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(आभार राजस्थान पत्रिका)

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रतनसिंहजी
सूरतसिंहजी
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राजस्थानी भाषा के समाचार


भारत-पाक सीमा पर है घन्टयाली माता का चमत्कारी मदिर


पश्चिमी राजस्थान मे थार के अतिम जिले जैसलमेर से करीब 110 कि.मी. दूर पाकिस्तानी सीमा से सटे तनोट क्षेत्र स्थित 'घन्टयाली माता' मदिर शक्तिस्थल के रूप मे आम श्रद्धालुओ के अलावा भारतीय सैनिको व अधिकारियो के आस्था स्थल के रूप मे प्रसिद्ध है। यहा पर दिनभर सैनिको एव फौज का आना-जाना लगा रहता है। इस मदिर परिसर मे सन् 1965 मे भारत-पाक युद्ध मे पाकिस्तान द्वारा गिराये 'बम' भी देवी के चरणो मे नतमस्तक होकर नही फटे। ये मङ्क्षदर मे आज भी रखे हुए है। साथ ही साथ पाक सेना द्वारा इस क्षेत्र मे घुसकर मदिर स्थित अनेक मूर्तियो को खडित भी किया गया। वे भी मदिर मे रखी हुई है। 1965 की लड़ाई के दौरान घन्टयाली माता ने अपने पर्चे भी दिये जिससे सेना व आम नागरिक अभिभूत हो गये।

घन्टयाली माता के मदिर की देखरेख भी जवान ही करते है जो मदिर मे सुबह-शाम पूजा-अर्चना भी करते है। यह मदिर मातेश्वरी तनोट के दर्शन करने जाते समय 7 कि.मी. पहले रास्ते मे पड़ता है। घन्टयाली मा के दर्शन अत्यत ही शुभ माने जाते है।

घन्टयाली माता के मदिर के बारे मे यहा रोचक प्राचीन कथा सुनने को मिलती है। इस सदर्भ मे मदिर परिसर मे खडित मूर्तियो के ऊपर दीवार पर पूरी कथा श्रद्धालुओ को पढऩे को मिलती है। ऐसा कहा जाता है कि प्राचीनकाल मे कुछ अपराधी प्रवृत्ति के लोगो ने सीमावर्ती गावो के पास रहने वालो पर अत्याचार किये व इस दौरान एक परिवार के सभी सदस्यो को मौत के घाट उतार दिया गया। उस समय मात्र परिवार की एक गर्भवती महिला ही बची, जो अपने गाव को छोड़कर दूसरे स्थान पर चली गई। कुछ समय के बाद उसने एक पुत्र को जन्म दिया। बड़ा होने के बाद जब उसने अपने परिवार के बारे मे पूछा तो उसकी मा ने उसे सारी घटना से अवगत कराया। इस घटना को सुनकर उसने अपराधियो से बदला लेने की ठानी व एक दिन तलवार लेकर घन्टयाली गाव मे आया जहा एक छोटा-सा मदिर था। यहा उसने माता को बच्ची के रूप मे देखा। मा ने उसे अपने हाथो से जल पिलाकर उसकी प्यास बुझाकर आशीर्वाद दिया कि तुम्हारी मनोकामना पूर्ण होगी। तत्पश्चात उसने चरणो मे शीश झुकाकर अपनी इच्छा पूरी करने का उपाय पूछा। जगत जननी माता ने उसे कहा कि तुम केवल एक व्यक्ति को मारना, बाद मे सभी एक-दूसरे पर हमला कर मारे जाएगे। माता की बात सुनकर लड़के ने कहा कि यदि यह चमत्कार हो गया तो मै पुन: यहा आकर अपना शीश आपके चरणो मे चढ़ा दूगा। उसके बाद वह लड़का उसी गाव मे पहुचा तो उसने देखा कि एक समुदाय की बारात आ रही है। उसने पीछे से एक बाराती को मार डाला। अचानक इस घटना से क्षुब्ध लोग आपस मे लड़ पड़े और देखते ही देखते सारे बाराती मारे गये और गाव के अन्य लोग भी।

दूर से सब कुछ समाप्त हुआ देख वह पुन: घन्टयाली माता के मदिर के पास आया और मा को पुकारने लगा। काफी देर तक जब माता प्रकट न हुई तो वह तलवार से ज्यो ही अपना शीश काटने लगा तभी मा प्रकट हुई और उसका हाथ पकड़कर कहा- मै तो यही विराजमान हू और मै अपने भक्तो को दर्शन देकर आगे भी कृतार्थ करती रहूगी।

इस घटना के बाद दूर-दूर तक मा के चमत्कारी होने की बात फैल गई व दूरदराज से भी ग्रामीण दर्शनाभिलाषी पहुचने लगे। धीरे-धीरे मदिर को दूर-दूर तक फैले रेत के टिब्बो के मध्य भव्य रूप प्रदान किया गया। फिर तो भारत-पाक सीमा पर तैनात सेना के जवानो और अधिकारियो ने मदिर मे नित्य पूजा-अर्चना करनी शुरू कर दी जो आज भी जारी है।
घन्टयाली माता के अद्भुत चमत्कार युद्ध मे भी दिखाई दिये जिससे सभी मे इतनी आस्था प्रबल हो उठी कि आज जैसलमेर आने वाले हजारो पर्यटक चाहे वे विदेशी हो या भारतीय, घन्टयाली माता व तनोट राय के दर्शन किये बगैर नही लौटते है। मदिर मे तैनात फौज के जवान पूरी निष्ठा व नि:स्वार्थ भाव से आने वाले भक्तो की सेवा मे कोई कमी नही रखते। घन्टयाली माता के मदिर मे सभी तरह की सुविधाए भी मुहैया करवाई गई है जिससे श्रद्धालुओ को कोई परेशानी नही होती।



राजस्थान और राजस्थानी भाषा री टीवी चैनल

सतरग टीवी
(www.satrang.tv)
रो खूब खूब स्वागत

आप आप रा केबल ओपरेटर ने अणि चैनल रा कनेक्शन रे वास्ते बोलो सा |
अडी विशेष जानकारी निम्न है:
चैनल फ्रीक्वेसी ३७५६ मेगा हर्ट्ज
13333 सिम्बोल रेट
होरिजेटल इनसेट ४ ए ८३ पूर्व
Channel Frequency : 3756 MHz (M Hz)
13333 symbol rate
horizontal inset 4A


 
राजस्थानी भाषा के समाचार

राजस्थानी भाषा री ान्यता और विने सविधान री आठवी सूचि शािल करवा के वास्ते इक प्रतिनिधि डल स्ानीय राष्ट्रपति श्रीती प्रतिभा पाटिल सु सु िल्यो और वनाने एक ज्ञापन दिदो | अड़ी प्रतिनिधि डल े १५ सदस्य हा, जड़ी े अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा ान्यता सघर्ष सिति रा राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा रा सदस्य श्रीान अभिषेख नु सिघवी, राजस्थान असोसिएसन ऑफ़ नोर्थ अेरिका (राणा) रा अध्यक्ष श्री प्रे भडारी, पूर्व केद्रीय त्री श्री जगदीप धनकड़, हाराष्ट्र भाजपा रा अध्यक्ष और अखिल भारतीय प्रवासी राजस्थानी हासघ रा अध्यक्ष और विधायक राज के पुरोहित, जे न व्यास विश्व विद्यालय, जोधपुर रा कुलपति प्रो. नरेश दाधीच, जोधपुर राष्ट्रीय विश्व विद्यालय रा चासलर श्री कल ेहता, श्री सूर्यदेव सिह बारहट, श्री उ्ीद सिह तवर, सघर्ष सिति रा प्रदेश हात्री डा. राजेद्र बारहट, प्रदेश सयोजक प्रो कल्याण सिहजी शेखावत, सस्थापक और अन्तराष्ट्रीय ुख्य सगठक श्री लक्ष्ण दान कविया, जोधपुर सभाग पाटवी डा. हेद्र सिह नागर, ुख्य सलाहकार पद् ेहता, राजस्थानी ोट्यार परिषद् रा जे एन यु इकाई रा अध्यक्ष सदीप िल और कपिल सूरी भी शािल हा | राष्ट्रपति प्रतिनिधि डल ने आश्वासन दिदो के वे सर्कार ने अड़ी वास्ते इक पत्र लिखेगा| (अड़ी ुलाकात रा फोटू नीचे देता थका ाने बहोत ख़ुशी वेई री है ) अडे पेहला, केद्रीय गृह राज्य त्री श्री भवर जितेन्द्र सिहजी, अड़ी प्रतिनिधि डल सु राजस्थान हाउस, नयी देल्ली े िल्या और एक घटा तक राजस्थानी भाषा री ान्यता पर चर्चा किदी और अडी जरुरत ने स्वीकार किदी. (अड़ी ुलाकात रा फोटू नीचे देता थका ाने बहोत ख़ुशी वेई री है )

 


प्रेम्रे भडारी ने की आडवाणी व राजे से मुलाकात
राजस्थानी को मान्यता की माग

जोधपुर. बुधवार को यहा अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा ान्यता सघर्ष सिति के अतरराष्ट्रीय सयोजक तथा राजस्थान ऐसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अेरिका (राना) कनाडा व कैलिफोर्निया के ीडिया चेयरैन प्रे भडारी ने भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी तथा वसुधरा राजे से ुलाकात कर राजस्थानी भाषा को ान्यता की ाग की। भडारी ने इस हेतु दोनो नेताओ को ज्ञापन भी सौपा।
गौरतलब है कि भडारी बुधवार प्रातः ही न्यूयार्क से लौटे है। वे ससद के शीतकालीन सत्र तक यहा रहकर राजस्थानी को ान्यता दिलाने हेतु ससद सदस्यो व अन्य नेताओ से सपर्क करेगे। इसी सिलसिले े उन्होने आडवाणी के जोधपुर आगन पर पूर्व विदेश त्री जसवतसिह जसोल के फार् हाउस पर सौहार्दपूण वातावरण े ुलाकात की तथा ज्ञापन सौपा। भडारी ने राजस्थानी ान्यता के ुद्दे पर आडवाणी द्वारा पूछे गए कई सवालो का जवाब भी दिया। इस अवसर पर वहा ौजूद जसोल ने भी आडवाणी के सक्ष राजस्थानी ान्यता का पक्ष रखा। जसोल स्वय ल्बे सय से राजस्थानी ान्यता के लिए सघर्ष कर रहे है और उनकी पत्नी श्रीती कालूबाई सा जसोल भी गत दिनो इस ाग को लेकर जोधपुर े आयोजित हुए धरने े बैठ चुकी है। आडवाणी ने भडारी को राजस्थानी ान्यता के लिए सहयोग का भरोसा दिलाया। इससे पूर्व भडारी ने नेता-प्रतिपक्ष वसुधरा राजे से अजीत भवन जाकर ुलाकात की। राजे ने भी जनहित के लिए राजस्थानी भाषा की ान्यता को आवश्यक ाना। बुधवार को ही भडारी ने सासद अर्जुनरा ेघवाल से ुलाकात की तथा इस ाग को लोकसभा े प्रभावशाली तरीके से उठाते रहने के लिए बधाई दी। भडारी ने ेघवाल को बताया कि अेरिका व कनाडा े रहने वाले सभी प्रवासी राजस्थानी लोकसभा े दिए गए उनके भाषणो के वीडियो देखते है और उन्हे खूब सराहते है। इन नेताओ से ुलाकात के सय नेशनल यूनिवर्सिटी के चासलर कल ेहता, एडवोकेट कल जोशी, हेश कल्ला, आनन्द ठाकुर, नारायण कल्ला, रजनीश भडारी सहित कई अन्य गणान्य लोग भी भडारी के साथ थे।

 

आगे पढ़िए...
 
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राजस्थानी भाषा री हिा
  • 12 वी शताब्दी सू साहित लिख्यो जाय रियो है।
  • 4 लाख हस्त लिखित पोथिया है और 134 रीति ग्रथ है।
  • 2 लाख 50 हजार सबदा रा 59 सबदकोश बण्या थका है।
  • आजादी पैला रियासता रौ राज-काज चालतौ।
  • छः भागा रममे ाय कहावत कोश छप्पोड़ी है।
  • राजस्थानी भाषा री व्यवस्थित अर वैज्ञानिक व्याकरण छप्पोड़ी है।
  • तीज-तैवार अर शादी-ब्याव ममे राजस्थानी भाषा रा हजारो गीत-भजन है जो गाया जावै।
  • राजस्थानी भाषा ममे गया वर्षो ममे लगभग 100 फिल्ा बणी है।
  • लगभग 10 करोड लोग दममेश-विदममेशा ममे राजस्थानी भाषा बोलममे है।
  • राजस्थानी वीरा और शुरवीरा री भाषा है।
  • या भाषा कतरी सद्ध है, इण्रो अदाज ई कहावत सु पतो लागममे कि "राजस्थान ममे हर 12 कोस (25 कि.ी.) पर भाषा व पाणी बदलममे है।"
  • कतरा ई ममेगजीन, पुस्तका व अखबार हर वर्ष राजस्थानी भाषा रा नियित निकलममे है, तथा पढ़या जावममे है।
  • राजस्थानी लोग आज विश्व रा कोना-कोना ममे व्यापार, शिक्षा, सममेना व अन्य कई क्षममेत्रा ममे बढ़-चढ नममे ना का रिया है वो वणा री कडी ममेहनत, ईानदारी, त्याग, व सममेवानिष्ठ भाव रममे कारण है इण भावा नममे वममे राजस्थानी भाषा रममे ाध्य सु राजस्थान रा इतिहास और सस्कृति सु सीखममेममे है।
  • भारत नमे स्वतत्र व्या नमे इकसठ साल हुई गया पण लगभग 10 करोड लोगा मे बोली जावा वाळी भाषा नमे सविधान सु ान्यता नी िल सकी है जदी कि अडी सु क बोलवा वाळी भाषाओ नमे ान्यता िल चुकी है।
  • सविधान सु 21 भारतीय भाषाओ नमे ान्यता िली थकी है जणा मे दमेवनागरी लिपी मे लिखी जावा वाळी 8 भाषाए है तो राजस्थानी साथमे कई सस्या है?
  • एक शोध रमे ुताबिक आज विश्व मे 6000 भाषा प्रचलित है, जी अडी सदी रमे अन्त मे घट नमे 3000 रमे जावमेला, अगर आपा आज भी नी चमेतया तो राजस्थानी भाषा रो भी ना िट जावमेला?
  • वैश्वीकरण और सस्कृतिकरण सन्तुलित विकास रमे वास्तमे जरूरी है इणरमे वास्तमे राजस्थानी, हिन्दी व अग्रमेजी भाषा नमे सान रुप उ उपयोग मे लावा री आवश्यकता है।
  • डॉ. वमेल्फील्ड (अमेरिका) रमे अनुसार "विश्व री भाषाओ मे राजस्थानी रो पच्चीसवो स्थान है।"

राजस्थानी भाषा व सस्कृति रा प्रचार वास्तमे इक्कीस सुत्रीय कार्यक्र
  1. राजस्थानी लोगा नमे आपस मे राजस्थानी मे इज बाता करणी चाइजमे।
  2. राजस्थानी फ़िल्ा, गाणा, भजना री कैसमेट व सी.डी. खरीदणी, सुणनी व साथ-साथ ित्रा व रिस्तमेदारा नमे भी सुणाणी।
  3. ब्याव-शादियाँ रा कार्ड राजस्थानी भाषा मे छपवाणा व इण अवसरा पर राजस्थानी गाणा व गीतो पर विशमेष कार्यक्रा रो आयोजन करणो व राजस्थानी गायका नमे आत्रित करणो।
  4. हज़ारा री सख्या मे राजस्थानी भाषा रा कैलमेडर, टमेबल कैलमेडर आदि छपवाणा तथा बाटणा।
  5. हर एक राजस्थानी परिवार नमे राजस्थानी भाषा री किताब, अख़बार, साहित्य, कविता, सग्रह आदि रमे वास्तमे हर हीनमे 10-1,00 रुपया ख़र्च करणा।
  6. ित्रा, रिस्तमेदारा, आडौस-पडौस आदि मे राजस्थानी भाषा री पुस्तका बाटणी।
  7. मेळा, सााजिक कार्यक्रा व धार्िक कार्यक्रा सु जुडी साग्री नमे राजस्थानी भाषा मे छपवाणो। सााजिक, राजनैतिक और धार्िक कार्यक्रो रा व्याख्यान, व भाषण राजस्थानी भाषा मे दमेणा व सुणवा रमे वास्तमे आग्रह करणो।
  8. हर एक जिला सु राजस्थानी भाषा मे चार पमेज रो साप्ताहिक या दैनिक साचार पत्र निकाळणो व बाटणो। या ाइनमे बालका व युवा वास्तमे अलग सु राजस्थानी भाषा मे ज्ञान-विज्ञान, राजनीति, खमेल, दमेश-विदमेश, साज, धर् व नोरजन री खबरा वमेवमे। (500-1000 कापियॉ सु शुरुआत की जाई सकमे।)
  9. राजस्थानी भाषा री फिल्ा रो निर्ाण करणो व पुराणी राजस्थानी फ़िल्ा रा नुवा डिजिटल सस्करण सी.डी. व डी.वी.डी. रमे रूप मे निकालणा।
  10. दमेश-विदमेश, छोटा-छोटा गाव, तथा शहरा ा राजस्थानी भाषा रा सास्कृतिक कार्यक्र, भजन, नाटक, कवि स्मेलन आदि रा नियित आयोजन करणा। इण रा आयोजना रमे वास्तमे राजस्थानी कलाकारा नमे बुलाणो।
  11. राजस्थानी भाषा रमे प्रचार-प्रसार रमे वास्तमे राजस्थान रा सभी गाँवा व शहरा मे सितियाँ बणावणी और विशमेष कोष स्थापित करणो तथा इकमे वास्तमे राजस्थानी लोगा सु भी आगमे आवा रो आग्रह करणो।
  12. राजस्थानी तीज-त्यौहार, ब्याव-शादियो मे राजस्थानी वमेश भुषा पमेहननो।
  13. विधान सभा व लोक सभा रा चुनाव रा पोस्टर, घोषणा पत्र व अन्य साग्री राजस्थानी भाषा मे छपवावा रो आग्रह सभी राजनैतिक दला सु करणो तथा नमेता लोगा सु राजस्थानी मे भाषण दमेवा को आग्रह करणो।
  14. राजस्थानी भाषा व साहित्य रमे क्षमेत्र मे उल्लमेखनीय का करवा वाळा नमे पुरस्कार व स्ान दमेणो इण्सु अन्य दुसरा लोग भी प्रोत्साहित वमेवमेला।
  15. पुराणा ज्ञान भडारा मे जो हस्तलिखित राजस्थानी भाषा रा ग्रथ पड़या है वाणै छपवावा कमे वास्तमे सब राजस्थानी उधोगपति सु एक-एक ग्रथ उणारमे जीवन काल मे छपवावा र वास्तमे निवमेदन करणो।
  16. पुरा दमेश मे जठमे-जठमे राजस्थानी लोग ज्यादा सख्या मे रमेवमे, वा जगहा रमेडियो स्टमेशन व टी.वी. चैनल पर राजस्थान (राजस्थानी) सु जुडा छोटा-छोटा कार्यक्र शुरू करणा।
  17. हर एक शहर मे राजस्थानी ॉल खोलणा जिणामे खाली राजस्थानी चीजा िलमे।
  18. राजस्थान री सभी स्कुल व कॉलमेज स्तर रमे पाठयक्र मे एक राजस्थानी भाषा व साहित्य रो सर्टीफिकमेट स्तर रो विषय चालु करवाणो।
  19. राजस्थानी भाषा मे वमेबसाईटा रो निर्ाण करणो और ज्यादा सु ज्यादा साहित्यकारा व दुसरा विशिष्ट लोगा नमे इण कार्य सु जोडणो।
  20. पुराणा किला व इारता नमे स्कुल, कॉलमेज व विश्वविधालय मे बदल दमेणो ताकि राजस्थान रा असली इतिहास सु, आगमे आवा वाली पीढिया सीधी जानकारी लमेई सकमे।
  21. विश्व राजस्थानी सघ री स्थापना करणो।
 

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