। विक्की रै मारी किक.........अर पूगग्या जण्डाळी।
पछै पाड़ोस्यां नै बार-बार फोन करर पूछता कै.........अबै नाळी री के स्थिति है.........?हर बार औई जवाब मिलतौ कै..........अभी बिंयांईं है.........। असवाड़ै-पसवाड़ै रै सगळै गांमांं में नाळी री चिरचा चाल री ही.........। अबै नाळी कितीक उतरगी.......का फेर..अबै पाणी कितौक चढग्यौ........?
16 सितम्बर आळै दिन टाबर कैवण लाग्या कै.........पापा, आपां नाळी देखर तो आवां।
म्हंू कैयौ कै 'छुट्टी होंवतांईं चालस्यां.......। टाबर छुट्टी नै अडीकता रैया..........।
म्हंू आधी छुट्टी में जिंयांईं टाबरां कन्नै पूग्यौ..........छोरौ बोल्यौ, 'पापा, छुट्टी होंवतांईं जरूर चालांगा नीं नाळी देखण?
'हां..........चालस्यां।
अर पूरी छुट्टी होंवतांईं टाबरां ढंग संू चाई नीं पीण दी......... 'चटकौ करौ तो.........पापा, अठैऊं भौत लोग गया है नाळी देखण...........। छोरै बतायौ।
पछै चा पीर म्हंू, जोड़ायत, छोरौ दीपू अर छोरी ऋतु.........विक्की माथै बैठर चाल पड़्या.........नाळी देखण सारू।
हड़मानगढ में बड़तांईं हड़मानगढ-गंगानगर रोड माथै हड़मानजी आळै मिन्दर यानी रेलवे फाटक कन्नै लोगां री भीड़ होरी। पछै मिन्दर रै सामणै डेयरी आळी रोड कानी गैया तो देख्यौ कै शिव मिन्दर सिनेमै कानी पाणी ई पाणी। इत्तौ पाणी.........। देखर अचंभौ होयौ।
बठै फौजियां रौ भी जमघट लाग र्यौ हो। फौजी लोग नावां ले राखी ही। चाणचकौई कोई डूब ज्यै या कोई अणहोणी होज्यै तो बै फौजी मदद सारू आगै आवै। अर कई लोग फौज्यां री नावां में बैठर घूमण रौ आनंद भी लेवै हा। बांनै हींडतां देखर दीपू बोल्यौ, 'पापा, नाव में इत्ता लोग हिण्डै...........म्हानै भी हिंडाद्यौ ...........।
'हिण्डांवां...........।
इत्तौ कैंवतांईं अेक फौजी जिकौ म्हारै सारै ई नाव लेयां बैठ्यौ हो, बोल्यौ, 'आऔ.........आप भी थोड़ा घूमने का मजा ले लो।
म्हंू सोच्यौ, कै लोग के कैवैगा.......... कै कइयां रै ज्यान री लागरी है.........अर अै जनाब, नाव में घूमण रौ आनंद लेवै........। म्हंू इन्नै-बिन्नै तकायौ..........जदी अेक फौजी बोल्यौ, 'आओ........ डरो मत........डूबने नहीं देंगे.........।
बण............ 'डरो मत कैयौ नीं.........जद मन्नै लाग्यौ जाणै मेरै स्वाभिमान नै धक्कौ लाग्यौ है..........पछै म्हंू खुद नै संभाळतौ बोल्यौ, 'डर क्यां रौ है..........।
पछै म्हे सगळा नाव में बैठग्या..........। नाव में मोटर लाग्योड़ी ही.........। नाव मिण्टा में ई सर्र...........करती आगै चाल पड़ी..........। शिव मिन्दर सिनेमै कानी जांवतांईं म्हंू सोच्यौ कै जे नाव पळ्टौ खा गी तो ........मन्नै तो तिरणौई कोनी आवै............अबै किंयां करां........।
म्हंू सोच्यौ कै जे डूबग्यौ नीं तो लोग बाद में कैवैगा कै लिखेड़ी ही.........जदी तो जण्डाळी संूंू पाछा अठै आर डूब्या है..........। कोई कैसी.......... सांस इत्ताई हा........तो कोई कैसी हूणी नैं कुण टाळ सकै........जित्ता लोग........बित्ती बातां.......। फौजी नै पाछौ चालण रौ कैवां तो कैसी कै बस........डरग्या के.........!
टाबर नाव में बैठर भौत राजी होर्या हा। म्हंू जोड़ायत नै कैयौ-पाछा चालां.........अर बींरी सैमती मिलतांईं म्हंू फौजी नै कैयौ- 'भाई साहब, नाव पाछी ले चालौ........। टाबरां भी और हिण्डण री जिद कोनी करी। मेरौ डर बधण लागर्यौ हो। स्यात बण फौजी भी मेरौ डर भांप लियौ........अर बौ मिण्टा में ईं नाव पाछी लियायौ....। नाव संू उतर्या जद सांस आयौ।

नाव री तरियां चालै

नवम्बर 1995 में म्हंू नूवौं इस्कूटर लियौ........। पैली विक्की ही। विक्की संू पैली साइकिल अर साइकिल संू पैली पैदल.......। इस्कूटर रौ तो अळगौई आनंद हो........। बैठणै में कोई दिक्कत कोनी। इस्कूटर रै आगै दीपू नै बिठा लेंतौ, म्हारै पीछै ऋतु बेटी अर ईंरै पीछै जोड़ायत.........।
इस्कूटर लेणै रै पांच-च्यार दिनां पछै म्हंू अेक दिन जण्डाळी इस्कूल जावै हो। मेरै आगै दीपू खड़्यौ हो। पौणेक तीन साल री उम्र ही बींटैम दीपू री.........। म्हंू अेनै समझावै हो बे्रक माथै पग ना मेल देई........। दोनूं जणां पड़ांला। म्हंू रस्तै में दीपू नै पूछ्यौ-'दीपू.......आपणौ इस्कूटर किंयां चालै रै..........?
दीपू बोल्यौ-'नाव री तरियां चालै पापा.........। दीपू रौ पड़ूत्तर सुणर म्हंू घणौ राजी होयौ..........म्हंू सोच्यौ कै ढाई-तीन मीना पैली दीपू म्हारै साथै नाव में बैठर जिकौ अनुभव लियौ......... बीं अनुभव नै अण नान्है सै टाबर किंयां काम में लियौ है.........! म्हंू अचंभौ कर्यौ.........अर चालतै इस्कूटर माथै ई म्हंू दीपू रा लाड करण लागग्यौ.........।
पछै म्हंू सोच्यौ कै टाबरां नै जीवन रा नूवां -नूवां अनुभव देवणा चहिजै........आनै घुमाणां चहिजै........अर आपणै देश री एतिहासिक चीजां दिखाणी चहिजै.........। एतिहासिक चीजां नै कोई कन्नै संू देखै तो बै किताबां पढण संू ज्यादा महताऊ होवै। बानै टाबर आपरी आखी जिनगी भूल नीं सकै........। अर पछै बौटाबर बींचीज रै बारै में और चोखै ढंग संू प्रस्तुत कर सकै। पण आपणै लोगां री मानसिकता अळगी है........। घूमणै नै फालतू मानै..........।
दुनिया सैं संू बडी किताब है। दुनिया जदी समझ आवै जद आपां घूमस्यां.........विदेशी बावळा थोड़ाई है जिको कित्ती दूर संू अठै घूमणनै आवै........दुनिया देखै......दुनिया समझै........। मेरौ सोचणौ है कै इस्कूलां में टाबरां नै घुमाण सारू नियम बणा देणा चहिजै........... कै हर साल हरेक टाबर नै अेक टूर जरूरी। टैम रै हिसाब संू पढाई री सोच में बदळाव री जरूत भी है। क्यंूकै घूमणौ पढाई री किताबां रौ प्रैक्टिकल रूप है।

फोन पर बात करूं नीं

1996 रै अेड़ै गेड़ै री बात है। म्हंू जद कदी बारै जाऊं........जिंयां कोई कवि सम्मेलन........कोई किताब लिखण री वर्कशॉप में या फेर कोई सरकारी टूर पर जाऊं तो म्हारी जोड़ायत कैवै - थे किन्नैई बारै जावौ जद दीपूड़ौ मन्नै तंग भौत करै.........अै टींगर-टींगरी आपसरी में लड़ता रैवै..........।
पछै म्हंू मुळकर कैंतौ कै टाबर तो आपसरी में लड़ ई सी..........अै जे स्याणां बणर बैठग्या तो आनै पछै स्याणां नै दिखाणां पड़ैगा।
जोड़ायत बोली-'थे तो हरेक टैम मजाक करता रैवौ........थानै ठा है के अै मन्नै कित्ता सैकै............। मेरी बात कान खोलर सुणल्यौ.........कै का तो थे इन्नै फोन करर संभाळता रैया अर जे नीं सभाळौ तो साथै लेज्याऔ आपरै लाडेसर नै।
म्हंू मुळकर कैयौ कै 'संभाळ ल्यंूगा.........संभाळ ल्यंूगा.......ईंयां निराज क्यामी होवै तो!
अर अेक दिन म्हंू जैपर अेस.आर.सी. में साक्षरता री पोथी लिखण सारू गयौ। बठै पूगतांईं दीपू रै संभाळन री बात दिमाक में आई। म्हंू घरे लेण्ड लाइन माथै फोन मिलायौ........फोन दीपू ई उठायौ...........म्हंू बोल्यौ-हैलो..।
'हैलो पापा.........मैं बोलू दीपू..........।
'तंू के करै अबै?
'अब तो थां संू बात करूं नी!
दीपू रौ पड़ूतर सुणर म्हंू के कै सकै हो फेर.........। मेरौ पूछण रौ मतलब हो कै कठैई आपरी मम्मी नै सेकतौ नां होवै या पछै बौ ऋतु रै साथै लड़तौ नां होवै..........।

मा बणण आळी है

जून 1996 री बात है। इस्कूलां में डेड मीनै री छुट्यां चालै ही.........छोटो भाई चंदर शेखर जोशी जिकौ बीकानेर बकालत करै........बौ बहू-टाबरां नै लेर म्हारै कन्नै हड़मानगढ आयोड़ौ हो। मन्नै म्हारी जोड़ायत बतायौ कै.........'दीपूड़ै तो आज स्यान सी ले ली।
म्हंू पूछ्यौ- 'किंयां?
'किंयां के..........सिंझ्या चा आळै बखत मैं, अर म्हारी दिराणी टी.वी. देखै ही। टाबरां साथै खेलतौ-खेलतौ दीपूड़ौ भी म्हारै कन्नै बैठर टी.वी. देखण लागग्यौ। टी.वी. रै अेक सीन में अेक छोरी नै उबाक करतां देखर दीपूड़ौ बोल्यौ- 'चाची, आ आण्टी मा बणण आळी है।....... सुणर म्हंू तो धोळी होयगी। म्हैं मुळकर पूछ्यौ, 'फेर........उमा कांईं कैयौ?
'कै के ही........बा बिच्यारी मुळकर रैगी.........अर दीपूड़ै रा लाड करण लाग्गी।
अर थोड़ी ताळ पछै सीरियल में डॉक्टर कैयौ, 'कै ...बधाई हो........आपकी बहू मां बनने वाली है.........। सुणतांईं दीपूड़ौ बोल्यौ, 'औ देख चाची..........म्हंू कैवै हो नीं.........मेरी बात साची है नीं !
'चोखी करी अण तो.......। जमांईं बिगाड़ राख्यौ है इणनै तो.........। जोड़ायत मुळकती सी बोली।
अच्छ्या........मैं बिगाड़ राख्यौ है कै........अण टी.वी.बिगाड़ राख्यौ है.......औ टी.वी. सगळा टाबरां रौ नास करसी।
चिंता करती जोड़ायत बोली, 'केठा........ भगवान ई जाणै.......आजकाल रा टींगर जम्आंईं बिगड़ ग्या।
आण्टी साथै ब्या करा संू

दीपू तीसरी में पढतौ जद री बात है। रोजिना समाचारां रौ टैम होंवतांईं म्हंू टी.वी. लगा लेंतौ। दीपू भी म्हारै साथै समाचार सुणै.......। घणकरी बार अविनाश कौर सरीन समाचार पढै........... मोटी-मोटी बोलती सी आंख्यां ............बाळां री इस्टाइल भी गजब री.......... अर समाचार खतम होंवती बखत आपरी मुळकान छोडती तो बस..........देखण आळौ देखतौ ई रैज्यै...........।
अेक दिन दीपू अविनाश कौर सरीन कानी देखर मन्नै कैयौ, 'पापा, म्हंू ईं आण्टी साथै ब्या करा संू।
म्हंू जोड़ायत कानी मुळकतौ सो देखर दीपू नै कैयौ, 'करा देस्यां।
जदी जोड़ायत बोली, 'ऊं!........बाप-बेटा नै फूटरी-फूटरी भावै..........।
'मम्मी तो है नीं बस..........। दीपू गुस्सौ करतौ बोल्यौ। पछै मेरै कानी देखर दीपू बोल्यौ, 'मम्मी री नां सुणौ........पापा, मेरी सुणौ थे...........। म्हंू ईंरै साथै ब्या करणौ चावंू।
'तो कराद्यांगा...........पैली आपरै पगां पर तो खड़्यौ होजा।
अर इत्तौ कैंवतांईं दीपू बैड संू नीचै उतरर बोल्यौ, 'औल्यौ.........पगां पर तो खड़्यौ होग्यौ.........अबै कराऔ ब्या.........!

बचपन में लाग्यौड़ी है

हाउसिंग बोर्ड में पुराणियै घरे रैंता, जदै दीपू कोई पांचेक साल रौ हो........जद री बात है.........म्हारौ अेक भायलौ आयौ राजेश चड्ढा........संघर्ष रै दिनां रौ साथी...........। रेडियौ टेसण सूरतगढ में आजकालै हिन्दी रा वरिष्ठ अनाउन्सर है...........अै रेडियौ माथै हर शुक्रवार री रात नै साढे नौ बज्यां पंजाबी कार्यक्रम ''मिट्टी दी खुशबू देया करै........देस-विदेस में भौत लोग सुणै.........पसंद करै अर इण नै अडीकता रैवै.......। कॉलेज रै अेक छोरै इण प्रोग्राम माथै शोध भी कर्यौ है.........।
चड्ढा जी अेक दिन म्हारै घरां हड़मानगढ आया.........दीपू, घरां खेलै हो....... म्हंू आंवतांईं पैली तो बां स्यंू रामा-स्यामा करी .............अर पछै चापाणी पीर बातां करै हा........चाणचकैई चड्ढा जी री निजर दीपू कानी गई तो बां बींरौ माथौ देखर बींनै पूछ्यौ-'अरै दुष्यन्त.......आ माथै में क्यांगी लागेड़ी है रै?
बौ खेलतौ-खेलतौई बोल्यौ-'आतो अंकल जी बचपन में लाग्योड़ी है।
जवाब सुणतांईं राजेश जी आपरी आदत मुजब जोर संूंू ठाकौ लगार हांस्या।
दीपू रौ जवाब सुणर मन्नै भी अचंभौ होयौ। म्हंू भी हांसण में बांरौ साथ दियौ। पछै म्हंू सोच्यौ कै आजकाल रै टाबरां रौ बाळपणौ तो टी. वी. गिटग्यौ.....। अबै छोटी सी उमर में सगळा टाबर दिमाकी तौर पर जुवान होर्या है। इण पर बिच्यार करणौ भौत जरूरी है।
जलम दिन माथै पिस्तौल ले संू

बारा जनवरी 1994 नै दीपू दो साल रौ होग्यौ। इण दिन ईंरौ जलम दिन मनायौ। जलम दिन मनाण संू पैंलां म्हंू ईंनै पूछ्यौ कै........'दीपू, जलम दिन माथै तन्नै कांईं ल्यार द्यंू बेटा?
दीपू सोचर बोल्यौ-'पिस्तौल...! पछै दोनां हाथां नै चौड़ाई में फैलार कैयौ-'इत्तौ बड्डौ.......बंदूक संू भी बड्डौ।
'पिस्तौल ल्यैगौ...! अर इत्तौ बड्डौ.....! के करैगौ रै पिस्तौल रौ ? म्हंू पूछ्यौ
दीपू थोड़ौ सोचर बोल्यौ-'इण भींत नै मार संू।
भींत नै......! भींत नै किंयां मारैगौ........? पछै म्हंू सोच्यौ कै दीपू भौत बडौ दरसन राख्यौ है मेरै सामै.......। आज रै टैम मा-बाप अर बेटां बिचाळै, भाई-भाई रै बिचाळै अर अेक दूजै रै संबंधां बिचाळै आभींत ई तो है जकी आपां नै बांट राख्या है। म्हंू आ सोचर दीपू नै बांथां में ले लियौ अर ईंरौ सिर पळंूसतौ-पळंूसतौ लाड करण लागग्यौ।
म्हंू मन में सोच्यौ कै दीपू बेटौ मन्नै तो लागै पिछलै जलम में कोई संत या म्हाराज हो। पछै म्हंू और डंूगौ सोचण लागग्यौ कै दीपू आपरै जलम दिन माथै पिस्तौल किंयां माग्यौ.....।
कोई हाथी, घोड़ो, जीप,कार, हवाई झाज,बस रेल या फेर गुड्डौ, लुड्ढो, फुटबाल, ड्रेस या चॉकलेट क्यंू कोनी मांगी.......। अण पिस्तौल कठै देख्यौ.....। आपणै तो कणीं पीढ्यां में ईं कोनी बपरायौ। पिस्तौल ईं रै दिमाक में आयौ किंयां.....?
सोचतां-सोचतां पछै मेरै दिमाक में आई कै औटी.वी. है सगळी बातां रौ पिटारौ। इण में देखर अण सोच्यौ है कै पिस्तौल लेणौ चइजै। टी.वी. में मार धाड़ रौ रुतबौ देखर अण पिस्तौल री मांग करी है।
टाबरां माथै टी.वी. रौ कित्तौ चटकै असर होवै। इण बात सारू देस रा शिक्षाविदां नै सोचणौ चइजै अर टाबरां नै देसप्रेम, प्यार मोहब्बत, सैयोग आद मानवीय मूल्यां माथै चोखी-चोखी फिल्मां दिखाणी चइजै........ अर आं मूल्यां माथै नंूईं-नंूईं फिल्मां बणाणी चइजै। क्यंू कै शिक्षा रौ मतलब किताबी ग्यान नीं है।
इण कारण म्हारौ औ सोचणौ है कै टाबरां रै बिच्यारां नै चोखा-चोखा संस्कारां संू सींचणौ है तो इस्कूलां में हरेक थावर री सिंझ्या रै टैम चोखी-चोखी फिल्मां दिखाणी चइजै। टाबर चोखी-चोखी फिल्मां देखैगा तो आंरा बिच्यार भी चोखा ई रैसी।
सोचण आळी बात तो आ है कै मिनख जलम संू चोखौ-माड़ौ नीं होवै। आछा-माड़ा बिच्यार ई मिनख नै आछौ-माड़ौ बणावै। जे बिच्यार चोखा तो मिनख चोखौ। अबै लोग रगत रा रिश्ता नीं निभावै.....रिश्ता निभावै बिच्यारां रा। रिश्ता भी बिच्यारां रा होग्या। जे बिच्यार नीं मिलै तो रिश्ता बेकळू रेत दांईं है।

'गधा लिखणौईं कोनी आवै

दीपू चौथी क्लास में पढतौ जद री बात है। म्हे हाउसिंग बोर्ड रै सात नंबर सैक्टर में रैंता। अेक दिन इस्कूल री पूरी छुट्टी होयां पछै दीपू भाजर घरां आयौ। पछै आपरौ बस्तौ कमरै में अेक कानीं मेलर मेरै कन्नै आ'र बोल्यौ- 'पापा, म्हारा हिन्दी आळा सरजी है नीं.........बांनै गधा लिखणोईं कोनी आवै.......!
म्हंू अचंभौ करतौ बोल्यौ, 'कमाल है ईस्या के सरजी है जिकां नै गधा लिखणोईं कोनी आवै........! पछै म्हंंू दीपू नै पूछ्यौ, 'कै तेरा सरजी गधा नैं किंयां लिखै?
दीपू मुळकतै सै आपरी आंगळी संू बिस्तर माथै लिख'र बतायौ कै सरजी 'गधा नै 'घदा लिखै।
मन्नै दीपू रै सरजी माथै हांसी भी आवै........अर रीस भी...... पछै म्हंू सोच्यौ के मीनै री पांच-सात सौ रिपिया तिनखा में तो सरजी बिच्यारा 'घदा ई लिखैगा.....'गधा कठै संू लिखद्यै।
दीपू संू बात करतौ-करतौ म्हंू हातोहात बींरै इस्कूल गयौ। इस्कूल म्हारै घर रै पिछवाड़ै ई हो। म्हंू बठै जार इस्कूल रै संस्थापक जी संू मिल्यौ अर औळमौ देंवतौ बोल्यौ, कै का तो थारै सरज्यां री तिनखा बधावौ या फेर थारा सरजी बदळौ........।
संस्थापक जी चिंता सी करतां पूछ्यौ, कै..... 'के बात होयगी दीनदयाल जी......ईंयां पहेल्यां सी के बुझावौ......?'

म्हंू बांनै पूछ्यौ, 'आपरै इस्कूल में चौथी क्लास नै हिन्दी किस्या सरजी पढावै?'
'के बात होयगी........दुष्यंत साथै कोई मारा-कूटी होगी के?
'मारा-कूटी कोनी होई.....म्हंू तो आबताणौ चावंू कै थारै हिन्दी आळै सरजी नै गधा लिखणौईं नीं आवै......! 'गधा नै बै 'घदा लिखै।'
देखौजी.....अै छोटी-मोटी गळत्यां तो होंवती ई रैवै। थे तो साहित्यकार हो नीं.......। थे तो टाबरां सारू कीं न कीं लिखता रैवौ। पछै संस्थापक जी मुळकता सा बोल्या, 'थानै तो लिखण खातर कोई पोइण्ट चइजै........। आं छोटी-छोटी बातां कानीं आपनै ध्यान नीं देणौ चइजै......। अर बिंयां आजतांईं कींबी अभिभावक इण तरियां रौ औळमौ नीं दियौ।'
म्हंू बांरै गळौ पड़तौ सो बोल्यौ, 'थानै औळमौ कणीं नीं दियौ....ईंरौ कांईं मतलब होयौ? पण म्हारौ औळमौ गळत है तो बताऔ......। अर फेर पोइण्ट रौ कांईं मतलब होयौ.......। अै थानै छोटी बातां लागै कै?
बात बधती देखर संस्थापक जी हात जोड़ता बोल्या, 'छोटी बातां तो कोनी.......। बात तो आपरी साची है। चलो...सरजी नै कै देस्यां.....। आइन्दा ध्यान राखसी......। बैठौ......चापाणी मंगांवां....।
'चापाणी नै तो रैणद्यौ......। पण जे औई ढर्रो रैयौ नीं तो म्हंू टाबरां नै इस्कूल संू हटा ल्यंूगा......पछै मन्नै औळमौ नां देया।
दीपू यानी दुष्यन्त पांचवीं में होग्यौ तो भी बां सरजी आपरै पढाणै रौ तरीकौ नीं बदळ्यौ.....यानी बैई घोड़ा अर बैई मदान। पछै म्हंू सोच्यौ कै दीपू रै सरज्यां नै सिखाणै रौ तो म्हारौ ठेकौ कोनी। टाबरां नै इस्कूल में कीं सिखाणै सारू भेजां.......पण ईंयां लागै जाणै दीपू आपरै सरजी नै सिखावै। बौ घणकरी सी बार कैवै .......पापा, म्हारा सरजी 'विद्यालय नै 'विधालय लिखै.....अर बोलै भी विधालय.....। पछै म्हंू आधी छुट्टी में सरजी नै अेकला देखर बतायौ कै ....सरजी, औ 'विधालय कोनी 'विद्यालय है......।
'पछै के कैयौ तेरा सरजी?
कैयौ तो कीं कोनी......खाली मुळकर कैयौ कै ठीक है....जा बारै खेल.........।
म्हंू चिंता करतौ बोल्यौ, 'तेरा सरजी कोनी सुधरै बेटा....। मन्नै तो लागै जाणै तन्नै दूसरै इस्कूल में लगाणौ पड़सी......।
'पापाजी, पुलकित इस्कूल में ठीक बतावै पढाई.....। मन्नै अर दीदी नै बठै लगाद्यौ नीं........।
'देखांगा......पण थंू आपरै इस्कूल में नां कैदेई कै म्हानै अगलै साल दूजै इस्कूल में लगावैगा.....।
'चंगा पापा.....।
इत्तौ कैर दीपू आपरौ होमवर्क करण लागग्यौ अर जदी जोड़ायत चा बणार लियाई। म्हंू चा पींतौ-पींतौ सोचणा लाग्यौ कै इस्कूल सरकारी होवै अर चायै प्राइवेट......घणकरां सा गुरज्यां रौ काम सरेड़ौ है.......। बानै सई सबद लिखणौई नीं आवै.......तो बै टाबरां नै सिखासी किंयां.......।

टाबरां रा मा-बाप भी ध्यान नीं देवै। आंरौ भी सरेड़ौ है काम तो। जदी तो 'श्रीमती नै 'श्रीमति, 'पत्नी नै 'पत्नि, 'बीमारी नै 'बिमारीअर 'यानी नै 'यानि लिखै.......। कित्ती गळत बात है। लोग 'गळत नै भी 'गळ्त लिखै। जद गुरजी ई गळत लिखैगा तो आम आदमी सई किंयां लिख सकै.....। सई अर गळत सबदां री बात जे कीं संू करां तो लोग पीठ पीछै कैवै, 'नां रै....सनकी है.........।
लोगां रौ सोचणौ तो है बस काम चालणौ चइजै। पण सोचण आळी बात तो आ है टाबरां नै सई सबद लिखणां सिखाणां चइजै। अर गुरज्यां नै खुद भी सई सबद लिखणौ सीखणौ चइजै। सई सबद में ई सगती होवै......। टाबरां नै सुलेख लिखाणां चइजै। क्यंू कै सुलेख संू टाबरां री लेखनी अर सबद दोनां में ई सुधार होसी। पढाई, सांस्कृतिक अर खेलकूद में जितणियां टाबरां नै इनाम सारू हिन्दी-अंगरेजी री डिक्सनरियां देणी चइजै।
विद्वान लोग कैवै नीं कै........मंत्र आपरी सगती जदी दिखावै ....जद कै बौ सई बोलिजै। अर सई जदी बोलिजैगौ....जद कै बौ सई लिख्योड़ौ होवै......। जे सबद सई नीं बोलिजै तो बींरौ असर भी नीं होवै.......या फेर बींरौ असर उळ्टौ भी हो सकै।

 

हंसी मजाक री काणी

सोवण आळौ टैम होंवतांईं मानसी मेरै कन्नै फेर आयगी काणी सुणण सारू। 'पापा, आज कोई हंसी मजाकआळी काणी सुणाऔ नीं...........।
'भूतांआळी सुणाऊंक...........परियांआळी या फेर कोई दूसरी..........या कोई जिनावरां माथै..?
'कोई हंसीआळी सुणाऔ नीं.........।
'लै तो फेर सुण.........अेक मास्टर जी हा..।
'हंू........।
'नांम हो लेखराम जी।
'हंू।
बै अेक सैर में रैंता। बानै सैर में और तो कोई दिक्कत कोनी ही..........पण बै दूध सारू भौत परेशान हा।
'जियां आपां हां। मानसी बोली।
'तंू काणी सुण.........बीच में बोलणौ रैणदे। म्हंू कैयौ।
'चंगा तो........सुणाऔ...........।
अेक दिन मास्टरजी सोच्यौ - 'कै कोई गावड़ी खरीद ल्यां तो दूध चज रौ मिलज्यै...........। ईंयांईं धोवण में पीसा लगाण रौ के तुक है। सैर में हर्यै री कोई दिक्कत कोनी.......हर्यौ मोल मिलै...........लोग घरां आर देज्यै। आ सोचतां-सोचतां मास्टरजी अेक दिन गा लियाया। गा घरां आयगी तो मास्टरजी रौ पूरौ परवार खुस।
अबै जद भी मौकौ मिलतौ........ मास्टरजी आपरी गा री बडाई करता..........मौलौ होवै चायै इस्कूल.......बै गा री बडाई करण संू नीं चूकता..........। इस्कूल में रोज-रोज री बडाई सुणता बांरै सागैआळा मास्टर आखता होग्या।
बांसोच्यौ-कै लेखराम जी री गा बिकाणी पड़ैगी.......। अर बां बांरी गा बिकाण सारू अेक योजना बणाली।
अेक दिन इस्कूल रै स्टाफ रूम में सगळा मास्टर भेळा होर्या हा.........लेखराम जी भी बठैई बैठ्या हा.........बांतो टोरदी आपरी गा री बडाई...........।
बै कैवै कै चा पीवौ तो घर रै दूध री...........बजार रौ भी कोई दूध है.........पाणी है निरोई पाणी.........म्हारी गा रै दूध री कोई अेकर चा पी ल्यै तो कदी नीं भूल सकै...........। बस अेकर लाग्या तीन हजार रिपिया........अबै तो मौज ई मौज है.....।
'लेखराम जी मन्नै तो लागै कै थे गा बूढी खरीद ली दिखै........नीं तो तीन हजार रिपियां में इत्ती चोखी गा कुण बेचै........। अेक मास्टरजी कैयौ।
'साची कैयौ.........इत्ती सस्ती अर सीधी गा........कुण बेचै..........किंगोई राम नीकळ्यौ है के........मन्नै तो लागै कोई चक्कर है........आजकालै रा लोग भौत तेज होवै......आपरै सुवारथ सारू सीधै अर भोळा लोगां नै झट भौंदू बणाद्यै। दूजा मास्टरजी बोल्या।
'नां जी नां........मेरै साथै ईंयां नीं हो सकै...म्हंू जिकै आदमी संूंू गा ली है........बौ भौत ई भलौ आदमी है। लेखराम जी कैयौ।
'लेखराम जी थे हो भोळा.........अर दुनिया है तेज......... गा में कोई न कोई कमी है...........बिंयां देखण में गा थानै किंयां लागै?
'गा तो ठीक-ठाक है।
'नहीं-नहीं..........मेरौ कैण रौ मतलब.......... गा दिखण में बूढी तो कोनी लागै नीं? पैलड़ा मास्टरजी बानै अपणायत संू पूछ्यौ।
'नीं तो........। लेखराम जी थोड़ा सा ढीला होर बोल्या।
'देखो लेखराम जी...पीसा थारा अर गा थारी........बिंयां म्हानै के मतलब..........पण थानै आपरा समझां नीं जद बात करां...........बात आ है कै बूढी गा होवै नीं.......जकी थोड़ा ई दिन दूध देवै..........फेर.....राम नाम सत.........। मन्नै तो लागै कै थारै साथै धोकौ होयौ है। पैलड़ा मास्टरजी फेर कैयौ।
'नहींं........धोकौ तो कोनी होयौ.........। लेखराम जी होळै सी बोल्या।
'ठीक है मान ल्यां कै थारै साथै धोकौ कोनी होयौ........पण गा बूढी है कै जुवान..ईं बात रौ थानै के ठा........ थे किस्सै दिन गायां खरीदी..........!
'बूढी अर जुवान री के निसानी है? लेखराम जी ढीला सा होर होलै सी पूछ्यौ।
तीर निशानै पर लागतां देखर बै पैलड़ा मास्टरजी बोल्या, 'गा रा दांत देख्या के थे?
'दांत..........नहीं तो! बूढी अर जुवान री पिछाण दांतां संू किंयां होवै? लेखराम जी पूछ्यौ।
'थे ईंयां करियौ.........आज घरां जांवतांईं.........गा रा दांत देखियौ..........ऊपर अर नीचैआळा सगळा दांत गिणर देखियौ........। थानै आपी पतौ लागज्यैगौ.........। पैलड़ा मास्टरजी बांनै समझांवतां सा फेरूं कैयौ।
'ठीक है..........गा रा दांत तो म्हंू आज घरे जांवतांईं देख लेस्यंू। लेखराम जी कैयौ अर उदास मन रै साथै बै स्टाफ रूम संू बारै आ ग्या।
बांरी उदासी देखर बांरा संगळिया मास्टरजी होळै-होळै मुळकै हा............। जदी अेक मास्टरजी होळै सी बोल्या- 'लेखराम जी रौ अबै देखस्यां लटकौ.........। भौत दिन होग्या...........म्हारी गा...........म्हारी गा.........राद घाल राखी काळजै में........।
पछै तीन-च्यार दिनांतांईं लेखराम जी गुमसुम सा रैया। बानै चुप देखर सागैआळा मास्टरजी मन ई मन राजी होंवता.........।
अेक दिन लेखराम जी राजी हो र्या हा। बां राजी होर आपरै संगळियां मास्टरां नै बतायौ कै गा बेच दी...।
'गा बेच दी.........कित्तै में? अेक मास्टर जी पूछ्यौ।
'दो हजार में.........।
'क्यंू ..........बेची क्यंू......? दूसरोड़ा मास्टर जी पूछ्यौ।
बेचंू नीं तो के करूं.........गा तो जमाईं बूढी ही.........बींरै ऊपरला तो अेक ई दांत कोनी हा..........।
'पण लेखराम जी......... गा रै उपरला दांत तो होवै ई कोनी....।
'आ किंयां हो सकै.........?
'म्हे तो थारै साथै मजाक करी.........थानै गा बेचणी नीं चहिजै ही........। अेक मास्टर जी बानै अपणायत संू कैयौ।

'तो पापा, गा रै उपरला दांत कोनी होवे? मानसी पूछ्यौ।
'नीं तो.........।
'तो बा चारौ किंयां खावै..........?
'चारौ तो बा जाड़ां संू खावै बेटा। म्हंू बींनै बतायौ........अर पछै बींनै पूछ्यौ- 'किंयां लागी काणी..........?
'काणी तो जोरदार है.........बापड़ै लेखराम जी सागै भौत माड़ी होई।........ बिंयां पापा....थानै किंयां ठा......कै गा रै उपरला दांत कोनी होवै?

गा रै उपरला दांत

म्हंू बाळपणै में जद आपणै गांम जसाणै में पढतौ नीं.........जद री बात है.......म्हारै इस्कूल में साबराम जी गुरजी हा.....बै भी जसाणै राई हा......परीक्षा रै दिनां री बातां है.......बै अेक दिन म्हारी मौखिक परीक्षा लेवै हा.......तो बां मन्नै पूछ्यौ कै -'आपणै पशु किताक है रै दीनदयाल?
म्हंू कैयौ-'घणांई है जी।
बीं टैम आपणै घरे जसाणै में पशु भौत होंवता........गा, भैंस, बकरी, ऊंट........टोगड़ती....बछड़ती, पाडकी......नान्हा-मोटा सगळा पचास रै नेड़ै-तेड़ै हा.........।
बांमन्नै पूछ्यौ-'थारली गा रै उपरला दांत कित्ता है रै?
म्हंू बोल्यौ-'सोळा।
'जा.......पास है.......। पण घरे जार काकी नै पूछी भलौ....... कै गा रै कित्ता दांत होवै?
'चंगा जी..।
'दांतां रै चक्कर में कठैई गा रै मुंडै में हात नां दे देई भलौ।
'चंगा जी.........।
अर म्हंू घरे जांवतांईं मा नै पूछ्यौ तो मा बतायौ कै गा अर भैंस रै उपरला दांत तो होवै ई कोनी।
'दांत होवै ई कोनी...। म्हंू अचंभौ कर्यौ।
मा कैयौ-'तूं गा-भैंस रा दांत किंयां पूछै....?
'मन्नै साबराम गुरजी मौखिक परीक्षा में पूछ्यौ...।
'तो मौखिक परीक्षा में गा-भैंस रा दांत क्यांमी पूछै?
'मौखिक परीक्षा में तो मा कीं भी पूछ सकै.....।
'तो फेर तैं कित्ता बताया?
म्हंू मुळकर बोल्यौ-'म्हंू तो सोळा बताया।
'सोळा.......। तेरौ उत्तर तो जमांईं गळत होग्यौ..........फेर पास किंयां होवैगौ परीक्षा में ?
'देखौ........मन्नै तो चिंत्या सी होरी है...। म्हंू तो हड़मान जी रै परसाद भी बोल दियौ.....। बींटैम मन में अेक डर हो कै कठैई फेल ना होज्याऊं.....जद तांईं फेल-पास नीं सुणाया.......जिक तिक सी रैई.........रिजळ्ट आयां पछै सांस आयौ कै म्हंू पास होग्यौ।

 

 

कद मिलसी अजादी

15 अगस्त 2009 ......बार थावर। अजादी री तरेसठवीं जयन्ती....... मानसी बैठक में टी.वी.देखैई...........। जदी बींरी मम्मी बींनै हेलौ मार्यौ, 'मानसी.....के करै अै?
'टी.वी.देखंू।
'तो आज सारै दिन ईं टी.वी.रैई चिप्पी रैसी के......... ईंयां तो कोनी........ कै मम्मी नै काम रौ थोड़ौ सारौ लगा द्यंू। आगै के जवाब द्यांगा........ जद कैसी कै छोरी नै तो कीं काम कोनी सिखायौ ...........छोरी...........सुणै कोनी कै?
'मम्मी, कम संू कम आज तो नां कै कीं।
'क्यंू ......आज कीं स्पेशल है के ?........तन्नै सुण्यौ कोनी के.........थोड़ा बरतन मांज ले छोरी।
'हे भगवान............अंगरेजां री गुलामी संू तो पीछौ छूट ग्यौ.........पण घर में केठा कद अजादी मिलसी.........!
जदी बींरी मम्मी बैठक में स्पीट संू गई अर जार टी.वी.बंद करता थकां बोली, 'फालतू बातां तो रैण दे........अर थोड़ो काम रौ सारौ लगा देकर कदी......। चाल खड़ी हो.....।
'कोनी होऊं नीं।
'सुणैक.....कोनी....!
'क्यंू ......भैयै नै तो थंू कीं कैवै कोनी......अर मन्नै सारै दिन लड़ती रैवै.....।
जदी म्हंू कंप्यूटर आळै कमरै में काम करतौ-करतौ बोल्यौ, 'अरै सुणै नीं.....मानसी नै टी.वी.देख लेण दे........।
'थेई तो बिगाड़ौ.....सिर पर चढाल्यौ आनै........।
'कोई बात नीं टाबर है.....। पछै म्हंू मानसी नै कैयौ कै बेटा.......तन्नै तेरी मेरी रौ कैणौ मानणौ चइजै.....थंू इत्ती स्याणी है........अर इत्ती बड्डी होयगी......घर रौ काम भी तो सीखणौ चइजै...।
'पापा, इत्ती बड्डी कठै होयगी......ईं बारा अगस्त नै दस साल री तो होई हंू......!
मानसी नै म्हंू प्यार संू समझांवतां थकां कैयौ, 'फेर भी बेटा.....थंू ईंयां नां बोलै कर......तेरी मम्मी नै काम संू ना नटै कर.....।
'पण पापा, मम्मी नै भी तो सोचणौ चइजै कै आज पंद्रा अगस्त है.......। आज रै दिन लोग कित्ती खुसी मनावै.....अर मम्मी मन्नै लड़ै......।
म्हंू बोल्यौ, 'लड़ै कोनी.....मा रौ फर्ज होवै.....उलाद नै समझाण रौ......। क्यंू कै मा हनीं.....टाबर री पैली गुरु होवै....।
'औतो मन्नै पतौ है.....।
'चंगा तो फेर.....अबै तेरी मम्मी नै काम रौ थोड़ौ सारौ लगा दे........बिच्यारी दिनगै री अेकली ई लाग री है........।
'लगाऊं........। कैंवतां थकां मानसी रसोई कानी चाल पड़ी.......।
पछै मानसी री बात मेरै कानां में गंूजती रैई कै आ साची कैवै........छोरै अर छोरी में भेद खतम होण री पैल कद होसी....? औ सुवाल आज भी खड़्यौ है अेक मिनख री अडीक में......।

 

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