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(आभार राजस्थान पत्रिका)

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आपा कदी हुदराला

वणी दन लादु काका अ'र काकी ने देख्या। म्हें ज्यूं ही वणाने वतलाया काकी फफक-फफक'र रोवा  ठुकी। जदऊ वणारो एकाएक छोरो रेल माथु पड़'र मरयो काकी रो जीव होरो नी रेवे। कणीक हमज्ये वतायो के छोरो अकाळी मौत मरयो हो स्यात वो पूर्बज वियो व्हे। अणीज वात री छाण पटकवा हारु वे पाड़ला गाँव में देवरे जायरा हा। वात करता करता काका कयो के वणी दुर्घटना में जतरा भी छोरा मरया हा वणारा घरवाला ने सरकार जो मुआवजो देणो तय करयो हो वो तो मिल ग्यो। बस अबे कोषीष करया के लाड़ी बारमी तक भणी पढ़ी है, कठेक फोरी मोटी सरकारी नौकरी मल जावे तो बापड़ी दुख्यारी रो जमारो हुदर जावे। म्हें कर्इ केऊं अतराक में छेटी ऊं बस आवती नज़रे आर्इ, ऊपरे नीचे ठसाठस भरी तकी। काका बस रोकावा हारु हाथ दीदो तो म्हे कयो, काका इणमें जग्या नी है, दुजी बस आवा दो। तो काकी बोली, अरे नी लाला, होरा दोरा ही परा जावा, दुजी बस आर्इ जतरे तो ठेठ पौंचा। काका ज्यूं त्यूं काकी ने बसमें धकेली अ'र आप दौड़'र बस री छत माथे चढ़ ग्या। म्हने घणो अचम्भो व्यो के जिणरो छोरो भीड़ भरी रेल री छत माथे बैठवा री गलती रे कारण आज इण दुनिया में नी है, वणाने भी आपरे जीवन री जरा फिकर नी है। भगवान नी करे या ओवरलोड बस दुर्घटनाग्रस्त व्है जावे तो इणरी जिम्मेवारी किणरी व्है, बस वाळा री, बैठवा वाळा री या प्रसाषन री? स्यात थोड़ी-थोड़ी हंगला री। पण असी दुर्घटनावा पे आपी हंगळो भरयो भुण्डो ठिकरो सरकार रे माथे इज फोड़ा। सरकार ऊ घायला अ'र मरवा वाला रे वास्ते मुआवजा री उम्मीद लगावा, वांरा आश्रिता रे वास्ते नौकरी री आस राखा। जाणे हंगलो किदो करायो सरकार रो इज व्हे। वैवस्था ने सुचारू रूप उं चलावा वास्ते सरकार कायदा कानून वणावे अ'र आपा अणारी धजिजयाँ उड़ार्इ दा। जाणे साकार डाळे-डाळे अ'र आपा पाने-पाने। आपणी सुरक्षा हँगळाउ पेली अपाणे इज हाथ व्हे, बापड़ी सरकार कठे-कठे आपारे पाछे पाछे दौड़ी। पण राम ही जाणे आपा कदी हुदराला।


अक्कल वना ऊँट ऊंबाणा फिरे

धाप रो सुभाव हो  कोर्इ विने कर्इ केवतो तो भले ही वा जाणती  के नी जाणती झट केय देती ''यो तो मने ठा है।'' धापु रो ब्याव व्यो। सासरा में सासुजी पूछयो-लाड़ी पापड़ वणावणो जाणो ,तो वा झट बोली हां मने ठा है। धापु होच्यो करणो कर्इ ज्युं हऊजी करी लारे-लारे करती जाऊँ। सासुजी पापड़ रो आटो पिसायो के अचाणचक वारे पंद्रा विस दन वास्ते परगांव जावा रो जोग बैठ ग्यो अ'र अतारा दना में इलड़ा ;लटाद्ध पड़ जार्इ। सासुजी जाता-जाता लाड़ी ने भलावण दे'र ग्या के लाड़ी पापड़ बणा दिजो। के लाड़ी री हवा निकली , पापड़ वणावा रो तो वा क ख ग र्इ नी जाणती ,वणा दना आज री नवी लाडया रे ज्यंू कने मोबार्इल रा टुनटुन्या नी वेता ,जो कर्इ काम नी आवे तो झट माँ भाभी बेण ने फोन कर'र पूछ ले अ'र सासरा में नाक ऊंची राखले। धापु घणी होच विचार  कर'र पाड़ोसन कने गाी। पण अबे यू किकर केवे के म्हने पापड़ वणावता नी आवे , धीरे'क बोली- काकीजी पापड़ वणावणा है ,यू तो म्हें जाणु के पापड़ किकर वणे ,पण आपने तो ठा वेला गांव-गांव री रित न्यारी व्हे ,अठे पापड़ किकर वणावे थोड़ो'क वतार्इ दो। पाड़ोसन हँस'र बोली- लाड़ी पापड़ तो हंगली जग्या एक इज रित ऊँ वणे ,फेर भी वताओ थां किकर वणाओ ,जो फरक व्है ,म्हे वतार्इ देऊ। धापु चतुरार्इ किदी , काकीजी आप सुरू'ऊ अंत तक वताता जावो जो फरक वेर्इ हामे आइ जार्इ। पाड़ोसन वतावा लागी , वा जो भी वतावे वात हुणतार्इ धापु केवे यो तो मनेर्इ ठा है। अंत में बापड़ी पाड़ोसन कयो जद पापड़ बढि़या सुख जावे वाने अस्या डाबा में भर दिजे जिमे हवा नी जावे। धापु तपाक बोली बस योइज वे यो तो म्हे ही जाणती ही। अबे पाड़ोसन ने रिस आर्इ अ'र वणी मन-मन में गाली दीदी के ठालीभुली जदी थूं हंगलो जाणे तो म्हारो माथा खावा ने कां आर्इ ,फेर मुण्डो मुलकती बोली- नी लाड़ी एक काम अजे बाकी है , दो घण्टा केड़े डाबा ने पाछो खोल जे अ'र मइने जतरा पापड़ व्हे वतरा धोबा पाणी छांटी दिजे ,फेर डाबो गाटो बंद कर'र विस दन केड़े खोलजे जतरे पाणी बढिया हुकी जार्इ'न नरम-नरम पापड़ तैयार वेर्इ जार्इ जो बारा ही मिना है वस्या रा वस्या रेर्इ।
       धापु ज्यूं पाड़ोसन वतायो ज्यु किदो अंत में पापड़ा में पाणी छिटक'र कोटा में मेल दिदा। बिस दन केड़े हऊजी आया'र डाबो खोल्यो। पापड़ तो हड़ी'न गलि'न वासी ग्या। धापु बोली म्हें कइं करू काकी यंू इज कयो , काकी बोली म्हे इने जो वतायो या  कयो यो तो म्हने ही ठा है तो अणी हियाफूटी ने यो ठा नी हो के हुक्का पापड़ा रा डाबा में पाणी न्हाक बंद कर देवा तो वांरी कर्इ दशा वेर्इ। हऊजी माथो पकड़'र बोल्या , ''अतरी अक्कल वेती तो ऊँट ऊंबाणा कां फिरता।


आपणी विरासत, आपणी संस्कृति

 म्हें वात खतम कर'र टाबरा रे हामें न्हाळी, वे टकर-टकर म्हारो मुण्डो न्हाळ रया हा। वाने वात हमझ में नी आर्इ ही। आवती भी किकर, आज स्येर रा बाळक आपणी मायड़ भासा ऊं पूरी तरया अणजाण जो हैं। याने इट अ'र डि्रंक तो हमझ में आवे पण अरोगो अ'र जिमो षबद अंतरिक्ष उं आया लागे। ये मोरनिंग इवनिंग रो मतळब जाणे पण हाँझ परभात रो नी। अ'र अठे दुख री वात या भी है के जो बाळक जाणे, हमझे अ'र बोले वाने लोग गँवार हमझे। एक दाण एक पार्टी में दो बाळका ने देख्या, एक आपणी मायड़ भासा में वात करयो हो अ'र दूजो टूटी-फूटी अंग्रेज़ी में। अंग्रेज़ी बोलवा वाळा बाळक रा सब लाड़ करया हा न मायड़ भासा बोलवा वाळा री उपेक्षा और तो और वण्डी माँ भी लाज्या मरती केयरी ही, कर्इ करूं, स्येर रा मान्या तका अंग्रेज़ी स्कूल में भणरयो है पण दादा-दादी रे लारे देसी भासा बोल बोल'र गाँवड़ेल व्है ग्यो। भासा संस्कृति री अेहम विरासत विया करे। जो आपणे आपाणी जमीन उं जोड़'र राखे। पधारो, बिराजो, फरमाओ कतरो आदरभाव झळके अणा षबदा में। पण आज याने पूराणा कुर्सी-टेबला रे ज्यूं कबाड़खाना में पटक'र आपा बैठक में कमइन, सिटडाउन जस्या विदेसी बोल सजा'र बैठया हा। माना के अंग्रेज़ी आज रे समे री जरूरत है अ'र आपारी राजभासा आपरी री मोटी बर्इ है, अणा दोया रो आदर-मान राखणो आपणो फरज है पण इणरो मतळब यो तो नी है के आपा आपाणी मायड़ ने अंधारी ओवरी में न्हाक दा। आज रा बाळक काल रा मोटयार है। आपणी विरासत अ'र संस्कृति ने हम्भाळवारी जिम्मेवारी मोटयारा रा खांदा पे वेवे अ'र या आपाणी जिम्मेवारी  है के आपा  बाळका ने वतावा के वांरी जड़ा कसी है। आज विष्व विरासत दिवस रा मौका पे म्हारी हंगळा मायता सूं या इ'ज अरज है के टाबरा ने आपणी विरासत आपणी संस्कृति अ'र भासा रे ज्ञान उं वंचत मती राखज्यो। क्यूं के जड़ा उं जुड़या रुँखड़ा इ'ज आकास उं वाता करे। जो जड़ा उं कटया तो चूल्ला में बळता के धूळा में लोटता इज नजरे आर्इ।


वरत री वातां

गौर गौर गोमती, इसर पूजां पारवती। म्हे पूजा आला लीला, गौर के सोना रा टिला। सोना रा टिला दे टपका दे, वरत करे राणी गौरा दे। करता करता आस आयो, मास आयो। खेरे खांटे लाडु लायो। लाडु ले म्हें वीरा ने दीदो, वीरे म्हनें साड़ी दीदी। साड़ी में सिंजोरा, बाड़ी में बिंजोरा, समंदर सोला, सात कचोला। राणी पूजे राज ने म्हे पूजा सुहाग ने। राणी ने तो राज दीजो म्हाने सुहाग दीजो। राणी रो राज घटतो जार्इ म्हारो सुहाग बढ़तो जार्इ। कीड़ी कीड़ी कीड़ी आर्इ। कीड़ी री तो जात है, जात है गुजरात है। गुजरात्या रो पाणी आयो, दे-दे खुंटया ताणी आयो। आंकडा री डाळी अ'र गुलाब रो फूल है। एक दो तीन चार पाँच छ: सात आठ नौ दस ग्यारा बारा तैरा चौदा पंद्रा सोला, इसर पारवती रा जोड़ा।
गणगौर री केणी
एक नगरी में एक सिवमंदिर हो, जठे संगळी सुहागणा गणगौर रे दन र्इसर-गणगौर री पूजा करती ही। वणी मंदिर रे कने एक ब्राह्राण अ'र ब्राह्राणी रेवता हा, जो निपूता हा। गणगौर पूजवा आवा वाळी लुगाया ब्राह्राणी ने बाँझड़ी केय'र वाँरों अपमान करती अ'र सगळा'ऊँ पछे वाने पूजा करवा देती। इण वात सूं ब्राह्राणी रो मन घणो दुखी वेवतो। एक दन ब्राह्राणी मंदिर रे बारणे बैठी झोळी मांड'र रो-रो'र गोरा माँ सूं अरज करे के हे जरणी, म्हारी हुनी गोद पे तरस खाओ अ'र म्हारी झोळी भर दो। वणी बखत आकास में एक हमळी एक नानी'क मोरणी ने मुण्डा में ले'र जाय'री ही जो हमळी रे चोंच सूं छूट'र ब्राह्राणी री झोळी में आय पड़ी।

ब्राह्राणी होच्यो के म्हारा भाग में औलाद रो सुख नी लिख्यो है, अणी'ज वास्ते गोरा माँ म्हारी झोळी इण तरह सूं भरी है। ब्राह्राणी विणने ले'र आपणे घरे पौंची अ'र विणरो आपणी औलाद रे ज्यूं पालण-पोशण करवा लागी। मोरणी ब्राह्राण-ब्राह्राणी री झोंपड़ी में फिरे अ'र विणरे पगा मे बंधिया घूघरा छमक-छमक बाजे। लुगाया पूछे के यो कुण चाले तो ब्राह्राणी हँस'र केवे के म्हारा र्इसर-गणगौर म्हने घियड़ दिदी जो गडोळिया चाले। लुगाया केवे के जणीरी चाल अतरी रूपाळी वा सागे कतरी'क रूपाळी व्हेला, म्हाने भी तो विणरो मुण्डो वतावो तो ब्राह्राणी केवे के नजर परी लागे, म्हें तो कौनी वताऊँ।

एक दन राजा रे कँुवर मंदिर दरसन करवा आवे, जद वे ब्राह्राण रे घर में घुमती मोरणी रे पगे बँध्या घुघरा री आवाज हुण'र पूछे के या मोरणी जसी चाल'ऊँ कुण चाले तो पूजा करती लुगाया केवे के या तो मंदिर रे पूजारीजी री छोरी है। कुँवर केवे के जणीरी चाल अतरी रूपाळी वा सागे कतरी'क रूपाळी व्हेला अ'र वे प्रतिज्ञा करे के रामजी रे ज्यूं म्हें भी एकपत्नी व्रत लेऊँ अ'र जो म्हें ब्याव क'रूँ तो इण सूं इ'ज क'रूँ, नी तो आकी उमर कुँवारो इ'ज रे'ऊँ।

कुँवर री प्रतिज्ञा सुण'र ब्राह्राण-ब्राह्राणी थर-थर काँपवा लागे अ'र कुँवर ने ऐकला में लेजाय'र संगळी वात बतावे जिणने सुण'र कुँवर केवे के म्हें तो सिव मंदिर में नगर री दस लुगाया रे वचे प्रतिज्ञा करी, म्हें म्हारी प्रतिज्ञा कौनी तोडू़,  आगे गोरा माँ री जो मरजी। सात फेरा पूरा वे अ'र आकासवाणी वे के कुँवर म्हें थारी वचनबद्धता अ'र ब्राह्राण-ब्राह्राणी री म्हारें प्रति निश्ठा सूं घणी प्रसन्न हूँ। अ'र फेर एक तेज प्रकाष व्हे अ'र मोरणी अप्सरा रे जस्सी रूपाली सोळह बरस री कन्या बण जावे। हे गणगौर माँ, जस्सा आप ब्राह्राण-ब्राह्राणी अ'र कुँवर ने टूटया सबने टूटज्यो।े
दषामाता री केणियाँ
1
एक राणाजी रे दो राणियाँ ही। पटराणी रुपळ रे दषामाता रो नेम हो , वा रोज पौ फाटया रा उठ'र न्हावणो-धोवणो करती ,दषामाता रो चौंतरो लीपती, दषामाता री पूजा करती, केणी केवती पछे राणाजी री सेवा में हाजरी देती । छोटी राणी राणाजी री खास लाड़ळी, जो परभाते उठता'र्इ न्हार्इ-धोर्इ न सोळह सिंगार कर'र राणाजी री सेवा में हाजिर व्है जाती ।
एक दन राणी रूपळ दषामाता री पूजा करया पछे राणाजी रे कने गी तो राणाजी रे साथे जिमण जिमती छोटी राणी व्यंग सूं बोली -Þआपारां कने संगळी सुख सम्पति है अ'र जो भी है राणाजी रो दिदो है फेर आप राणाजी ने छोड'न दषामाता ने क्युं पूजो?Þ तो राणी रूपळ हंस'र बोली Þम्हारा कने तो जो भी है म्हने म्हारी दषामाता रोर्इ'ज दिदो है, राणाजी रो नी ?Þ पटराणी री इण बात संू राणाजी रूठ जावे अ'र वाने देष निकाळो दे'र केवे के म्हुंू भी तो देखूं थारी दषामाता थने कठे ले'र जावे और कर्इ देवे ।

            भटकती-भटकती राणी रूपळ एक नगर में पौंची। वो नगर दषामाता अ'र दाड़ाजी बावजी आपणी माया संू बसायो अ'र खुद वटारा राजा राणी बण'न राज करवा लागा । गजानन्दजी बावजी अ'र रिद्वि-सिद्वि धर्म रा भार्इ-भोजार्इ बण'र राणी रूपळ रो स्वागत किदो। दावडि़याँ बार्इसा-बार्इसा करती गेला में फूल वकेरया। दषामाता अर दाड़ाजी बावजी धर्म री बेटी बणा'र लाड़-लड़ाता राणी रूपळ ने म्हेला में लेग्या। राणी रूपळ ठाट-बाट अ'र लाड़-कोड़ रे साथे पिहरवासो करवा लागी ।

            अठीने राणी रूपळ रे जाता ही राणाजी री दषा ओत जावे अ'र एक रात राणाजी ने सुपनो आवे, दषामाता सुपने आ'र केवे के राणा थारे राज सूं सुदषा जाय'री है अ'र कुदषा आय'री है। आगली परभात राणाजी री नींद खुले तो देखे के राज-पाट वलोवर्इ ग्यो है। हाथी-घोड़ा, लाव-लष्कर, सब पाषाण रा व्है ग्या है। राणाजी छोटी राणी रे साथे नगर सूं निकळ जावे।

            छ: म्हीना तक भूखा तरया वन-वन भटकता राणाजी अर छोटी राणी वणी'ज नगर में पौच्या जठे राणी रूपळ दषामाता अ'र दाड़ाजी बावजी री धर्म री बेटी बण'र रेयरी ही। दषामाता री लीला सूं तीन ही पाछा मले। आपणी कुदषा अ'र राणी रूपळ रो ठाट-बाट देख'र वे दोर्इ दषामाता री महिमा माने अ'र दषामाता रो व्रत लेवे। फेर राणी रूपळ ने मना'र आपाणे साथे नगर ले'र आवे। दषामाता री किरपा संू सब पांछो हो जस्यो व्है जावें....। हे दषामाता! जस्या राणी रूपळ ने टूटया सबने टूटज्यो अ'र म्हाने भी टुटज्यो ।

2
उज्जेन नगरी रे राजा रे सात बेटियाँ ही। राजा रो हंगळी बेटियाँ पे घणो हेत हो। छ: बेटियाँ री हगार्इ व्हैगी ही अ'र राजा सातवी बेटी सोनादे रे वास्ते लायक घर वर री खोज कर रया हा। एक दन हंगळी कुँवरियाँ बाग में खेलती वाता करे के दुनिया तो बेटिया ने बोझ हमझे पण आपाणा पिताजी आपा उं कतरो प्रेम करे और आपां रे वास्ते कतरा आछया घर वर हमाळया है। अ'र अबे सोनादे वास्ते भी कतरी दौड़भाग कर रया है। बेना री वात हुण'र सोनादे बोली जीजा इण वात में तो कर्इ संदेह नी है के पिताजी आपा उं घणो प्रेम करे है। पण बेटी आप करमी व्हे बाप करमी नी, वा आपणो भविश्य लारे ले'र पैदा व्हे है। आप लोगा ने जो घर वर मिल्या है वे आपरी तकदिर उं मिल्या है अ'र जो मने मिलेला वो म्हारी तकदिर उं इ'ज मलेला। सोनादे री वात राजा हुण ले अ'र रिसा बळ'र वंडो ब्याव वंडे र्इ'ज पाळया तका हंस उं कर'र नगर उं निकाळ दे। सोनादे रे दसामाता रो नेम व्हे, वा दसामाता रो नाम ले'र नगर बारणे कुटिया बणा'र रेवा लागे। वो दसामाता रो दन हो सोनादे दसामाता रे पीपला री पूजा कर'र पाछी कुटिया पे आवे तो देखे के हंस ने तो मनकी मार नाक्यो। सोनादे रे वास्ते तो वोइ'ज वंडो पति हो वा विलाप करवा लगी। नगर रा लोग भेळा व्है ग्या। सोनादे आपणे हाथ उं चिता चणी अ'र हंस ने ले'र सती वेवाने बैठगी। दसामाता विचार किदो के या म्हारी भगत है। म्हारी पूजा करवागी अ'र पाछू यो सब घट ग्यो। अबे अगर म्हें अंडो दुख दूर नी किदो तो म्हने कुण पूजेला। दसामाता अ'र दाड़ाजी बावजी आकी नगरी ने सागेसाग दरसण दीदा। दाड़ाजी बावजी अमरत रो छांटो न्हाक्यो हंस पाछो जिवतो व्हैग्यो, दसामाता हाथ फेरयो न वो अठारह वरस रो रूपालो कुँवर वणग्यो। कुटिया महल बणगी, वन में नगर बस ग्यो। दास दासियाँ चँवर ढोळता वाने महला में लेयग्या। आखिर सोनादे रा पिताजी भी मान ग्या के बेटिया आपाणो किस्मत साथे ले'र पैदा व्हे।
दाड़ाबावजी रे वरत री कथा
होळी पाछलो दितवार आयो, माँ-बेटी दाड़ा बावजी रो वरत किदो। माँ पाणी लेवागी अ'र बेटी घरे रोट वणावे। अतराक में सूरज भगवान जोगी रा भेश में आ'र भीक्षा मांगी। वंडो रोट काचो हो इण कारणे वणी माँ रे रोट मूं कौर तोड़'र जोगी ने देय दीदो। माँ आर्इ अ'र आपणा रोट ने खाँडो देखता ही वेंडी व्हैगी अ'र छोरी रे पाछे पड़गी के धियड़-धियड़ रोट दे, रोट मेली कौर दे। छोरी जठे जावे वठे वा योइ'ज केवती वंडे पाछे दौड़े। घबरा'र छोरी वन में न्हाटगी। जठे राजा रा कुँवर मले जो विणने परण'र आपणे नगर ले आवे। एक दन माँ बेटी ने हंमाळती वणी'ज नगर में पौंच जावे। मेहल रा झरोखा में बैठी बेटी ने देख'र हाको पाड़वा लागे, धियड़-धियड़ रोट दे रोट मेली कौर दे। लाज्या मरती बेटी माँ ने सातवाँ ओवरा में बंद करदे। अ'र वंडी कुंची किने ही नी देवे। एक दन राजा जिदद कर'र ताळो खोलावे तो देखे के मिने सोना री मूरत पड़ी व्हे। राजा पूछे, राणी यो कर्इ राज है तो राणी केवे राजा या म्हारा दुबळा पीर री भेंट है। अबे राजा जिदद करे के आपने आदमकद सोना री मूरत भेंट कर सके अस्यो आपरो दुबळो पीर म्हें भी देखणो चाहूं। घबरार्इ तकी राणी सूरज भगवान अ'र दाड़ाबावजी उं प्रार्थना किदी अ'र वे विने ढार्इ पहर रो पीर वासो दिदो। उजाड़ वन में नगरी बसगी, सोना रा महल, हाथी-घोड़ा, लाव-लष्कर, दास-दासियां, सात भार्इ-भौजाइयां। बार्इसा-जवार्इंसा खूब आवभगत वी। ढार्इ पहर पछे राणीसा री जिदद उं वे वठूं रवाना व्या। पण राजा एक दाण पाछा जावा रे हवारत में जाणकर'र घोड़ा रो चांटको वटे इ'ज छोडि़आवे। पाछा जा'र देखे तो कर्इ'ज कौनी। एक झाड़किया पे चांटको लटकी रयो व्हे। फेर राजा पूछयो राणी या कर्इ लीला ही अ'र आप डाकण-भूत छळ-छमंद कर्इ हो। आखिर हार'र राणी रोट रा वरत री सुरू उं अंत तक री हंगली केणी हुणा'र दाड़ाबावजी अ'र सूरजभगवान री महिमा वतावे। हे दाड़ाबावजी जस्या राणी ने टुटया, सबने टूटज्यो। अ'र माँ उं रूठया वस्या कणीउं मत रूठज्यो।
गजानंद री केणी
एक बरामण हो। जंगळ में झोपड़ी बणार रेतो हो। बरामण रे एक सोला वरस री कन्या ही जो रोज गजानंदजी ने पूजती अ'र मांगती क आप सरीखो वर दीजो। बरामण रे भी एक नेम हो वो होळी री वा'दी ला'र चुल्हा में न्हाकतो जिने बारह ही महिना नी बुझवा देतो। एक दाण वो बारले गाँव ग्यो अ'र चुल्हा रे वा'दी री भळावण बेटी ने देर ग्यो। विण दन गणेषचौथ ही, छोरी नगर रा मंदर में किर्तन हुणवा गी जतरे पाछे वा'दी बुझगी। छोरी चुल्हा में ठण्डी वानी देखर रोवा ठुकी के हे गजानंदया, थारे कारणे या वा'दी बुझगी, जो म्हें थारे मंदर नी आवती तो यो नी वेतो। बापू आ'र मने मारी कुटी, अबे म्हें कर्इ करूं, अड़ोस पड़ोस में और कोर्इ रेवे भी तो नी। छोरी रोती तकी घर बारणे निकळी तो देखे के हामे एक झोपड़ो और ही जिणमूं धूवो निकळरयो हो। छोरी करछु लेर दोड़ी, झोपड़ी खाली ही पण चुल्हो झकर झकर बळ रयाक हो, वा वा'दी ले'र रवाना वेवा लागी के बाजोट पे परुस्या तका भात रा वाटका पे नजर पड़ी, जाती जाती एक चमचो भर'र मुण्डा में न्हाक दीदो, फेर वटे लटकता काँच में मुण्डो देख्यो के कटी भरयो तो नी है अतराक में हिंगळोट नजर आर्इ, होच्यो देखां हिंदो कस्योक लागे, कर'र हिंदवा लागी सात हिंदा ले'र ज्यूंही वटु रवाना व्ही, गजानंदजी अठारा वरस रा कुँवर रे रूप में आ'र वंडो पल्लो पकडि़यो क छोरी थें म्हारो एंठवाड़ो भात खादो, म्हारा काँच में मुण्डो देख्यो, म्हारी हिंगळांट में हात हिंदा खादा, अबे तो थूं म्हारी आघी स्त्री व्हैगी। यूं भी थूं म्हने पूजती अ'र मांगती के आप सरीखो वर दिजो, म्हारा जस्यो तो इण सरस्टी में और कोर्इ है नी इण वास्ते म्हूं इ'ज परणवाने आयग्या, अबे थूं म्हार उं परण। बरामण रे खबर भेजी वो भाग्यो भाग्यो आयो, आला लीला बाँस कटाया अ'र गजानंदजी रे साथे आपणी बेटी रो ब्याव करायो। हे गजानंदजी बावजी जस्या बरामण अ'र विणरी बेटी ने टुटया सबने टुटज्यो।
सूरज  भगवान री वात
सूरज भगवान अ'र राणादे दुनिया में पघारया, एक जग्या एक डोकरो, डोकरी अ'र वणारो लुलो छोरो मजूरी कर रया हा। रानादे केवे भगवान म्हारा उं अणारो दुख नी देखावे, अणाने धनवान कर दो। भगवान कयो रानादे अणारी तकदीर में योइ'ज लिख्यो है अ'र या दुनिया घणी लांबी है आल तो अस्या कर्इ मनख देखवा में आर्इ जो अणाउं वत्ता दुखी व्है। आप किण किण रो दरद दुर करो।  रानादे जिदद करे के भगवान म्हें आगे आपने कर्इ नी केउं पण अणारो दुख तो आपने दुर करणो इज पड़े। भगवान बोल्या ठीक है आपरी जिदद है तो म्हें अणाने एक एक वर देर्इ देउं ये जो चावे मांगीले। रानादे पेलीस जाइन वाने हमझार्इ आवे के सूरजभगवान वर मांगवा री केवे तो अतरो घन मांग लिजो के थाणी सात पीढि़या बैठी बैठी खावे तोइ नी खुटे। डोकरो, डोकरी विचार करे के पेरवा ओढवा अ'र खावा पिवा रा जवानी रा दन तो परा ग्या अबे धन दौलत रो कर्इ सुख, हेलो खावां तो पचे नी, हऊ पेरा तो ओपे नी। आपा तो रूप अ'र जवानी पाछी मांगी लेवां अ'र छोरो धन मांगी लेर्इ। जो छोरा रो वोर्इ आपाणो। डोकरी मांग्यो तो भगवान विने अप्सरा जसी रूपाळी सोला वरस री कन्या वणार्इ दीदी। डोकरो विने मंत्रमुग्ध व्हैन देखीज रयो हो के वटू राजा रो रथ निकळयो। राजा वणीपे मोहित व्हैन विने राणी बणवा रो आमंत्रण दीदो, तो वा राणी वणवा रे हवारत उं झट रथ में बैठगी, डोकरा ने रिस आर्इ अ'र वणी कयो हे भगवान अणी लुगार्इ ने गदेड़ी वणार्इ दो। डोकरा रे मांगतार्इ वा गदेड़ी बणगी। अबे छोरो विचार में पड़ग्यो के कर्इ करूं। आखिर वणी हाथ जोड़'र कयो भगवान म्हें तो मजूरी कर'र गुजारो कर लेउं आप तो म्हारी माँ ने पाछी मनख वणार्इ दो। तीना ने मनचाया वर मलग्या पण वणारी सिथति वा री वाइज री। भगवान हँसर पूछयो केवो रानादे कसीक री। रानादे  बोल्या म्हें मानगी भगवान तकदीर उं वत्तो किने कइ इज नी मले। हे सूरजभगवान वणा तीना ने छळया जस्या किने छळो मति।
पथवारी री वात
दो भार्इ बेण हा, दोया में घणो हेत। बेण रे पथवारी पूजवा रो नेम हो, वा रोज परभाते पथवारी पूज'र भार्इ रो मुंण्डो देखती पछे दोर्इ पाणी पीवता। अणीज कारण बेण रो ब्याव पाड़ला गाँव में इ'ज किदो हो। दोर्इ गाँवां रे वचे पथवारी माता रो थान वणायो। पौ फाटया रा दोर्इ भार्इ बेण वठे मलता। बेण पथवारी पूज'र भाइ रे टिको करती पछे दोर्इ पाणी पीवता। एक दन बेण री चुँदड़ पथवारी रा झाड़ में उळझ'र फाटगी, हाँझ रा भार्इ ग्यो अ'र पथवारी रा झाड़-झंखाड़ काट'र साफ कर आयो। परभाते भार्इ उं पेली बेण वठे पौंची अ'र पथवारी री दषा देखता ही वंडा मुंडा उं निकळ ग्यो के ठाला-भूला किने मौत आर्इ रे जो म्हारी पथवारी उझाड़ी। अठिने बेण रो केणो व्यो अ'र वठिने भार्इ री हागी मौत व्हैगी। बेण रे हम्चार मेल्या के थारो भार्इ परदेस जावे आइ'न आखिरी दाण मुंडो देख ले। बेण आगती आगती रवाना व्ही। आगे डोकरी रे रूप में पथवारी माता पथ में हंगळी नानी मोटी पथवारियां वकेर'न बैठी ही। बेण बोली मासा गेलो छोड़ो म्हारे झट पीर पौंचणो है, म्हारो भार्इ परदेस जाइरो है, कुण जाणे पाछो कदी आर्इ। माता सागे रूप में दरसण दीदा अ'र बोली बेटी थारो भार्इ वणी देस जाइरो है जठु आज तक कोर्इ पाछो नी आयो। फेर आपणी झोळया मुं आका निकाळ'र दीदा अ'र कयो क ये आका भार्इ रे मुंडा में दीजे, थां भार्इ-बेण री जोड़ अमर व्है जार्इ। बेण पीर पौंची, आगे तो रोवा कुटो मचरयो हो, बेण ने पथवारी माता री वात याद आर्इ वणी माता रो नाम ले'र भार्इ रे मुंडा में आका नाक्या। भार्इ आळस मरोड़तो उठो व्है ग्यो अ'र केवा लागो के आज नींद घणी गेरी आर्इ बेना, म्हे पथवारी पे नी आइ सक्यो। बेण बोली भर्इ असी नींद म्हारा वेरी दुष्मन ने बी मती आवजो। हंगळा मनख पथवारी माता री जयकार करवा लागा। हे पथवारी माता जस्या वणा भार्इ बेण ने टुटया सबने टुटज्यो अ'र म्हाने भी टुटज्यो।
तुलसाजी री वात
एक डोकरी रोज तुलसाजी ने पूजती अ'र मांगती के खावा ने लाडु दिजे, खेलावाने वीर, जिमणने सोना रो वाटको दिजे, ओढवा ने दखणी रो चीर। योगियां जसी मौत दिजे, साकेत रो वास दिजे, सिताजी रे हाथ रो चाल चलावो दिजे अ'र राम लखन री खांद दिजे। तुलसाजी हुका हुका जावे। भगवान पूछयो तुलसा आप म्हारी सब राणियां में पटराणी, सबउं प्यारी, आपने म्हें माथा पे बैठा'र राखुं, आप लारे नी वो तो म्हें भोग भी नी लूं। फेर आपने अस्यो कार्इं दुख है जो आप हुका हुका जावो। तुलसाजी बोल्या भगवान एक डोकरी म्हने पूजे अ'र मांगे के खावा ने लाडु दिजे, खेलावाने वीर, जिमणने सोना रो वाटको दिजे, ओढवा ने दखणी रो चीर। योगियां जसी मौत दिजे, साकेत रो वास दिजे, सिताजी रे हाथ रो चाल चलावो दिजे अ'र राम लखन री खांद दिजे। संसार रो सब सुख म्हे विने देर्इ देऊं, योगियां जसी मौत भी देर्इ देऊं पण सिताजी रे हाथ रो चाल चलावो अ'र आपरी खांद कटु देऊं। भगबान कयो बस अतरिक वात, आप चिंता छोड़ो अ'र हरया भरया रो समे आया सब व्है जार्इ। तुलसाजी पाछा हरया भरया व्है ग्या। डोकरी रा सौ ही वरस पूरा व्या। मंदर में हरि किर्तन करती डोकरी बैठी री बैठी रेर्इगी। आको नगर भेळो व्है ग्यो पण डोकरी तो जाणे भाटा री व्हैगी, ऊँचाया नी ऊँचे। मनख वाता करवा लागा के कामणी धुमणी आकी उमर जाणे कर्इ तंतर मंतर करती री अ'र अबे पाप भुगती री है। अतराक में तो रमझम करता सिताजी पघारया, अठारा वरस रा कुँवर वण्या राम लखन पधारया। डोकरी रे चंटी आंगळी अड़ार्इ वा जाणे फूला रे ज्यूं फोरी व्हैगी। मंदर रे चौक में विणने हुवार्इ, सिताजी चाल चलावो किदो नवार्इ धोवार्इ न भगवा वस्त्र पेराया। राम लखन खांदो दिदो न दाग किदो। अंत में वंडा जीव ने साकेत धाम रा वास मल्यो। हे तुलसामाता जसी गति वणी डोकरी ने दीदी सबने दिजो अ'र म्हाने भी दिजो।
षितलामाता री केणी
षितलामाता अ'र बोदरीमाता दो बेना हा, होळी रो हातवो दन, दोर्इ बेना ठंडो हिळो लेवा नगरी में निकळया। जणी घरे ग्या वेर्इ नट ग्या के म्हा तो राते खावा जतरो इ'ज बणावा, म्हाणे घरे तो बासी भोजन नी रेवे। फरती फरती बेना राजा रे द्वार पे पौंची। जार्इ न हेलो पाडि़यो, और तो कोर्इ हुणियो नी पण घोड़ा रा चरवादार घोड़ा रे वास्ते आलणी राँधीरया हा, वणा एक एक करछु भर'र आलणी दोर्इ बेना रे हाथ पे उंदार्इ दीदी। बेना हाय बळा हाय बळा करती जाती जाती राजा ने हराप दीदो के राजा थारों राजपाट हंगळो नश्ट व्है जाज्यो। माताजीरो केणो व्यो अ'र राजा रा मेहला में धन दौलत हाथी घोड़ा लाव लष्कर हंगळा पाशाण रा व्है ग्या। षितलामाता अ'र बोदरीमाता दोर्इ बेना हाय बळा हाय बळा करती नगर वचु निकळी। नगर वारणे एक कुम्हारण डोकरी री झोंपड़ी ही वणी दोया ने आपणी झोपड़ी मे पधराया, ठण्डा जल, दूध, दही अ'र मेहंदी वाने ठण्डा किदा अ'र पल्ला उं वायरो करवा लागी। अतराक में तो हाथ में तलवार लिया राजा मारूं मारूं करता वठे आया अ'र केवा लागा के डाकण भूत छळ छमंद कुण हो थां जो म्हारो राजपाट सब नश्ट कर दीदो। षीतलामाता बोल्या राजा म्हें डाकण नी भूत नी छळ नी छमंद नी म्हें तो षितला अ'र बोदरी दो बेना हा , ठंडो हिळो लेवा नगरी में आर्इ। जण्डे घर में नी हो नटिग्या पण थारे द्वार पे आर्इ तो म्हाने बाळी नाकी, इण वास्ते थने म्हाणो हराप लागो। राजा पूछयो अबे कार्इ किदा सब पेली जस्यो व्है तो माताजी कयो के होळी रे हातवे दन आकी नगरी में कोर्इ धुवों नी निकाळे, पाळा न अळवाण म्हाणे द्वार आवे म्हाने ठण्डा जल, दूध, दही अ'र मेहंदी उं ठण्डा करे अ'र विण दन हंगला ठण्डो जिमण इ'ज जिमे तो थाणे पाछो हंगळो जस्यो हो वस्यो व्है जार्इ। अ'र आगे भी वारे घरा में अ'र वारे बाळका रे वास्ते म्हें ठण्डी इ'ज रेवा। राजा माताजी कयो ज्यूं किदो अ'र वाँरे सब पेली जस्यो व्है ग्यो।
आड़ी वाड़ी
आड़ वाड़ी सोना री वाड़ी, जिण में बैठी कान कुँवारी। कान कुँवारी कर्इ केसी, दसामाता री वात केसी, दाड़ा बावजी री बात केसी, सूरजभगवान री वात केसी, गजानंदजी री वात केसी, पथवारी माता री वात केसी, तुलसाजी री वात केसी, विश्रामजी री वात केसी, राम लखन री वात केसी, धरमराज जी री वात केसी, गणगौरजी री वात केसी, तेतीस ही करोड़ देवी-देवता री वात केसी। वात किया कर्इ मांगे, वृन्दावन रो वास मांगे अन्न मांगे धन मांगे, लाभ मांगे लक्ष्मी मांगे जनकजी जस्या बाबुल मांगे सुनैना जसी मायड़ मांगे सिताजी जसी बेन मांगे कानजी जस्यो वीर मांगे दषरथजी जस्या ससुर मांगे कोषल्या जसी सास मांगे सैसाजी रो राज मांगे पूता रो परिवार मांगे हिंसती घोड़ी मांगे दूध देती गाय मांगे बेटा री तो जोड़ मांगे जमाइयां रो जुमको मांगे। वऊआं रो तो रांध्यो मांगे धियड़ रो परूस्यो मांगे। अंत समे राधाजी रो चाल चलावो मांगे अ'र श्रीकृश्णजी री खांद मांगे।
टिली टिली टमकादे राणी, हुँकारो देवे म्हारी जमकादे राणी। डावे पारे राते हारे, टिली पूरे मन री आस। सब मांगे अ'र म्हें भी मांगु, आप दीजो म्हारी दसामाता।


फेर व्यो कमाल वना खड़ग वना ढाल

हमझ आइ जद उं एक गीत हुणता आया के बापूजी वना खड़ग वना ढाल लड़ार्इ लड़ी अ'र आपणा देस में आजादी देवार्इ। बाळपणे में आजादी रो अरथ तो नी हमजता पण यो प्रश्न हमेस दिमाग में आवतो के कोर्इ वना हथियार उठाया लड़ार्इ किकर जीत सके। चौसठ वर्ष पेली आपाणा देस में विदेशी शासन हो या फेर युं केवा के आपाणा घर पे पाड़ोसी सुमो पहलवान रो कब्जो हो। जिणने आजादी री लड़ार्इ लड़वा वाळा निकाळ बा'णे फेक्यो। घर बारला दुश्मन उं तो आजादी मली पण आगे चाल'र घर रा इज कुछ सदस्य आपाणा थोड़ा सा हवारथ रे वास्ते भरस्टाचार री हाबळ उं नीवां खोद-खोद'र घर री भीता ने पोली करवा लागा। आज देस रा कस्या भी विभाग में परा जावो, वटे भरस्ट वाड़ा रो बोलबालो है। नाना उं नाना काम रे वास्ते भी जरूरतमंद एडि़याँ गीस-गीस'र  थाक जावे या फेर रिश्वत दे'र काम करावे। केवे के बारलो दुश्मन कतरो भी ताकतवर वे तोर्इ वणीउं लड़णो अ'र जीतणो सरल वे पण आपाणा इज घर रा मनकाउं लड़नो घणो मुशिकल व्हे। फेर भी आपा देख्यो के आज अन्ना जी रे नेतृत्व में देसवासी एकजुट वे'र  इण भरस्टाचार ने खतम करवा रे वास्ते वना खड़ग वना ढाल जंग लड़ी अ'र जीत रा पेला पंगतिया पे पग मेल्यो। मान्यो की जन लोकपाल हालतार्इ पारित नी व्यो पण सरकार अन्ना जी रा तीन खास मुददा 'सीटीजन चार्टर पे सहमती ,राज्यां में लोकायुक्त री नियुकित अ'र नीचला स्तर रा कर्मचारियां ने लोकपाल रा दायरा में लावा रे वास्ते राजीनामो प्रस्तुत कर दिदो। अहीसां रे गेले चालीन वना हथियार उठाया या जो जीत मली है छोटी वात नी है यूं भी तो केवे है के अमावस री घणघोर अंधारी रात में मंजिल रा गेला पे आगे पग वदावा वास्ते उजाळा रो एक कतरो र्इ घणो व्है।


गलती

            कांर्इ नाम है थांरो ?ट्रेफिक पुलिस इंस्पेक्टर अकड़'र पुछयो तो वणी भी अकड़'र जवाब दिदो- दीपक व्यास। सीधी सी बात है, जद कोर्इ गलती ही नी ही तो डर किण बात रो।

हूँ। इंस्पेक्टर विणने ऊपर सूं नीचे तक घूरता तका हुंकारो भरयो। फेर बोल्यो-जवानी रो जोष है, जदी'स पुलिस वाळा सूं उळझ रयो है भायो।

            नी सा'ब, म्हूं कणीऊँ नीं उळझरयो हूँ। गलती तो गाड़ी वाळा री ही।

अच्छा! तो गलती गाड़ी वाळा री ही ? इंसपेक्टर व्यंग रो तीर फैंक्यो

और नी तो कांर्इ सा'ब आप ही देखलो म्हारे लागी , म्हारो सामान खराब व्यो अ'र म्हांरे स्कूटर रे भी नुकसाण पौंच्यो है। इण सब रो हर्जाणों देवाणो तो घणो छेटी रयो उल्टो आप अ'र आपरा सिपाही लोग भी वणी रर्इसजादा रो र्इ'ज पक्ष लै रया हो।

थंने ठा है वो रर्इसजादो कुण है?

कणी मोटा बाप री औलाद व्हेला साब, जदी'ज तो दोशी वेता भी आप विण ने छोड़ दिदो अ'र म्हनें पकड़ राख्यो है।

इंस्पेक्टर विणरी अकड़ पहचाण लीदी ही। वो मूँछया रे बंट देवतो बोल्यो-देख घर-गिरस्थी वाळो लागरयो है, फेर क्यूं मुसीबत मोल लेवे, चुपचाप माफी मांग अ'र चाळतो बण।

माफी! वा किण बात री जनाब ? जिणरी गलती ही विणने तो आप लोग छोड़ दिदो अ'र म्हने माफी मांगवा री कैरया हो।

विणरी बात हुण'र कांस्टेबल बोल्यो देख छोरा, चुपचाप माफी मांग'र चालतो बण। साहब रो गुस्सो बढ़ ग्यो तो हवालात री हवा खाणी पड़ जावेला।

पण किण जुर्म में? वो तुनक'र बोल्यो

जुर्म ! इंस्पेक्टर ठठा'र हँसियो, फेर माथो खुजातो तको कान्सटेबल ऊँ बोल्यो- इणने जरा वो देषी तमंचो तो दिखाजो, जो अणीरी जेब मूु निकळयो हो।

विणरे पगा नीचे सूं जमीन खिसकगी। उबळतो खून एकदम बरफ बणग्यो। मुण्डो अस्यो व्हैग्यो मानो फुल्या गुब्बारा में कोर्इ काँटो चुभग्यो अ'र फिस्स करतो संगलो वायरो निकळग्यो व्हे। थोड़ी देर री कषमकष रे बाद वणी दोर्इ हाथ जोड़ दिदा अ'र बोल्यो-म्हने माफ कर दो सा'ब। म्हारा सूं गलती व्हैगी।  अ'र फेर वो लुटियो-पिटियो सो आपणो टूटो स्कूटर उठा'र चालतो बणियो।


जीवन नाम जीवा रो


एक डोकरी ही, हर हाल में मस्त रेवती अ'र प्रभु रा भजन करती। न तो वा दुजा मनखा रे ज्यूं मंदर में जार्इन भगवान ऊँ कर्इ मांगती अ'र न ही आपणे कणी दुख रो रोवणो रोवती। एक दाण भगवान वणीरी परीकसा लेवारी होची, परिसिथति असी वणार्इ के बेटा-वऊ छोड़'र दूजे नगर परा ग्या, घर साहुकार हड़प लिदो न राजा रा सैनिक वणीने नगर ऊँ निकाळ दीदी। डोकरी नगर बारणे झुपड़ी बणा'र रेवा लागी न भगवान  साधु रे भेश में आ'र पुछयो केवो मासा यो जीवन कस्योक लागे? डोकरी केवे घणो हाउ है माराज न कोर्इ रोकवा वाळो न टोंकवा वाळा नदी रो पाणी पीवा, जंगळ रा फळ खावा न आराम ऊँ प्रभु रो भजन करां। पौश रो मीनो दुनिया हाय ठण्ड-हाय ठण्ड करे, भगवान डोकरी ने जाय'र पुछे केवो मासा हियाळो कस्याक है? डोकरी केवे घणो आछयो है माराज, अलाव लगा'र तप तापा, उनी-उनी राबड़ी पीवा अ'र राते गोदड़ी री मसोड़ तो घणीज हुवावणी लागे। जेठ मीनो लागो दुनिया तपे-तपे करे'र भगवान डोकरी ने जाय'र पुछयो केवो मासा ऊँनाळो कस्योक लागे? डोकरी केवे माराज दन में दो-दो दाण हाँपड़ा, ठण्डो पाणी पीवा, रुँखड़ा री ठण्डी छाया में हुवणो अ'र पँखी रो वायरो घणो हुवावणो लागे। सावण-भादवा री झड़ी लागी। चारु मेर माख्या, माचर, कादो। डोकरी री झुपड़ी में टप-टप पाणी चुवे अ'र वा एक खुणा में दबक'र पड़ी रेवे। अस्या में आ'र फेर भगवान पुछे केवो मासा यो चौमासो कस्योक लागे? वा हँस'र बोली रिमझिम-रिमझिम महियो बरसे, न्यारा'न्यारा फळ-फूल लागे, चारु मेर हरयो वैर्इ जावे, कोयल मोर पपीहा बोले अस्यो चौमासो किने नी हुवावे माराज। भगवान मुळकवा लागा। डोकरी री परिकसा पूरी वी। झुपड़ी उड़गी, मेळ-माळया ऊबा व्हैग्या। अबे वणीरे ठाट रो कर्इ केणो। इण वात रो सार यो है के जीवन नाम जीवटता ऊँ जीवा रो है न कि नतउठया रो-रो'र मरवा रो। संसार में हाऊ  बी है अ'र भुण्डो बी। यो तो देखवा वाळा री नजरया पे है के वो चन्द्रमा में लाग्यो दाग देखे के कादा में खिलतो तको कमल रो फूल।


''कठे हो कान्हा वीर''

आज द्धारका में भारी उत्सव हो। हंगळा हर्षोउल्लास सुं नाचता गाता रेवतक ,पर्वत री परिक्रमा कर रया हा। हंगलो यदुवंष भी पर्व में शामिल हो अर हंगळा रे मन में हरक हो ,मुण्डे हंसी। पण सुभद्रा रो मन व्याकुल अर आँख्या री कोरा आली ही।कारण ,आज परभात ही तो बलदाऊ परिवार में घोषणा किदि ही के वणा सुभद्रा रो ब्याव दुर्योधन रे लारे तय कर दिदो है ,अचाणचक वासुदेव आ'र सुभद्रा रे माथे हाथ रख्यो। दोर्इ भार्इ-बेण री नजरा मिली। बेण रे आख्याँ रा मोती गाल पे लुढ़क ग्या। कान्हा जाणता हा सुभद्रा रो मन पार्थ में रम्यो हो अ'र पार्थ रो भी तो सुभद्रा रे सागे अस्यो इ'ज लगाव हो। पण बलदाऊ तो आपणी ओर ऊँ सगपण पूरी तरया ऊँ पक्को करी आया हा। मुरलीधर हाथ पकड़'र सुभद्रा ने भीड़ ऊँ थोड़ा अलग लेग्या अ'र विणरा आंसू पौछ'र मुलकता तका एक आनी इषारो किदो। हामे अर्जुन रथ लियो ऊबो हो। सुभद्रा कृष्ण री मंषा हमझगी पण काँपती आवाज में बोली ''भैया , बलदाऊ जिवता नी छोड़ेला म्हाने अ'र समाज कांर्इ केर्इ। वासुदेव हँस'र बोल्या , सोला बरस राखी बांधी थें अ'र म्हें थने रक्षा रो वचन देतो ,भार्इ रो फरज वे के बेण रे जीवन अ'र मान सम्मान रे साथे विणरी प्रसन्नता अ'र होटा री हँसी री भी रक्षा करे। म्हें जाणु हुं के म्हारी बेणारे होटां री हँसी अ'âदय री धड़कन पार्थ है। म्हे समाज ने संभाळ लेऊ अ'र बलदाऊ ने भी , थे जाओ ,म्हारो आषीष थांरे लारे है। केवता तका श्रीकृष्ण भीड़ भेळा घुस ग्या। आगे जो व्यो संसार जाणे। अर्जुन सुभद्रा रा प्रेम ने नाम भी मिल्यो अ'र सम्मान भी।
            पण आज 'आनर किलिगं' रे नाम पे भार्इ आपणा हाथां ऊँ प्रेम में पड़ी आपणी बेणा ने मौत रे घाट ऊतार दे। कसी विडम्बना है कि घर रो छोरो  कतरो भी मोटो जुर्म कर'र घर आवे तो माँ-बेण आपणे आँचल में छुपार्इ न दुनिया ऊँ वचावा री जुगत करे अ'र दूजी आनी छोरी री नासमझी या भावनात्म भूल री सजा बाप अ'र भार्इ विने मृत्युदण्ड रो रूप मे दे।
            कांर्इ परिवार रो मान-सम्मान बेण-बेटी री प्रसन्नता अ'र जीवन ऊँ भी वत्तो व्हे।


सिर सांठे रूंख रहे तो भी सस्तो जाण

'सिर सांठे रुंख रहे तो भी सस्तो जाण' विश्नोर्इ समाज रा गुरुजी जाम्बोजी रा अणी मंत्र रो अरथ है के एक माथा रे सांटे बदले एक रुखड़ो वंच जावे तो भी अणी सौदा ने हुंगो सस्तो जाणणो। शास्त्र भी तो केवे है के एक रुखड़ो सौ पुता रे बरोबर व्है। आज भादवा री उजाळी दशम है, दोसो र्इक्यासी बरस पेली आज रे इज दन खेजड़ली गांव में अमृतादेवी विश्नोर्इ रे नेतृत्व में,तीन सौ तरेसठ लोग-लुगार्इ रुखड़ा ने काटवाऊं वंचावा रे वास्ते आपणो जीव होम दीदो। राजस्थान रा इतिहास में दरज यो बलिदान कर्इ आवा वाळी पीढि़याँ कदी भूल सकेला। या आपाणे वास्ते गौरव री वात लागे और जद भी आपाणा पूरबजा रे कणी त्याग या बलिदान री वात उठे तो आपाणी छाती गर्व ऊँ चोड़ी व्है जावे, मरद मुछया रे ताव देवे के आपा वांरा वंशज हां। पण कदी आपा यो होच्यो के आपा तो पूरबजा रा हाऊ करमा ने याद कर'र गर्व उं फूल'र कुप्पा व्हैरया हां, पण आज आपा अस्यो कर्इ करया हां जिने याद कर'र आपाणी आगली पाढ़ी भी आपाणा पे गर्व कर सके। र्इणमें दो राय नी है के आज आपा विकास री ओट लेर प्रकृति रे लारे विनाश री रम्मत रम रया हां। अंधाधुंध रुकड़ा काट'न जंगळात ने मैदान करया हां। एक रुख रो कर्इ मोल व्है यो विने पुछो जो थळी रेगिस्थान रा तावड़ा में तप'र आयो व्है। रुखड़ा जीव मात्र रा जीवनदाता व्है, अणाऊं फळ-फूल और छाया जसी महत्ती आवश्यकता तो पूरी व्है इज अ'र पराणी रे जीवा री हंगळाउं मोटी जरूरत पराण वायु आक्सीजन भी मले। इण हगळी वाता रे अलावा एक रुखड़ो जाणे कतरार्इ अणबोल्या जीव जीनावरां रो रैवास व्है। एक रुखड़ो कटे तो कतरार्इ अणबोल्या जीवा रो रैवास उजड़ जा अ'र कणीरो वस्यो वसायो घर ऊजाड़वाउं वत्तो पाप ओर कांर्इ व्है सके। इण वास्ते कोशीश या इ'ज वेणी चावे के नी तो हरया रुख काटा, नी काटवा दा अ'र मजबुरीवश काटणो भी पड़े तो कणी दुजी जग्या पे काटया जंडा दुणा रुख लगावा अ'र वाने पाल पौस'र मोटा करा, ताकि आपणी आगली पीढ़ी भी आपणा करमा पे गर्व कर सके।


एक रक्तबीज ने मार'र जंग नी जितावे

देवासुर संग्राम में ज्यूं ही रक्तबीज धरासायी व्यो आकी देव सेना में हर्श री लेर फैलगी के सबसू मोटो दानव खतम व्है ग्यो। हंगळा रे मुण्डे एक इज वाक्य हो, रक्तबीज मारयो ग्यो। पण कुछ ही क्षणा केड़े वोइ'ज हरख दुगूणा षोक में बदळ ग्यो, कारण हो रक्तबीज ने मल्यो तको  वरदान, जणीरे कारण जठे जठे वणी रे लोर्इ रा छांटा पड़या वठे वठे वण्डे जस्या रा जस्या सैंकड़ो रक्तबीज पैदा व्है ग्या हा। देवता हमझ ग्या के अगर दानवता रो खात्मो करणो है तो रक्तबीज दानव रा रक्त ने जमीन पे पड़वा उं पेली खतम करणो पड़ेला। और वणा योइ'ज कर'र जीत हाँसील किदी। या तो वणी युग री वात है जदी आपा तो कर्इ आपा रे सात पीढ़ी पेला रा लोग भी नी हा। पण आपा तो आज में जीवीरा हा अ'र आज री'ज वात करा। और आज आपा हंगळा एक आतंकवाद रूपी दानवता रा सरगना री मरवा री खबर हुण'र घणा राजी व्है रया हा। घणा खरा मनख तो सड़का पे आ'र जष्न मनार्इ रया है जाणे वणीरे लारे इण दुनिया सूं आतंकवाद इ'ज सदा रे वास्ते खत्म व्है ग्यो वे। वो आतंकवादी यानी के ओसामा बिन लादेन, रक्तबीज दानव रे ज्यूं इ'ज हो, जो आपाणे आतंकवाद रूपी लोर्इ रा एक-एक छांटा उं आपाणा जस्या न जाणे और कतराइ ओसामा बिन लादेन पैदा कर'र ग्यो वेला। यूं तो आज दुनिया रा कतरार्इ देस आतंकवाद उं झुंझीरा है पण भारत वणा हंगळा उं वत्तो दुखी है। केवा में तो विषेशज्ञ केइरा है के लादेन री मौत उं भारत पे कर्इ असर नी वेला पण आपाने यो भी याद राखणो पडेला के जणी तरया सिरफ एक रक्तबीज रे  मरवा उं देवता जंग नी जीती सक्या वणी'ज तरया उं खाली एक लादेन रे मरवा उं आतंकवाद रो खात्मो नी व्यो है। इण वास्ते हमझदारी तो अणी में इ'ज है के हरख मनावारे जग्या पाछे छुटया दुजा रक्तबीजा उं हावचेत व्है जावा अ'र अणी आतंकवाद रूपी दानवता ने इ'ज खतम करवा रो जतन करा।


हउजी रो लपटो

एक जमार्इसा पेली दाण हारे पधारया। हारा मे तो जाणे भगवान इज पधारी ग्या। हाळा आगे पाछे दौड़े। होराजी घणो मान करे अ'र हउजी नित नवो जिमण वणावे अ'र हाळियां कर कर मनवार न जिमावे। जमार्इसा रे ठाट-बाट अ'र वारा न्यारा री कर्इ केणी। पांच हात दन जाणे घडि़या रे ज्यू निकल ग्या। जमार्इसा व्हीर व्या जण दाण हाउजी मोटी जवारी ;शगूनद्ध दीदी अ'र पछे विदा किदा। पन्द्रा वीस दन निकल्या के जमार्इसा ने पाछी हारा री हर आवा लागी, वे ठाट-बाट वा आव भगत। वे पाछा पौच ग्या हारे। फेर वार्इ'ज वात वेइज मान-मनवार। हाळाजी रो सत्कार, हउजी रा लाड़ कोड़। अबार के जमार्इसा दस दन काड़ दिदा। हारा ऊँ फेर व्हीर व्या तो हउजी फेर जवारी दिदी।
जमार्इसा आर्इ तो ग्या पण मन हारा मे इज रेइ ग्यो। वो ठाट-बाट वो मान-मनवार वो आराम उ रेवणो न भाँत-भाँत रा जिमण जिमणो। जमार्इसा तो दस दन ही नी निकल्या के पाछा हारे जार्इर बैठ ग्या। अबे तो एक हफतो निकल्यो  पन्द्रा दन निकल्या  विस दन व्या  जमार्इसा तो जम ग्या  जावा रो नाम इ'ज नी ले। धीरे-धीरे जिमण रा थाल में रंधिण कम वेवा लागा। हाळाजी रो मान अ'र हाळीजी री मनवार फीकी पड़वा लागी। होराजी तो आका दन वचे एक-आध दाण जमार्इसा रे हामे पड़े।
एक दन अस्यो आयो के जमार्इसा रे थाल में खाली मक्की री रोटी अ'र खाटो इज आयो। जमार्इसा हैरान के अबे कठे ग्यो वो आदर-मान। पण पेट में तो उन्दरा फदगी रया हा। जो मल्यो वो खाणो इ'ज हो। मक्की री रोटी रा टुकड़ा उ उना खाटा ने हलावता जोरु बोल्या ठण्डो वेनी रे म्हारा हउजी रा लपटा। रसोड़ा में चुल्ला री बेणी में बैठा हउजी केलड़ी में जोर ऊँ मक्की री रोटी न्हाकता बोल्या -एक मिनो न आठ दन वेइ ग्या अबे तो जा नी रे नकटा।

            केवा रो मतलब है ज्यू चाँद रो चाँदणो चार दन रो इज व्है तयू इज पामणा रो आदर मान भी चार दन इ'ज रेवे।

 

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